क्या है कुट्टू
कुट्टू एक प्रकार का पौधा है, जिसकी बहुत सी नस्लें हैं। अधिकतर नस्लें जंगली हैं। कुट्टू का पौधा, ज्यादा बड़ा नहीं होता है। बकवीट का पौधा काफी तेजी के साथ बढ़ता है और 6 हफ्ते में इसकी लंबाई 50 इंच तक बढ़ जाती है। कुट्टू पौधे के सफेद फूल से निकलने वाले बीज से या कहा जाये तो इसे एक फल को महीन पीस कर इसका आटा तैयार किया जाता है। जिसे आमतौर पर सभी लोग कुट्टू का आटा बोलते हैं। इसका आकर एक त्रिभुज की आकृति जैसा होता है।
व्रत (उपवास) में कुट्टू (फाफर) का आटा (kuttu ka atta)
व्रत का हमारे भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म में ख़ास महत्व है। नवरात्र (Navaratri) हो, जन्माष्टमी हो, शिवरात्रि हो या अन्य कोई धार्मिक दिवस हर दिन व्रत रखा जाता है। व्रत में अनाज की जगह कुट्टू के आटे को खाया जाता है, इसके पीछे भी ख़ास कारण है। कुट्टू ना तो असली अनाज है और ना ही वनस्पति परिवार में घास परिवार का सदस्य है। हालांकि ज़्यादातर आटे अनाजों के बनते हैं और अनाज अधिकतर घास के परिवार के ही पौधे होते हैं। इसके आटा को भारतीय और अन्य क्षेत्रों के खानों में कईं इस्तेमाल हैं। मिसाल के तौर पर अवधी खाने में कुट्टू परांठा बनाया जाता है।
व्रत में पूरा दिन बिना खाये रहना पड़ता है, ख़ास कर अनाज नहीं खाया जाता है। ऐसा माना जाता है, कि व्रत वाले पूरे दिन अनाज न ग्रहण करने से व्रत रखने वाले का तन, मन और आत्मा शुद्ध होती है, इसके साथ ही भगवान् का आशीर्वाद व स्नेह भी प्राप्त होता है। व्रत में अनाज की जगह कुट्टू के आटा का सेवन एक बेहतरीन विकल्प है। खाने में भी इसका स्वाद सामान्य अनाज की तरह ही होता है
कुट्टू पोषक तत्वों का एक बिजलीघर है। इसमें लोहे, मैग्नीशियम, फाइबर और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा, इसमें सभी आवश्यक आठ अमीनो एसिड होते हैं। लस मुक्त होने के नाते यह गेहूं, राई, जौ और जई का उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है। कुट्टू का आटा प्रोटीन से भरपूर होता बताया जाता है और जिन्हें गेहूं से एलर्जी हो, उनके लिए बेहतरीन विकल्प है। व्रत में कुट्टू का आटा केवल एक मात्र विकल्प नहीं है। सिंघाड़े का आटा, शामक के चावल, साबूदाना, चौलाई आदि बहुत बढि़या विकल्प हैं।
विज्ञान
वनस्पति विज्ञान के मुताबिक यह पॉलीगोनाइसी फैमिली का होता है। इसका वनस्पति (लैटिन) नाम फैगोपाइरम एस्कुलेंटम (Fagopyrum esculentum) होता है। अंग्रेजी में कुटटू को बकव्हीट (buckwheat) कहते हैं। इसे पंजाब में ओखला बोला जाता है।
पैदावार
यह समान्यतया जंगली इलाकों में ही पाया जाता है। इसकी सबसे ज्यादा पैदावार रूस में होती है। उसके बाद चीन, यूक्रेन, फ्रांस, कज़ाकिस्तान और कई अन्य देश। भारत के करीब देखें तो सबसे ज्यादा भूटान के जंगली इलाकों में इसकी पैदावार है। भारत में कुट्टू बहुत अधिक जगहों पर नहीं उगाया जाता है। यह केवल हिमालय के भाग जैसे जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखण्ड, दक्षिण में नीलगिरी और नार्थ ईस्ट राज्यों में उगाया जाता है। हल्की गर्मियों के दिनों में दो फसलों के बीच किसान इसकी खेती करते हैं जो जमीन की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाता है।
कुट्टू के फायदे (स्वास्थ्य लाभ) – Kuttu ke Fayde
बकवीट शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। कुट्टू का आटा कई बीमारियों को दूर करने में काफी लाभदायक होता है।
1. कुट्टू का आटा वजन कम करने के लिए – Kuttu ka Atta for Weight Loss
