रविवार, 31 मार्च 2013

एफ़िल टॉवर (Eiffel‎ Tower)


एफ़िल टॉवर (Eiffel‎ Tower) 


एफ़िल टॉवर (Eiffel‎ Tour) फ्रांस की राजधानी पैरिस में स्थित एक लौह टावर है। इसका निर्माण 1887 से 1889 के बीच में शैम्प-दे-मार्स में सीन नदी के तट पर पैरिस में हुआ था। यह टावर विश्व में उल्लेखनीय निर्माणों में से एक और फ़्रांस की संस्कृति का प्रतीक है। एफ़िल टॉवर की रचना गुस्ताव एफ़िल के द्वारा की गई है और उन्हीं के नाम पर एफ़िल टॉवर का नामकरण हुआ है। पूरा होने पर गुस्ताव एफिल ने टावर के ऊपर फ्रांस का झंडा लगाया। एफ़िल टॉवर की रचना 1889 के वैश्विक मेले के लिए की गई थी। जब एफ़िल टॉवर का निर्माण हुआ उस वक़्त वह दुनिया की सबसे ऊँची इमारत थी। आज की तारीख में टॉवर की ऊँचाई 324 मीटर है, जो की पारंपरिक 81 मंज़िला इमारत की ऊँचाई के बराबर है। इस पर सबसे ऊपर पहुंचने के लिए लिफ्ट का प्रयोग किया जाता है। बग़ैर एंटेना शिखर के यह इमारत फ़्रांस के मियो (Millau‎) शहर के फूल के बाद दूसरी सबसे ऊँची इमारत है। यह तीन मंज़िला टॉवर पर्यटकों के लिए साल के 365 दिन खुला रहता है। यह टॉवर पर्यटकों द्वारा टिकट खरीद के देखी गई दुनिया की इमारतों में अव्वल स्थान पे है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ताज महल जैसे भारत की पहचान है, वैसे ही एफ़िल टॉवर फ़्रांस की पहचान है। जब इसका निर्माण हुआ था, तब यह दुनिया का सबसे ऊंचा टावर था, मगर अब यह फ्रांस की पांचवीं सबसे ऊंची इमारत है।

इतिहास
26 जनवरी 1887 को पेरिस के शौं दे मार्स में एफिल टॉवर की नींव रखी गयी। फ्रांसीसी क्रांति के सौ साल पूरे होने के अवसर पर इसे बनाया गया। 1889 में, फ़्रांसीसी क्रांति के शताब्दी महोत्सव के अवसर पर, वैश्विक मेले का आयोजन किया गया था। इस मेले के प्रवेश द्वार के रूप में सरकार एक टावर बनाना चाहती थी। इस टावर के लिए सरकार के तीन मुख्य शर्तें थीं :--
1. टावर की ऊँचाई 300 मीटर होनी चाहिए
2. टावर लोहे का होना चाहिए
3. टावर के चारों मुख्य स्तम्भ के बीच की दूरी 125 मीटर होनी चाहिए।
सरकार द्वारा घोषित की गईं तीनों शर्तें पूरी की गई हो ऐसी 107 योजनाओं में से गुस्ताव एफ़िल की परियोजना मंज़ूर की गई। मौरिस कोच्लिन (Maurice Koechlin‎) और एमिल नुगिएर (Emile Nouguier‎) इस परियोजना के संरचनात्मक इंजिनियर थे और स्ठेफेंन सौवेस्ट्रे (Stephen Sauvestre‎) वास्तुकार थे। 300 मजदूरों ने मिलके एफ़िल टावर को 2 साल, 2 महीने और 5 दिनों में बनाया जिसका उद्घाटन 31 मार्च 1889 में हुआ और 6 मई से यह टावर लोगों के लिए खोला गया। 300 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले एफिल टॉवर को दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का खिताब मिला। इसके बाद इसने दुनिया भर के लेखकों, कवियों और संगीतकारों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
दुनिया के सात अजूबों में शुमार एफिल टावर को जब बनाया गया, तो इसे पेरिस की खूबसूरती खराब करने वाली इमारत का नाम दिया गया था। हालाँकि एफ़िल टावर उस समय की औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था और वैश्विक मेले के दौरान आम जनता ने इसे काफी सराया, फिर भी कुछ नामी हस्तियों ने इस इमारत की आलोचना की और इसे "नाक में दम" कहके बुलाया। उस वक़्त के सभी समाचार पत्र पैरिस के कला समुदाय द्वारा लिखे गए निंदा पत्रों से भरे पड़े थे। एफिल टॉवर को हटाने की मांग करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी में कई कलाकार भी शामिल थे। इन लोगों ने टॉवर को पेरिस पर एक दाग और शर्मनाक बताया।
विडंबना की बात यह है की जिन नामी हस्तियों ने शुरुआती दौर में इस टावर की निंदा की थी, उन में से कई हस्तियाँ ऐसी थीं जिन्होंने बदलते समय के साथ अपनी राय बदली। ऐसी हस्तियों में नामक संगीतकार शार्ल गुनो (Charles Gounod‎) जिन्होंने 14 फ़रवरी 1887 के समाचार पत्र "Le Temps " में एफ़िल टावर को पैरिस की बेइज़त्ति कहा था, उन्होंने बाद में इससे प्रेरित होकर एक "concerto " (यूरोपीय संगीत का एक प्रकार) की रचना की।
शुरुआती दौर में एफ़िल टावर को केवल 20 साल की अवधि के लिए बनाया गया था जिसे 1909 में नष्ट करना था। लेकिन इन 20 साल के दौरान टावर ने अपनी उपयोगिता वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में साबित करने के कारण आज भी एफ़िल टावर पैरिस की शान बनके खड़ा है।
1921 में यहीं से फ्रांस में पहला रेडियो प्रसारण हुआ। प्रथम विश्व युद्ध में हुई मार्न की लड़ाई में भी एफ़िल टावर का बख़ूबी इस्तेमाल पैरिस की टेक्सियों को युद्ध मोर्चे तक भेजने में हुआ था। हालांकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इस पर काफ़ी खतरा मंडराता रहा। फ्रांस की सेना को इस बात का डर था कि हिटलर की सेना एफिल टॉवर को सूचना निकलवाने के लिए इस्तेमाल कर सकती है। इसे नष्ट करने के आदेश भी दिए गये थे। लेकिन एफिल टॉवर इस बुरे वक्त से बिना किसी नुकसान के बाहर निकल आया।

