मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर, पिथौरागढ़

भारत की पवित्र धरती पर ऐसे कई स्थान हैं जो अपने पौराणिक इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता को संजोए हुए हैं और इस वजह से इनकी पहचान दुनिया भर में है। इन्हीं में से एक है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर। यह मंदिर रहस्य और सुंदरता का बेजोड़ मेल के रुप में जाना जाता है। समुद्र तल से 90 फीट नीचे इस मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए बहुत ही संकीर्ण रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। स्कंद पुराण में भी इस मंदिर की महिमा का वर्णन है।

राजा ऋतुपर्णा ने की थी इस मंदिर की खोज

कहा जाता है कि त्रेता युग में राजा ऋतुपर्णा ने इस गुफा की खोज की थी जिसके बाद उन्हें यहां नागों के राजा अधिशेष मिले थे। कहा जाता है कि इंसान द्वारा इस मंदिर की खोज करने वाले राजा ऋतुपर्णा पहले व्यक्ति थे।

अधिशेष राजा ऋतुपर्णा को इस गुफा के अंदर ले गए जहां उन्हें सभी देवी-देवता और भगवान शिव के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कहा जाता है कि उसके बाद इस गुफा की चर्चा नहीं हुई लेकिन पांडवों ने द्वापर युग में इस गुफा को वापस ढूंढ लिया था और यहां रहकर भगवान शिव की पूजा करते थे। पौराणिक कथाओं के मुताबिक कलियुग में इस मंदिर की खोज आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में किया था।

क्या है इस गुफा मंदिर के अंदर?

इस मंदिर में प्रवेश करने से पहले मेजर समीर कटवाल के मेमोरियल से होकर गुजरना पड़ता है। कुछ दूर चलने के बाद एक ग्रिल गेट मिलता है जहां से पाताल भुवनेश्वर मंदिर की शुरुआत होती है। यह गुफा 90 फीट नीचे है जो बहुत ही पतले रास्ते से होकर इस मंदिर के अंदर घुसा जाता है। थोड़ा आगे चलने पर इस गुफा के चट्टान एक ऐसी कलाकृति बनाते हैं जो दिखने में 100 पैरों वाला ऐरावत हाथी लगता है। फिर से चट्टानों की कलाकृति देखने को मिलती है जो नागों के राजा अधिशेष को दर्शाते हैं। कहा जाता है कि अधिशेष ने अपने सिर के ऊपर पूरी दुनिया को संभाल कर रखा है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर में चार द्वार हैं जो रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार के नाम से जाने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पापद्वार बंद हो गया था। इसके साथ कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद रणद्वार को भी बंद कर दिया गया था। यहां से आगे चलने पर चमकीले पत्थर भगवान शिव जी के जटाओं को दर्शाते हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश के कटे हुए सिर को स्थापित किया गया था। इतना ही नहीं इस मंदिर में प्रकृति द्वारा निर्मित और भी कलाकृति मौजूद हैं।

कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर?

अगर आप रेलवे के रास्ते हैं यहां आना चाहते हैं तो आपके लिए सबसे करीब टनकपुर रेलवे स्टेशन पड़ेगा। आप चाहें तो काठगोदाम रेलवे स्टेशन से भी यहां सकते हैं। अगर आप एयरवेज के रास्ते से यहां आना चाहते हैं तो पंतनगर एयरपोर्ट यहां से 226 किलोमीटर दूर है।


गुरुवार, 5 अक्तूबर 2023

प्रमुख भारतीय शहरों के उपनाम

भारतीय राज्यों और शहरों के भौगोलिक उपनाम/उपनामों (Nicknames Of Indian Cities)

भारत के प्रमुख शहरों के उपनाम :- भारत दुनिया के सबसे प्राचीन सभ्यताओं वाले देशों में शामिल है। साथ ही हमारे देश की संस्कृतिक विविधता पूरी दुनिया में मशहूर है जिसके कारण इस देश को संस्कृतियों का महासागर भी कहा जाता है। भारत में विभिन धर्मो, संप्रदाय, बोली, भाषा, संस्कृति, खानपान, पहनावा और मत के लोग रहते है ऐसे में यह देश वास्तव में संस्कृतियों का खजाना है। देश के विभिन स्थानों एवं शहरो की विविधता को देखते हुए देश में कई शहरो के उपनाम भी प्रचलित है जो की स्थान विशेष के इतिहास, संस्कृति और सामाजिक वातावरण को प्रकट करते है।

