हींग (Hing) (Asafoetida) का उपयोग मसाले के रूप में हर घर की रसोई में होता है। विशेष कर दाल के छोंके में हींग मिलाकर एक शानदार फ्लेवर बनाया जाता है जो दाल का स्वाद तो बढ़ाता ही है, साथ ही दाल को सुपाच्य भी बनाता है। दाल खाने के बाद पेट में बनने वाली गैस Hing के प्रभाव से शांत होती है। यह प्रभाव लहसुन भी देता है। जो लोग लहसुन नहीं खाते उन्हें लहसुन के फायदे हींग से मिल सकते है।
हींग का पौधा
हींग का पौधा सौंफ़ की प्रजाति का एक ईरान मूल का पौधा है। यह 6 -8 फुट (ऊंचाई 1 से 1.5 मी. तक) का पेड़ होता है। यह सौंफ के बड़े पौधे जैसा दिखता है। इसमें पीले रंग के फूल गुच्छे के रूप में टहनी के अंत में लगते है।
पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले फेरुल फोइटिडा के पौधे की जड़ से Hing प्राप्त होती है। जड़ पर चीरा लगाने से रस निकलता जो सूख कर गोंद जैसा हो जाता है। यही हींग है। इसमें तेज गंध आती है जो असहनीय होती है। इसकी तेज गंध कोे इंग्लिश में डेविल डंग यानि राक्षस का गोबर कहते है। एक पेड़ से लगभग 100 ग्राम से लेकर 300 ग्राम तक Hing प्राप्त हो सकती है।
हींग एक बारहमासी शाक है। इस पौधे के विभिन्न वर्गों (इनमें से तीन भारत में पैदा होते हैं) के भूमिगत प्रकन्दों व ऊपरी जडों से रिसनेवाले शुष्क वानस्पतिक दूध को हींग के रूप में प्रयोग किया जाता है। कच्ची हींग का स्वाद लहसुन जैसा होता है, लेकिन जब इसे व्यंजन में पकाया जाता है तो यह उसके स्वाद को बढा़ देती है।
ये पौधे भूमध्यसागर क्षेत्र से लेकर मध्य एशिया तक में पैदा होते हैं। Hing का उत्पादन ईरान, बलूचिस्तान तथा अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा होता है। भारत में इसका उत्पादन कश्मीर और पंजाब में होता है।
सामान्यतः हींग को प्रोसेस करके बाजार में बेचा जाता है। Hing में स्टार्च या गोंद आदि मिलाये जाते है। बाजार में मिलने वाली ज्यादातर हींग सिर्फ Hing नहीं होती इसमें आटा मिला होता है।
भारतीय नाम
इसे तमिल में पेरुंगायम (Perungaayam), तेलगु में इंगुवा (Inguva), मराठी में हिंग (Hinga), मलयालम में कायम (Kayam), गुजराती में हिंगा, कश्मीर में यांग (Yang), साप, संस्कृत में 'हिंगु', हिन्दी में हींग, बंगला में हींग, कन्नड में हींगर, उडिया में हेंगु, उर्दू में हींग के नाम से जाना जाता है।
हींग दो प्रकार की होती हैं - एक हींग काबूली सुफाइद (दुधिया सफेद हींग) और दूसरी हींग लाल। हींग का तीखा व कटु स्वाद है और उसमें सल्फर की मौजूदगी के कारण एक अरुचिकर तीक्ष्ण गन्ध निकलता है। यह तीन रूपों में उपलब्ध हैं - 'टियर्स', 'मास' और 'पेस्ट'। 'टियर्स', वृत्ताकार व पतले, राल का शुध्द रूप होता है इसका व्यास पाँच से 30 मि.मी. और रंग भूरे और फीका पीला होता है। 'मास' - हींग साधारण वाणिज्यिक रूप है जो ठोस आकारवाला है। 'पेस्ट' में अधिक तत्व मौजूद रहते हैं। सफेद व पीला हींग जल विलेय है जबकि गहरे व काले रंग की हींग तैल विलेय है। अपने तीक्ष्ण सुगन्ध के कारण शुद्ध हींग को पसंद नहीं किया जाता बल्कि इसे स्टार्च ओर गम (गोंद) मिलाकर संयोजित हींग के रूप में, ईंट की आकृति में बेचा जाता है।
असली हींग की पहचान – Real Asafoetida
हीग सावधानी से खरीदनी चाहिए। बाजार में खुले में बिकने वाली Hing नकली भी हो सकती है। असली हींग की पहचान करने के तरीके से असली Hing और नकली Hing में फर्क मालूम चलता है तथा हींग में मिलावट हो तो उसका भी पता लगाया जा सकता है।
असली हींग की पहचान इस प्रकार की जा सकती है :-
— असली हीग की पहचान करने के लिए हीग को पानी में घोलना चाहिए। पानी का रंग दूध जैसा सफ़ेद हो जाये तो हीग को असली समझना चाहिए।
— माचिस की जलती हुई तीली हीग के पास लाने से चमकदार लौ निकलती है तथा यह पूरी तरह जल जाती है। नकली हीग के साथ ऐसा नहीं होता।