कुट्टू में गेहूं या जौ की तुलना में कम कैलोरी होती है। यह संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल से मुक्त होता है। इसके अलावा यह आहार फाइबर और प्रोटीन में समृद्ध होता है। इसमें 75 प्रतिशत कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होते हैं और 25 प्रतिशत हाई क्वालिटी प्रोटीन की मात्रा होती है। जो शरीर का वजन कम करने में सहायक है। फाइबर आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगने देता और आपको भरा-भरा महसूस होता है और आप बार-बार खाने की आदत से बच जाते हैं। जिससे हमारा फैट काफी अच्छी तरह से कम होने लगता है। ये शरीर के लिए स्वास्थवर्धक भी है, इससे हमें किसी प्रकार की अंदुरूनी कमजोरी महसूस नहीं होती। इसलिए यह वजन कम करने में भी मददगार है। लेकिन अक्सर लोग इसे आलू के साथ मिक्स करके इसे पूरी या पराठे के रूप में खाते हैं जिससे इसके लाभ ठीक से नहीं मिल पाते हैं।
इसके अलावा यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है, पाचन को उचित और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. कुट्टू के फायदे बचाएँ मधुमेह (डायबिटीज) से – Kuttu Flour for Diabetes
कम कैलोरी और सेचुरेटेड फैट मुक्त होने के नाते, कुट्टू मधुमेह रोगियों के लिए एक बहुत ही अच्छा भोजन होता है। कुट्टू में एक औषधीय रसायन होता है जो केशिका की दीवारों को मजबूत करता है और रक्तस्राव को कम करता है। इस प्रकार इससे उच्च रक्तचाप और मधुमेह वाले लोगों में घातक स्ट्रोक और दिल के दौरे का खतरा कम होता है। कूटू में डी-शिरो-इनॉसिटोल भी पाया जाता है। डी-चिरो-इनॉसिटोल एक यौगिक है जिसकी टाइप II मधुमेह रोगियों में कमी होती है। टाइप 2 मधुमेह के नियंत्रण और उपचार के लिए यह यौगिक ज़रूरी होता है।
यह शरीर के इन्सुलिन को भी बढ़ने से रोकता है। फाइबर से भरपूर और ग्लिसेमिक इंडेक्स कम होने से यह डायब्टीज वालों के लिए बेहतर विकल्प है। कुट्टू के आटे का ग्लिसेमिक इंडेक्स 47 से 51 फीसदी होता है।
3. कुट्टू खाने के फायदे रखें उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में – Buckwheat for High Blood Pressure
बकवीट ब्लड प्रेशर व हार्ट के मरीज के लिए काफी फायदेमंद है। कुट्टू के आटे में फाइबर के अलावा मैग्नीशियम का एक अच्छा स्रोत है जो रक्त वाहिकाओं को आराम देकर रक्तचाप में सुधार करने में सहायक है। यह हानिकारक रसायनों के उपयोग के बिना स्वाभाविक रूप से उच्च रक्तचाप को कम करता है। इससे शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और ब्लड सर्कुलेशन को नियमित करने में मदद मिलती है, जिससे आपका ब्लड प्रेशर सही बना रहता है। कुट्टू में बहुत ही उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन होते हैं जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। अमीनो एसिड के साथ प्रोटीन का संयोजन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है।
इसमें अल्फा लाइनोलेनिक एसिड होता है, जो एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है और एलडीएल को कम करता है। इसमें ग्लूकोसाइड पाया जाता है। इसके खाने से जहां एक ओर उच्च रक्तचाप नियंत्रित रहता है, वहीं माइक्रोसर्कुलेशन बढ़ाता है। कुट्टे के आटे का निरंतर सेवन करने से लो ब्लड प्रेशर की समस्या से निजात दिलाने में सहायक होता है।
4. कुट्टू का आटा है हृदय के लिए लाभकारी – Buckwheat Good for Heart
