लक्ष्मी-नरसिंह मंदिर
* यह मंदिर कर्नाटक में सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। यह जगह पहाड़ी की चोटी पर स्थित चेलुवनारायण स्वामी मंदिर और योग नरसिम्हा स्वामी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
* इस स्थान को थिरुन्नारायणपुरम के नाम से भी जाना जाता है। मेलकोट योग नरसिम्हा मंदिर पहाड़ियों पर बना है।
* ऐसा माना जाता है कि मेलकोट में योग नरसिम्हा मंदिर की मूर्ती खुद प्रह्लाद ने स्थापित की थी। कृष्णराज वोडेयार तृतीय ने भगवान योग नरसिम्हा को स्वर्ण मुकुट भेंट किया।
कर्नाटक के भद्रावती को जो खास बनाता है, वो है यहां का प्रसिद्ध लक्ष्मी-नरसिंह मंदिर। यह भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जिसका संबंध 13वीं शताब्दी से है। जानकारी के अनुसार इस भव्य संरचना का निर्माण यहां शासन करने वाले होयसल राजवंश ने करवाया था। यह प्राचीन मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से काफी ज्यादा मायने रखता है। प्रसिद्ध इतिहासकार एडम हार्डी ने इस मंदिर की वास्तुकला शैली को 'ट्रिपल श्राइन' श्रेणी में रखा है। इस सरंचना के निर्माण में खास सोप स्टोन का इस्तेमाल किया गया है। वर्तमान में यह संरचना भारत के पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत स्थित है।
मंदिर की खासियतें
इस मंदिर को खास इसका इतिहास और इसकी वास्तुकला बनाते हैं। यह मंदिर 13वीं शताब्दी से संबध रखता है। माना जाता है कि यह मंदिर अपने बनने के बाद से ही धार्मिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र रहा है। आज भी यह मंदिर अपने क्षेत्र का प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। सरंचना की बात करें तो यह मंदिर एक उठे हुए आधार पर बनाया गया है। संरचना के निर्माण में सोप स्टोन का इस्तेमाल किया गया है। यह एक विशाल मंदिर है, जिसकी कारीगरी आंगतुकों को काफी ज्यादा प्रभावित करने का काम करती है। इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह प्राचीन मंदिर काफी ज्यादा मायने रखता है। मंदिर का वातावरण काफी शांत है, जहां आप अपार आत्मिक और मानसिक शांति का अनुभव कर सकते हैं। कुछ नया जानने वालों के लिए यह एक आदर्श स्थल है। भद्रावती भ्रमण के दौरान आप यहां आ सकते हैं।
आने का सही समय
चूंकि यह मंदिर उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है, इसलिए यहां का तापमान साल भर सामान्य ही बना रहता है, लेकिन अगर आप गर्मियों की तेज धूप से बचना चाहते हैं, तो यहां का प्लान अक्टूबर से लेकर फरवरी के मध्य बना सकते हैं, इस दौरान यहां का मौसम काफी अनुकूल बना रहता है, और आप बिना किसी दिक्कत के आसपास के क्षेत्रों का भी भ्रमण कर सकते हैं।
कैसे करें प्रवेश
हवाई मार्ग - भद्रावती पहुंचने का सबसे आदर्श विकल्प हवाई मार्ग है। यहां का निकटवर्ती हवाईअड्डा मैंगलोर एयरपोर्ट है, जहां से आपको भारत के बड़े शहरों के लिए फ्लाइट्स मिल जाएंगी। मैंगलोर पहुंचने के बाद आप भद्रावती के लिए बस या कैब का सहारा ले सकते हैं। मैंगलोर से भद्रावती की दूरी मात्र 195 कि.मी की है।
रेल मार्ग - आप भद्रावती रेल मार्ग के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं। भद्रावती का अपना खुद का रेलवे स्टेशन है, जो कई बड़े शहरों से सीधे जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग - अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं, बेहतर सड़क मार्गों से भद्रावती राज्य के छोटे-बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
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