स्टीफन विलियम हॉकिंग (Stephen William Hawking, जन्म- 8 जनवरी, 1942, ऑक्सफोर्ड, इंग्लैण्ड; मृत्यु- 14 मार्च, 2018, यूनाइटेड किंगडम) एक विश्व प्रसिद्ध ब्रितानी भौतिक विज्ञानी, ब्रह्माण्ड विज्ञानी, लेखक और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केन्द्र (Centre for Theoretical Cosmology) के शोध निर्देशक थे। उन्हें 'लुकासियन प्रोफेसर ऑफ मैथेमेटिक्स' भी कहा जाता है। नब्बे फीसदी विकलांग होने के बावजूद उनकी क्षमता का लोहा पूरी दुनिया मानती है। महान् वैज्ञानिक स्टीफन विलियम हॉकिंग मोटर न्यूरॉन डिजीज से पीड़ित होकर भी आइजैक न्यूटन और एल्बर्ट आइंस्टाइन की बिरादरी में शामिल हो गये थे। आज समाज में ऐसे कम ही लोग मिलते हैं, जिन्होंने अपनी इंद्रियों पर विजय पाई हो।
प्रारंभिक जीवन
स्टीफन विलियम हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी, 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में हुआ था। गौरतलब है कि यही वह तारीख थी, जिस दिन महान खगोल वैज्ञानिक (Astronomer) गैलिलियो का भी जन्म हुआ था। गैलीलियो की मृत्यु के ठीक 300 साल बाद हॉकिंग का जन्म हुआ था। उनके माता-पिता का घर उत्तरी लंदन में था। लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान लंदन की अपेक्षा ऑक्सफोर्ड अधिक सुरक्षित था, जिसके कारण हॉकिंग का परिवार ऑक्सफोर्ड में बस गया। जब वे आठ साल के थे तो वे उत्तरी लंदन से बीस मील दूर सेंट अलबेंस में बस गए। आठ वर्ष की आयु में वे रेडियो तथा अन्य कलपुर्जों को खोलकर जोड़ते रहते जिससे उनके अंदर वस्तुओं को जानने की जिज्ञासा ने जन्म लिया।
11 साल की उम्र तक उन्होंने सेंट एलबेंस स्कूल में पढ़ाई की। फिर वे ऑक्सफोर्ड के यूनिवर्सिटी कॉलेज चले गए। स्टीफ़न हॉकिंग ने यूनिवर्सिटी कॉलेज, ऑक्सफ़ोर्ड में अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा 1959 में 17 वर्ष की आयु में शुरू की।
उनकी रुचि बचपन से गणित में थी, लेकिन पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे। चूंकि उनके पिता खुद एक डॉक्टर थे और इसीलिए वे ऐसा चाहते थे। पर संयोगवश उनकी आगे की पढ़ाई भौतिकी विषय में हुई क्योंकि उन दिनों कॉलेज में गणित की पढ़ाई उपलब्ध नहीं थी और धीरे-धीरे इसी विषय से कॉस्मोलॉजी सेक्शन में पढ़ाई की।
मेधावी छात्र
स्टीफन हॉकिंग एक मेधावी छात्र थे, इसलिए स्कूल और कॉलेज में हमेशा अव्वल आते रहे। तीन सालों में ही उन्हें प्रकृति विज्ञान (नैचरल साइंस) में प्रथम श्रेणी की ऑनर्स की डिग्री मिली। जो कि उनके पिता के लिए किसी ख्वाब के पूरा होने से कम नहीं था। गणित को प्रिय विषय मानने वाले स्टीफन हॉकिंग में बड़े होकर अंतरिक्ष-विज्ञान में एक ख़ास रुचि जगी। यही वजह थी कि जब वे महज 20 वर्ष के थे, कैंब्रिज कॉस्मोलॉजी विषय में रिसर्च के लिए चुन लिए गए। ऑक्सफोर्ड में कोई भी ब्रह्मांड विज्ञान में काम नहीं कर रहा था उन्होंने इसमें शोध करने की ठानी और सीधे पहुंच गए कैम्ब्रिज। प्रफेसर स्टीफन हॉकिंग ने 1965 में 'प्रॉपर्टीज ऑफ एक्सपैंडिंग यूनिवर्सेज' विषय पर अपनी पीएचडी पूरी की थी।
कैम्ब्रिज में उन्होंने कॉस्मोलॉजी यानी ब्रह्मांड विज्ञान में शोध किया। इसी विषय में उन्होंने पी.एच.डी. भी की। अपनी पी.एच.डी. करने के बाद जॉनविले और क्यूस कॉलेज के पहले रिचर्स फैलो और फिर बाद में प्रोफेशनल फैलो बने। यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। लेकिन हॉकिंग ने वही किया जो वे चाहते थे।
महज 32 वर्ष की उम्र में साल 1974 में हॉकिंग ब्रिटेन की प्रतिष्ठित रॉयल सोसाइटी के सबसे कम उम्र के सदस्य बने। पांच साल बाद उन्हें 1979 से लेकर 2009 तक कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में उन्हें लूकैसियन प्रोफेसर और गणित के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया। इस पद पर जहां 1669 से 1702 तक महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (सर आइजैक न्यूटन) नियुक्त थे और फिर 1669 में इसहाक बैरो द्वारा संभाला गया था।
संयुक्त परिवार में भरोसा रखने वाले हॉकिंग आज भी अपने तीन बच्चों और एक पोते के साथ रहते थे।