— नकली हींग में गंध के लिए एसेंस मिला हो सकता है। वक्त के साथ यदि हींग की गंध जल्दी ही ख़त्म हो जाती है तो हींग नकली होती है।
हींग के गुण और पोषक तत्व – Hing Quality and Nutrients
आयुर्वेद के अनुसार हीग पित्त प्रधान और गर्म तासीर वाली होती है। हीग पर की गई रिसर्च के अनुसार इसमें फेरूलिक एसिड, अल्फ़ा पायनिन, टरपीनेयोल, ल्युटेलिन,एजुलीन आदि तत्व होते है। इसलिए हीग अपने आप में एक प्रभावकारी दवा है। इसके अलावा हींग में कई विटामिन और खनिज जैसे कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, केरोटीन, राइबोफ्लेविन, और नियासिन आदि भी पाए जाते हैं।
हींग में फेरूलिक एसिड नामक फीटो केमिकल की अधिक मात्रा का होना हीग के औषधीय गुण का मुख्य कारण होता है। फेरूलिक एसिड में एंटी कैंसर, एंटी इंफ्लेमटरी, एंटी ट्यूमर, एंटी वायरल, एंटी बेक्टिरियल, एंटी स्पास्मोडिक, तथा एंटीऑक्सीडेंट गुण होते है।
इन सब तत्वों के कारण हींग का उपयोग, मानसिक तनाव, डिप्रेशन, कोलेस्ट्रॉल, कफ, अस्थमा, अपच, गैस, पेट फूलना, मांसपेशी की ऐंठन, दर्द, अर्थराइटिस, मासिक धर्म की तकलीफ आदि में बहुत आराम देता है।
उपयोग
हींग का उपयोग करी, सॉसों व अचारों में सुगन्ध लाने के लिए होता है। इसके प्रतिजैविकी गुण के कारण इसे दवाइयों में भी प्रयुक्त किया जाता है।
हींग के फायदे – Hing Benefits
पाचन
हींग का उपयोग पुराने समय से पेट के रोगों के लिए किया जाता रहा है। इसके तत्व पेट के गैस, पेट के कीड़े, पेट फूलना आदि में लाभदायक होते है। पेट दर्द व गैस होने पर हींग, अजवायन, और काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी से लेने से तुरंत आराम मिलता है।
छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर गुनगुने पानी में हीग घोलकर नाभि के आसपास लगाने से पेट की गैस निकल जाती है और पेट दर्द ठीक हो जाता है।
हींग, अजवाइन, छोटी हरड़ और सेंधा नमक चारों बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। दिन में तीन बार आधा चम्मच गर्म पानी से फंकी लेने से अपच (Indigestion) ठीक होती है। भूख खुल जाती है। पेट का फूलना और भारीपन समाप्त हो जाता है।
दर्द निवारक
हींग दर्द कम करने में मददगार होती है। विशेषकर महिलाओं को माहवारी के समय होने वाले दर्द में इससे बहुत आराम मिलता है। इसके अलावा दांत का दर्द, माइग्रेन या अन्य सिरदर्द में भी इससे आराम मिल सकता है। इसके लिए एक गिलास पानी में एक चुटकी हींग मिलाकर उबाल लें। इसे गुनगुना पीने से लाभ होता है। दांत में दर्द हो तो हीग को नीबू के रस में मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। इसे दांत पर लगाने से दर्द कम होता है। जोड़ों में दर्द होने पर एक गिलास पानी में मूंग के बराबर हींग डालकर उबाल लें। जब हींग पूरी तरह घुल जाये तो गुनगुना पिए। कुछ दिन नियमित इस प्रयोग से दर्द जॉइंट पेन तथा सूजन आदि में आराम मिलता है।
कफ
हींग का उपयोग छाती में जमा कफ निकलने में सहायक होता है। इसके लिए हींग के साथ शहद और अदरक का उपयोग बहुत फायदा करता है। इसके उपयोग से कुकर खाँसी भी ठीक होती है।
डायबिटीज
हींग के तत्व रक्त में शक्कर की मात्रा कम करने में सहायक होता है। यह पेंक्रियास को अधिक इन्सुलिन का स्राव करने में मदद करता है।
ह्रदय रोग
हींग में पाया जाने वाला क्यूमेरिन नामक तत्व में खून को पतला करने का गुण होता है। इससे खून का थक्का नहीं बनता। यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल व ट्राई ग्लिसराइड को कम करती है। इस प्रकार इसके उपयोग से ह्रदय रोग से बचाव होता है।
यौन समस्या
पुरुषों में होने वाली यौन सम्बन्धी समस्या जैसे नपुंसकता, शीघ्रपतन, शुक्राणु में कमी आदि में हींग लाभदायक हो सकती है। खाने में इसका नियमित उपयोग यौन समस्या से दूर रखता है। एक गिलास गर्म पानी में हीग मिलाकर पीने से यौन शक्ति में इजाफा होता है। इससे पुरुष और महिला के यौन अंगों में खून का दौरा बढ़ जाता है और यौन सम्बन्ध में रुचि बढ़ जाती है।
कैंसर
हिंग में पाए जाने वाले ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट के कारण फ्री रेडिकल से होने वाले नुकसान से बचाव होता है और इस प्रकार कैंसर होने की संभावना कम होती है अतः हिंग का नियमित उपयोग करना चाहिए।
कीड़े का काटना
मकड़ी या किसी कीड़े के काटने या डंक मारने पर पके केले के टुकड़े के साथ चुटकी भर हिंग निगलने से दर्द और सूजन में आराम आता है। मधुमक्खी डंक मार दे तो हिंग को पानी में घिस पर गाढ़ा पेस्ट बना कर लगाने से आराम मिलता है।
हिचकी
पुराने गुड़ के साथ हिंग खाने से हिचकी बंद होती है।
फोड़ा फुंसी
नीम की कोमल पत्ती और हिंग को साथ में पीस कर लगाने से फोड़े, फुंसी, मुँहासे आदि ठीक हो जाते है। इससे दाद भी मिटते है।
जलने पर
हिंग को पानी में घोलकर जले हुए स्थान पर लगाने से जलन में आराम आता है तथा फफोला नहीं पड़ता।
अचार ख़राब होने से बचाने के लिए
अचार लंबे समय तक रखने के लिए बनाया जाता है। हिंग में एंटीफंगल गुण होते है। अतः अचार को फफूंदी से बचाने के लिए अचार भरे जाने वाले कंटेनर में हिंग का धुआं कर लेना चाहिए फिर अचार भरना चाहिए। इससे अचार ख़राब नहीं होता। इसके अलावा अचार में हिंग डालने से अचार का स्वाद बढ़ जाता है।
हींग के नुकसान – Asafoetida Side Effects
— हींग की तासीर गर्म होती है। अतः पित्त प्रकृति वाले लोगों को सावधानी के साथ हींग का उपयोग करना चाहिए। शरीर में रक्तस्राव होने की संभावना हो या जलन होती है तो Hing का उपयोग नहीं करना चाहिए।
— एसिडिटी या पेट में अल्सर आदि परेशानी हो तो हिंग नहीं लेनी चाहिए।
— यह रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है। इसलिए आपरेशन से पहले 2 सप्ताह तक या बाद में Hing नहीं लेनी चाहिए।
— गर्भावस्था में Hing नहीं लेनी चाहिए क्योंकि यह गर्म होती है। यह गर्भाशय में आकुंचन (Contraction) पैदा कर सकती है। जिसके कारण गर्भपात भी हो सकता है अतः सावधान रहें।
— हींग ब्लड प्रेशर को प्रभावित करती है अतः यदि हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर हो और दवा ले रहे हैं तो हींग के उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।
— हींग के तत्व माँ के दूध में जा सकते है। इसलिए स्तनपान कराने वाली माँ को हींग नहीं लेनी चाहिए। यह शिशु के लिए नुकसान दायक हो सकता है।
— पाँच साल से छोटे बच्चों को हींग नहीं देनी चाहिए।
— सामान्य व्यक्ति को हींग की मात्रा दवा के रूप में भी एक दिन में 250 मिली ग्राम से ज्यादा नहीं लेनी चाहिए।
हींग को कैसे काम में लें – How to use compound hing
बाजार में मिलने वाली कंपाउंड हींग को रसोई में रोजाना काम में लेना थोड़ा मुश्किल होता है और पाउडर वाली हीग का विशेष स्वाद और फ्लेवर नहीं मिल पाता। बाजार में मिलने वाली कंपाउंड हीग ठोस होती है। इसे काम में लेने का विशेष तरीका होता है। इससे Hing का उपयोग आसान हो जाता है। ये इस प्रकार है :-
— हींग को कढ़ाई में डालकर मध्यम आंच पर गर्म करके चारों तरफ से सेक लें। सफ़ेद धब्बे पड़ जायेंगे।
— कढ़ाई से निकाल कर सावधानी के साथ इसके टुकड़े कर लें।
— इन टुकड़ों को एक बार फिर से कढ़ाई में डालकर मध्यम आंच पर थोड़ा सेक लें।
— हींग पॉप कॉर्न की तरह फूल जाएगी। ध्यान से हिलाते हुए सेकें। जलनी नहीं चाहिए।
— इसके और छोटे टुकड़े कर लें।
— एक बार फिर से थोड़ा सा सेक लें।
— इसमें एक चुटकी नमक मिलाकर ग्राइंडर में इसका बारीक पाउडर बना लें।
— इसे एयर टाइट कन्टेनर में भर कर सुखी जगह रखें और जरूरत के हिसाब से यूज़ करें।
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