कहानी धाराशिव की
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार ने शुक्रवार (24 फरवरी 2023) को कहा कि अब औरंगाबाद को छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशिव कहा जाएगा। महाराष्ट्र सरकार के नाम बदलने के प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे राज्य सरकार की एक उपलब्धि कहा। वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन दोनों शहरों के नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए कहा कि इससे उसे कोई आपत्ति नहीं है। बता दें कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव को महाराष्ट्र सरकार ने लगभग एक साल पहले केंद्र सरकार को भेजा था।
औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने की माँग 1988 में सबसे पहले दिवंगत शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने की थी। उसके बाद यह शिवसेना इसको लेकर वर्षों से माँग उठाती रही। महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा देने से पहले जून 2022 में महाविकास अघाड़ी सरकार में इन शहरों का नाम बदलने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पास रखा था।
उद्धव सरकार के इस प्रस्ताव को अवैध बताते हुए 16 जुलाई 2022 को मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की दो सदस्यीय कैबिनेट ने नामों को बदलने का सरकारी प्रस्ताव पारित किया था। उसके बाद इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा था। शिवसेना और भाजपा की गठबंधन वाली सरकार ने कहा था कि उद्धव ठाकरे की सरकार अल्पमत में थी, इसलिए उनका यह फैसला अवैध था।
पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा था कि क्या उसने दोनों शहरों के नाम बदलने का फैसला करने से पहले आपत्तियाँ और सुझाव माँगे थे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को यह दिखाने का भी निर्देश दिया कि नामों में बदलाव को लेकर राज्य सरकार ने प्रस्ताव पेश किया है या नहीं।
इन दोनों शहरों के इस्लामी नाम को बदलने के फैसले का ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने विरोध किया है।
उस्मानाबाद का नाम बदलने के बारे में भी शिवसेना दशकों से मुखर रही है। नब्बे के दशक में पार्टी के मुख्यमंत्री मनोहर जोशी भी इसका नाम धाराशिव करने के पक्ष में थे।
एक स्थानीय इतिहासकार के मुताबिक इस शहर के लिए पहली बार 20वीं शताब्दी में उस्मानाबाद के नाम का उपयोग किया जाने लगा जबकि धाराशिव नाम का इतिहास आठवीं शताब्दी में सातवाहन वंश के शासन से जुड़ा हुआ है।
धाराशिव उस्मानाबाद का पुराना नाम है और स्थानीय पत्रकार कमालकर कुलकर्णी कहते हैं कि केवल प्रशासनिक कार्यों में ही ज़िले को उस्मानाबाद कहा जाता है। उनके मुताबिक गांव-देहात में अब भी लोग इसे धाराशिव ही कहते हैं. जब महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र, हैदराबाद के निज़ाम के कब्ज़े में था तो कई प्राचीन शहरों के नाम बदल दिए गए। धाराशिव भी उन्हीं में शामिल था।
दोनों शहर जो अब मध्य महाराष्ट्र में हैं, स्वतंत्रता से पहले हैदराबाद रियासत का हिस्सा हुआ करते थे। लेखक एवं इतिहासकार राज कुलकर्णी ने कहा कि निजाम के शासन के दौरान उस्मानाबाद गुलबर्ग प्रांत का एक प्रमुख शहर था। शहर के पास स्थित नालदुर्ग किला 1911 तक जिला मुख्यालय था।
कुलकर्णी ने कहा, ‘‘आर एस मोरवांचिकर की किताब ‘सातवाहन कालिन महाराष्ट्र’ (सातवाहन युग में महाराष्ट्र) के अनुसार तांबे के एक अभिलेख में ‘धाराशिव’ के पास भूमि का दान दर्ज है।’’ यह अभिलेख आठवीं शताब्दी का है।
उन्होंने कहा कि 11वीं शताब्दी में एक जैन संत द्वारा लिखित ‘करकंदचिरायु’ धाराशिव गुफाओं का उल्लेख करता है जो आज के उस्मानाबाद शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, अंबेजोगई (आज के बीड जिले में) शहर का नाम मोमिनाबाद रखा गया था। इसी तरह, धाराशिव को 1904 में अंतिम निजाम मीर उस्मान अली के सम्मान में उस्मानाबाद के रूप में नामित किया गया था, जिन्हें सातवें आसफजाह के रूप में भी जाना जाता था।’’
पहली बार 1937 में उस्मानाबाद शहर का नाम बदलकर धाराशिव रखने की मांग उठी थी। कुलकर्णी ने कहा कि हैदराबाद से प्रकाशित होने वाली मराठी पत्रिका ‘निजाम विजय’ में पाठकों की मांग को लेकर कई पत्र भी छपे थे।
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक भरत गजेंद्रगडकर ने 'धाराशिव से उस्मानाबाद' पुस्तक में उल्लेख किया है कि उस समय के ताम्रपत्रों में धाराशिव नाम मिला है. धाराशिव नाम का उल्लेख सरकार द्वारा 1972 में प्रकाशित उस्मानाबाद जिले के पहले गैज़ेटियर में भी है।
भरत गजेंद्रगडकर की किताब में लिखा है कि हैदराबाद के निज़ाम, मीर उस्मान अली खान के नाम से शहर का नाम उस्मानाबाद कैसे पड़ा, इस बारे में बहुत मतभेद है. शहर की नगर परिषद की संशोधित शहरी विकास योजना के अध्याय एक में, यह उल्लेख किया गया है कि उस्मान अली ख़ान ने 1900 में धाराशिव का नाम बदलकर उस्मानाबाद कर दिया था।