विटामिन बी विशेष रूप से विटामिन बी 6, नियासिन, फोलेट से भरपूर होने के कारण कुट्टू हृदय स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। ये विटामिन्स रक्त में कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। नियासिन उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (HDL) में वृद्धि करता है जो रक्त वाहिका की ताकत में वृद्धि और कोलेस्ट्रॉल हटाने में मदद करता है। लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, तांबे और मैंगनीज जैसे खनिज (Minerals) रक्तचाप को कम करने और रक्त ऑक्सीजनकरण (Blood Oxygenation) में सुधार करने में सहायता करते हैं। कुट्टू में उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन होते हैं जो ट्राइग्लिसराइड्स और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (LDL) बनाने वाली प्लाक को हटा देते हैं। इस प्रकार कुट्टू कमजोर हृदय वाले लोगों और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है।
कुट्टू के आटे में आयरन, प्रोटीन्स-मिनरल्स के अलावा मैग्नीशियम, फॉस्फोरस विटामिन, एवं फाइबर आदि की भरपूर मात्रा में मौजूदगी ब्लड में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाते हैं। इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी समस्या दूर हो सकती है। इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट रुटीन भी होता है जो कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को कम करता है।
5. कुट्टू के गुण करें कैंसर का खतरा कम – Buckwheat for Cancer
अनुसंधान ने यह साबित कर दिया है कि कुट्टू जैसे होल ग्रेन फाइबर में समृद्ध आहार खाने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। वास्तव में, पूर्व-रजोनिवृत्त महिलाओं को होल ग्रेन फाइबर खाने से स्तन कैंसर के विकास का खतरा कम होता है। कुट्टू के एंटीऑक्सिडेंट गुणों को अक्सर एक्स-रे इरिडियेटर्स के लिए एक विषाक्त पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है। एंटीऑक्सिडेंट्स, लिग्नांस एस्ट्रोजेन रिसेप्शन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो रजोनिवृत्ति के दौरान या उसके बाद महिलाओं के लिए फायदेमंद होते हैं।
6. अस्थमा के लिए करे कुट्टू का सेवन – Buckwheat for Asthma
अनुसंधान के अनुसार, कुट्टू जैसे होल ग्रेन्स के उपयोग से बचपन के अस्थमा का लगभग 50 प्रतिशत तक जोखिम कम हो सकता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम और विटामिन ई की उच्च सामग्री बचपन के अस्थमा को कम करने में मदद कर सकती है।
7. कुट्टू करे पित्त की पथरी को रोकने में मदद – Kuttu for Gallstones
कुट्टू के आटे का सेवन करने से पथरी की समस्या से भी निजात दिलाने में सक्षम होता है क्योंकि इस आटे में फाइबर मात्रा खूब होती है। अघुलनशील फायबर का अच्छा स्रोत होने के कारण कूटू पित्त की पथरी को रोकने में मदद कर सकता है। अमेरिकन जरनल ऑफ गेस्ट्रोएनट्रोलॉजी के मुताबिक, 5 प्रतिशत ज्यादा घुलनशील फायबर लेने से गाल ब्लैडर की पत्थरी होने का खतरा 10 प्रतिशत कम हो जाता है। अघुलनशील फाइबर आंतों के माध्यम से भोजन को गति देता है जिससे इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। इसके साथ ही कुट्टू के आटा लीवर में बाइल एसिड बनने की प्रक्रिया को निंयत्रित करता है और रक्त शर्करा का स्राव कम करता है।
8. कुट्टू के आटे का उपयोग हड्डियों के लिए – Kuttu ka Atta for Healthy Bones