शहरों या क्षेत्रों के उपनाम अद्वितीय विशेषताओं जैसे अद्वितीय भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक सुंदरता, झीलों की तरह प्राकृतिक संरचनाएं, उद्योग का प्रकार, विशेष रूप से कृषि उत्पादों के बड़े और गुणवत्ता के उत्पादन के अद्वितीय योगदान की वजह से दिए जाते हैं। कभी-कभी, यह इसके लिए वर्णनात्मक नाम का भी प्रतीक होता है जैसे कि उपाधि और नारे जो स्थानीय, आधिकारिक तौर पर और अनौपचारिक रूप से स्थानीय, बाहरी लोगों या उनके पर्यटन मंडल या वाणिज्य मंडलों के लिए जाना जाता है।

प्रत्येक भारतीय शहर के गठन के पीछे एक कहानी है - चाहे उसका उपनिवेशीकरण हो, स्वतंत्रता संग्राम हो, किसी देवता, नेता या सिर्फ भूगोल से जुड़ाव हो! उनकी विशेषताओं और उपज के आधार पर, यहां भारतीय शहरों के कुछ उपनाम दिए गए हैं।

* भारत का प्राचीन नाम = भारत को प्राचीन समय में आर्यावर्त, हिंदुस्तान, भारत और जम्बूदीप के नाम से जाना जाता रहा है।

* जयपुर (राजस्थान) = गुलाबी शहर (नगरी) (पिंक सिटी), भारत का पेरिस (पूर्व का पेरिस), रजवारों का शहर, हेरिटेज सिटी
* जोधपुर (राजस्थान) = ब्लू सिटी (नीला शहर), सूर्यनगरी (सन सिटी)
* जैसलमेर (राजस्थान) = स्वर्ण नगरी (सुनहरा शहर)
* उदयपुर (राजस्थान) = पूर्व का वेनिस, झीलों का शहर (लेक सिटी), सफ़ेद शहर (व्हाइट सिटी)
* चितोड़गढ़ (राजस्थान) = भारत का गौरव (राजस्थान का गौरव), महाराणा प्रताप की नगरी
* अजमेर (राजस्थान) = राजस्थान का हृदय, ख्वाजा की नगरी
* माउंट आबू (राजस्थान) = राजस्थान का शिमला
* सरिस्का (राजस्थान) = टाइगर रिजर्व
* डूंगरपुर (राजस्थान) = पहाड़ों की नगरी

* लखनऊ (उत्तर प्रदेश) = नवाबों का शहर
* कानपुर (उत्तर प्रदेश) = उत्तर भारत का मैनचेस्टर, विश्व का चमड़ा शहर, राष्ट्रीय राजमार्गों का चौराहा
* प्रयाग या इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) = ईश्वर (भगवान) का निवास, संगम नगरी, प्रधानमंत्रियों का शहर
* वाराणसी या बनारस या काशी (उत्तर प्रदेश) = मंदिरों एवं घाटों का नगर (शहर), पवित्र शहर, भारत की धार्मिक राजधानी
* आगरा (उत्तर प्रदेश) = ताजनगरी, पेठा नगरी
* गाजीपुर = काशी की बहन
* अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) = ताला की नगरी
* बागपत (उत्तर प्रदेश) = बाघों की भूमि
* बलिया (उत्तर प्रदेश) = बाघी बलिया
* गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) = उत्तर प्रदेश का जावा

* ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) = उगते सूरज की भूमि
* शिलांग (मेघालय) = भारत का स्कॉटलैंड (पूर्व का स्कॉटलैंड)
* गुवाहाटी (असम) = उत्तर पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार, पूर्वी ज्योतिष का शहर, मंदिरों का शहर
* तेज़पुर (असम) = मोतियो का शहर, रक्त का शहर
* डिब्रूगढ़ (असम) = भारत का चाय का शहर
* दिसपुर (असम) = मंदिरों का शहर

* दिल्ली = भारत का दिल
* नई दिल्ली = रैलियों का नगर
* नोएडा (नई दिल्ली) = एनसीआर की आईटी राजधानी
* अमृतसर (पंजाब) = सुनहरा शहर (गोल्डन सिटी), स्वर्ण मंदिर का शहर
* पटियाला (पंजाब) = शाही शहर
* कपूरथला (पंजाब) = बगीचों का शहर

