बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

बाघा बॉर्डर (Wagah Border Gate)

क्या है वाघा बॉर्डर

बाघा बॉर्डर एक सैनिक चौकी है, जो अमृतसर (Amrutsar) और लाहौर के बीच स्थित है। यह भारत-पाकिस्तान का एकमात्र सड़क सीमारेखा है और यहां विस्तृत निर्माण, सड़क और अवरोध बने हुए हैं। इस सीमा चौकी के प्रवेश द्वार को स्वर्ण जयंती गेट कहते हैं और इसके आसपास का परिवेश काफी हरा-भरा है।

वाघा बॉर्डर पर शाम के वक्त होने वाले परेड को देखने के लिए स्थानीय लोग और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। साथ ही परेड से पहले होने वाला रंगारंग समारोह आपका मन मोह लेगा। वहीं परेड के दौरान आप भारत और पाकिस्तान के सैनिक को आक्रामक मुद्रा में देख सकते हैं। जब सूरज डूब जाता है तो 30 मिनट का परेड भी ड्रम और बिगुल बजने के साथ तालियों की गड़गड़ाहट के बीच खत्म हो जाता है। अटारी वाघा बॉर्डर पर आज जहां बीएसएफ और पाक रेंजर्स की रिट्रीट सेरेमनी देखने रोजाना हजारों लोग पहुंचते हैं। वहां 68 साल पहले (1947) ऐसा कुछ भी नहीं था।

विशेष मौकों पर मुख्य रूप से 14 अगस्त के दिन जब पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस समाप्त होता है और भारत के स्वतंत्रता दिवस की सुबह होती है उस शाम वहां पर शांति के लिए रात्रि जागरण किया जाता है। उस रात वहां लोगों को एक-दुसरे से मिलने की अनुमति भी दी जाती है। इसके अलावा वहां पर पूरे साल कंटिली तारें, सुरक्षाकर्मी और मुख्य द्वार के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता।

दो देशों की सीमा पर मौजूद वाघा बॉर्डर

वाघा भारत के अमृतसर, तथा पाकिस्तान के लाहौर के बीच ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित गाँव है जहाँ से दोनों देशों की सीमा गुजरती है। भारत और पाकिस्तान के बीच थल-मार्ग से सीमा पार करने का यही एकमात्र निर्धारित स्थान है। यह स्थान अमृतसर से 32 किमी तथा लाहौर से 22 किमी दूरी पर स्थित है।

भारत-पाकिस्तान का रिश्ता बेहद ही पुराना है। विभाजन से पहले एक देश था, मगर अंग्रेजों की खींची दरार ने एक नई सरहद को जन्म दिया – रैडक्लिफ लाइन। भारत-पाकिस्तान की इस सरहद से कुछ ही दूरी पर बना है वाघा बॉर्डर, जो दोनो ही देशों के लिए गर्व, सम्मान और हिम्मत का प्रतीक है। इस बॉर्डर पर रोज शाम को एक समारोह होता है, जो अपने आप में एक गर्मजोशी का युद्ध है। आपसी संबंध को मजबूत बनाने के लिए शुरू हुआ यह समारोह, आज सरहद के पार, दोनो देशों के लोगों के लिए गर्व बन गया है।

वाघा बॉर्डर का इतिहास

यह समारोह 1959 में शुरू हुआ था और दोनों देशों के सरकार ने इसकी सहमति व्यक्त की थी। तब से, समारोह बहुत धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है इस समारोह ने दशकों से चली आ रही दुशमनी के बीच दोनों देशों के बीच अच्छाई का संकेत दिया। हालांकि, कुछ वर्षों के बाद समारोह ने एक आक्रामक मोड़ लिया है।

14-15 अगस्त की मध्य रात्रि को जब देश का बंटवारा हुआ तो भारत का एक भूभाग पाकिस्तान के रूप में अलग हो गया और खिंच गई लकीर। अटारी गांव भारत का और उससे सटा गांव वाघा पाकिस्तान का हिस्सा हो गए। यहां से गुजरने वाली ग्रांट ट्रंक रोड पर निशानदेही कर दी गई और पाकिस्तान ने अपनी तरफ बांस का पोल लगा अपना तथा भारत ने अपनी तरफ अपना झंडा लगा दिया और एक किनारे पर छोटा से गेट लगाया गया और दोनों देशों के झंडों को बड़े खंभे पर लगा दिया गया। इस दौरान किसी को भी दोनों तरफ आने-जाने वालों से पूछताछ की जाती थी।

1958 में बनाई गई पुलिस चौकी

1958 में यहां पर एक छोटी-सी पुलिस चौकी स्थापित की गई जो आज भी मौजूद है। यहां पर पुलिस हर आने-जाने वाले से पूछताछ करती थी। 1965 में बीएसएफ के स्थापना के साथ ही यहां की जिम्मेदारी इनको सौंपी गई और रिट्रीट का सिलसिला शुरू किया गया।

आतंकवाद फैलने पर लगाई फेंसिंग

1990 के दशक में गेट को और बड़ा किया गया और 1998 में पंजाब में आतंकवाद के फैलने के बाद पूरी बॉर्डर पर फेंसिंग लगा दी गई। 2001 में यहां पर दर्शक गैलरी बनाई गई जहां पर 15 से 20 हजार लोग रिट्रीट देखते हैं।

वाघा बॉर्डर पर समारोह समय

समारोह 45 मिनट तक चलता है जो कि सूर्यास्त से पहले किया जाता है। सर्दी के दौरान 4:15 pm और गर्मी के दौरान 4:45 pm तक होता है। जबकि गेट का समय सुबह 10:00 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहता है। हालांकि, समारोह केवल 4:00 बजे के बाद शुरू होता है। इसलिए यदि आप समारोह देखना चाहते हैं, तो आपको 3:00 बजे से पहले स्थान तक पहुंचना होगा।

वाघा बॉर्डर की महत्वपूर्ण जानकारी

बाघा बॉर्डर पर जाने से पहले कुछ महत्वपीर्ण जानकारी हैं जिन्हें याद रखना जरुरी है। जैसे यहां जेमर लगा हुआ है इसलिए यहां मोबाइल फोन सेवा उपलब्ध नहीं है। महिलाओं के हैंडबैग या पर्स सहित कोई कवर बैग अंदर ले जाने की अनुमति नहीं है खाने से सम्बंधित चीजों के लिए अंदर स्टॉल उपलब्ध हैं

कैसे पहुंचा जाये वाघा बॉर्डर

ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप वाघा सीमा तक पहुंच सकते हैं। यह बसों और कारों के माध्यम से सड़क द्वारा पहुँचा जा सकता है गेट के पास बसों और परिवहन की अनुमति नहीं है ट्रेन से वाघा सीमा तक पहुंचने के लिए भी संभव है अमृतसर में रेलवे स्टेशन एक जंक्शन है। देश के सभी हिस्सों से विभिन्न ट्रेनें से जुड़ा हुआ हैं। हवाई अड्डे अमृतसर में स्थित है जो कि वाघा सीमा से लगभग 35 किमी दूरी पर है। वाघा सीमा तक पहुंचने के लिए 40 मिनट का समय लगता है।

वाघा बॉर्डर : पता, एंट्री फी, टाइमिंग

पता : वाघा सीमा, राष्ट्रीय राजमार्ग 1 पंजाब, अमृतसर, भारत

प्रवेश शुल्क : कोई प्रवेश शुल्क नहीं

समय : दोपहर 2:00 से शाम 6:00 बजे तक

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