मंगलवार, 6 नवंबर 2012

7 विचित्र छोटे "देश"

7 विचित्र छोटे "देश", सनक की मिसाल

दुनिया के सबसे छोटे देशों की सूचि बनाई जाए तो उसमें मालदीव, मोरिशस, सेशेल्स, यूएई आदि नाम शामिल किए जाते हैं. परंतु दुनिया में कई छोटे छोटे 'माइक्रो' देश भी हैं. इन देशों का निर्माण आम तौर पर सनक के चलते किया गया. इन देशों को मान्यता नहीं मिली है, परंतु फिर भी इन देशों के सत्ताधीश इन पर शासन कर रहे हैं और इनका संचालन ठीक उसी तरह से होता है जैसा किसी आम देश का होता है. ऐसे ही 7 माइक्रो गैर मान्यता प्राप्त देश -

किंग्डम ऑफ लेडोनिया 

ladonia
स्वीडन के कुलाबर्ग बीच पर स्थिति इस "देश" का कुल क्षैत्रफल है लगभग .386 वर्ग मील. इस देश का नाम है किंग्डम ऑफ लेडोनिया और इस देश की अपनी भाषा है, अपनी मुद्रा है और सविँधान भी है. बस यहाँ कोई रहता नहीं परंतु फिर भी इसकी आबादी करीब 14000 बताई गई है. 

1980, में एक स्विडिश कलाकार लार्स विक्स ने इस जगह पर लकड़ी और पत्थरों से कुछ कलाकृतियाँ बनाई थी. धीरे धीरे यह स्थान पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन गया. लेकिन इससे स्थानीय प्रशासन खुश नहीं हुआ. उन्होनें आरोप लगाया कि विक्स ने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है और बीच पर अवैध घर बना लिए हैं. इससे क्रोधित होकर विक्स ने उस स्थान को स्वीडन से अलग घोषित कर दिया और नए देश का नाम रखा किंग्डम ऑफ लेडोनिया. 

यह देश आज भी मौजूद भी है, बस इसे स्वीडन की मान्यता नहीं मिली है. 


रिपब्लिक ऑफ मिनर्वा

minerva
4 वर्ग मील में फैला यह देश वास्तव में था ही नहीं बल्कि बनाया गया था. 1972 में एक रियल एस्टेट बिल्डर माइकल ओलिवर के मन में आया कि क्यों ना एक ऐसे देश का निर्माण किया जाए जहाँ को कर ना लिया जाए और लोगों पर सरकार का कोई नियंत्रण ना हो. ओलिवर और उनके मित्रों ने दक्षिण प्रशांत महासागर में एक छिछलेदार जगह पर मिट्टी भरकर छोटा सा द्विप तैयार किया. आगे चलकर वहाँ एक टावर का निर्माण हुआ और लोगों का आना भी शुरू हुआ.

जनवरी 1972 को रिपब्लिक ऑफ मिनर्वा को एक स्वतंत्र देश घोषित किया गया और उसका झंडा भी फहराया गया. ओलिवर के इस देश की चर्चा दुनिया भर में होने लगी और इससे इस द्विप के पास स्थित ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और टोंगा जैसे देशों के कान खड़े हो गए. बाद में टोंगा ने बयान जारी कर कहा कि इस द्विप का निर्माण जहाँ हुआ है वह उसका हिस्सा है. टोंगा ने एक छोटी से सैन्य टुकड़ी भेजी और मिनर्वा का कब्जा ले लिया. आज वहाँ कोई नहीं रहता. 


डोमिनियन ऑफ मेलशिज़डेक 

malshizdek
अंटार्कटिका महाद्विप के समीप दक्षिण प्रशांत महासागर में एक छोटे से द्विप पर इस देश का निर्माण किया गया था. 1986 में इवान डेविड पेडली और उसके बेटे ने इस देश की नीवं रखी और इसके पीछे का इरादा था एक ऐसी जगह का निर्माण करना जहाँ से व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार और गैरकानूनी कार्य किया जा सके. यह देश अपराधियों के लिए स्वर्ग समान था. यहाँ जाली बैंक स्थित थी जहाँ पर काला धन रखा जा सकता था. कोई भी व्यक्ति 10 हजार डॉलर चुकाकर यहाँ का पासपोर्ट हासिल कर सकता था. 

इस देश के सत्ताधीश जाली व्यापार परमिट जारी करते थे. यहाँ जाली घर (कुछ तो समुद्र के अंदर) दिखाए जाते थे और उन्हें बेचा भी जाता था. मेल्शिज़डेक देश का दावा था कि सयुंक्त राष्ट्र ने उसे मान्यता दी हुई है, लेकिन यह सच नहीं था. 1995 में इस देश ने फ्रांस को परमाणु हमले की चेतावनी भी दे दी थी और उसके बाद इस देश का निर्माण करने वाले बाप-बेटे की जोड़ी को गिरफ्तार कर लिया गया. 

