गुर्दे की पथरी
दुनिया में लाखों ऐसे मरीज है जो गुर्दे की पथरी से परेशान है। यह रोग पीड़ा देने के साथ साथ और भी अनेक तकलीफ पैदा करता है। गुर्दे की पथरी एक आम बीमारी है जो अक्सर गलत खान पान की वजह से होता है। जरुरत से कम पानी पीने से भी गुर्दे की पथरी का निर्माण होता है।अगर किसी कारण से पेशाब गाढा हो जाता है तब शरीर में पथरी होना शुरू हो जाता है। जब नमक एवं अन्य खनिज (जो आपके मूत्र में मौजूद होते हैं) वे एक दूसरे के संपर्क में आते है तो पथरी का निर्माण होने लगता है पहले छोटे-छोटे दाने बनते हैं बाद में दाने बढ जाते हैं जो गुर्दे की पथरी के रूप में जाना जाता है।
गुर्दे की पथरी का आकार अलग अलग हो सकता है; कुछ पथरी रेत के दानों की तरह बहुत हीं छोटे आकार के होते हैं तो कुछ बहुत हीं बड़े। आमतौर पर छोटे मोटे पथरी मूत्र के जरिये शरीर के बाहर निकल जाया करते हैं लेकिन जो पथरी आकार में बड़े होते हैं वे मूत्र निष्काशन के समय बाहर नहीं निकल पाते एवं मूत्र के बाहर निकलने में बहुत हीं बाधा डालते हैं जिससे बहुत हीं पीड़ा उत्पन्न होती है।
पथरी का दर्द कभी-कभी बर्दाश्त से बाहर हो जाता है। पथरी होने पर पेशाब करने में बहुत दिक्कत होती है और कई बार पेशाब रूक जाता है। पथरी होने की कोई उम्र नहीं होती है, यह किसी भी उम्र में हो जाती है।
गुर्दे की पथरी कैसे बनती है - (सबसे आम बीमारी किडनी की) रोजाना भोजन करते समय उनमें जो कैल्शियम फॉस्फेट आदि तत्व रह जाते हैं, पाचन क्रिया की विकृति से इन तत्वों का पाचन नहीं हो पाता है। वे गुर्दे में एकत्र होते रहते हैं। कैल्शियम, फॉस्फेट के सूक्ष्म कण तो मूत्र द्वारा निकलते रहते हैं, जो कण नहीं निकल पाते वे एक दूसरे से मिलकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं। पथरी बड़ी होकर मूत्र नली में पहुंचकर मूत्र अवरोध करने लगती है। तब तीव्र पीड़ा होती है। रोगी तड़पने लगता है। इलाज में देर होने से मूत्र के साथ रक्त भी आने लगता है जिससे काफी पीड़ा होती है।
गुर्दे की पथरी होने के कुछ सामान्य लक्षण
जब गुर्दे की पथरी मूत्रवाहिनी में घुमती है या इधर से उधर होती है तब बहुत हीं पीड़ा देती है। यदि आपको मूत्र विसर्जन के समय अक्सर पीड़ा का एहसास होता हो तो यह गुर्दे की पथरी का एक लक्षण हो सकता है। पीड़ा के अलावा मूत्र विसर्जन के वक़्त पेशाब में जलन हो तो यह काफी हद तक इस बात का संकेत देता है कि आपको गुर्दे की पथरी की समस्या है। लेकिन पेशाब में जलन कई और कारणों से भी हो सकते हैं। इसलिए घबराएं नहीं और अगर आपको पेशाब में जलन की शिकायत अक्सर होती हो तो डाक्टरी जाँच अवश्य करवाएं। भूख में कमी या भूख मिटना, पेशाब में बदबू, पेशाब में रक्त के अंश का पाया जाना एवं चक्कर आना गुर्दे की पथरी होने के कुछ अन्य लक्षण हैं।
जिन महिलाएं को मासिक धर्म के दौरान पेट (उदर) के निचले भाग में अक्सर दर्द की शिकायत रहती हो उन्हें भी अपनी डाक्टरी जांच अवश्य करवानी चाहिए क्योंकि यह भी गुर्दे की पथरी होने का संकेत हो सकता है।
गुर्दे की पथरी से निजात पाने के कुछ कारगर घरेलू उपाय
अंगूर का सेवन करें :
अंगूर गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में उत्कृष्ट रूप से कार्य करता है क्योंकि इनमें पोटेशियम नमक और पानी भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर में अलबूमीन और सोडियम क्लोराइड बहुत हीं कम मात्रा में होते हैं जिनकी वजह से इन्हें गुर्दे की पथरी के उपचार के लिए बहुत हीं उत्तम माना जाता है।
विटामिन बी 6 लिया करें
