हॉप शूट्स : यह है दुनिया की सबसे महंगी सब्जी, दाम सुनकर उड़ जाएंगे होश
आमतौर पर सब्जी की कीमत मांसाहारी उत्पादों के मुकाबले काफी कम होती है। लेकिन दुनिया की एक ऐसी भी सब्जी है जिसकी कीमत मांसाहारी उत्पादों से कई गुना ज्यादा है। आमतौर पर यह सब्जी 1000 यूरो प्रति किलो बिकती है यानी भारतीय रुपये में कहें तो इसकी कीमत 80 हजार रुपये किलो के आसपास है। दाम सुनकर आप चौंक गए होंगे। आइए आज आपको इस सब्जी की खासियतों के बारे में बताते हैं।
दुर्लभ है यह सब्जी
यह ऐसी सब्जी है जो आपको शायद ही किसी स्टोर पर या बाजार में दिखे। इसका कारण यह है कि इसकी खेती बीयर में इस्तेमाल करने के लिए की जाती है। इसका जो फूल होता है उसे 'हॉप कोन्स' कहते हैं। उस फूल का इस्तेमाल बीयर में किया जाता है। बाकी उसकी टहनी को कई तरह से खाया जा सकता है।
इतिहास
करीब 800 ईस्वी के आसपास इसके गुण का पता चला कि बीयर का स्वाद इसके मिलाने से बेहतर हो जाता है। सबसे पहले उत्तरी जर्मनी के किसानों ने बीयर का स्वाद बढ़ाने के लिए इसकी खेती शुरू की। उन दिनों बीयर बनाने के लिए कई कड़वे खरपतवारों और दलदली क्षेत्र में पैदा होने वाले पौधों का इस्तेमाल किया जाता था। उन पर टैक्स भी लगता था। 1710 में इंग्लैंड की पार्ल्यामेंट ने हॉप्स पर टैक्स लगाया। यह भी अनिवार्य कर दिया गया कि सभी बीयर बनाने में हॉप का ही इस्तेमाल हो। तब से अब तक बीयर का स्वाद बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
औषधीय गुण से भी भरपूर
हॉप का इस्तेमाल जड़ी-बूटी के तौर पर भी किया जाता है। सदियों से इसका इस्तेमाल दांत के दर्द को दूर करने से लेकर टीबी के इलाज तक में होता रहा है। हॉप में ऐंटीबायॉटिक की प्रॉपर्टी पाई जाती है।
खाने में इस्तेमाल
इसको कच्चा भी खाया जा सकता है। लेकिन काफी कड़वा होता है। हॉप की टहनियों का इस्तेमाल प्याज की तरह सलाद में भी किया जा सकता है। इसको आप ग्रिल करके भी खा सकते हैं या फिर इसका आचार भी बना सकते हैं।
कैसे होती है खेती ?
वैसे तो यह सदाबहार सब्जी है जो साल भर उगाई जा सकती है। लेकिन ठंडी के मौसम को इसके लिए ठीक नहीं माना जाता है। मार्च से लेकर जून तक इसकी खेती के लिए आदर्श समय माना जाता है। इसके लिए नमी और सूर्य के प्रकाश की जरूरत होती है। इस माहौल में इसका पौधा तेजी से बढ़ता है और एक दिन में इसकी टहनियां 6 ईंच तक बढ़ जाती हैं। शुरुआत में इसकी टहनियां बैंगनी रंग की होती हैं लेकिन बाद में हरी हो जाती हैं।
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