मंगलवार, 20 अगस्त 2019

बैड़ा समय माता मंदिर, बस्ती


बैड़ा समय माता मंदिर, बस्ती

बस्ती जनपद मुख्यालय से 28 किमी दूर डुमरियागंज मार्ग पर (भानपुर ग्राम पंचायत के गैर आबाद मजरे जोगिया के सिवान स्थित) भानपुर व सोनहा बाजार के बीच स्थित बैंड़ापुल है। यहां एक प्राचीन मंदिर हैं। बैड़ा समय माता के नाम से विख्यात यह मंदिर श्रद्धा व विश्वास का केंद्र हैं। वैसे तो यहां हर रोज आसपास के लोगों का आना जाना लगा रहता है। मंगलवार को मन्नतें लेकर सैकड़ों मां के दरबार में अर्जी लगाने जाते हैं। नवरात्रि में हजारों की संख्या में मां के भक्त प्रतिदिन मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते हैं। इस मंदिर के बारे में प्रचलित है कि यहां मांगी गई मुरादें खाली नहीं जाती।

यह मंदिर कब का है, इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है, लेकिन मंदिर के पुजारी राम कृपाल दास बताते हैं कि वह तीसरी के हैं। इस तरह यह 150 साल से भी पुराना है। 1990 के दशक से यहां श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होती जा रही है। अब तो समय मां का दर्शन करने के लिए आसपास के जनपदों सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बलरामपुर, गोंडा व बहराइच से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपना शीश झुकाने आते हैं।

भानपुर तहसील के समीप बैड़ा समय माता का स्थान 30 साल पहले एक प्रतीक स्थल मात्र था। जहां नीम के पेड़ के नीचे श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण होने की अर्जी लगाते हैं। उसके पूरा होने पर पूड़ी और आटे का हलवा मां को चढ़ाते हैं। सत्यनारायण व्रत कथा सुनने, मंडन, विवाह के बाद वर-कन्या मत्था टेकने व रिस्ते तय करने की रश्म भी पूरा करने के लिए लोग यहां आते हैं।

परिसर में ही भगवान भोलेनाथ व बजरंगबली का भी मंदिर है। यहां श्रद्धालुओं के लिए प्रसाधन व छाया की समुचित व्यवस्था न होने से परेशानी तो होती है लेकिन मां की भक्ति के आगे इन सबका लोग कोई महत्व नहीं। मंदिर को भव्यता प्रदान करने में पर्यटन, वन विभाग व श्रीकृष्ण चैरीटेबुल ट्रस्ट ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। मनोकामना पूरी होने पर भक्त पीतल का घंटा पीपक के पेड़ पर चढ़ाते हैं।

वह कहते हैं कि संतान प्राप्ति के लिए मांगी गई मन्नत मां जरूर पूर्ण करती हैं। यहां प्रतिवर्ष विवाह समारोहों का भी आयोजन होता है। लगभग एक हजार लोगों का हर साल विवाह होता है।

श्रद्धा व विश्वास की देवी

समय माता के भक्त भानपुर निवासी राजाराम तिवारी कहते है कि श्रद्धा व विश्वास के साथ जो भी यहां आता है, मां उसकी मांग जरूर पूरी करती है। आसपास के गांवों में दर्जनों को संतान के लिए तरसते देखा। यहां पहुंचने के बाद उनकी मन्नत पूरी हुई है।

1993 में सोनहा थाने के तत्कालीन थानेदार सरोज सिंह ने समय माता के स्थल के विकास के लिए पहल शुरू किया। इस स्थान का कायाकल्प तो हुआ ही साथ में यह देवी स्थान एक जागृति स्थल के रूप में पहचाना जाने लगा।

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