कूट्टू के आटे में मैगनीज के साथ प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में होती है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत जरूरी है। यह संयोजी ऊतकों, कैल्शियम के अवशोषण (Absorption), वसा और चीनी के चयापचय के गठन में भी सक्रिय रूप से शामिल है। मैग्नीशियम भी हड्डी और दंत स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। यह ऊर्जा के उत्पादन में मदद करता है। यह शरीर में कैल्शियम को सोखने में मदद करता है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस रोग का खतरा भी कम हो जाता है और जिससे गठिया रोग या हड्डी से संबंधित कोई भी बीमारी नहीं हो पाती है।
9. स्वस्थ और उज्ज्वल त्वचा के लिए खाएं कुट्टू – Kuttu ke Fayde for Skin
वर्तमान में त्वचा की समस्याएं चिंता का एक प्रमुख कारण है। स्वस्थ और उज्ज्वल त्वचा के लिए शरीर में पोषक तत्वों की उचित आपूर्ति होना आवश्यक है। त्वचा की गुणवत्ता मुख्य आनुवंशिक कारकों पर निर्भर करती है, लेकिन यह पर्यावरणीय कारकों से भी काफी प्रभावित होती है जैसे कि प्रदूषण, तनाव, जीवन शैली आदि। पोषक तत्वों का एक बिजलीघर होने के कारण कुट्टू त्वचा स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कुट्टू में अधिक मात्रा में रटिन पाया जाता है जो सूर्य के हानिकारक किरणों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए यह एक प्राकृतिक सनटैन लोशन माना जा सकता है। कूटू में मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट्स और फ्लेवोनोइड समय से पहले त्वचा की उम्र बढ़ने से रोकते हैं। कूटू में मौजूद मैग्नीशियम का रक्त वाहिकाओं पर एक आरामदायक प्रभाव पड़ता है जिससे रक्त परिसंचरण में सुधार होता है जिससे त्वचा चमकदार और जवां दिखाई देती है।
10. कुट्टू के आटे के लाभ बालों के लिए – Kuttu ke Atte ke Fayde for Hair
वर्तमान में बालों का झड़ना, दोमुँहे बाल, रूसी, बालों का पतला होना और गंजापन आदि कई बाल समस्याएं हैं। त्वचा की तरह, आवश्यक पोषक तत्वों की उचित आपूर्ति बाल कोश (Follicles) को मजबूत और स्वस्थ बनाने और क्षति मुक्त बालों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कूटू में कुछ आवश्यक पोषक तत्व शामिल हैं जो बालों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।
कुट्टू के आटे में आयरन, प्रोटीन्स के साथ 75% जटिल कार्बोहाइड्रेट (कांप्लेक्स कार्बोहाइड्रेट) की मात्रा पाई जाती है। होल ग्रेन-कार्बोहाइड्रेट बालों के उचित विकास के लिए अच्छे होते हैं। इसलिए कुट्टू के आटे का सेवन करने से बाल मजबूत, काले, घनें और मुलायम बनते है। इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित तौर पर इसकी बनी रोटियां खाने से बालों से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं। कूटू विटामिन ए, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन्स और जस्ता में परिपूर्ण है, यह बालों के विकास के लिए अत्यधिक सहायक है। बालो के विकास और स्वास्थ्य के लिए विटामिन बी 6 या पाइरोडॉक्सिन महत्वपूर्ण होता है। पानी में घुलनशील होने के कारण, यह विटामिन शरीर में संग्रहीत नहीं किया जा सकता है। इसे कुछ भोजन स्रोत से पुन: प्राप्त किया जा सकता है। कूटू विटामिन बी 6 का एक बड़ा स्रोत है।
कुट्टू के अन्य फायदे – Other Benefits of Kuttu
कूटू कम हीमोग्लोबिन और लगातार सर्दी और फ्लू के इलाज में बहुत प्रभावी होता है।
विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की अपनी उच्च सामग्री के कारण कूटू लीवर विकारों और बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए मददगार है।