आज भी इस देश की वेबसाइट मौजूद है. 


प्रिंसीपलिटी ऑफ आउटर बाल्डोनिया


इस देश का कुल क्षैत्रफल है .00625 वर्ग मील और यह देश कनाडा के एक छोटे से द्विप पर स्थित है. यह देश रसेल अरूंडेल की कल्पना का नतीजा था. 1948 में अरूंडेल और उनके मित्रों ने सोचा कि अरूंडेल द्वारा खरीदे गए इस द्विप को एक अलग देश ही क्यों ना बना दिया जाए जहाँ शराब पीना और मछली पकड़ना अनिवार्य हो! अरूंडेल और उनके मित्रों ने सविंधान बनाया और इस देश का निर्माण कर दिया. अरूंडेल ने वाशिंगटन स्थित अपनी ऑफिस को बाल्डोनिया का दूतावास बताया. 

उनकी तथा उनके मित्रों की सनक कई वर्षों तक चली और इस बीच उन्होनें रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा भी की. 


फ्रेस्टोनिया
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ये लोग खुद को फ्रेस्टोनियन कहते थे. ये लोग घुमक्कड प्रवृति के थे और इन्होनें ब्रिटेन के फ्रेस्टन रोड के आसपास के इलाकों में अवैध कब्जा कर रखा था. जब नगर निगम ने इनसे जगह खाली करने को कहा तो इन्होनें खुद को ब्रिटेन से अलग घोषित कर दिया और .0028 वर्ग मील के इलाके को स्वतंत्र फ्रेस्टोनिया देश घोषित कर दिया. यही नहीं इन लोगों ने सयुंक्त राष्ट्र से गुहार लगाई कि उनके देश को मान्यता दी जाए और शांति सेना को भेजा जाए ताकी पुलिस उन्हें जबरन बाहर ना निकाल दे.

इसका लाभ यह हुआ कि यह समूह मीडिया में छा गया और लोगों की सहानुभूति बटोर ले गया. नगर निगम ने उनको वहाँ रहने दिया. 

आज यहाँ कोई नहीं रहता और फ्रेस्टोनिया का कोई नामोनिशान भी मौजूद नहीं है. 


हट रिवर प्रोविंस

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यदि कोई माइक्रोदेश सही मायनों में सफल हुआ हो तो वह है हट रिवर प्रोविंस. 1970 में लियोनार्ड कैसली ने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया स्थित अपने खेतों को एक अलग देश के रूप में चिह्नित कर दिया था. बात दरअसल यह थी कि स्थानीय प्रशासन उसे गेहूँ का उत्पादन तय सीमा से अधिक नहीं करने दे रहा था जो कैसली को मंजूर नहीं था. उसने ऑस्ट्रेलिया में प्रचलित ब्रिटिश कानून में से एक कमी खोज निकाली और अपनी जमीन स्वतंत्र देश के रूप में चिह्नित कर दी. उसने खुद को महामहीम युवराज लियोनार्द ओफ हल्ट घोषित कर दिया. 

ऑस्ट्रेलिया में तब कानून था कि किसी भी राजकुमार या राजा को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. इसलिए कैसली भी गिरफ्तारी से बचता गया. उसने अपनी मुद्रा छापी, डाक टिकट छापी और स्वतंत्र देश की तरह व्यवहार किया. आज भी कैसली हल्ट राज्य के राजकुमार के रूप में जाने जाते हैं, भले ही उनकी उम्र 80 वर्ष की हो गई हो. 


प्रिंसीपलिटी ऑफ सीलैंड 

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1967 में पेड्डी रॉय बैट्स ने ब्रिटेन की जलसीमा के समीप समुद्र में बने एक किले के अवशेष पर कब्जा कर वहाँ अपने रेडियो स्टेशन की नीवँ रखी. 1975 में उसने इस जगह को एक स्वंतत्र देश ही घोषित कर दिया. इस जगह का कुल क्षैत्रफल था .0002 वर्ग मील. पेड्डी रॉय ने अपने देश के राष्ट्रगीत, झंडे, और मुद्रा का निर्माण भी किया और पासपोर्ट भी जारी किया. पेड्डी के बेटे ने अपने देश की सीमा में दाखिल हो रहे एक ब्रिटिश जहाज पर गोली भी चलाई. उसे गिरफ्तार किया गया परंतु बाद में छोड़ दिया गया क्योंकि वह जगह सचमुच में ब्रिटेन की जलसीमा से बाहर थी. 

यह माइक्रोदेश आज भी मौजूद है. पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थी कि बैट्स परिवार इस जगह को बेचना चाहता है. यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं.


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