विटामिन बी 6 गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं प्रभावकारी साबित होता है। अगर विटामिन बी -6 को विटामिन बी ग्रुप के अन्य विटामिन के साथ सेवन किया जाये तो गुर्दे की पथरी के इलाज में काफी सहायता मिलती है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया है कि इस बी विटामिन की 100 से 150 मिलीग्राम की एक दैनिक खुराक गुर्दे की पथरी की चिकित्सीय उपचार में बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह विटामिन मष्तिष्क सम्बन्धी विकारों को भी दूर करता है। तुलसी के पत्तों में विटामिन बी पाया जाता है इसलिए तुलसी के कुछ ताजे पत्तों को रोजाना चबाया करें।
प्याज (कांदा) खाएं :
प्याज में गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए औषधीय गुण पाए जाते हैं। अगर आप सही ढंग से इस घरेलू उपचार का पालन करेंगे तो आपको इसका हैरान कर देने वाला परिणाम मिलेगा। आपको इसका रस पीना है लेकिन पके हुए प्याज का। इसके लिए आप दो मध्यम आकर के प्याज लेकर उन्हें अच्छी तरह से छिल लें। फिर एक बर्तन में एक ग्लास पानी डालें और दोनों प्याज को मध्यम आंच पर उसमें पका लें। जब वे अच्छी तरह से पक जाये तो उन्हें ठंढा होने दें फिर उन्हें ब्लेंडर में डालकर अच्छी तरह से ब्लेंड कर लें। तत्पश्चात उनके रस को छान लें एवं इस रस का तीन दिनों तक लगातार सेवन करते रहे। यह घरेलू उपाय राम बाण का काम करता है और दूसरे दिन से हीं गुर्दे की पथरी को बाहर निकालना शुरू कर देता है।
उपरोक्त उपायों के साथ साथ पथरी होने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। शरीर में पानी की कमी होने से गुर्दे में पानी कम छनता है। पानी कम छनने से शरीर में मौजूद कैल्शियम, यूरिक एसिड और दूसरे पथरी बनाने वाले तत्व गुर्दे में फंस जाते हैं जो बाद में धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेते हैं।
पथरी के लिए घरेलू उपचार –
* नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है। पथरी होने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।
* 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
* पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
* आंवला भी पथरी में बहुत फायदा करता है। आंवला का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।
* जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है और पथरी निकल जाती है।
* सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा।
* मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पीजिए। पथरी निकल जाएगी।
* चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है, उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए। हो सके कोल्ड्रिंक ज्यादा मात्रा में पीजिए।
* तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।
* जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
* बेल पत्थर को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह काली मिर्च खाएं। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन ऐसे सात काली मिर्च तक पहुंचे।
* आठवें दिन से काली मिर्च की संख्या घटानी शुरू कर दें और फिर एक तक आ जाएं। दो सप्ताह के इस प्रयोग से पथरी समाप्त हो जाती है। याद रखें एक बेल पत्थर दो से तीन दिन तक चलेगा।
* मूली के 100 ग्राम रस में मिश्री मिलाकर बासी मुंह पीने से गुर्दे का दर्द ठीक होता है व पथरी कट-कट कर निकलने लगती है।
* तुलसी की पत्तियां, अजवाइन 10-10 ग्राम, 5 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर, कूट पीस प्रतिदिन प्रातः 2-2 ग्राम चूर्ण हल्के गर्म जल के साथ लें।
* 15 दाने बड़ी इलायची एक चम्मच खरबूजे का बीज 2 चम्मच मिश्री, सबको पीसकर, एक कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिये गुर्दे की पथरी गलने लगती है।
* प्रतिदिन चौलाई का साग खाने से पथरी गलकर निकलने लगती है।
* करेले के 20 ग्राम रस में मधु मिलाकर प्रतिदिन पीने से पथरी नष्ट होकर मूत्र के साथ निकलने लगती है।
* खीरे का रस दिन में 2-3 बार पीने से गुर्दे की पथरी नष्ट हो जाती है।
* प्रतिदिन जामुन खाये गुर्दे की पथरी कट कर निकलने लगती है।
* प्रतिदिन सहजन की फल्ली खायें पथरी कटकर मूत्र के साथ निकलने लगती है।
* 100 ग्राम नारियल पानी, 10 ग्राम पालक का रस मिलाकर पीने से दो सप्ताह में पथरी नष्ट हो जाती है।
* कच्चे पालक का रस पीने से पथरी होती ही नहीं।
* जौ का पत्ती का रस पीने से पथरी निकल जाती है। पथरी के रोगियों को जौ से बनी रोटी खानी चाहिये। जौ का सत्तू खायें। इससे पथरी पिघलने लगती है और पथरी बनती ही नहीं।
गुर्दे की पथरी के कुछ प्राकृतिक उपाय
गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए अक्सर लोग कोई ऐसा समाधान चाहते हैं जिसका कोई कुप्रभाव न हो। ऐसा ही एक उपाय है प्राकृतिक उपाय जो गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत ही कारगर साबित होता है साथ हीं साथ शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता।
गुर्दे की पथरी दूर करने के कुछ प्राकृतिक उपाय
अनार के बीज और हार्स ग्राम:
अनार मीठे हों या न हों, उनके बीज गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं अहम भूमिका निभाते हैं। एक चमच्च अनार के बीज को पीस कर उसका पेस्ट बना लें और फिर दो चमच्च होर्से ग्राम तथा अनार के बीज के पेस्ट को एक कप पानी में एक साथ मिलाकर सूप बना लें। ठंढा होने पर इस सूप का सेवन करें। कुछ दिन लगातार इस सूप का सेवन करने से आपको गुर्दे की पथरी की समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिल जायेगा।
निम्बू का रस एवं जैतून का तेल (ओलिव आयल):
जैतून का तेल (ओलिव आयल) एवं निम्बू का रस मिलकर तैयार किया गया मिश्रण गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं कारगर साबित होता है। 60 मिली लिटर निम्बू के रस में उतनी हीं मात्रा में जैतून का तेल (ओलिव आयल) मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इनके मिश्रण का सेवन करने के बाद भरपूर मात्रा में पानी पीते रहें।
इस प्राकृतिक उपचार से बहुत जल्द हीं आपको गुर्दे की पथरी से निजात मिल जायेगा साथ हीं साथ पथरी से होने वाली पीड़ा से भी आपको मुक्ति मिल जाएगी।
किडनी बिन्स :
किडनी की पथरी यानि गुर्दे की पथरी को दूर करने का किडनी बिन्स बहुत हीं प्रभावकारी प्राकृतिक उपचार है। किडनी बिन्स यानि सेम की फली से गुर्दे की पथरी के उपचार हेतु आप औषधी तौयार कर सकते हैं। सबसे पहले आप किडनी बिन्स यानि सेम की फली सेम से अगल कर लें और उन्हें पतले दुकड़ों में तरास/काट लें। अब इन टुकड़ों का 50-60 ग्राम लें और लगभग 4 लिटर स्वच्छ/शुद्ध पानी में तकरीबन 6 घंटों तक धीमी आंच पर उबालें। तत्पश्चात रस को साफ कपड़े या छलनी से छान लें और तकरीबन 6 घंटे तक ठंढा होने दें। गुर्दे की पथरी के मरीजों को सलाह दी जाती है कि इलाज के पहले दिन वे इसके रस को हर दो घंटे पर पीते रहें। अगले दिनों में भी या अगले हफ्ते में भी जितनी ज्यादा बार इसे पियेंगे उतना हीं ज्यादा फायदा मिलेगा। तैयार किये जाने के बाद इस रस का असर 24 घंटों के बाद कम होने लगता है इसलिए हमेशा ताजे रस का सेवन करना हीं फायदेमंद होता है।
कार्बनिक अजवाइन:
जिन लोगों को गुर्दे की पथरी होने का खतरा हो उनके लिए कार्बनिक अजवाइन का नियमित रूप से सेवन करना अनिवार्य है। कार्बनिक अजवाइन के बीज एवं सब्जी, दोनों हीं गुर्दे के लिए टॉनिक का काम करते हैं। ये आपको गुर्दे की पथरी से बचाते हैं और यदि आप इसके शिकार हो गए हैं तो उसे दूर करने में काफी मददगार साबित होते हैं। इसे मसाले के रूप में उपयोग किया जा सकता है अथवा पानी में उबाल कर चाय की तरह पिया जा सकता है।
सावधानियां -
गुर्दे के रोगी को कुछ चीजें खाते समय सावधानी बरतनी चाहिये। जैसे दूध तथा दूध से बनी चीजें, मख्खन, पनीर, अधिक न खायें। बीयर वाईन अधिक न लें। अचार, चटनी, अधिक न खायें। मांस, मछली, मुर्गा अधिक न खायें।
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