♦समा के चावल | Samvat Chawal | Samo Rice | Vrat wale Chawal | Sama Rice for Vrat
समा के चावल क्या है - What is Sama Rice
समा के चावल मुख्य रूप से व्रत के लिए उपयोग किए जाते हैं, ये दिखने में बहुत छोटे और गोल आकार के होते हैं। समा के चावल को वरई, कोदरी, समवत, सामक चावल के नाम से जाना जाता है। गुजराती में इसे सामो (સામો) और मोरियो (મોરિયો) कहते है। अंग्रेजी में इसे Barnyard millet कहते हैं। भगर और वरी (वरी चा तांदुळ) नाम से इसे महाराष्ट्र में जाना जाता है। हिन्दी में इसे मोरधन और समा के चावल कहा जाता है, वहीं बंगाल की ओर ये श्याम या श्यामा चावल के नाम से जाने जाते हैं।
समा के चावल को जंगली चावल भी कहा जाता है, क्योंकि यह एक प्रकार की जंगली घास है। समा के चावल 'घास' के 'बीज' हैं, यह चावल के धान में बढ़ता है क्योंकि इसे नम स्थान और नमी की आवश्यकता होती है। इन बीजों को सामान्यतः हिंदी में "व्रत के चावल" या "उपवास के लिए चावल" कहा जाता है।
समा चावल का व्रत-उपवास में उपयोग
समा के चावल को आध्यात्मिक और आर्युवेदिक दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है। वेदों में भी इन चावल का उल्लेख प्राप्त होता है, जिस कारण इन्हें वेद चावल भी कहा गया है। इस कारण हिन्दू धर्म में इसके उपयोग को व्रत के दौरान ज्यादा महत्व दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि व्रत के समय अनाज नही खाया जाता है। इसके बदले समा के चावल खाए जा सकते हैं। यह पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
स्वास्थ्य के लिए उपयोगी
यह सफेद चावलों की तुलना में अधिक स्वास्थ्यवर्धक होते है। समा के चावल में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, सी और ई अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह खनिज से भी युक्त होते है। इससे हड्डियों को ताकत मिलती है। इन चावलों में ग्लूटेन नहीं होता है, कम कैलौरी युक्त होते हैं साथ ही इनमें शर्करा की मात्रा भी कम होती है ऐसे में जो लोग अपनी डाइट और वजन घटाने को लेकर परेशान रहते हैं उनके लिए भी ये बहुत अच्छा आहार होता है। समा के चावलों का प्रयोग मधुमेह से प्रभावित व्यक्तियों के लिए भी बहुत लाभदायक होता है क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा कम होती है। पोषण से भरपूर यह चावल व्रत के दौरान व्यक्ति को ताकत और स्फूर्ति दोनों प्रदान करने में सहायक होता है। साथ ही यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
आध्यात्मिक और आर्युवेदिक दृ्ष्टिकोण से समा के चावल पाचन में बहुत सहज और सौम्य कहे गए है। इस कारण धार्मिक रूप से भी इन चावलों का उपयोग व्रत एवं उपवास के दौरान करना उत्तम माना गया है। क्योंकि इस समय भोजन न कर पाने से हमारा पाचन तंत्र कमजोर होता है, ऐसे में यह चावल बहुत ही आसानी से पाचन क्रिया में सहायक बनते हैं और अच्छे फाइबर से युक्त होते हैं।
समा के चावल कहां मिलेंगे और इन्हें कैसे रखा जाए
समा के चावल किसी भी किराना स्टोर पर आसानी से उपलब्ध होते हैं। इन्हें अॉनलाइन भी किसी भी शॉपिंग पोर्टल से खरीद सकते हैं। समा के चावलों को किसी भी कन्टेनर में भरकर ठंडी और सूखी जगह पर रखिए, इनमें नमी नही आनी चाहिए, यह साल भर तक सही रहते हैं।
समा चावल से बनने वाले पकवान
समा के चावलों से बहुत ही स्वादिष्ट मीठे और नमकीन व्यंजन बनाए जाते है जिनमें विशेषकर व्रत की खिचड़ी, पूरी, कचौरी, पुलाव, दोसा, खीर, चीला, चकली आदि शामिल है।
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