* राजमुंदरी (आंध्र प्रदेश) = सांस्कृतिक नगरी
* काकीनाडा (आंध्र प्रदेश) = उर्वरक नगर, पेंशनभोगी का स्वर्ग, दूसरा मद्रास
* भीमावरम (आंध्र प्रदेश) = भारत का सेकंड बारडोली
* गुंटूर (आंध्र प्रदेश) = मिर्चों का शहर, मसालों का शहर
* तेनाली (आंध्र प्रदेश) = आंध्र पेरिस
* विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) = विजय का स्थान, विजय भूमि
* कुरनूल (आंध्र प्रदेश) = रायलसीमा का प्रवेश द्वार
* राजमहेंद्रवरम (आंध्र प्रदेश) = आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी

* कटक (ओडिशा) = सिल्वर सिटी
* भुवनेश्‍वर (ओडिशा) = मंदिर शहर

* अहमदाबाद (गुजरात) = भारत का मैनचेस्टर, भारत का बोस्टन, भारत का पहला विश्व धरोहर स्थल (हेरिटेज सिटी), गुजरात की वाणिज्यिक राजधानी, पश्चिमी भारत की वित्तीय राजधानी, रात्रि शहर, ट्विन सिटी (गांधीनगर के साथ)
* सूरत (गुजरात) = हीरो का शहर (डायमंड सिटी), भारत का रेशम शहर (सिल्क सिटी)
* वडोदरा (गुजरात) = बरगद का शहर, गुजरात की सांस्कृतिक राजधानी / सांस्कृतिक नगरी, भारत के विद्युत उपकरण विनिर्माण केंद्र, पेंशनर्स सिटी
* पालनपुर (गुजरात) = हीरों का शहर, फूलों का शहर
* बारडोली (गुजरात) = बटर सिटी
* आनंद (गुजरात) = मिल्क सिटी
* गांधीनगर (गुजरात) = हरित शहर, ट्विन सिटी (अहमदाबाद के साथ)

* मुंबई (महाराष्ट्र) = भारत की वित्तीय राजधानी, सात द्वीपों का शहर (नगर), गेटवे ऑफ इंडिया (भारत का प्रवेश द्वार), भारत का हॉलीवुड, अधिकतम शहर, सूती वस्त्रों की राजधानी
* पुणे (महाराष्ट्र) = डेक्कन क्वीन (Deccan Queen) (दक्कन की रानी) (क्वीन ऑफ डेक्कन) (दक्षिण की रानी), पूर्व का ऑक्सफोर्ड
* नागपुर (महाराष्ट्र) = संतरे का शहर (ऑरेंज सिटी), बाघो का शहर (टाइगर कैपिटल)
* अकोला (महाराष्ट्र) = भारत का कपास शहर (कॉटन सिटी)
* नासिक (महाराष्ट्र) = भारत की शराब राजधानी, अंगूर शहर
* कोल्हापुर (महाराष्ट्र) = भारत का पहलवानों का शहर
* यवतमाल (महाराष्ट्र) = कॉटन सिटी
* थाइन (महाराष्ट्र) = झीलों का शहर
* इचलकरंजी (महाराष्ट्र) = महाराष्ट्र का मैनचेस्टर

* कोल्लम (केरल) = विश्व की काजू राजधानी, अरब सागर के राजकुमार
* त्रिवेंद्रम (केरल) = भारत का सदाबहार शहर
* कोच्चि या कोचीन (केरल) = अरब सागर की रानी, पूर्व का वेनिस, मसालों का बगीचा, केरल की वाणिज्यिक राजधानी, केरल की न्यायिक राजधानी, केरल का प्रवेश द्वार, मलयालम फिल्म उद्योग का केंद्र
* तिरुवनंतपुरम (केरल) = पूर्व का वेनिस
* त्रिशूर (केरल) = केरल की सांस्कृतिक राजधानी, पूरमों की भूमि, वडक्कुमनाथन की भूमि, भारत की स्वर्ण राजधानी
* अलाप्पुझा (केरल) = पूर्व का वेनिस
* कन्नूर (केरल) = लूम्स और लोरेस का शहर
* कासरगोड (केरल) = सात भाषाओं की भूमि, हर्कविलिया
* कोझिकोड (केरल) = मसालों का शहर
* मलप्पुरम (केरल) = फ़ुटबॉल राजधानी
* पलक्कड़ (केरल) =ताड़ के वृक्षों की भूमि, केरल का धान का कटोरा

