90 साल में इन देशों ने बदल चुके हैं अपने नाम, मार्केटिंग से इतिहास प्रेम तक रही वजहें
इस वक्त विश्व में 195 देश हैं। ये वे देश हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र से मान्यता हासिल है। कई देश ऐसे हैं जिन्होंने अपने नाम बदले हैं। इसके पीछे सीमा रेखा में बदलाव, युद्ध, आजादी, नेता के सम्मान में, इतिहास और भाषा जैसी तमाम वजहें रही हैं। इसके अलावा राजनीतिक कारणों से भी देश अपना नाम बदले रहे हैं। अधिकांश देशों ने नया नाम अतीत को को मिटाने के लिए अपनाया। कुछ ने तो पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ही अपने नाम बदल लिए।
30 से 60 के दशक में बदले 3 देशों के नाम
फ़ारस से बना ईरान (Iran)
ईरान एक शिया बहुल देश है और यहां के लोग इस्लाम धर्म को मानते हैं। साल 1935 से पहले तक ईरान नाम ही अस्तित्व में नहीं था। इस देश को पर्शिया या फिर फ़ारस के नाम से जाना जाता था। हालांकि, जब देश की सत्ता पर मोहम्मद रजा पहलवी (मोहम्मद रजा शाह) काबिज हुए तो उन्होंने पर्शिया का नाम बदलकर ईरान कर दिया। भले ही इसकी संस्कृति के पहलुओं जैसे भोजन, कला और साहित्य को फ़ारसी के रूप में लेबल किया जाना जारी है। फ़ारसी भाषा में इसे ईरान कहा जाता है। साल 1935 में सरकार ने उन देशों से अपने देश को ‘ईरान’ कहकर संबोधित करने को कहा, जिनके साथ उनके राजनयिक संबंध थे।
आईरिश फ्री स्टेट से बना आयरलैंड
साल 1937 में आईरिश फ्री स्टेट (आयरिश मुक्त राज्य) के लोगों ने यूनाइटेड किंगडम से सभी संबंधों को तोड़ने के लिए देश का नाम बदलकर आयरलैंड कर लिया। साथ ही यूनाइटेड किंगडम यानी यूके से सारे समझौते खत्म कर लिए। इसके बाद दो साल तक यूके साथ भीषण युद्ध हुआ।
सियाम से बना थाइलैंड (Thailand)
थाइलैंड दक्षिण एशिया के उन गिने-चुने देशों में से है जो कभी ब्रिटिश या फ्रेंच उपनिवेश नहीं रहा। वहां राजा का शासन हुआ करता था। जिसे सियाम कहा जाता था। थाईलैंड का पुराना नाम सियाम था। लोकल भाषा में इस देश को ‘Prathet Thai’ कहते हैं, जिसका मतलब होता है 'आज़ाद लोगों का देश'। क्योंकि यह लोगों के लिए ट्रिब्यूट हैं जो सबसे पहले यहां बसे थे। उन्होंने इस देश में चीन से आज़ाद होकर शरण ली थी। 1939 में थाइलैंड में कॉन्स्टीट्यूशनल मोनार्की आई तो नाम बदलकर थाइलैंड कर दिया गया। हालांकि, बीच में 1946 से 1948 की एक अवधि में सियाम नाम की वापसी हुई, लेकिन बाद में आधिकारिक तौर पर देश को थाईलैंड नाम दिया गया।
20वीं सदी तक बदले कई देशों ने नाम
सिलोन से बना श्रीलंका (Sri Lanka)
वैसे तो श्रीलंका का इतिहास हजारों साल पुराना है। श्रीलंका को पुर्तगालियों ने 1505 में नाम दिया था Ceilão (Ancient Ceylon)। इसके बाद 19वीं सदी में ब्रिटिश साम्राज्य ने इसका नाम बदलकर सिलोन कर दिया। साल 1948 में ब्रिटिश शासन से इसे आज़ादी मिली। हालांकि, तब तक भी इसे सीलोन ही कहा जाता था। लेकिन साल 1972 में जब सीलोन एक गणतंत्र देश बना, तब यहां की सरकार ने इसका नाम सीलोन से बदलकर श्रीलंका रख दिया। द्वीप राज्य ने अपनी सांस्कृतिक पहचान को रेखांकित करने, पुर्तगाली और ब्रिटिश उपनिवेशवाद की विरासत से दूरी बनाने के लिए खुद को श्रीलंका के रूप में पुनः ब्रांड किया। हालांकि सीलोन नाम का उपयोग आधिकारिक तौर पर 2011 तक किया जाता था, लेकिन तब से सभी आधिकारिक दस्तावेजों और अन्य चीजों से पुराने नाम के रेफ़्रेन्स हटा दिए गए। श्रीलंका में हिंदू और बौद्ध धर्म की अच्छी खासी तादात है।
