भोजपुरी कहावत, लोकोक्ति अउर मुहावरा
भोजपुरी जनता द्वारा बोलल जाए वाला कुछ हिंदी में अनुवादित मुहावरा, भोजपुरी न समझे वाला लोगन के भी इ समझ आवे एहलिये एकर हिंदी अनुवाद और अर्थ भी दिहल जात हवे। इ सब कहावत आप भोजपुरिया समाज के गाँव अउर आस पास के क्षेत्रन में आसानी से सुनल जा सकेला, एही खातिर इ सब मुहावरा अउर कहावत में समाज और माटी के भीना-भीना सुगंध भी मिलल हवे। कवनो समाज के अगर पूरा तरह जाने के होखे त ओ समाज के मुहावरा और कहावत सुने के चाही काहें से कि एक-एक मुहावरा अउर कहावत में ओह समाज के चिंतन अउर जीवन के सार भरल होला।भोजपुरी मधुर और सरस लोक भाषा है। कहावतें किसी भाषा की जान होती हैं। कहावतों को लोकोक्ति (लोक + उक्ति = जन सामान्य द्वारा कही और उद्दृत किए जानेवाला कथन) भी कहा जाता है। अंगरेजी में इसे saying, maxim या phrase कहते हैं। कहावत का प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है अर्थात कहावत का वाक्य में प्रयोग किया जाना आवश्यक नहीं है। सिर्फ कहावत कही जाये तो भी उसका आशय, मतलब या भावार्थ व्यक्त हो जाता है। मुहावरों (Idioms) का संकलन अलग किया जा रहा है।
त प्रस्तुत बा कुछ भोजपुरी कहावत और मुहावरा ...
1 :- पूरी के पेट सोहारी से नाहीं भरी।
अनुवाद- पूड़ी का पेट सोहारी से नहीं भरेगा।
अर्थ- रुचि अनुसार भोजन होना चाहिए।
2 :- सब चाही त काम आँटी।
अनुवाद- सब चाहेंगे तो काम अँटेगा।
अर्थ- अगर सब लोग काम में हाथ बटाएँ तो काम मिनटों में समाप्त हो जाए।
3 :- सेतिहा के साग गलपुरना के भाजी।
अनुवाद- मुफ्त का साग गलपुरना की भाजी।
अर्थ- किसी वस्तु के होते हुए भी उसे और लाना जैसे लगे की मुफ्त की हो।
4 :- नेबुआ तs लेगइल सागे में मती डाले।
अनुवाद- नेंबू तो ले गया, साग में मत डाले।
अर्थ- किसी वस्तु के गलत प्रयोग होने की आशंका।
5 :- छिया-छिया गप-गप।
अनुवाद- छी-छी गप-गप।
अर्थ- किसी वस्तु को खराब भी कहना और उसका उपयोग भी करना।
6 :- बाबा के धियवा लुगरी अउरी भइया के धियवा चुनरी।
अनुवाद- दादा की बेटी लुगरी और भाई की बेटी चुनरी।
अर्थ- बुआ से अधिक मान बहन का होने पर कहा जाता है। यानि जो रिस्ते में जितना करीब उसका उतना ही मान।
7 :- सबकुछ खइनी दुगो भुजा ना चबइनी।
अनुवाद- सब कुछ खाया दो भुजा न चबाया।
अर्थ- भरपेट खाने के बाद भी इधर-उधर देखना कि कुछ खाने को मिल जाए।
8 :- हाथी आइली हाथी आइली पदलसी भढ़ाक दे।
अनुवाद- हाथी आयी, हाथी आयी पादी भढ़ाक दे।
अर्थ- अफवाह फैलने पर कहा जाता है यानि झूठी बात।
9 :- जवन रोगिया के भावे उ बैदा फुरमावे।
अनुवाद- जो रोगी को अच्छा लगे वही वैद्य बतावे।