* मदुराई (तमिलनाडु) = महोत्सव (त्योहारों) का शहर, पूर्व का एथेंस, मंदिरो का शहर, नींद हराम शहर, चमेली का शहर, पांड्य की राजधानी नाडु
* चेन्नई (तमिलनाडु) = डेट्राइट ऑफ एशिया (एशिया या भारत के डेट्रोइट), दक्षिण भारत का प्रवेश द्वार, सुपर प्रसारित नगर, भारत की ऑटोमोबाइल कैपिटल (मोटर शहर), भारत का स्वास्थ्य पूंजी (भारत की स्वास्थ्य सेवा राजधानी), भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) हब, भारत की बैंकिंग राजधानी, फ्लाईओवरों का शहर
* कोयम्बटूर (तमिलनाडु) = दक्षिण भारत के मैनचेस्टर,  दक्षिण भारत का गेट, भारत का स्वास्थ्य पूंजी, भारत की ऑटोमोबाइल कैपिटल, भारत की बैंकिंग राजधानी, भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण हब, कोंगु नाडु की राजधानी, भारत का कपड़ा शहर, भारत का पम्प शहर, तमिलनाडु की वित्तीय राजधानी, भारत का इंजीनियरिंग शहर
* तिरुनेलवेली (तमिलनाडु) = दक्षिण भारत का ऑक्सफोर्ड, धान के खेतों का शहर, भारत का हलवा का शहर
* यरकौड (तमिलनाडु) = गरीब आदमी की ऊटी
* वानियमबाडी (तमिलनाडु) = दक्षिण भारत का चमड़ा शहर
* सलेम (तमिलनाडु) = आम शहर
* नमक्कल (तमिलनाडु) = अंडे का शहर
* तिरुचिराप्पलि या त्रिची (तमिलनाडु) = रॉक फोर्ट सिटी, भारत की ऊर्जा उपकरण एवं निर्माण राजधानी
* तूतीकोरिन (तमिलनाडु) = पर्ल सिटी, भारत का पर्ल हार्बर
* थूथुकुडी (तमिलनाडु) = पर्ल सिटी, तमिलनाडु का प्रवेश द्वार, रक्त का शहर
* तिरुपुर (तमिलनाडु) = भारत का डॉलर शहर, तमिलनाडु की कपड़ा राजधानी, बनियान शहर, निट वियर कैपिटल ऑफ इंडिया
* इरोड (तमिलनाडु) = भारत का हल्दी शहर
* कोडाइकनाल (तमिलनाडु) = हिल स्टेशनों की राजकुमारी
* कुंभकोणम (तमिलनाडु) = दक्षिण भारत का कैम्ब्रिज
* ऊटी (तमिलनाडु) = हिल स्टेशनों की रानी
* ऑरोविले (पुडुचेरी /पांडिचेरी) (तमिलनाडु) = भोर का शहर, पूर्व का पेरिस

* हैदराबाद (तेलंगाना) = मोतियों का शहर, निज़ामों का शहर
* हैदराबाद - सिकंदराबाद (तेलंगाना) = जुड़वा नगर

* श्रीनगर (जम्मू एवं कश्मीर) = पुलो का नगर, भारत झीलों का नगर, पृथ्वी का स्वर्ग
* मसूरी (उत्तराखंड) = पर्वतों की रानी (पहाड़ो की सिटी) (हिल क्वीन सिटी)
* ऋषिकेश (उत्तराखंड) = विश्व की योग राजधानी (योग सिटी), ऋषियों का शहर, भारत की राफ्टिंग राजधानी, भारत की साहसिक राजधानी
* नैनीताल (उत्तराखंड) = झीलों का शहर
* देहरादून (उत्तराखंड) = प्यार का भारतीय शहर, लीची नगर

* खज्जियार जिला (हिमाचल प्रदेश) = भारत का मिनी स्विट्जरलैंड

* बरेली = सूरमा नगरी
* कन्नौज = खुशबुओं का शहर
* कुर्नूल = रायलसीम का गेटवे
* मलयाला = कोट्टायम की दादी