आकार
एफ़िल टावर एक वर्ग में बना हुआ है जिसके हर किनारे की लंबाई 125 मीटर है। 116 ऐटेना समेत टावर की ऊँचाई 324 मीटर है और समुद्र तट से 335 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। लोहे से बने इस टॉवर को आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता है। इसके निर्माण के लिए 7,300 टन लोहा का इस्तेमाल हुआ। इसे जंग से बचाने के लिए हर सातवें साल इस पर करीब 60 टन पेंट लगाया जाता है।

भूमितल
टावर के चारों स्तंभ चार प्रमुख दिशाओं में बने हुए हैं और उन्हीं दिशाओं के अनुसार स्तंभों का नामकरण किया गया है जैसे कि उत्तर स्तंभ, दक्षिण स्तंभ, पूरब स्तंभ और पश्चिम स्तंभ। फ़िलहाल, उत्तर स्तम्भ, दक्षिण स्तम्भ और पूरब स्तम्भ में टिकट घर और प्रवेश द्वार है जहाँ से लोग टिकट ख़रीदार टावर में प्रवेश कर सकते हैं। उत्तर और पूरब स्तंभों में लिफ्ट की सुविधा है और दक्षिण स्तम्भ में सीढ़ियां हैं जो की पहेली और दूसरी मंज़िल तक पहुँचाती हैं। दक्षिण स्तम्भ में अन्य दो निजी लिफ्ट भी हैं जिनमें से एक सर्विस लिफ्ट है और दूसरी लिफ्ट दूसरी मंज़िल पर स्थित ला जुल्स वेर्नेस (Le Jules Vernes‎) नामक रेस्टोरेंट के लिए है।

पहेली मंज़िल
57 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एफ़िल टावर की प्रथम मंज़िल का क्षेत्रफल 4200 वर्ग मिटर है जो की एक साथ 3000 लोगों को समाने की क्षमता रखता है। मंज़िल की चारों ओर बाहरी तरफ एक जालिदार छज्जा है जिसमें पर्यटकों की सुविधा के लिए पैनोरामिक टेबल ओर दूरबीन रखे हुए हैं जिनसे पर्यटक पैरिस शहर के दूसरी ऐतिहासिक इमारतों का नज़ारा देख सकते हैं। गुस्ताव एफ़िल की ओर से श्रद्धांजलि के रूप में पहेली मंज़िल की बाहरी तरफ 18 ओर 19 सदी के महान वैज्ञानिकों का नाम बड़े स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है जो नीचे से दिखाई देता है। बच्चों के लिए एक फ़ॉलॉ गस (Suivez Gus‎) नामक प्रदर्शन है जिसमें खेल-खेल में बच्चों को एफ़िल टावर के बारे में जानकारी दी जाती है। बड़ों के लिए भी कई तरह के प्रदर्शन का आयोजन होता है जैसे की तस्वीरों का, एफ़िल टावर का इतिहास ओर कभी-कभी सर्दियों में आइस-स्केटिंग भी होती है। कांच की दीवार वाला 58 Tour Eiffel नामक रेस्टोरेंट भी है जिनमें से पर्यटक खाते हुए शहर की खूबसूरती का लुत्फ़ उठा सकते हैं। साथ में एक कैफ़ेटेरिया भी है जिसमें ठंडे-गरम खाने पीने की चीजें मिलती हैं।