स्टीफन के अंदर एक ग्रेट साइंटिस्ट की क्वालिटी बचपन से ही दिखाई देने लगी थी। दरअसल, किसी भी चीज़ के निर्माण और उसकी कार्य-प्रणाली को लेकर उनके अंदर तीव्र जिज्ञासा रहती थी। यही वजह थी कि जब वे स्कूल में थे, तो उनके सभी सहपाठी और टीचर उन्हें प्यार से 'आइंस्टाइन' कहकर बुलाते थे। हालांकि, उनके ग्रेड्स कम आते थे। हॉकिंग की सरलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक ओर वे सुदूर अंतरिक्ष के रहस्य सुलझाते हैं तो दूसरी ओर टीवी पर भी नजर आते हैं। ब्रिटेन के कई चैनलों ने उन्हें लेकर कई प्रोगाम बनाए हैं। सैद्धांतिक भौतिकी, अंतरिक्ष विज्ञान से लेकर कार्टूनों और बच्चों की काल्पनिक और कोमल दुनिया में भी वे बड़ी आसानी से घूम आते हैं।
माता-पिता
स्टीफ़न हॉकिंग के माता-पिता फ्रेंक और इसाबेल हॉकिंग थे। परिवार वित्तीय बाधाओं के बावजूद, माता पिता दोनों की शिक्षा ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में हुई जहाँ फ्रेंक ने आयुर्विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की और इसाबेल ने दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। वो दोनों द्वितीय विश्व युद्ध के आरम्भ होने के तुरन्त बाद एक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में मिले जहाँ इसाबेल सचिव के रूप में कार्यरत थी और फ्रेंक चिकित्सा अनुसंधानकर्ता के रूप में कार्यरत थे।
परिवार
हॉकिंग ने दो बार शादी की। पहली पत्नी जेन विल्ड थीं जिनसे ग्रेजुएशन के दौरान ही हॉकिंग ने शादी की थी, ये 30 साल तक साथ रहे। 1995 में इनका तलाक हो गया। इसके बाद हॉकिंग ने एलेन मैसन से शादी की।
स्टीफन हॉकिंग की बीमारी
हॉकिंग के जज्बे को उनके चिकित्सकों से लेकर पूरी दुनिया सिर झुकाती है। हॉकिंग का शरीर भले ही उनका साथ नहीं दे पाता है लेकिन अपने दिमाग के कारण उनकी तुलना आइंस्टाइन के समतुल्य की जाती है। हॉकिंग का आईक्यू (Intelligence Quotient ) 160 है। जो कि आईक्यू का उच्चतम स्तर है।
वे एक न ठीक होने वाली बीमारी यानी स्टीफ मोटर न्यूरॉन डिजीज नाम की एक ऐसी बीमारी से पीडित हैं। जिसमें मरीज़ धीरे-धीरे शरीर के किसी भी अंग पर अपना नियंत्रण खो देता है और इंसान सामान्य ढंग से बोल या चल नहीं सकता है। इस बीमारी में पूरा शरीर पैरालाइज्ड हो जाता है। व्यक्ति सिर्फ अपनी आंखों के जरिए ही इशारों में बात कर पाता है।
दरअसल, चिकित्सकों को जब इस बीमारी का पता चला, तो उन्होंने यहां तक कह डाला था कि अब स्टीफन हॉकिंग ज़्यादा दिनों तक नहीं जिंदा रह सकेंगे। लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी बीमारी को कमज़ोरी नहीं बनने दिया। साल 1963 में जब हॉकिंग 21 साल के थे तो उन्हें एम्योट्रोफिक लेटरल स्कलोरेसिस (Amyotrophic Lateral Sclerosis (ALS)) नाम बीमारी की वजह से लकवा मार गया था। हॉकिंग को जब यह पता चला कि वे मोटर न्यूरॉन डिजीज से पीडि़त हैं, तो उन्हें दु:ख ज़रूर हुआ, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। दरअसल, उन्हें यह नहीं समझ में आ रहा था कि वे शेष जीवन को कैसे और किस मकसद के साथ जीएं। ऐसे में उन्हें एक ही बात सूझी और वह कि चाहे कितनी भी बुरी परिस्थिति आए, उसे पूरी जिंदादिली के साथ जीओ। यही कारण है कि उन्होंने न केवल जेने वाइल्ड नामक अपनी प्रेमिका से शादी की, बल्कि अपनी पढ़ाई को भी आगे जारी रखा। हालांकि, यह सब करना आसानी से संभव नहीं था। क्योंकि उनके अंगों ने उनका साथ छोड़ दिया था और धीरे-धीरे उनकी जुबान भी बंद हो गई। अब वे न चल-फिर सकते थे और न ही अपनी बात को बोलकर किसी से शेयर ही कर सकते थे। अंतत: वह समय भी आया, जब डॉक्टरों ने व्हील-चेयर के सहारे शेष जीवन गुजारने की सलाह दे दी। इस बीमारी से पीड़ित लोग आमतौर पर 2 से 5 साल तक ही जिंदा रह पाते हैं, लेकिन वह दशकों जिए।
स्टीफन हॉकिंग के दिमाग को छोड़कर उनके शरीर का कोई भी अंग काम नहीं करता था। इसके बावजूद साइंस की दुनिया में हॉकिंग अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे।
क्या है मोटर न्यूरॉन बीमारी?