अर्थ- किसी को वही काम करने को कहना जो उसको अच्छा लगे।
10 :- आन की धन पर कनवा राजा।
अर्थ- दूसरे की वस्तु पर अपना अधिकार समझना।
11 :- बड़ के लइका पादे त बाबू के हवा खुली गइल अउरी छोट के पादे त मार सारे पदले बा ।
अनुवाद- बड़ का लड़का पादे तो बाबू का हवा खुल गया और छोट का पादे तो मार साला पाद दिया।
अर्थ- बड़ को इज्जत और छोट का अपमान।
12 :- बुढ़वा भतार पर पाँची गो टिकुली।
अनुवाद- बुढ़े पति पर पाँच टिकली।
अर्थ- वह काम करना जिसकी आवश्यकता न हो।
13 :- बेटा अउरी लोटा बाहरे चमकेला।
अनुवाद- पुत्र और लोटा बाहर ही चमकता है।
अर्थ- जैसे लोटे का बाहरी भाग चमकता है वैसे ही पुत्र घर के बाहर नाम रोशन करता है यानि इज्जत पाता है।
14 :- खेतिहर गइने घर दाएँ बाएँ हर।
अनुवाद- खेतिहर गए घर दाएँ बाएँ हल।
अर्थ- मालिक के हटते ही काम करनेवाला कामचोरी करे।
15 :- खेत खा गदहा अउरी मारी खा जोलहा।
अनुवाद- खेत खाए गदहा और मार खाए जोलहा।
अर्थ- गलती करनेवाले को सजा न देकर किसी और को देना।
16 :- रहे निरोगी जे कम खाया, काम न बिगरे जो गम खाया।
अर्थ- कम खाना और गम खाना अच्छा होता है।
17 :- केरा (केला), केकड़ा, बिछू, बाँस इ चारो की जमले नाश।
अर्थ- इन चारों की संतान ही इनका नाश कर देती है।
18 :- सांवा खेती, अहिर मीत, कबो-कबो होखे हीत।
अनुवाद एवं अर्थ-- साँवा की खेती और अहिर की दोस्ती कभी-कभी ही लाभदायक होते हैं।
19 :- आगे के खेती आगे-आगे, पीछे के खेती भागे जागे।
अर्थ- उपयुक्त समय की खेती अच्छी होती है लेकिन पीछे की गई खेती भाग्य पर निर्भर होती है।
20 :- बकरी के माई कबले खर जिउतिया मनाई।
अनुवाद- बकरी की माँ कबतक खर जिउतिया मनाएगी।
अर्थ- जो होना है वह होगा ही।
21 :- दस (आदमी) के लाठी एक (आदमी) के बोझ।
अर्थ- एकता में शक्ति है।
22 :- जवने पतल में खाना ओही में छेद करना।
अनुवाद- जिस पत्तल में खाना उसी में छेद करना।
अर्थ- विश्वासघात करना।
23 :- रोग के जड़ खाँसी।
अर्थ- खाँसी रोगों की जड़ है।
24 :- मन चंगा त कठवती में गंगा।
अनुवाद- मन चंगा तो कठवत में गंगा।
अर्थ- मन की पवित्रता सर्वोपरि है।
25 :- सौ पापे बाघ मरेला।
अनुवाद- सौ पाप करने पर बाघ मरता है।
अर्थ- अति सर्वत्र वर्जयेत। पाप का घड़ा भरेगा तो फूटेगा ही ।
26 :- बाभन, कुकुर, भाँट, जाति-जाति के काट।
अर्थ- ब्राह्मण, कुत्ता और भाँट अपनी जाति के लोगों के ही दुश्मन होते हैं।
27 :- गाइ बाँधी के राखल जाले साड़ नाहीं।
अनुवाद- गाय बाँधकर रखी जाती है, साड़ नहीं।
अर्थ- मर्द की अपेक्षा औरत पर ज्यादे निगरानी रखना।
28 :- जीअत पर छूँछ भात, मरले पर दूध-भात।
अनुवाद- जीवित रहने पर केवल भात, मरने पर दूध-भात।
अर्थ- मरने के बाद आदर बढ़ जाना।
29 :- एगो पूते के पूत अउरी एगो आँखी के आँखि नाहीं कहल जाला।
अनुवाद- एक पूत को पूत और एक आँख को आँख नहीं कहा जाता।
अर्थ- संतान एक से अधिक ही अच्छी है।
30 :- लोहा के लोहे काटेला।
अनुवाद- लोहे को लोहा काटता है।
अर्थ- समान प्रकृतिवाला ही भारी पड़ता है।
31 :- एगो हरे गाँव भरी खोंखी।
अनुवाद- एक हर्रे,गाँवभर खाँसी।
अर्थ- एक अनार सौ बीमार।
32 :- बबुआ बड़ा ना भइया, सबसे बड़ा रुपइया।
अर्थ- पैसे का ही महत्व होना।
33 :- लबर-लबर लंगरो देवाल फानें।
अनुवाद- जल्दी-जल्दी लंगड़ी महिला दीवाल फाँदे ।
भावार्थ :- पारंगत न होते हुए भी आगे बढ़कर कोई काम शुरु कर देना।
34 :- बूनभर तेल करिआँवभरी पानी।
अनुवाद :- बूँदभर तेल और कमर तक पानी।
भावार्थ :- कम में काम चल जाए फिर भी ज्यादे का उपयोग।
35 :- गइयो हाँ अउरी भइँसियो हाँ।
अनुवाद :- गाय भी हाँ और भैंस भी हाँ ।
भावार्थ :- गलत या सही का भेद न करते हुए किसी के हाँ में हाँ मिलाना।
36 :- भगीमाने के हर भूत हाँकेला।
अनुवाद :- भाग्यवान का हल भूत हाँकता (चलाता) है।
भावार्थ :- भाग्यवान का भाग्य आगे-आगे चलता है।
37 :- दुलारी घिया के कनकटनी नाव।
अनुवाद :- दुलारी बेटी का कनकटनी नाम।
भावार्थ :- ज्यादे दुलार बच्चों को बिगाड़ सकता है।
38 :- साँचे कहले साथ छुटेला।
अनुवाद :- सच्चाई कहने से साथ छूटता है।
भावार्थ :- सच्चाई कहने से दुश्मनी हो जाती है।
39 :- साँच के आँच नाहीं लागेला।
अनुवाद :- साँच को आँच नहीं।
भावार्थ :- सच्चा का अहित नहीं होता ना ही डर।
40 :- हँसुआ की बिआहे में खुरपी के गीत।
अनुवाद :- हँसुआ की विवाह में खुरपी का गीत।
भावार्थ :- जहाँ जो करना चाहिए वह न करके कुछ और करना।
41 :- साँपे के काटल रसियो देखी के डेराला।
अनुवाद :- जिसको साँप काट देता है वह रस्सी को भी देखकर डरता है।
भावार्थ :- दूध का जला छाछ भी फूँककर पीता है।
42 :- जइसन देखीं गाँव के रीती ओइसन उठाईं आपन भीती।
अनुवाद :- जैसा देखें गाँव की रीत वैसा उठाएँ अपनी भीत।
भावार्थ :- समय को देखते हुए काम करें।
43 :- दूसरे की कमाई पर तेल बुकुआ।
भावार्थ :- दूसरे के पैसे से मौजमस्ती करना।
44 :- उपास से मेहरी के जूठ भला।
अनुवाद :- उपास से अपनी पत्नी का जूठ अच्छा।
भावार्थ :- बहुत कुछ न होने से कुछ होना भी ठीक है।
45 :- मारे छोहन छाती फाटे अउरी आँसू के ठेकाने नाहीं।
अनुवाद :- मारे प्रेम से छाती फाटे और आँसू का ठिकाना ही नहीं।
भावार्थ :- दिखावामात्र घड़ियाली आँसू बहाना।
46 :- कुत्ता काटे अनजान के अउरी बनिया काटे पहचान के।
