बुधवार, 14 नवंबर 2012

मैमथ (Mammoth)

मैमथ (Mammoth)


मैमथ (Mammoth), एक विशालकाय हाथी सदृश जीव था जो अब विलुप्त हो चुका है। इसका वैज्ञानिक नाम 'मैमुथस प्राइमिजीनियस' (Mammuthus primigenius) है। यह साइबेरिया के टुंड्रा प्रदेश में बर्फ में दबे एक हाथी का नाम है, जो अब विलुप्त हो चुका है, परन्तु बर्फ के कारण जिसका संपूर्ण मृत शरीर आज भी सुरक्षित मिला है। अनुमान लगाया जाता है कि फ्रांस में यह जंतु हिम युग के अंत तक और साइबीरिया में संभवत: और आगे तक जीवित रहा होगा। मैमथ शब्द की उत्पत्ति साइबीरियाई भाषा के 'मैमथ' शब्द से मानी जाती है, जिसका अभिप्राय 'भूमि के नीचे रहनेवाले जंतु' से होता है। चूँकि इस हाथी का शरीर सदैव जमे हुए बर्फीले कीचड़ के नीचे ही पाया गया है, अत: उस देश के किसान मैमथ को एक प्रकार का वृहत छछूँदर ही समझते थे।

जानकारों के अनुसार पृथ्वी पर लगभग 4-5 हजार वर्ष पूर्व हाथी जैसा दिखने वाला लेकिन उससे भी कहीं ज्यादा विशाल एक जानवर रहता था। फ्रांस की गुफाओं में पूर्व प्रस्तरयुगीन (Palaeolithic) शिकारी मानव के उपर्युक्त हाथी के बहुत से चित्र बनाकर छोड़े हैं, जिससे स्पष्ट हो जाता है कि यह जंतु पहले यूरोप (और संभवत: भारत और उत्तरी अमरीका, जहाँ उससे मिलते जुलते हाथियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं) में रहा करता था और हिम युग के समाप्त होने और बर्फ के खिसकने पर भोजन की खोज में उत्तर की ओर बढ़ा और वहाँ की दलदली भूमि में अपने भारी शरीर के कारण धँस गया तथा दलदल के साथ जम गया।

आकार में मैमथ वर्तमान हाथियों के ही बराबर होते थे, परंतु कई गुणों में उनसे भिन्न थे। उदाहरणार्थ वर्तमान हाथियों के प्रतिकूल मैमथ का शरीर भूरे और काले तथा कई स्थानों पर जमीन तक लंबे बालों से ढँका था, खोपड़ी छोटी और ऊँची, कान छोटे तथा मैमथ दंत (tusk) अत्यधिक (14 फुट तक) लंबे (यद्यपि कमजोर) थे। मैमथ दंत की एक विशेषता यह भी थी कि वे सर्पिल (spiral) थे। मैमथ दंत इतनी अच्छी दशा में सुरक्षित हैं कि आज भी उद्योग में उनका उपयोग है और मध्कालीन समय में तो साइबेरिया से लेकर चीन के मध्य उनका अच्छा व्यापार भी होता था। सच तो यह है कि बर्फ में दबे रहने के कारण मैमथों, का सारा शरीर ही इतनी अच्छी दशा में सुरक्षित मिला है कि न केवल इनका मांस खाने योग्य पाया गया वरन उनके मुँह और आमाशय में पड़ा उस समय का भोजन भी अभी तक सुरक्षित मिला है।


उसके दांत बहुत अधिक बड़े और घुमावदार होते थे और शरीर पर ऊन की तरह लंबे-लंबे बाल होते थे। आम और प्रचलित भाषा में इस जानवर को मैमथ कहा जाता है। लेकिन मैमथ नाम का यह विशाल और शायद सबसे प्राचीन हाथी आधुनिक सभ्यता की शुरूआत से काफी पहले ही दुनिया से लुप्त हो चुका है।

लेकिन हाल ही में जारी एक वीडियो में इस विशालकाय जीव को फिर से या फिर कहें पहली बार देखा गया है और वो भी साफ और स्पष्ट तरीके से। पिछले साल गर्मियों में साइबेरिया के स्वायत्त ऑक्रग क्षेत्र चुकोटका में एक सरकारी इंजीनियर ने इस वीडियो को बनाया है। इंजीनियर का कहना है कि किसी निर्माण के काम से वह उस स्थान पर पहुंचा लेकिन जब उसने एक हाथी जैसा दिखने वाले विशालकाय और अद्भुत एक जीव को नदी पार करते देखा तो उसे बहुत हैरानी हुई। इस जीव के बाल रूस के इस इलाके से मिले एक विशाल आकार के हाथी (वोल्ली मैमथ्स) से मिलता-जुलता है।

पैरानोर्मल लेखक माइकल कोहेन का कहना है कि बहुत सारे लोगों ने इस क्षेत्र में कुछ विशाल आकार वाले जानवर देखे जाने की बात कही है। यह अफवाह है या फिर वाकई इसमें कोई सच्चाई है इसकी अभी तक पुष्टि नहीं की गई है। वैसे भी साइबेरिया एक विशाल क्षेत्र है और इसके एक बहुत बड़े क्षेत्र को अब भी पूरी तरह से खोजा नहीं जा सका है जो यह अब भी मनुष्य की पहुंच से अछूता है।

