शनिवार, 3 नवंबर 2012

दुनिया के दस बेहद विचित्र और खतरनाक अंतिम संस्कार

क्या आप जानते हैं कि इंसानों ने मृत शरीर के अंतिम संस्कार की परंपरा कब शुरु की और क्यों मरने वाले के अंतिम यात्रा के तरीकों में इतनी विविधता पाई जाती है। अगर आपके पास इन सवालों का जवाब है तो हमें जरुर बताएं। अपनी इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं दुनिया के ऐसे दस अंतिम संस्कारों के बारे में जो बेहद विचित्र या कहिए अनोखे हैं।

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1. टॉवर्स ऑफ साइलेंस : जोरोस्ट्रीयन नामक एक पंथ की मान्यता है कि मृत शरीर अशुद्ध होता है इसलिए इसे गाड़ने या जलाने से बाकी चीजें भी प्रदूषित होती हैं। अपनी इसी मान्यता के कारण वो मृत शरीर को एक टावर पर लटका देते हैं। चील-कौओं के खाने के बाद बचे हुए हिस्से को धूप में सूखने दिया जाता है। इसके बाद बची हुई हड्डियों को चूने में गला देते हैं। जिस खंभे पर शरीर को लटकाया जाता है उसे ही टॉवर्स ऑफ साइलेंस कहते हैं। माना जाता है कि जोरास्ट्रीयन, इस्लाम की प्राचीनतम शाखा है जिसमें से इस्लाम और ईसाई धर्म निकला है।

2. ट्री बेरीअल : आस्ट्रेलिया के आदिवासी मरे हुए व्यक्ति को पेडों पर लटका देते हैं। जोरोस्ट्रीयन की ही तरह वो अपने संबंधियों के मृत शरीर को जानवरों के खाने के लिए छोड़ देने में विश्वास करते हैं।

3. तिब्बतन स्काई बेरीअल : तिब्बती परंपरा में माना जाता है कि अगर मृत शरीर को गिद्ध जैसे जानवर खाएं तो उनके उड़ान के साथ ही मृत आत्मा भी स्वर्ग पहुंच जाती है। इसलिए वो लाश को टुकडों में काट कर उसके आस पास दूध और खाने की अन्य चीजें बिखेर देते हैं जिससे गिद्ध आकर उस शरीर को खा सकें।

4. बेरीअल इन ए बॉग : मृत शरीर को हमेशा के लिए सुरक्षित रखने हेतु मध्यकालीन यूरोपवासी उसे दलदल में दबा देते थे। हजारों साल बाद यूरोप के इन दलदलों से कई लाशें बरामद की गईं जिन्हे एक विशेष संग्रहालय में रखा गया है।

5. बर्निंग द विडो : औपचारिक तौर पर भारत में इस परंपरा को अब मृत या समाप्तप्राय माना जाता है लेकिन अभी भी कई बार ऐसी घटनाएं सुनने में आती हैं कि मरे हुए पति की चिता में उसकी पत्नि को भी जिंदा जलने के लिए छोड़ दिया गया। सती प्रथा नामक इस परंपरा को देश के कानून में अपराध घोषित कर दिया गया है।

6. बरी मी वंस, बरी मी ट्वाइस : मेलनेशिया के ट्रोब्रायंड आइलैंड पर रहने वाले आदिवासी, मृत शरीर का अंतिम संस्कार दो बार करते हैं। पहले तो उसे दफनाते हैं और गल जाने के बाद हड्डियों को निकाल उसे बर्तनों का आकार देते हैं। इस बर्तन के आकार की हड्डी को वो एक गुफा में रख देते हैं जिससे वो अपने बच्चों को बता सकें कि ये उनके पूर्वजों के अवशेष हैं।

7. बर्न विद डॉग : सेंट्रल मेक्सिको में पाई जाने वाली एक प्रजाति ऐज्टेक अपने संबंधियांे का दाह संस्कार अनोखे ढंग से करती है। अगर उन्हे लगता है कि मरने वाला व्यक्ति बुरा था या उसकी मौत कष्टमय ढंग से हुई है तो उस शरीर के साथ एक कुत्ते को जलाते हैं। उनकी मान्यता है कि इस कुत्ते के साथ ही मरने वाले इंसान की सारी बुराईयां भी समाप्त हो जाएंगी।

8. हैंगिंग आउट विद ग्रैंडपा : चीन के दक्षिण-पश्चिम हिस्से की यात्रा के दौरान आपको एक अजीब सा मंजर देखने को मिल सकता है। दरअसल, यहां के निवासी अपने मृत संबंधियों के ताबूत को पेड़ों पर टांग देते हैं। माना जाता है कि ताबूत को कम से कम 10 मीटर की ऊंचाई पर टांगा जाना चाहिए। हालांकि कुछ ताबूतों को 130 मीटर तक की ऊंचाई पर भी टंगा हुआ देखा जा सकता है।

9. कैनबलिजम : अमेजन की घाटी में रहने वाले आदिवासियों के अंतिम संस्कार की परंपरा बेहद चौका देने वाली है। वो मृत शरीर को आग में भून कर उसको खा जाते हैं। उनका मानना है कि मरने वाले व्यक्ति के प्रति प्रेम दिखाने का ये सबसे बेहतर तरीका है।

10. डांसिंग विद ग्रैंडमा : मेडागास्कर वासी मानते हैं कि व्यक्ति तब तक नही मरता जब तक उसका शरीर पूरी तरह समाप्त न हो जाए। इस परंपरा के मुताबिक वो मृत शरीर को दफनाने के बाद जब वो पूरी तरह गल जाती है तो उसे फिर से खोदते हैं। बचे हुए हिस्से को सिल्क के चादर में लपेट कर उसके साथ नाच गाना करते हैं और शराब भी पीते हैं। इस जस्न के पीछे उनकी मान्यता है कि ये मृत व्यक्ति का पुर्नजन्म है।


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