दूसरी मंज़िल
115 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एफ़िल टावर की दूसरी मंज़िल का क्षेत्रफल 1650 वर्ग मीटर है जो कि एक साथ 1600 लोगों को समाने की क्षमता रखता है। दूसरी मंज़िल से पैरिस का सबसे बेहतर नज़ारा देखने को मिलता है, जब मौसम साफ़ हो तब 70 किलोमीटर तक देख सकते है। इसी मंज़िल पर एक कैफ़ेटेरिया और सुवनिर खरीदने की दुकान स्थित है। दूसरी मंज़िल के ऊपर एक उप-मंज़िल भी है जहाँ से तीसरी मंज़िल के लिए लिफ्ट ले सकते है। यहाँ, ला जुल्स वेर्नेस नामक रेस्टोरेंट स्थित है, यहाँ सिर्फ़ एक निजी लिफ्ट के द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। जिन प्रवासियों ने दूसरी मंज़िल तक की टिकट खरीदी है ऐसे प्रवासी अगर तीसरी मंज़िल का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं तो उनके लिए एक टिकट घर भी है जहाँ से वे तीसरी मंज़िल की टिकट ख़रीद सकते हैं।

तीसरी मंज़िल
275 मीटर की ऊँचाई पर एफ़िल टावर की तीसरी मंज़िल का क्षेत्रफल 350 वर्ग मीटर है जो कि एक साथ 400 लोगों को समाने की क्षमता रखता है। दूसरी से तीसरी मंज़िल तक सिर्फ़ लिफ्ट के द्वारा ही जा सकते है। इस मंज़िल को चारों ओर से कांच से बंद किया है। यहाँ गुस्ताव एफ़िल की ऑफ़िस भी स्थित है जिन्हे कांच की कैबिन के रूप में बनाया गया है ताकि प्रवासी इसे बाहर से देख सके। इस ऑफ़िस में गुस्ताव एफ़िल की मोम की मूर्ति रखी है। तीसरी मंज़िल के ऊपर एक उप-मंज़िल है जहाँ पर सीढ़ियों से जा सकते है। इस उप-मंज़िल की चारों ओर जाली लगी हुई है और यहाँ पैरिस की खूबसूरती का नज़ारा लेने के लिए कई दूरबीन रखे हैं। इस के ऊपर एक दूसरी उप मंज़िल है जहाँ जाना निषेध है। यहाँ रेडियो और टेलिविज़न की प्रसारण के ऐन्टेने है।

अन्य जानकारी
पर्यटक
हर साल लाखों लोग इसे देखने के लिए पेरिस पहुंचते हैं। पिछले कई सालों से हर साल तक़रीबन 65 लाख से 70 लाख प्रवासियों ने एफ़िल टावर की सैर की है। सबसे ज़्यादा 2007 में 6960 लाख लोगों ने टावर में प्रवेश किया था। 1960 के दशक से जब से मास टूरिज़म का विकास हुआ है तब से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2009 में हुए सर्वे के अनुसार उस साल जितने पर्यटक आए थे, उनमें से 75% परदेसी थे जिनमे से 43% पश्चिम यूरोप से ओर 2% एशिया से थे। 2011 में 70 लाख से अधिक लोग इसे देखने पहुंचे। यहां सबसे ज्यादा टूरिस्ट रात के समय आते हैं, क्योंकि रात को एफिल टावर से पैरिस का नजारा बहुत खूबसूरत लगता है।

रात की रोशनी
हर रात को अंधेरा होने के बाद 1 बजे तक (और गर्मियों में 2 बजे तक) एफ़िल टावर को रोशन किया जाता है ताकि दूर से भी टावर दिख सके। 31 दिसंबर 1999 की रात को नई सदी के आगमन के अवसर पर एफ़िल टावर को अन्य 200000 बल्बों से रोशन किया गया था जिससे हर घंटे क़रीब 5 मिनट तक टावर झिलमिलाता है। चूंकि लोगों ने इस झिलमिलाहट को काफ़ी सराया इसलिए आज की तारीक़ में भी यह झिलमिलाहट सूर्यास्त के बाद हर एक घंटे पर पांच मिनट के लिए टावर जगमगाता है। ऐसी भी योजना है की एफिल टॉवर को छह लाख पौधों से ढक दिया जाये, ताकि यह एक विशाल पेड़ जैसा दिखे।

पहेली मंज़िल का नवीकरण
2012 से 2013 तक पहली मंज़िल का नवीकरण की प्रक्रिया होने वाली है जिसके फलस्वरूप वह ज़्यादा आधुनिक और आकर्षिक हो जाएगी। कई तरह के बदलाव होंगे जिनमे से मुख्य आकर्षण यह होगा कि उसके फ़र्श का एक हिस्सा कांच का बनाया जाएगा जिस पर खड़े होकर पर्यटक 60 मिटर नीचे की ज़मीन देख सकेंगे।






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