बुधवार, 4 अप्रैल 2018

लव-कुश का जन्म स्थान

बलैनी गांव

मेरठ के पास स्थित बागपत का नाम तो सभी ने सुना होगा। वहां एक बहुत ही प्रसिद्घ मंदिर है, पुरा महादेव। कांवड़ के समय वहां पर लाखों श्रद्घालु गंगाजल लाकर भोले शंकर का जलाभिषेक करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि बागपत में ही एक जगह एेसी भी है, जहां भगवान राम आैर माता सीता के बेटे लव व कुश का जन्म हुआ था।

मेरठ से करीब 27 किलोमीटर दूर बागपत का एक गांव है बलैनी। यह गांव बागपत शहर से भी करीब 23 किलोमीटर दूर है। मेरठ से बागपत की तरफ जाते समय करीब 27 किलोमीटर दूर अंदर की तरफ एक रास्ता कटता है। इस रास्ते पर आप चलेंगे तो आखिर में आपको एक आश्रम दिखार्इ देगा। यह है वाल्मीकि आश्रम। इसका इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। इस बाल्मीकि आश्रम में श्री पंचमुखी नागेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग सिद्धपीठ है। ऐसा माना जाता है कि जिस स्थान पर यह मंदिर बना है वह महर्षि बाल्मीकि के आश्रमों में से एक है। पूर्व में इस आश्रम को ब्रहमतुंग नाम से जाना जाता था। सावन मास में कांवड़िये शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।

यह सिद्ध पीठ आश्रम वर्तमान में प्रेरणा का स्त्रोत बना है। यहां स्थापित पंचमुखी शिवलिंग देश का एक मात्र पंचमुखी शिवलिंग बताया जाता है। इस शिवलिंग के जैसा दूसरा पंचमुखी शिवलिंग केवल नेपाल में होने का दावा किया गया है। ग्रामीणों का मानना है कि इसी नागेश्वर महादेव मंदिर में सीता माता वनवास के दौरान आश्रम में रहकर पूजा करती थी।

जलाभिषेक करने से कटते है सभी संकट

ऐसी मान्यता है कि पंखमुखी नागेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान भोलेनाथ उसकी सारी परेशानियों को खत्म कर देते हैं। इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से आत्म शांति का अनुभव प्राप्त होता है।

इसी आश्रम में बिताया था सीता जी ने अंतिम समय

वाल्मीकि ने ही रामायण ग्रंथ की रचना की थी। माना जाता है कि यह उन्हीें का आश्रम है। इसी आश्रम में सीता जी आकर रही थी आैर यहीं पर लव अौर कुश का जन्म हुआ था।

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी की इतिहास विभाग की एचआेडी डाॅ. आराधना का कहना है कि माता सीता आरोप लगने के बाद इसी आश्रम में आकर रही थीं। यहीं पर भगवान राम के बेटों लव आैर कुश का जन्म हुआ था। हर साल आखातीज के दिन यहां लव-कुश का जन्म दिन मनाया जाता है। इस दिन मंदिर में शुल्क पक्ष दोज  व तीज को मेला लगता है। 

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इसी आश्रम में सीता जी धरती में समार्इ थीं। 

इसी आश्रम में लक-कुश ने ग्रहण की थी शिक्षा

उन्होंने बताया कि इसी आश्रम में रहकर दोनों ने शिक्षा ग्रहण की आैर शस्त्र विद्या भी सीखी। यहां सीता ने अपना आखिरी समय व्यतीत किया था।

हिंडन नदी के पास स्थित है आश्रम

यह आश्रम हिंडन नदी के पास स्थित है। माना जाता है कि रावण वध करके राम, लक्ष्मण आैर सीता अयोध्या लौटे थे। वहां एक धोबी के आरोप लगाने पर भगवान राम ने सीता जी को त्याग दिया था। इसके बाद लक्ष्मण जी ने माता सीता को वन में छोड़ा था, जहां से वह वाल्मीकि आश्रम में गर्इ थी। आश्रम में आज भी सीता माता का मंदिर है। 

यहां के बारे में नहीं जानते हैं ज्यादा लोग

यहां के बारे में बहुत कम लोगों को पता है इसलिए यहां गिने-चुने लोग ही आते हैं। आसपास के लोग ही इस जगह के बारे में जानते हैं। साथ ही इस जगह का प्रचार-प्रसार भी कुछ खास नहीं किया गया, जिससे लोगों को इस जगह के बारे में पता चल सके। 

तपोभूमि का हो रहा जीर्णोद्धार

कुछ दिनों पहले इस तपोभूमि के जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ है। अब यहां मंदिर समिति का गठन हो चुका है। इस कार्य में पर्यटन विभाग भी अपना सहयोग कर रहा है। मंदिर परिसर में पंचमुखी नागेश्वर महादेव मंदिर के अलावा लव-कुश जन्म स्थल, लव-कुश पाठशाला और सीता माता सती स्थल का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा।

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