रोडेशिया से बना जिम्बाब्वे
रोडेशिया एक औपनिवेशिक नाम था। साल 1953 और 1963 के बीच दक्षिणी रोडेशिया ने उत्तरी रोडेशिया और न्यासालैंड के साथ फेडरेशन ऑफ रोडेशिया एंड न्यासालैंड में शामिल हो गया। अप्रैल 1980 में जिम्बाब्वे गणराज्य बना।
बर्मा से बना म्यांमार (Myanmar)
एक समय था जब म्यांमार अखंड भारत का हिस्सा था, लेकिन कई दौर आए और गए। यहां की सत्ता भी बदलती रही है। 1988 में एक सैन्य शासन द्वारा लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को कुचलने के बाद, साल 1989 मे सैन्य नेताओं (मिलिट्री जुंटा शासन) ने बर्मा नाम से जाने वाले देश को नया नाम म्यांमार दिया। शुरूआत में इसका काफ़ी विद्रोह हुआ और इसके एक साल बाद विद्रोह के चलते यहां हज़ारों लोग मारे गए थे। इस देश का इतिहास हिंसा से भरा रहा है, लेकिन अब यही नाम यहां की पहचान है। और अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारने के लिए देश की सेना ने इसका नाम बर्मा से बदलकर म्यांमार रख दिया था। हालांकि सेना द्वारा दिए गए नए नाम को संयुक्त राष्ट्र और फ्रांस और जापान जैसे देशों द्वारा मान्यता दी गई थी, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका और यूके ने अभी तक भी स्वीकार नहीं किया है। वॉशिंगटन आज भी इस देश को बर्मा ही कहता है। बर्मा देश के प्रमुख जातीय समूह, बर्मन से जुड़ा नाम था।
डेमोक्रेटिक कंपूचिया से बना कंबोडिया
कंबोडिया देश ने बीते सात दशकों में कई बार अपना नाम बदला है। साल 1953 से 1970 के बीच देश का नाम किंगडम ऑफ कंबोडिया रहा। इसके बाद 1975 तक इसका नाम खामेर रिपब्लिक रहा। 1975 से 1979 तक साम्यवादी (कम्युनिस्ट) शासन के तहत इसे डेमोक्रेटिक कंपूचिया कहा जाता था। 1989 से 1993 तक संयुक्त राष्ट्र संक्रमण प्राधिकरण (यूएन ट्रांजिशन अथॉरिटी) के तहत, यह कंबोडिया राज्य (स्टेट ऑफ कंबोडिया) बन गया। 1993 में राजशाही (मोनार्की) की बहाली के बाद, इसका नाम बदलकर कंबोडिया साम्राज्य (किंगडम ऑफ कंबोडिया) कर दिया गया।
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
वर्षों से कांगो फ्री स्टेट, बेल्जियन कांगो, कांगो- लियोपोल्डविले और ज़ैरे गणराज्य सहित कई नामों से जाना जाने वाले इस राष्ट्र ने 1997 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अपना नाम अंतिम रूप दिया।
2000 से लेकर अब तक कई ने बदले नाम
केप वर्डे से बना काबो वर्डे गणराज्य
2013 में, केप वर्डे ने काबो वर्डे गणराज्य के पूर्ण पुर्तगाली शीर्षक का उपयोग करना शुरू कर दिया |
चेक गणराज्य से बना चेकिया (Czechia)
सोवियत संघ के विघटन के बाद चेकोस्लोवाकिया को 1993 में स्लोवाकिया और चेक गणराज्य नाम के दो देशों में विभाजित किया गया। जिसके बाद यूरोप में स्थित चेक गणराज्य के शासक ने मार्केटिंग को ध्यान में रखते हुए इस देश का नाम साल 2016 में बदलकर चेकिया कर दिया ताकि कंपनियों के व्यापार, स्पोर्ट्स इवेंट्स में भागीदारी में देश के नाम को सुविधापूर्ण बनाने के लिए आसानी हो। फिलहाल इसका ऑफ़िशियल नाम चेक गणराज्य ही रहेगा। लेकिन इसका शॉर्ट ऑफ़िशियल नाम चेकिया रख दिया गया है।
स्वाज़ीलैंड से बना इस्वातिनी (Eswatini)
वैसे तो राजशाही व्यवस्था ज़्यादातर पूरी दुनिया से ख़त्म हो चुकी है। लेकिन अफ़्रीका में एक ऐसा देश है, जहां राजशाही सत्ता चलती है। और यह देश है स्वाज़ीलैंड। इस देश की आज़ादी को 54 साल पूरे हो चुके हैं। अप्रैल 2018 में अपनी आजादी के 50वें उत्सव पर यहां के राजा मस्वाती ने देश का नाम बदलकर इस्वातिनी (एस्वातीनी) कर लिया। हालांकि स्थानीय लोग पहले से ही स्वाजीलैंड को इस्वातिनी ही संबोधित करते थे। दरअसल स्थानीय भाषा में स्वाजीलैंड शब्द इस्वातिनी का अनुवाद है। जिसका मतलब होत है कि स्वाजी लोगों की भूमि।
मैसेडोनिया से बना रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मैसेडोनिया (Republic of North Macedonia)
रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मैसेडोनिया (उत्तरी मेसेडोनिया गणराज्य) के पुराने नाम 'मैसेडोनिया' को लेकर ग्रीस के साथ चला आ रहा एक लंबा विवाद उस समय थमा। जब देश के पुराने नाम मैसेडोनिया को साल 2019 में बदल दिया गया और इसे नया नाम रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मैसेडोनिया मिला। बताया जाता है कि इसके पीछे की वजह NATO का हिस्सा बनना था और ग्रीस देश से अपने संबंध सुधारना चाहता था। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि ग्रीस देश में मैसिडोनिया नाम का राज्च भी है। ऐसे में मैसिडोनिया एक प्राचीन ग्रीक साम्राज्य का भी नाम था, इसलिए इसका नाम बदला गया।
हॉलैंड से बना नीदरलैंड (Netherlands)
जनवरी 2020 में हॉलैंड नीदरलैंड (द नीदरलैंड्स) के रूप में एकीकृत हुआ। इसके दो भाग थे दक्षिण हॉलैंड और नॉर्थ हॉलैंड। नाम बदलने का डच उद्देश्य देश के नवाचार, खुलेपन और समावेशिता के गुणों को उजागर करना है। और ऐसा करने की वजह कोई मार्केटिंग मूव बताई जा रही है। उनका कहना है कि वे अपने देश को प्रगतिशील और लिबरल देश के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं।
अफगानिस्तान से बना इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान
2021 में अफगानिस्तान का नाम बदलकर इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान कर दिया गया है।
तुर्की से बना तुर्किये (Turkiye)
तुर्किये (तुर्किए) को पहले टर्की अथवा तुर्की नाम से जाना जाता था। बताया जा रहा है कि साल 1923 में पश्चिमी देशों के कब्ज़े से आज़ाद होने के समय इस देश को ‘तुर्किये’ के नाम से ही जाना जाता था। लेकिन बाद में कुछ कारणों से इसका नाम तुर्की कर दिया गया। तुर्की गणराज्य की स्थापना 29 अक्टूबर 1923 को हुई। 2022 में, तुर्किए ने संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया कि उसने औपचारिक रूप से तुर्की से अपना नाम अपडेट कर लिया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन साल 2021 में तुर्की का नाम बदलकर तुर्किए रख दिया। उन्होंने इस बदलाव के पीछे तर्क देते हुए कहा था कि तुर्किए तुर्की के लोगों की संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व और अभिव्यक्ति है। कहा जाता है कि तुर्की नाम की चिड़िया है, जिसकी वजह से इसका नाम तुर्किए कर दिया गया।
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