धाराशिव के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं. स्कंद पुराण के अनुसार इस गांव में धरासुर नाम का एक असुर (राक्षस) रहता था। उस राक्षस के नाम पर, इस स्थान को धरासुर के नाम से जाना जाता था. धरासुर ने भगवान शिव की पूजा की और उन्हें भगवान से अपार शक्ति का उपहार मिला। वरदान मिलने के बाद धरासुर लोगों को प्रताड़ित करने लगा। इसके बाद देवी सरस्वती ने धरासुर का वध किया। इसी वजह से सरस्वती को 'धरासुरमर्दिनी' भी कहा जाता है। किंवदंती है कि उनके नाम पर गांव का नाम धाराशिव पड़ा।
उस्मानाबाद का इतिहास –
धाराशिव (धारासिव के रूप में भी जाना जाता है) भारतीय राज्य महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित एक शहर है। शहर का एक समृद्ध इतिहास है जो मध्ययुगीन काल का है।
ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, इस क्षेत्र पर प्राचीन काल के दौरान मौर्य साम्राज्य का शासन था, उसके बाद सातवाहन वंश का शासन था। बाद में, इस क्षेत्र पर विभिन्न राजवंशों जैसे चालुक्य, राष्ट्रकूट और यादवों का शासन था। 14 वीं शताब्दी के दौरान, बहमनी सल्तनत ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित किया, जिसे बाद में निजाम शाही राजवंश ने कब्जा कर लिया था।
16वीं शताब्दी के दौरान, धाराशिव मराठा साम्राज्य पर शासन करने वाले भोसले वंश का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। शहर ने मुगलों के खिलाफ मराठा युद्धों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, और यह ब्रिटिश राज के दौरान कई लड़ाइयों का स्थल भी था। 1857 में, शहर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय विद्रोह का केंद्र था।
1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, धाराशिव नवगठित भारतीय राज्य महाराष्ट्र का हिस्सा बन गया। इन वर्षों में, शहर ने कृषि, उद्योग और शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से विकास देखा है।
आज, धाराशिव एक हलचल भरा शहर है जो उस्मानाबाद जिले में कृषि और व्यापार के केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह शहर कॉलेजों और स्कूलों सहित कई शैक्षणिक संस्थानों का घर है। यह ऐतिहासिक स्मारकों, मंदिरों और सुंदर परिदृश्य जैसे कई पर्यटक आकर्षणों का भी दावा करता है।
उस्मानाबाद का नाम कैसे पड़ा?
उस्मानाबाद नाम का उल्लेख मुगल सम्राट अकबर के आक्रमण के समय मिलता है। मुगल सम्राट अकबर के सेनापति शाहजहाँ के सैनिक ओसमान के नाम पर इस शहर का नाम रखा गया था।
यह शहर महाराष्ट्र राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित है और यह भारत के दक्षिण में स्थित है। यह शहर अपनी संस्कृति, ऐतिहासिक वास्तुकला, वाणिज्यिक गतिविधियों और खास खाने की विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
उस्मानाबाद जिला का गठन कब हुआ था?
उस्मानाबाद जिला का गठन 1 मई 1982 को हुआ था।
उसमानाबाद जिला महाराष्ट्र राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित है और इसका मुख्यालय उस्मानाबाद शहर है। इस जिले में कुल 8 तहसीलें हैं जिनमें 680 गांव और 1450 ग्राम पंचायत हैं। यह जिला ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय भी एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यह जिला अपनी संस्कृति, वाणिज्यिक गतिविधियों, खास खाने और ऐतिहासिक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
उस्मानाबाद में क्या प्रसिद्ध है?
उस्मानाबाद एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर है, जो भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। इस शहर में कुछ प्रसिद्ध चीजें हैं जो इसे देश और विदेश से आने वाले व्यक्तियों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं।
1. तांबडी भाजीपाव: यह उस्मानाबाद का प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड है, जो मुंबई के वडेपाव की तरह होता है।
2. हाड्याचा गृह: इस भवन का निर्माण 1885 में हुआ था। यह एक नृत्यांगन के रूप में उपयोग किया जाता था। इसे अब संग्रहालय के रूप में उपयोग किया जाता है जहां ऐतिहासिक वस्तुओं का प्रदर्शन होता है।
3. उस्मानाबाद फोर्ट: इस फोर्ट का निर्माण निजाम उस्मान अली खाँ द्वारा कराया गया था। इसमें शांति द्वार, मेघदूत ध्वज स्तंभ और महल होते हैं।
4. गुलमोहर उद्यान: यह उस्मानाबाद का सबसे लोकप्रिय उद्यान है, जो शहर के मध्य में स्थित है। इसमें गुलमोहर के वृक्षों की बेहतरीन खेती की जाती है।
5. नादिरशाह पार्क: यह पार्क उस्मानाबाद का एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है। यह पार्क दक्षिण मुंबई में स्थित सानक इस्टेट के शासक नादिरशाह ने बनवाया था।
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