गुरुवार, 20 जनवरी 2011

गणेश जी की आरती


आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा । माता जा की पार्वती, पिता महादेवा ॥
एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी । माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी ॥
अन्धन को आँख देत, कोढ़िन को काया । बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा । लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा । जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान। 
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥


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