* धनबाद (झारखंड) = भारत की कोयला राजधानी (कोयला नगरी)
* जमशेदपुर (झारखंड) = भारत का पीटर्सबर्ग, स्टील सिटी ऑफ इंडिया, भारत का इस्पात शहर (इस्पात नगरी)
* नेतरहाट (झारखंड) = पहाड़ी की मलिका

* भागलपुर (बिहार) = सिल्क सिटी
* मुजफ्फरपुर (बिहार) = लीची की भूमि, प्यारा शहर
* गया (बिहार) = ज्ञानोदय का शहर

* मैंगलोर (कर्नाटक) = पूर्व का रोम, भारतीय बैंकिंग का पालना
* मंगलुरु (कर्नाटक) = भारत की आइसक्रीम राजधानी, कर्नाटक का प्रवेश द्वार, पूर्व का रोम
* बेंगलूरू (कर्नाटक) = भारत की सिलिकॉन वैली, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, अंतरिक्ष का शहर (सिटी), भारत के विज्ञान शहर (नगरी), भारत का बगीचा (उद्यान) (गार्डन सिटी), पेंशनभोगियों का स्वर्ग
* सकलेशपुर (कर्नाटक) = गरीब आदमी की ऊटी
* मैसूर (कर्नाटक) = कर्नाटक का रत्न, चंदन की लकड़ी का शहर, कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी
* कूर्ग (कर्नाटक) = भारत का स्कॉटलैंड
* कोडागु (कर्नाटक) = भारत का स्कॉटलैंड

* पानीपत (हरयाणा) = बुनकरों का शहर, पर्यावरण अनुकूल शहर
* गुडगाँव (हरयाणा) = मिलेनियम सिटी

* सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) = दोआर का गेटवे (डुअर्स का प्रवेश द्वार), उत्तर पूर्व भारत का प्रवेश द्वार, आतिथ्य का शहर
* आसनसोल (पश्चिम बंगाल) = काले हीरे की भूमि, भाईचारे का शहर
* कोलकाता (पश्चिम बंगाल) = महलों (इमारतों) का शहर, डायमंड हर्बल, हर्ष व उल्लास (खुशी) का शहर, जुनून का शहर, भारत का टोलीवुड, भारत की सांस्कृतिक राजधानी, आश्चर्य का शहर, वृद्धों का स्वर्ग, पश्चिम बंगाल की राजधानी
* दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) = पहाड़ों की रानी
* दामोदर घाटी, दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) = भारत का रूहर
* मालदा (पश्चिम बंगाल) = आम शहर
* बिष्णुपुर (पश्चिम बंगाल) = बंगाल का मंदिर शहर
* हावड़ा (पश्चिम बंगाल) = मूर्तियों की भूमि, रेउई गांव
* कृष्णानगर (पश्चिम बंगाल) = मूर्तियों की भूमि
* मिदनापुर (पश्चिम बंगाल) = आदिवासी परंपरा का शहर
* नबद्वीप (पश्चिम बंगाल) = बंगाल का ऑक्सफोर्ड

* भोपाल (मध्य प्रदेश) = झीलों का शहर
* मुंडी (मध्य प्रदेश) = पावर हब सिटी
* पीतमपुरा (मध्य प्रदेश) = भारत का डेट्राइट

* कर्नाटक = मलय का देश
* आंध्र प्रदेश = एशिया की अंडों की टोकरी
* मध्य प्रदेश = सोया प्रदेश
* केरल = भारत का मसाला उद्यान (मसालों का बगीचा), दक्षिण का कश्मीर
* सिक्किम = फलोधानो (फलोद्यानों) का स्वर्ग
* पंजाब = पाँच नदियों की भूमि
* लक्षद्वीप = समुद्र-पुत्र
* छत्तीसगढ़ (छत्‍तीसगढ) = धान का कटोरा (डलिया)
* हिमाचल प्रदेश = फलों की डलिया
* कश्मीर = भारत का स्विटजरलैंड
* मेघालय = पूर्व का स्कॉटलैंड, मेघों का नगर
* गुजरात = सल्ट प्रदेश (सिटी)

* कावेरी = दक्षिण भारत की गंगा
* शारदा = काली नदी
* गंगा = पवित्र नदी
* दामोदर नदी = पश्चिम का बंगाल का शोक
* कोसी नदी = बिहार का शोक
* गोदावरी नदी = दक्षिण गंगा
* साबरमती = सर्वाधिक प्रदूषित नदी

* नीलगिरी पहाड़ियां (तमिलनाडु) = नीले पहाड़ (ब्लू माउंटेन)



यानर डाग (जलती हुई पहाड़ी)


Land of Fire : बारिश, बर्फ, हवा भी न बुझा सकी 4000 साल से जल रही आग, ऐसे ही 'लैंड ऑफ फायर'

क्या आप जानते हैं कि एशिया और यूरोप के बीच बसे एक देश में पिछले 4000 साल से लगातार आग जल रही है। इस आग को न तो बर्फ बुझा पाई और और न ही घनघोर बारिश। ठंडी हवा के तेज थपेड़ों का भी इस आग पर कोई असर नहीं हुआ है। यह आग पहाड़ी की तलहटी में 10 मीटर के इलाके में लगी हुई है। इस पहाड़ी को स्थानीय भाषा में यानर डाग कहा जाता है, जिसका अर्थ 'जलती हुई पहाड़ी' है। यह पहाड़ी अजरबैजान के अबशेरोन प्रायद्वीप में स्थित है। हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक इस जलती हुई पहाड़ी को देखने के लिए अबशेरोन पहुंचते हैं।

लैंड ऑफ फायर क्यों है अजरबैजान

अजरबैजान प्राकृतिक गैस से भरपूर देश है। ऐसी आग इसी का एक साइड इफेक्ट है। यह गैस कभी-कभी सतह पर लीक हो जाती है और उनमें आग लग जाती है। ऐसा अजरबैजान के कई इलाकों में होता रहता है। इस कारण अजरबैजान को लैंड ऑफ फायर भी कहा जाता है। सतह पर रिसी गैस जब समाप्त हो जाती है, तब लगी आग अपने-आप बुझ भी जाती है। लेकिन, यानर डाग के मामले में ऐसा अब तक नहीं हुआ है। यानर डाग पिछली कई सताब्दियों से अजरबैजान के लोगों को आकर्षित और भयभीत करने वाली जगह है।

मार्को पोलो ने भी इस आग का किया है जिक्र

इस जगह की रहस्यमय घटनाओं का जिक्र प्रसिद्ध खोजकर्ता मार्को पोलो ने भी किया है। वह 13वीं शताब्दी में इस देश से गुजरे थे। कई दूसरे अन्य सिल्क व्यापारियों ने भी आग की लपटों का जिक्र किया, जो अजरबैजान के रास्ते दूसरे देशों की यात्रा करते थे। उस समय अजरबैजान की पहचान आग के देश के तौर पर थी। उस समय किसी को अजरबैजान की जमीन के नीचे छिपी प्राकृतिक गैस के बारे में जानकारी नहीं थी। तब लोग इसे एक रहस्यमयी घटना मानते थे। पिछले कुछ दशकों में अजरबैजान में मौजूद प्राकृतिक गैस के बारे में लोगों को जानकारी हुई है।

पारसी धर्म के उत्थान में भी इसकी बड़ी भूमिका

अजरबैजान की रहस्यमयी आग ने पारसी धर्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पारसी धर्म का उदय ईरान में हुआ था, जो पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व में अजरबैजान में फला-फूला। पारसियों के लिए आग मनुष्यों और अलौकिक दुनिया के बीच एक कड़ी है। यह शुद्धिकरण, जीवनदायी और पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि आज यानर डाग आने वाले अधिकांश यात्री धार्मिक दृष्टिकोण के बजाय तमाशा देखने आते हैं।



दरवाजा गैस क्रेटर (Darvaza Gas Crater)


Darvaza Gas Crater | नर्क का दरवाजा

आपने कहीं पर आग लगने के बाद अधिक कितने दिनों तक उस आग को जलते हुए देखा या सुना है 1 सप्ताह, 1 महीना या 1 सालों तक। आपको जानकर हैरानी होगी कि हम जिस आग की खाड़ी की बात करने वाले हैं उसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर लगभग सन् 1971 में आग लगी थी, और वह आग आज तक बिना 1 सेकंड बंद हुए जल रही है। हम जिस आग की खाड़ी के बारे में बात कर रहे हैं वह तुर्कमेनिस्तान के दरवाजा गैस क्रेटर (Darvaza Gas Crater) हैं, जिसे लोग “नर्क का दरवाजा” भी कहते हैं।

Darvaza Gas Crater के बारे में –

Darvaza Gas Crater जिसे नरक का दरवाजा (डॉर टू हेल)के नाम से भी जाना जाता है। गैस क्रेटर तुर्कमेनिस्तान देश की राजधानी अशगबत से 260 किलोमीटर (160 मील) उत्तर दिशा में काराकोरम रेगिस्तान के मध्य में दरवेज गांव में एक प्राकृतिक गैस का क्षेत्र है। यहां पर जमीन में बने एक बड़े छेद से मीथेन गैस निकलती है। इस छेद वाले गैस क्रिएटर का व्यास करीब 60-70 मीटर (200-230 फीट) और गहराई करीब 30 मीटर (98 फीट) हैं। कुछ लोग बताते हैं कि इस गैस क्रेटर में आग सन 1971 में लगी थी तो वहीं कुछ लोग इससे भी पहले का समय बताते हैं।

नर्क का दरवाजा की कहानी – Story of Darvaza Gas Crater

तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अशगबत के काराकुम रेगिस्तान के दरवेश गांव का इस Darvaza Gas Crater के बारे में लोगों का अलग-अलग मत हैं-

20 वीं शताब्दी में जब तुर्कमेनिस्तान सोवियत संघ का हिस्सा हुया करता था तब कुछ सोवियत भूवैज्ञानिक गैस की पता लगाते यहां पहुंच गए। यहां पर पहुंचने के पश्चात उन्हें गैस की जानकारी मिलने के बाद खुदाई शुरू करवा दी लेकिन कुछ अंदर तक खोदने के बाद उन्होंने देखा कि वहां से गैस निकल रही है।

जिस जगह पर खुदाई हो रही थी उससे कुछ दूर तक का क्षेत्र अचानक से जमीन के कुछ फीट अंदर धंस गया लेकिन कहा जाता है कि जमीन के धंसने के साथ किसी की जान नहीं गई। इस जमीन के अंदर धंसने के बाद वहां से काफी ज्यादा मात्रा में गैस निकलने लगी। यह गैस वहां के लोगों को खतरनाक महसूस हो रहा था उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। तब उन्होंने इस समस्या से बचने के लिए तथा गैस को रिलीज करने के लिए वहां पर उस गड्ढे में आग लगा दी यह सोच कर कि कुछ ही दिनों में यह आग बुझ जाएगी और यह एक साधारण सा गड्ढा बन जाएगा जो अभी गैस का गड्ढा है।

उन्हें लगा कि आग बुझाने के बाद इस गड्ढे से हम आसानी से तेल गैस पेट्रोलियम को निकाल पाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ वे लोग जो सोचे थे उससे कहीं ज्यादा समय तक यह आग जलती रही। आपको बता दें कि वे लोग जो सोचे थे कि कुछ दिनों तक जलकर यह आग बुझ जाएगी वह दिन 40 से 50 सालों में बदल गया, लेकिन आग अभी भी नहीं बुझी। कहा जाता है कि यहां पर इस गड्ढे में इतनी ज्यादा मात्रा में गैस उपस्थित है कि यहां पर अभी भी आग जल रही हैं यह आग अभी तक एक सेकेंड के लिए भी नहीं बुझी हैं।

हालांकि कुछ रिपोर्टर्स गैस क्रेटर के बारे में दावा करते हैं कि सोवियत भूवैज्ञानिकों ने यहां पर तेल की खोज करने के लिए ड्रिलिंग की थी तभी उन्हें खुदाई के दौरान गैस निकालने का मालूम चला और वहां के कुछ दूर तक के जमीन के धसने के बाद अधिक मात्रा में गैस निकलने से उनके जान को खतरा महसूस हुआ और वो लोग इस गढ्ढे में आग लगा दिए तभी से यह आग जल रही है।

वही वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर पानी की खोज के दौरान इस गैस क्रेटर गड्ढे का निर्माण हुआ था।

अलग-अलग लोगों से मिलने के बाद अलग अलग कहानी सुनने को मिलती है, लेकिन वास्तव में आज तक किसी को भी सही से मालूम नहीं है कि इस गैस क्रेटर में आग कैसे लगी और इसका निर्माण कैसे हुआ। यहां तक कि किसी को यह भी पता नहीं चल पाया है कि इस गैस क्रेटर का गैस कब खत्म होगी एवं इस गड्ढे का आग कब तक बुझेगी। वैसे आपको बता दें कि आज के समय में यह गैस क्रेटर तुर्कमेनिस्तान का मशहूर पर्यटक स्थल बन चुका है यहां प्रति दिन काफी अधिक मात्रा में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं।

क्रेटर देश में एक महत्त्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण बन गया है। 2018 में देश के राष्ट्रपति ने आधिकारिक तौर पर इसका नाम बदलकर "काराकुम की चमक" (“Shining of Karakum”) कर दिया।


मंगलवार, 3 अक्तूबर 2023

नीला गेहूं (Blue Wheat)

नीले गेहूं की खेती में हैं अपार संभावनाएं

बता दें कि काले गेहूं के बाद अब नीले गेहूं की खेती में भी किसानों के लिए कमाई की अपार संभावनाएं नजर आ रही हैं। इसकी खेती साधारण गेहूं की तरह से ही होती है, इसमें कोई विशेष विधि अभी तक सामने नहीं आई है लेकिन इसका बीज विशेष तकनीक से तैयार किया गया। उत्तरप्रदेश के कृषि विभाग ने किसानों के लिए चैन्नई से नीले गेहूं के बीज मंगवाए हैं। इसके बाद यूपी के भदोही में कुछ जागरूक किसानों ने नीले गेहूं की खेती की शुरूआत की। इससे इन किसानों को नीले गेहूं की फसल में साधारण गेहूं और काले गेहूं से भी ज्यादा कमाई की संभावनाएं नजर आईं। इसमें सेहत के कई खास गुण होने से इसकी डिमांड विदेशों तक में हो रही है।

एक्सपोर्ट ऑर्डर बुक होने लगे

नीले गेहूं की खेती में बहुत अधिक मुनाफा होने के कारण मध्यप्रदेश के किसानों ने भी पहली बार इसकी खेती कर पैदावार ली तो उन्हे इस गेहूं के लिए कई देशों से एक्सपोर्ट ऑर्डर मिलना शुरू हो गए। यह महंगे दामों पर बिकने वाला गेहूं है। मध्यप्रदेश के किसान अब नीले गेहूं की खेती करने में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हैं। इससे इनकी आमदनी तेजी से बढ़ रही है।       

नीला गेहूं सेहत के लिए जबर्दस्त फायदेमंद

नीला गेहूं स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी माना जाता है। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि इस गेहूं में कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड शुगर लेवल के साथ वसा को कम करने की क्षमता है। इसके आटे से बनाए जाने वाले बेकरी आइटम जैसे रोटी, ब्रेड, बिस्किट आदि का रंग भी नीला ही रहता है। देखने में ये आकर्षक होता है। नीला गेहूं सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होने की वजह से इसकी बाजार रेट अन्य गेहूं की किस्मों के मुकाबले लगभग दोगुना रहती है। इस गेहूं की  फसल में कीटनाशक आदि का प्रकोप कम होता है। इस गेहूं की पैदावार भी ज्यादा होती है।  

भारत में गेहूं उत्पादन में अग्रणी राज्य

भारत में गेंहूं की खेती करने में कई राज्य अग्रणी हैं। गेहूं की खेती उत्तरी भारत में ज्यादा होती है। सबसे अधिक गेहूं उत्पादन वाले राज्यों में मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, पंजाब, झारखंड, पश्चिमी बंगाल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर शामिल है।

ये हैं गेहूं की उम्दा किस्में

भारत में गेहूं की कई अच्छी किस्में प्रचलित हैं। इनमें वीएल 832, वीएल 804, एच.एस-365, , एच.एस-240, एच.डी-2687, डब्ल्यू.एच-147, डब्ल्यू.एच-542, पी.बी डब्ल्यू-343 , डब्ल्यू.एच-896 (डी), पी.डी.डब्ल्यू-233 (डी), यू.पी-2338, पी.बी.डब्ल्यू -502, श्रेष्ठ (एच.डी-2687), आदित्य (एच.डी 2781), एच.डब्ल्यू -2044, एच.डब्ल्यू-1085, एन.पी-200 (डी.आई), एच.डब्ल्यू-741 आदि उम्दा किस्में हैं। इनके अलावा अब काले गेहूं और नीले गेहूं की किस्में भी आ गई हैं। इनकी खेती भी की शुरूआत की जा चुकी है।