मोटर न्यूरॉन बीमारी में ब्रेन के न्यूरो सेल पर असर होता है। 1869 में केरकांट के न्यूरोलाजिस्ट जॉन मार्टिन इस बीमारी का पता लगाया था। बीमारी को एम.एन.डी. के नाम से भी जाना जाता है। एम.एन.डी दो स्टेज में होती है। पहले चरण में यह न्यूरॉन सेल को खत्म करता है। दूसरी स्टेज में ब्रेन से शरीर के अन्य अंगों तक सूचना पहुंचना बंद हो जाता है। इस बीमारी में मरीज को खाने, चलने, बोलने और सांस लेने करने में दिक्कत होती है। बीमारी बढ़ने के साथ ही मांसपेशियां कमजोर और ढीली पड़ने लगती है। शरीर के हर अंगों में सेंसेशन होता है लेकिन प्रतिक्रिया नहीं होती।
स्टीफन हॉकिंग का व्हील-चेयर
हालांकि यह कोई सामान्य व्हीलचेयर नहीं है, बल्कि इसमें वे सारे इक्विपमेंट्स लगे हुए हैं, जिनके माध्यम से वे विज्ञान के अनसुलझे रहस्यों के बारे में दुनिया को बता सकते हैं। उनकी व्हील चेयर के साथ एक विशेष कम्प्यूटर और स्पीच सिंथेसाइजर लगा हुआ है। जिसके सहारे वे पूरी दुनिया से बात करते हैं। हॉकिंग का सिस्टम इंफ्रारेड ब्लिंक स्विच से जुड़ा हुआ है। जो उनके चश्मे में लगाया गया है। इसी के माध्यम से वे बोलते हैं। इसके अलावा उनके घर और ऑफिस के गेट रेडियो ट्रांसमिशन से जुड़ा हुआ है। हॉकिंग का जज़्बा ऎसा है कि वे पिछले कई दशकों से अपनी व्हील चेयर पर बैठे-बैठे अंतरिक्ष विज्ञान की जटिल पहेलियों और रहस्यों को सुलझा रहे हैं। इसमें वे काफ़ी हद तक सफल भी रहे। ब्लैक होल को लेकर हॉकिंग की थ्योरी बड़ी मजेदार है। इसमें हॉकिंग ने कहा है कि ब्रह्मांड में ब्लैक होल का अस्तित्व तो है लेकिन वे हमेशा काले नहीं होते। इसका मतलब यह है कि ब्लैक होल में अनिवार्य रूप से गुम हो जाने वाली ऊर्जा और समस्त द्रव्यमान उनसे नई ऊर्जा के रूप में प्रस्फुटित होते रहते हैं। विख्यात भौतिकविद आइंसटाइन की एक टिप्पणी पर वे कमेंट करते हुए कहते हैं कि ईश्वर न सिर्फ बखूबी जुआ खेलता है बल्कि उसके फेंके गए पासे ऐसी जगह गिरते हैं जहां वे हमें दिखते नहीं हैं। हॉकिंग दुनिया के लिए कितने महत्त्वपूर्ण हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे जब भी कुछ बोलते या लिखते हैं तो दुनिया भर की मीडिया की नजर में छा जाते हैं।
स्टीफन हॉकिंग एक महान् वैज्ञानिक
दरअसल, जिस क्षेत्र में योगदान के लिए स्टीफन हॉकिंग को याद किया जाता है, वह कॉस्मोलॉजी ही है। कॉस्मोलॉजी, जिसके अंतर्गत ब्रह्मांड की उत्पत्ति, संरचना और स्पेस-टाइम रिलेशनशिप के बारे में अध्ययन किया जाता है। और इसीलिए उन्हें कॉस्मोलॉजी का विशेषज्ञ माना जाता है, जिसकी बदौलत वे थ्योरी ऑफ 'बिग-बैंग' और 1974 में 'ब्लैक होल्स' की नई परिभाषा गढ़ पाने में कामयाब हो सके थे। उन्होंने अपनी रिसर्च से यह साबित किया कि ब्लैक होल से भी रेडिएशन तरंगें निकलती हैं। इससे पहले माना जाता था कि गुरुत्वाकर्षण के कारण ब्लैक होल से कुछ भी बाहर नहीं आता है। इसलिए इस सिद्धांत को हॉकिंग रेडिएशन थ्योरी के नाम से जाना जाता है। हॉकिंग ने ही ब्लैक होल्स की लीक एनर्जी के बारे में बताया।
