शनिवार, 10 नवंबर 2012

हेंग-सेंग-डॉन्ग (मांउटेन रिवर केव) गुफा



हेंग-सेंग-डॉन्ग (Son Doong cave) (मांउटेन रिवर केव) गुफा / शेडोंग (सों दूंग) गुफा वियतनाम 

वियतनाम प्रांत के जंगलों की गहराई में छिपी अब तक की विश्व की सबसे बड़ी गुफा खोजी गई है। दुनिया की ये सबसे लंबी अंडरग्राउंड गुफाएं हैं। गुफा वास्तव में कई प्राकृतिक रहस्यों से भरी जगह होती है। ऐसी जगह पर जाने का दुसाहस कम ही लोग कर पातें है। वियतनाम के घने जंगलों में स्थित इस गुफा में 150 गुफाओं की श्रृंखला है। हालांकि अब तक इंसानी प्रभाव से एकदम अछूती इस गुफा की नैसर्गिक सुंदरता अप्रतिम है। पहली बार वैज्ञानिकों ने इसके दुर्लभ चित्र जारी किए हैं।

हेंग सेन डूंग (हैंग सांग डोंग / हेंग-सेंग-डॉन्ग / मांउटेन रिवर केव / सों दूंग / हैंग सॉन डूंग) नाम की यह गुफा 656 फीट ऊंची और 262 फुट चौडी है कही कही यह 492 फिट चौडी है। इसमे 1.6 मील लम्बी नदी है तथा 230 फुट स्तालाग्मिट्स हैं। इस गुफा की खोज 1991 में एक स्थानिये किशान ने की, लेकिन एक ब्रिटिश टीम ने यह पता लगाया और 2009 में इस गुफा की घोषणा की. लंबाई 6.5 किमी है, ऊंचाई 200 मीटर है, चौड़ाई 150 मीटर वहाँ एक भूमिगत नदी है। ब्रिटिश और वियतनाम के 13 खोजकर्ताओं के खोजी संयुक्त दल (केवर्स) ने इसकी जाँच की है। दल ने अपने खोजी अभियान में गुफा की दीवारों को 46 फुट ऊँची पाई है। यह विशालकाय गुफा वियतनाम के क्वांग बिन्ह प्रांत स्थित फांग न्हा-के-बांग (फांग-ना-के बंग / फॉन्गन्हा-के बैंग) नेशनल पार्क में मिली है। फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी गुफा (पुराना रिकॉर्ड) मलेशिया के द्वीप बोर्नो के डीर (Deer ) केव को माना जाता है। यह 328 फीट ऊंची और 295 फीट चौड़ी है। पर सों दूंग से काफी छोटी है। नई खोजी की गई हेंग सेन डूंग (मांउटेन रिवर केव) गुफा इससे दो गुनी बड़ी है। इसे खोजने वाले दल के एक सदस्य ए. स्पिलेन का कहना है कि गुफा का आकार आश्चर्यजनक रूप से बड़ा है। स्पिलेन के मुताबिक 1991 में एक स्थानीय व्यक्ति हो कान्ह इस गुफा तक पहुंचा था, लेकिन इसकी जानकारी दुनिया के सामने अब ही आ पाई है। वियतनाम का वह क्षेत्र जहाँ ऐसे चुना पत्थर की गुफाएं भरे परे है। उनके विषय में जानना खोजकर्ताओं के लिए बहुत कठिन काम है। खोजी दल ने इन गुफाओं का आकार जानने के लिए लेजर तकनीक का प्रयोग किया है।

गुफा में चमकता पानी
हेंग-सेंग-डॉन्ग को माउंटेन रीवर के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह राओ थुनोई नदी के नजदीक है। यहां की तस्वीरें लेने वाले जर्मन फोटोग्राफर कार्सटन (कर्स्टन) पीटर ने बताया कि उन्होंने 2010 में इस जगह को कुछ ब्रिटिश और जर्मन गुफा-खोजियों (केवर्स) के साथ देखा था। उनका इरादा गुफा के अनदेखे पहलुओं को कैमरे में कैद करना था। दो हफ्ते गुफा में बिताने वाले कर्स्टन ने बताया कि इस दौरान हमने गुफा के कुछ नए हिस्सों को देखा और उनकी चुनौतीपूर्ण तस्वीरें खींची।

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