कूटू मानसिक स्वास्थ्य में भी योगदान देता है।
इसको खाने से सांस से संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इसे खाने से ऑक्सीजन का बहाव तेज होता है।
कुट्टू के आटे की रोटी खाने से शरीर को बहुत एनर्जी मिलती है, जिसकी वजह से शरीर की अंदरूनी कमजोरी दूर हो जाती है।
इसमें ट्रिप्टोफैन होता है जो एक सकारात्मक तरीके से मूड को प्रभावित करता है, इस प्रकार यह मूड को खुश और अवसाद को रोकने में मदद करता है।
सेलियक रोग से पीड़ितों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है।
बकवीट से बनती हैं दवाइया भी
कई दवाइयों में बकवीट का उपयोग किया जाता है।
इतना ही नहीं न्यूजीलैंड में तो फसल पर कीड़ों की रोकथाम के लिए कुट्टू पर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। इसके अलावा हल्की गर्मियों के दिनों में दो फसलों के बीच किसान इसकी खेती करते हैं। जो जमीन की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाता है।
यह एक जड़ीबूटी है, जिसे ब्लडप्रेशर, मधुमेह, आदि की दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है। दवाओं में इस्तेमाल होने वाला कुट्टू अपने रासायनिक व्यवहार के कारण बदनाम है। डॉक्टारों के अनुसार कुटटू का आटा गरम होता है। इससे शरीर में कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है। कुटटू में वसा अधिक होती है।
कूटू के नुकसान – Kuttu ke Nuksan
यदि आपको कूटू से एलर्जी होती है तो आपको इसका सेवन नहीं करना चाहिए। एलर्जी होने पर उल्टी, चक्कर आना, सांस की तकलीफ और गला बंद हो जाना जैसी गंभीर प्रतिक्रिया हो सकती है।
एक चौथाई कप कूटू के आटे में 3 ग्राम आहार फाइबर होता है। आहार फाइबर की यह मात्रा गैस्ट्रोइंटेन्स्टीन लक्षण जैसे गैस और ऐंठन का कारण बन सकती है, विशेषकर इरिटबल बोवेल सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में।
इसकी उच्च वसा वाली सामग्री के कारण कूटू का आटा जल्दी सड़ जाता है। कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी एक्सटेंशन के मुताबिक गर्मियों के महीनों में कूटू का आटा जल्दी खराब हो जाता है और इससे आपके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। लंबे समय तक बासी कूटू का आटा खाने से आपकी कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है।
कूटू के आटे का सेवन 2-3 महीने के अंदर कर लेना चाहिए। पिछले साल या ज्यादा पुराने कूटू के आटे का उपयोग नहीं करना चाहिए इससे आपको फूड पाइज़निंग होने का ख़तरा रहता है।
सावधानी से प्रयोग
इसका सावधानी से प्रयोग किया जाना चाहिए इसके आटे का प्रयोग अधिकतम एक माह तक उपयोग में लाया जा सकता है। कुट्टू के आटे में मिलावट की जा सकती है और इसे विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदना चाहिए। पिछले साल का बचा हुआ आटा भी प्रयोग नहीं करना चाहिए, इससे फूड-प्वॉयजनिंग हो सकती है।
कुट्टू का ज्यादा पुराना आटा सेहत खराब कर सकता है। बाजार में इस आटे के छोटे-छोटे पैकेट उपलब्ध होते हैं। ऐसे में कितने समय पहले यह पीसे गए, कुछ नहीं कहा जा सकता। जिन दुकानदारों के पास यह आटा बच जाता है, वह इसे अगली बार के लिए रख लेते हैं। कुट्टू के आटे को आप हमेशा तारीख देखकर लें और पैकेट खोलने पर अगर उसमें स्मेल आए तो इसे इस्तेमाल न करें।
जहां तक हो सके ताजा आटा ही प्रयोग करना चाहिए। आटे में बैक्टीरिया और फंगस लग जाते हैं। कुटटू का आटा ज्यादा दिनों तक रखे होने की स्थिति में माइक्रोटाक्सिन का निर्माण हो जाता है, जोकि शरीर के लिए हानिकारक है। खराब कुटटू के आटे को खाने से उल्टी के साथ चक्कर आने लगते हैं। बेहोशी भी आ सकती है। शरीर ढीला पडऩे लगता है। डाक्टरों के अनुसार ज्यादा दिनों तक रखे कुटटू के आटे से बने पकवान खाने से लोग फूड प्वाइजनिंग के शिकार होते हैं।
कुट्टू के आटे में फंगस बिना साफ किए कुट्टू के पीसने से उत्पन्न होता है। कई बार-छोटे-छोटे बैक्टीरिया व कीड़े बिना सफाई के कुट्टू में पिस जाते हैं, कीडे़-मकोड़ों के आटे में पिसने से माइक्रो-टॉक्सिन उसमें बन जाते हैं। जिनके विषैलपन से फूड-प्वायजनिंग हो जाती है। इसके अलावा दही के साथ कुट्टू खाने से भी फूडप्वाइजिंग हो जाती है।
सही मायने में कुट्टू का आटा खाने से लोगों के अस्पताल तक पहुंचने के जिम्मेदार वो फैक्ट्री वाले हैं, जो खराब कुट्टू को पीसकर आटा बाजार में बेचते हैं। वे लोग जिम्मेदार हैं, जो ठीक से इस आटा की पैकेजिंग नहीं करते और नमीं के संपर्क में आने पर इस आटा में रासायनिक क्रियायें होती हैं और यह जहर बन जाता है।
आटा खाने लायक है या नहीं कैसे पता लगाएं
- कुट्टू का आटा छूकर देखें, यह खुरदुरा न हो और ना ही इसमें बीच-बीच में काले दाने नजर आएं, क्योंकि इसका मतलब है कि इसमें फंगस है या लगने वाला है।
- बाजार से कुट्टू का आटा खरीदते समय खुला आटा लेने से बचें, इसकी जगह पैकेट में बंद आटा खरीदें क्योंकि इसमें फंगल लगने की संभावना कम होगी।
- कूट्टू का आटा खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह आटा बहुत ज्यादा समय से रखा हुआ या पुराना न हो।
- कुट्टू के आटे को आप हमेशा तारीख देखकर लें और पैकेट खोलने पर अगर उसमें स्मेल आए तो इसे इस्तेकमाल न करें।
- अकसर लालच में दुकानदार पिछले वर्ष का बचा हुआ माल बेचते हैं। जिसमें काफी जल्दी सुरसुरी (खाद्य पदार्थ में होने वाले छोटे कीड़े) पड़ जाते हैं।
- कई बार पुराने आटे में चूहे आदि छोटे कीड़ों के कारण फंगल इंफेकशन हो जाता है।
- कुट्टू का आटा लेते समय इस बात को अच्छी तरह जांच-परख लें कि इसमें कीड़े न हों। कई बार आटे में सफेदरंग के इतने महीन कीड़े होते हैं, कि आप इन्हें आसानी से देख नहीं पाते।
- हमेशा बाजार से लाया गया आटे का इस्तेमाल करते वक्त इससे छानना बिल्कुल न भूलें, ताकि इसमें अगर अवांछित तत्व हों भी तो अलग हो जाएं।
- वर्तमान में मार्केट में आटा 80-120 रुपये किलो है। अगर मार्केट में आपको कोई इससे सस्ता आटा दे तो समझ लें कि कुछ गड़बड़झाला है। बचा खुचा पुराना माल बेचा जा रहा है।
* आजकल काली दाल के छिलके, चावल की किनकी को पीस कर अन्य आटे में मिला कर भी बनाया जा रहा है।
कूटू के आटे के व्यंजन
कूटू के आटे के कई लजीज व्यंजन बनाये जा सकते हैं, जैसे पूरी, पकौड़ी, रोटी, परांठा, टिक्की व इडली आदि।
प्रयोग
चूंकि कुट्टू के आटे को चबाना आसान नहीं होता, इसलिए इसे छह घंटे पहले भिगो कर रखा जाता है, फिर इन्हें नर्म बनाने के लिए पकाया जाता है, ताकि आसानी से पच सके। इसमें ग्लूटन नहीं होता, इसलिए इसे बांधने के लिए आलू का प्रयोग किया जाता है।
यह ध्यान रखें कि इसकी पूरियां बनाने के लिए हाईड्रोजेनरेट तेल या वनस्पति का प्रयोग न करें, क्यूंकि यह इसके मेडिकल तत्वों को खत्म कर देता है। इससे बनी पूरियां ज्यादा कुरकुरी होती हैं।
वैसे पूरी और पकोड़े तलने की बजाय इससे बनी रोटी खाएं। कुट्टू के आटे से इडली भी बन सकती है और समक के चावल से डोसा भी बनाया जा सकता है।
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