रविवार, 11 नवंबर 2012

अजीबोगरीब धार्मिक परंपराएं


कुछ बेहद अजीबोगरीब धार्मिक परंपराएं


इस संसार में अनेक धर्मों पर आस्था करने वाले लोग रहते हैं, जिनके सिद्धांत और मान्यताएं भी एक-दूसरे से उतनी ही अलग हैं जितना उनका अनुसरण करने का तरीका. आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि दुनिया के हर धर्म में कुछ न कुछ ऐसे दस्तूर प्रचलित हैं जो अजीबोगरीब होने के बावजूद श्रद्धा और समर्पण के साथ स्वीकृत किए गए हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी ही परंपराओं और मान्यताओं से परिचित करवाने जा रहे हैं जो संबंधित धर्म की पहचान बन चुके हैं.

1. मोरमोस टेंपल गारमेंट्स – ईसाई धर्म में लेटर डे संत कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लोगों को एक विशेष प्रकार का परिधान पहनना होता है. इस परिधान को मोरमोस टेंपल गार्मेंट्स कहा जाता है. चर्च की मान्यताओं के अनुसार अगर व्यक्ति इस परिधान को पहनता है तो वासनायुक्त और बुरे विचार व्यक्ति के शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते.

2. साइंटोलॉजी ई-मीटर – चर्च ऑफ साइंटोलॉजी द्वारा विकसित इस ई-मीटर का उपयोग चर्च के पादरियों द्वारा किया जाता था. इसका प्रयोग वह पीड़ित लोगों को बुरी आत्माओं से मुक्ति दिलवाने के लिए करते थे. लेकिन वर्ष 1971 में कोलंबिया (अमेरिका) की एक जिला अदालत ने इस डिवाइस को बेकार की वस्तु बताकर अयोग्य घोषित कर दिया था.

3. जादू टोना – कई धर्मों में जादू-टोने की प्रक्रिया को स्वीकार किया गया है. जादू-टोने से बुरी आत्माओं से पीड़ित व्यक्तियों के कष्टों का इलाज किया जाता है. बहुत से लोग इस विद्या का गलत प्रयोग भी करते हैं.

4. यहूदी कापारोट – कापारोट, यहूदियों में प्रचलित एक परंपरागत प्रथा है, जिसके अंतर्गत एक जिंदा मुर्गे को पकड़कर उसे व्यक्ति के सिर से तीन बार घुमाया जाता है. फिर उस मुर्गे को किसी गरीब व्यक्ति को दान कर दिया जाता है. लोगों का विश्वास है कि ऐसा करने से बीमार व्यक्ति की तकलीफ मुर्गे में स्थानांतरित हो जाती है. वर्तमान समय में  कापारोट हरेदी जनजाति में प्रचलित है.

5. दहेज प्रथा – यूं तो दहेज प्रथा का इतिहास बहुत पुराना है लेकिन आज के दौर में यह किसी अभिशाप से कम नहीं कही जा सकती. लेकिन फिर भी बहुत से देशों में प्रचलित है जिसका प्रमुख रूप भारत में देखा जा सकता है. भारत में कुछ लोग इस प्रथा का विरोध करते हैं, जबकि कुछ अपनी बेटी के अच्छे भविष्य का हवाला देते हुए दहेज देते हैं.

6. जैन दिगंबर – जैन धर्म की एक शाखा जिसे दिगंबर जैन कहा जाता है, वह अपने शरीर पर कोई कपड़ा नहीं पहनते. वह आकाश को ही अपना वस्त्र समझते हैं और खुद को वह किसी भी रूप में नग्न नहीं समझते. वह ऐसा अपने आराध्य भगवान महावीर का अनुसरण करते हुए करते हैं. नग्न दिगंबर अपने साथ दो ही वस्तुएं रखते हैं, मोर के पंख से कूचा और पानी का कमंडल.


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