उल्लेखनीय है कि यह विशालकाय जीव 10,000 साल पहले अंतिम हिम युग के दौरान पाया जाता था। इस हिम युग का एक छोटा सा हिस्सा साइबेरिया के तट पर व्रंगेल द्वीप के आसपास अब भी है। जानकारों का कहना है कि लगभग 3500 वर्ष पहले तक भी इस जानवर के जिंदा होने का अनुमान लगाया जा सकता है। लेकिन उसके बाद इसके जीवित होने के कोई भी साक्ष्य या जानकारी नहीं है।

कुछ वैज्ञानिकों ने यह संभावना जताई है कि मैमथ प्रजाति के कुछ जीव जो अन्य स्थानों पर विलुप्त हो गए थे वह आज भी इस स्थान पर मौजूद हों। अगर जीवित बचे वोल्ली मैमथ्स साइबेरिया में पाए जाते हैं तो यह संभवतः महानतम खोजों में से एक होगी।

11 साल के येवगानी सालिंदर की खोजा - मैमथ
11 साल के एक रूसी लड़के ने विलुप्त हो चुके धरती के सबसे बड़े स्तनपायी ऊनी मैमथ (विशालकाय हाथी) का अवशेष खोजा है। ये पिछले 100 सालों में अब तक का सबसे सुरक्षित अवशेषों में से एक है। इस मैमथ के शरीर पर दांत, मुंह, मांसपेशियां, ऊतक, बाल, त्वचा, हड्डियां यहां तक कि प्रजनन अंग भी सलामत हैं, जिसका वजन 500 किलोग्राम से ज्यादा है। येवगुनेई (येवगानी/ येवगनी) सालिंदर नाम के इस लड़के ने उत्तरी रूस में सोपकारगा पोलर स्टेशन (सोपोचेन्या कारगा इलाके में) के निकट तायमांर में इस अवशेष को खोजा है। उत्तरी रूस के सुदूर तेमिर प्रांत में येवगानी एक यात्रा पर था जब उसे ये मैमथ का ढांचा मिला। मास्को न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक माना जा रहा है कि इसकी मौत 30 हजार साल पहले 15 साल की उम्र में हो गई होगी, तब से वो यहां दबा पड़ा रहा। इस मैमथ को सालिंदर के प्यार के नाम (निकनेम) जेन्या (झेन्या) दिया गया है।

तो बन सकता है क्लोन
वैज्ञानिकों ने इस मैमथ का अध्ययन शुरू किया है। यदि वैज्ञानिक मैमथ की त्वचा व मांसपेशियों ऊतकों की कोशिकाओं में मौजूद केंद्रक (कोशिका गतिविधियां व नई कोशिकाएं बनने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाली संरचना) को अलग कर पाने में सफलता मिली तो क्लोंनिंग प्रौद्यिगकी के जरिए इन्हें दोबारा अस्तित्ब में लाया जा सकता है। जापान में क्योटो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक करीब 12,000 वर्ष पहले मरे एक मैमथ से क्लोनिंग के जरिए उन्हें दोबारा अस्तित्व में लाने के अपने अभियान पर काम कर रहे हैं।

धूमकेतु के फटने से खत्म हुए
वैज्ञानिकों के मुताबिक 10,000 ईसा पूर्व एक धूमकेतु के पृथ्वी के वायुमंडल में फटने और उसकी वजह से आग लगने से बालों वाले मैमथ विलुप्त हो गए थे।

1901 के बाद की बड़ी सफलता
विशेषज्ञों के मुताबिक अब तक मिले अवशेषों में यह दुनिया का दूसरा सबसे सुरक्षित मैमथ है। इससे पहले मैमथ का ढांचा सबसे बेहतर स्थिति में साल 1901 में रूस में ही खोजा गया था। यहां पर 1929 में भी मैमथ के अवशेष मिले थे, लेकिन उसका ज्यादातर हिस्सा नष्ट हो चुका था। मैमथ के इस ढांचे के मिलने से पुरातत्व विज्ञान और जीव वैज्ञानिक खासे उत्साहित हैं। उन्हें इससे कई अध्ययनों में मदद मिलेगी।


मैमथ 13,000 साल पहले रखते थे धरती को गर्म
वैज्ञानिकों का दावा है कि मैमथ यानी विशालकाय हाथी लगभग 13 हजार साल पहले धरती को गर्म रखने में मददगार साबित होते थे। मैमथ वातावरण में मीथेन भर कर वातावरण को गर्म रखते थे। यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मैक्सिको के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने दावा किया है कि मैमथ दूसरे स्तनधारियों के साथ संभवत: लगभग 95 लाख टन मीथेन प्रति वर्ष पैदा करते थे। एक शोध से पता चला है कि मैमथ के गायब होने के बाद वातावरण में मीथेन की मात्रा में बहुत कमी आ गई। मीथेन एक महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस है। अमेरिका में करीब 13,400 साल पहले विशालकाय हाथियों सहित उन विशालतम प्राणियों की बड़ी आबादी रहती थी जो शाकाहारी थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें