दूधसागर झरना (Dudhsagar Waterfall)
दूधसागर झरना एक चार स्तरों वाला एक जलप्रपात हैं। दूधसागर भारत का एकमात्र झरना है, जो दो राज्यों की सीमा पर स्थित है। गोवा-कर्नाटक बॉर्डर से मंडोवी नदी गुजरती है, जिस पर दूधसागर झरना स्थित है। यह झरना कर्नाटक और गोवा राज्यों के बीच सीमा रेखा का काम करता है।
दूधसागर जलप्रपात अपने नाम के अनुरूप ही है। करीब 310 मीटर की ऊंचाई से गिर रहा कलकल साफ पानी दूध की तरह लगता है। यही वजह है कि इसका नाम दूधसागर जलप्रपात रख दिया गया। दूधसागर शब्द का अर्थ है 'दूध के सागर'। यह झरना विश्व के सुंदर और लोकप्रिय झरनों में से एक है।
दूधसागर झरने को विदेशों में "मिल्क ऑफ सी' भी कहा जाता है।
यह सड़क मार्ग से पणजी से 60 किलोमीटर दूर है और मडगांव-बेलगाम रेल मार्ग पर मडगांव से 46 किमी पूर्व में और बेलगाम से 80 किमी दक्षिण मडगांव-बेलगाम में स्थित है।
दूधसागर झरना सबसे ऊँचे झरनों की सूची में भारत में 5वें और विश्व में 227वें स्थान पर है। इस झरना की ऊंचाई 310 मीटर (1017 फुट) और औसत चौड़ाई 30 मीटर (100 फुट) के बीच है।
दूधसागर झरने के सामने से रेलवे लाइन भी गुजरती है। जो गोवा को कर्नाटक से जोड़ता है।
मानसून के बाद यहां जाना ठीक रहता है।दूधसागर झरना मानसून के दौरान देसी और विदेशी पर्यटकों को ज़्यादा आकर्षित करता है। मानसून के समय इस झरने की खूबसूरती और बढ़ जाती है।
यह जलप्रपात पश्चिमी घाट के फॉल्स भगवान महावीर अभयारण्य और मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान के बीच स्थित है। पर्णपाती जंगलों से घिरा हुआ यह जलप्रपात एक समृद्ध जैव विविधता से भरा हुआ है। यदयपि शुष्क मौसम के दौरान, यह जलप्रपात बहुत ही सुखा दिखता हैं लेकिन मानसून के मौसम में जब इसमें पानी की अधिकता हो जाती हैं तब यह काफी भव्य दीखता हैं।
यह जलप्रपात बॉलीवुड कलाकारों का पसंदीदा जगह है यहाँ बहुत से फिल्म की शूटिंग की जा चुकी है। अभी हाल ही में शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस के कुछ दृश्य यहां फिल्माए गए थे।
दूधसागर जलप्रपात की कथा
दूधसागर अर्थात् दूध का सागर। इस नाम के पीछे भी एक रोचक कथा है।
इस कथा के अनुसार पश्चिमी घाटों के मध्य एक झील हुआ करती थी जहां एक राजकुमारी अपनी सखियों सहित स्नान करने प्रतिदिन आती थी। स्नानोपरांत वे घड़े भर दूध का सेवन करती थीं। एक दिवस वे झील के जल में अठखेलियाँ कर रही थीं। तब वहां से जाते एक नवयुवक की दृष्टी उन पर पड़ी और वह वहीं ठहर कर उन्हें निहारने लगा। अपनी लाज रखने हेतु राजकुमारी की सखियों ने दूध का घडा झील में उड़ेल दिया ताकि दूध की परत के पीछे वे स्वयं को छुपा सकें।
कहा जाता है कि तभी से इस प्रपात का दूधिया जल अनवरत बह रहा है।
इस रोचक कथा को सुनने के पश्चात जब आप इस प्रपात के जल को देखेंगे तो वह अवश्य दूधिया प्रतीत होगी।
कैसे पहुंचे :-
सड़क मार्ग - दूधसागर झरने तक पहुँचने का एक मार्ग भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य से जाता हैं इस रास्ते से जाने का एकमात्र रास्ता हरे भरे जंगल और कलकल बह रही नदियों से हो कर जाता हैं। जो काफी मनमोहक होते हैं वर्तमान में यही मार्ग झरने तक पहुँचने के एकमात्र रास्ता है।
सड़क मार्ग - दूधसागर झरने तक पहुँचने का एक मार्ग भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य से जाता हैं इस रास्ते से जाने का एकमात्र रास्ता हरे भरे जंगल और कलकल बह रही नदियों से हो कर जाता हैं। जो काफी मनमोहक होते हैं वर्तमान में यही मार्ग झरने तक पहुँचने के एकमात्र रास्ता है।
रेल मार्ग - झरने तक पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन कैसेल रॉक स्टेशन है जो की दूधसागर से लगभग 40 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यहाँ से आप टैक्सी लेकर जलप्रपात तक पहुँच सकते है।
वायुमार्ग - नजदीकी हवाई अड्डा गोवा में है।
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