प्रोफेसर हॉकिंग पहली बार थ्योरी ऑफ कॉस्मोलॉजी लेकर आए। इसे यूनियन ऑफ रिलेटिविटी और क्वांटम मैकेनिक्स भी कहा जाता है।
साल 1988 में स्टीफन की चर्चित पुस्तक 'ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम: फ्रॉम द बिग बैंग टु ब्लैक होल्स' आज भी दुनिया की सबसे अमूल्य पुस्तकों में से एक है। इस किताब में उन्होंने बिग बैंग सिद्धांत, ब्लैक होल, प्रकाश शंकु और ब्रह्मांड के विकास के बारे में नई खोजों का दावा कर दुनिया भर में तहलका मचा दिया था। इसके बाद कॉस्मोलॉजी पर आई उनकी पुस्तक की 1 करोड़ से ज्यादा प्रतियां बिकी थीं। इसे दुनिया भर में साइंस से जुड़ी सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक माना जाता है।
इसके इलावा हॉकिंग ने द ग्रैंड डिजाइन, यूनिवर्स इन नटशेल, माई ब्रीफ हिस्ट्री, द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग जैसी कई प्रसिद्ध किताबें लिखीं।
उल्लेखनीय है कि उनके योगदानों के कारण उन्हें अब तक लगभग बारह सम्मानित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा, वे रॉयल सोसायटी और यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के एक सम्मानित सदस्य भी थे।
उन्होंने हॉकिंग रेडिएशन, पेनरोज-हॉकिंग थियोरम्स, बेकेस्टीन-हॉकिंग फॉर्मूला, हॉकिंग एनर्जी समेत कई अहम सिद्धांत दुनिया को दिए। उनके कार्य कई रिसर्च का बेस बने।
साल 2014 में स्टीफन हॉकिंग की प्रेरक जिंदगी पर आधारित फिल्म 'द थिअरी ऑफ एवरीथिंग' रिलीज हुई थी। जिसमें एडी रेडमैन ने हॉकिंग का किरदार अदा किया था और फेलिसिटी जोन्स ने प्रमुख भूमिका निभाई।
उनके पास अथाह ज्ञान का भण्डार था जिसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास 12 मानद डिग्रियां थीं।
100 सालों में मानव को दूसरा घर खोजने की दी थी सलाह
स्टीफेन हॉकिंग ने कहा था कि अगर मानव प्रजाति को बचाना है तो आगामी 100 सालों में हमें पृथ्वी से अलग किसी दूसरे ग्रह पर अपना घर तलाशने की शुरुआत करनी होगी। उन्होंने एक थ्योरी की माध्यम से इस बात की संभावना ज़ाहिर की थी कि आने वाले 1000 या 10000 सालों में पृथ्वी पर क्लाइमेट चेंज, महामारी, जनसंख्या वृद्धि या एस्टेरॉयड के टकराने जैसा कोई बड़ा हादसा हो सकता है। अगर हम ब्रह्मांड में दूसरा घर तलाश लेंगे तो मानव प्रजाति को बचाया जा सकता है।
निधन
एक परिवार के प्रवक्ता के मुताबिक, 14 मार्च 2018 की सुबह सुबह अपने घर कैंब्रिज में 'हॉकिंग की मृत्यु हो गई थी। स्टीफन हॉकिंग के बच्चों लुसी, रॉबर्ट और टिम ने उनके दुःख व्यक्त करने वाले एक बयान जारी किया था। वह 76 वर्ष के थे। वह 55 साल से मोटर न्यूरॉन बीमारी से पीड़ित थे।
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