अर्थ- कुत्ता अपरिचित को काटता है और बनिया पहचान वाले को ठगता है।
47 :- बिधी के लिखल बाँव ना जाई।
अनुवाद- विधि का लिखा गलत नहीम होगा।
अर्थ- विधि का लिखा अवश्य घटित होगा।
48 :- गइल माघ दिन ओनतीस बाकी।
अनुवाद- गया माघ दिन उनतीस बाकी।
अर्थ- समय (अच्छा हो या बुरा) व्यतीत होते देर नहीं लगती।
49 :- गाइ ओसर अउरी भँइस दोसर।
अनुवाद- गाय पहलौठी और भैंस दूसरे।
अर्थ- पहली बार ब्याई हुऊ गाय और दूसरी बार ब्याई हुई भैंस अच्छी मानी जाती हैं।
50 :- जेकरी छाती बार नाहीं, ओकर एतबार नाहीं।
अनुवाद- जिसके सीने पर बाल नहीं, उसका भरोसा नहीं।
अर्थ- जिस मर्द के सीने पर बाल न हो, उसका भरोसा नहीं करना चाहिए।
51 :- मुरुगा ना रही त बिहाने नाहीं होई।
अनुवाद- मुर्गा नहीं रहेगा तो सुबह नहीं होगी।
अर्थ- किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता।
52 :- देखादेखी पाप अउरी (और) देखादेखी धरम।
अर्थ- देखादेखी लोग अच्छे और बुरे कर्म करते हैं।
53 :- जे केहु से ना हारे उ अपने से हारेला।
अनुवाद एवं अर्थ- जो किसी से नहीं हारता है उसे किसी अपने (सगे) से हारना पड़ता है।
54 :- नरको में ठेलाठेली।
अनुवाद- नरक में भी ठेलाठेली।
अर्थ- कहीं भी आराम नहीं।
55 :- चाल करेले सिधरिया अउरी रोहुआ की सीरे बितेला।
अनुवाद- चाल करती है सिधरी और रोहू के सिर बितता है।
अर्थ- गल्ती करे कोई और, पकड़ा जाए कोई और।
56 :- करजा के खाइल अउरी पुअरा के तापल बरोबरे हS।
अनुवाद- कर्जा का खाना और पुआल तापना बराबर होता है।
अर्थ- कर्जा लेना अच्छा नहीं होता।
57 :- ढुलमुल बेंट कुदारी अउरी हँसी के बोले नारी।
अनुवाद- हिलता बेंत कुदाल का और हँस के बोले नारी।
अर्थ- दोनों से बचिए, खतरा कर सकती हैं।
58 :- कनवा के देखि के अँखियो फूटे अउरी कनवा बिना रहलो न जाए।
अनुवाद- काना व्यक्ति को देखकर आँख भी फूटे और उसके बिना काम भी न चले।
अर्थ- ऐसे व्यक्ति से घृणा करना जिसके बिना काम न चले।
59 :- हरिकल मानेला परिकल नाहीं मानेला।
अनुवाद- हड़कल मान जाता है लेकिन परिकल नहीं मानता है। हड़कल यानि पानी के अभाव में एकदम कड़ा हो गया (खेत) जिसमें हल भी नहीं धँसता है। (परिकल यानि वह व्यक्ति जिसे किसी चीज का चस्का लग गया हो और उसके लिए वह उस काम को बार-बार करता हो)
अर्थ- खेत अगर हड़क जाए तो उसे धीरे-धीरे खेती योग्य बनाया जा सकता है लेकिन परिकल व्यक्ति कतई नहीं मानता।
60 :- जेकर बहिन अंदर ओकर भाई सिकनदर।
अनुवाद- जिसकी बहन अंदर उसका भाई सिकंदर।
अर्थ- भाई अपने विवाहित बहन के घर में बेखौफ आता जाता है।
Nice
जवाब देंहटाएंNICE
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएं