Darvaza Gas Crater | नर्क का दरवाजा
आपने कहीं पर आग लगने के बाद अधिक कितने दिनों तक उस आग को जलते हुए देखा या सुना है 1 सप्ताह, 1 महीना या 1 सालों तक। आपको जानकर हैरानी होगी कि हम जिस आग की खाड़ी की बात करने वाले हैं उसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर लगभग सन् 1971 में आग लगी थी, और वह आग आज तक बिना 1 सेकंड बंद हुए जल रही है। हम जिस आग की खाड़ी के बारे में बात कर रहे हैं वह तुर्कमेनिस्तान के दरवाजा गैस क्रेटर (Darvaza Gas Crater) हैं, जिसे लोग “नर्क का दरवाजा” भी कहते हैं।
Darvaza Gas Crater के बारे में –
Darvaza Gas Crater जिसे नरक का दरवाजा (डॉर टू हेल)के नाम से भी जाना जाता है। गैस क्रेटर तुर्कमेनिस्तान देश की राजधानी अशगबत से 260 किलोमीटर (160 मील) उत्तर दिशा में काराकोरम रेगिस्तान के मध्य में दरवेज गांव में एक प्राकृतिक गैस का क्षेत्र है। यहां पर जमीन में बने एक बड़े छेद से मीथेन गैस निकलती है। इस छेद वाले गैस क्रिएटर का व्यास करीब 60-70 मीटर (200-230 फीट) और गहराई करीब 30 मीटर (98 फीट) हैं। कुछ लोग बताते हैं कि इस गैस क्रेटर में आग सन 1971 में लगी थी तो वहीं कुछ लोग इससे भी पहले का समय बताते हैं।
नर्क का दरवाजा की कहानी – Story of Darvaza Gas Crater
तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अशगबत के काराकुम रेगिस्तान के दरवेश गांव का इस Darvaza Gas Crater के बारे में लोगों का अलग-अलग मत हैं-
20 वीं शताब्दी में जब तुर्कमेनिस्तान सोवियत संघ का हिस्सा हुया करता था तब कुछ सोवियत भूवैज्ञानिक गैस की पता लगाते यहां पहुंच गए। यहां पर पहुंचने के पश्चात उन्हें गैस की जानकारी मिलने के बाद खुदाई शुरू करवा दी लेकिन कुछ अंदर तक खोदने के बाद उन्होंने देखा कि वहां से गैस निकल रही है।
जिस जगह पर खुदाई हो रही थी उससे कुछ दूर तक का क्षेत्र अचानक से जमीन के कुछ फीट अंदर धंस गया लेकिन कहा जाता है कि जमीन के धंसने के साथ किसी की जान नहीं गई। इस जमीन के अंदर धंसने के बाद वहां से काफी ज्यादा मात्रा में गैस निकलने लगी। यह गैस वहां के लोगों को खतरनाक महसूस हो रहा था उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। तब उन्होंने इस समस्या से बचने के लिए तथा गैस को रिलीज करने के लिए वहां पर उस गड्ढे में आग लगा दी यह सोच कर कि कुछ ही दिनों में यह आग बुझ जाएगी और यह एक साधारण सा गड्ढा बन जाएगा जो अभी गैस का गड्ढा है।
उन्हें लगा कि आग बुझाने के बाद इस गड्ढे से हम आसानी से तेल गैस पेट्रोलियम को निकाल पाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ वे लोग जो सोचे थे उससे कहीं ज्यादा समय तक यह आग जलती रही। आपको बता दें कि वे लोग जो सोचे थे कि कुछ दिनों तक जलकर यह आग बुझ जाएगी वह दिन 40 से 50 सालों में बदल गया, लेकिन आग अभी भी नहीं बुझी। कहा जाता है कि यहां पर इस गड्ढे में इतनी ज्यादा मात्रा में गैस उपस्थित है कि यहां पर अभी भी आग जल रही हैं यह आग अभी तक एक सेकेंड के लिए भी नहीं बुझी हैं।
हालांकि कुछ रिपोर्टर्स गैस क्रेटर के बारे में दावा करते हैं कि सोवियत भूवैज्ञानिकों ने यहां पर तेल की खोज करने के लिए ड्रिलिंग की थी तभी उन्हें खुदाई के दौरान गैस निकालने का मालूम चला और वहां के कुछ दूर तक के जमीन के धसने के बाद अधिक मात्रा में गैस निकलने से उनके जान को खतरा महसूस हुआ और वो लोग इस गढ्ढे में आग लगा दिए तभी से यह आग जल रही है।
वही वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर पानी की खोज के दौरान इस गैस क्रेटर गड्ढे का निर्माण हुआ था।
अलग-अलग लोगों से मिलने के बाद अलग अलग कहानी सुनने को मिलती है, लेकिन वास्तव में आज तक किसी को भी सही से मालूम नहीं है कि इस गैस क्रेटर में आग कैसे लगी और इसका निर्माण कैसे हुआ। यहां तक कि किसी को यह भी पता नहीं चल पाया है कि इस गैस क्रेटर का गैस कब खत्म होगी एवं इस गड्ढे का आग कब तक बुझेगी। वैसे आपको बता दें कि आज के समय में यह गैस क्रेटर तुर्कमेनिस्तान का मशहूर पर्यटक स्थल बन चुका है यहां प्रति दिन काफी अधिक मात्रा में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं।
क्रेटर देश में एक महत्त्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण बन गया है। 2018 में देश के राष्ट्रपति ने आधिकारिक तौर पर इसका नाम बदलकर "काराकुम की चमक" (“Shining of Karakum”) कर दिया।
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