रविवार, 1 जुलाई 2018

जानवरों पर बनी कहावतें / मुहावरे

जानवरों पर बनी कहावतें / मुहावरे

जानवर हमेशा से हमारे दोस्त, आजीविका कमाने का साधन और तुलना करने का जरिया रहे हैं। जीवन और बोली, दोनों ही पहलुओं पर हमारे आस-पास रहने वाले जानवरों और पौधों का बराबर का प्रभाव होता है। इसीलिए हिंदी मुहावरों में जानवरों के नाम भी आपको खूब मिलेंगे।

कहावते जो हम अक्सर बातो बातो में कहते रहते है, एक दुसरे को और कहावते हमारे दैनिक बात चित करने का एक अहम हिस्सा हैं। हिंदी कहावतो का प्रयोग हर जगह होता। और लोग बड़ी से बड़ी बात को भी कहावतो के माध्यम से बोल देते है सामने वालो को। वैसे तो ये कहावतें बहुत छोटी होतीं हैं, लेकिन इनका मतलब बहुत ही गहरा और सटीक होता है।

इस आर्टिकल में आप को ऐसे कहावतो को बताएँगे जो जानवरों पर बनी हैं और उसका प्रयोग इंसानों पर किया जाता हैं।

हिन्दी भाषा में प्रचलित कुछ जानवरों और पक्षियों पर बनें मुहावरे निम्नलिखित है :-

भैस / गाय पर बनी कहावत और डायलॉग

* काला अक्षर भैंस बराबर।

* जिसकी लाठी उसकी भैंस।

* गई भैंस पानी में।

* भैंस के आगे बीन बजाना, भैंस बैठ पगुराय। = निरर्थक प्रयत्न करना।

* भैंस पूछ उठाएगी तो गाना नहीं गाएगी गोबर करेगी।

* दुधेल गाय की लात भली लगती है।

* गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़ : बच्चों पर माता-पिता का प्रभाव थोड़ा-बहुत अवश्य पड़ता है।

* गाय सामान। = बहुत शरीफ होना।

* दुधेल गाय की लात भली’ लगती है।

* गऊ (गाय) हैं हमारी बहु।

* आ बैल मुझे मार।

कुत्तों पर बनी कहावत और डायलॉग

* धोबी का कुत्ता घर का न घाट का।

* बासी बचे न कुत्ता खाय।

* कुत्ते को घी नहीं पचता।

* घर जवांई कुत्ते बराबर।

* भोकने वाले कुत्ते कभी कटते नहीं। = जो व्यक्ति लगातार धमकी देता है वह कभी कार्य नहीं करता।

* कुत्ते को हड्डी प्यारी।

* किस्मत ख़राब हो तो कुत्ता भी मुह चाटता हैं।

* तुम से अच्छा तो कुत्ता वफादार निकला।

* कुत्ते की तरह दुम (पूंछ) हिलाना।

* कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती।

* एक दिन कुत्तो के भी आते हैं।

* बसंती इन कुत्तो के सामने मत नाचना।

* खौरही कुतिया मखमली झूल : जब कोई कुरूप मनुष्य बहुत शौक-श्रृंगार करता है या सुन्दर वेश-भूषा धारण करता है, तब इस कहावत का प्रयोग होता है।

* अपने कुत्तों को बुलाओ। = आलोचना करना या हमला करना बंद करो।

गधों पर बनी कहावत और डायलॉग

भले ही गधो को मुर्ख प्राणी समझा जाता हैं। पर हकीक़त ये हैं वे आलसी नहीं होते और मेहनती होते हैे। बस उन्हें जिस कार्य में लगा दिया जाता हैं उसी को करते है। गधों से हमेशा मेहनती और बोझ से भरा कार्य ही लिया जाता हैं।

* ये गायब हो गए जैसे गधे के सर से सींग।

* जब वक्त पडे बांका तो लोग गधे को कहे काका।

* गधा मरे कुम्हार का, धोबिन सती होय : जब कोई आदमी किसी ऐसे काम में पड़ता है जिससे उसका कोई संबंध नहीं तब ऐसा कहा जाता है।

* गधे के खिलाये न पुण्य न पाप : कृतघ्न के साथ नेकी करना व्यर्थ है।

* अच्छे अच्छे गधों को इंसान बना दिया तुम क्या चीज़ हो।

* बेचारा गधे की तरह खटता हैं दिन रात।

* ज़िन्दगी भर गधे ही रहोंगे इंसान नहीं बन सकते।

* गाड़ी के अगाड़ी गधे के पिछाड़ी कभी खड़े ना हो।

* यहाँ गधे पेशाब करते हैं।

घोड़ो पर बनी कहावत और डायलॉग

वैसे बता दे घोड़ो की रफ़्तार का दीवाना ज़माना हैं। वो चाहे किसी बग्घी में लगा हो या रेस के मैदान में हो उसकी रफ़्तार पर ज़माना फ़िदा हैं। किसी समय घोड़ो पर ही राजा महाराजा सवारी करते थे। युद्ध के मैदान पर भी इनकी रफ़्तार चलती थी।  

* घोडा घास से यारी करे तो खायेगा क्या।

* बूढी घोडी लाल लगाम।

* घोड़ों की लात और तुम्हारी बात का कोई भरोषा नहीं।

* एक मरे हुए घोड़े को मारो। = समाधान से परे किसी विषय पर ध्यान केन्द्रित करना।

शेर पर बनी कहावत और डायलॉग

* शेर बूढा होने पर भी पंजा मारना नहीं भूलता।

* शेर कभी घास नहीं खाता।

* शेर पर सवा सेर।

* शेर झुण्ड में नहीं अकेले चलता हैं।

* शेर कभी बुढा नहीं होता।

* शेर का बच्चा शेर ही रहेगा गीदड़ नहीं बनेगा।

* शेर का कलेजा हैं किसी गीदड़ का नहीं।

* शेर की दहाड़ से अच्छो अच्छो के पैजामे गीले हो जाते हैं।

* जीओ मेरे मिटटी के शेर।

* हम गाय की तरह सीधे हैं और शेर की तरह खतरनाक।

* गीदड़ झुण्ड बनाकर हमला करते हैं, लेकिन अकेले शेर करता हैं।

* अपने घर (गली) में कुत्ता भी शेर हो जाता है।

बिल्ली पर बनी कहावत और डायलॉग

* नौ सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।

* बिल्ली खायगी नहीं तो लुढकाय देगी जरूर।

* बिल्ली के भाग्य से छिके नहीं टूटते।

* बिल्ली के गले घंटी कौन बांधे? = किसी कठिन कार्य को हाथ में लेना।

* बिल्ली कहीं भी चली जाए, वो वहां चूहे ही पकड़ेगी।

* बिल्ली को बैग से बाहर निकालना। = कुछ गुप्त जानकारी का खुलासा।

* दस्ताने पहनने वाली बिल्ली चूहों को नहीं पकड़ती। = अत्यधिक सावधानी बरतने से असफलता मिल सकती है।

सांप पर बनी कहावत और डायलॉग

* छाती पर साँप लोटना।

* साँप मरे न लाठी टूटे।

* साँप निकल गया लकीर पीटे क्या होय।

* बिच्छु का मंतर न जाने, साँप के बिल में हाथ डाले।

* साँप का काटा पानी भी नहीं मांगता।

* आस्तीन का सांप। = मित्र के रूप में शत्रु।

ऊँट पर बनी कहावत और डायलॉग

* अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे।

* ऊंट के मुंह में जीरा। = आवश्यकता से बहुत कम प्राप्त होने वाली चीज।

* ऊँट किस करवट बैठे।

हाथी पर बनी कहावत और डायलॉग

* हांथी के दांत- देखने के कुछ और खाने के कुछ।

* हाथी कभी नहीं रुकता भले ही कुत्ते भोकते रहे।

* हाथी निकल गया अब बस, पूंछ बाकि हैं।

* हाथी मेरा साथी।

* हाथी ना हुआ जैसे पहाड़ हो गया।

पक्षियों पर बनी कहावत और डायलॉग

* अपने मुँह मिया मिट्ठु बनना।

* चिडिया की जान गई, लडकों का खेल हुआ।

* उडती चिडिया के पर गिनना।

* जंगल में मोर नाचा किसने देखा?

* अंधे के हाथ बटेर लगना।

* फिर पछताये होत क्या, जब चिडिया चुग गई खेत। = समय हाथ से निकल जाना।

* काठ का उल्लू।

* अपना उललू सीधा करना।

* तोते उड़ ना।

* गंजी कबूतरी और महल में डेरा : किसी अयोग्य व्यक्ति के उच्च पद प्राप्त करने पर ऐसा कहते हैं।

बन्दर पर बनी कहावत और डायलॉग

* बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। = अयोग्य व्यक्ति कीमती वस्तु की कदर नहीं जनता।

* बंदर कितना भी बुढा हो जाए गुलाटी मारना नहीं भूलता।

* बंदर घुड़की।

* लंगूर के हाथ अंगूर लगना।

* बन्दर बंदरिया नाच।

* यहाँ बन्दर का नाच नहीं हो रहा, जो देखने चले आये।

अन्य जानवरों पर बनी कहावत और डायलॉग

* कुए की मेंढकी।

* बाप ने मारी मेंढकी, बेटा तीरंदाज।

* कछुआ की चाल।

* अजगर की कुंडली मारना।

* गिरगिट से रंग बदलना।

* छछुन्दर के सिर में चमेली का तेल।

* पेट में चूहे कूदना। = बहुत भूख लगना।

* खोदा पहाड़ निकली चुहिया। = बहुत परिश्रम करने पर थोड़ा लाभ होना।

* गीदड़ भबकी।

* गीदड की मौत आती है तो शहर की ओर जाता है। गीदड़ की शामत आए तो गाँव की तरफ भागे। = जब विपत्ति आने को होती है तब मनुष्य की बुद्धि विपरीत हो जाती है।

* बकरे की माँ कब तक खैर मनावेगी।

* घर की मुर्गी दाल बराबर।

* सोने का अंडा देनी वाली मुर्गी को हलाला नहीं जाता।

* एक मछली सारे तालाब को गंदला कर देती है।

* जल में रह कर मगर से बैर।

* मगरमच्छ के आँसू रोना।

* नाक पे मक्खी न बैठने देते।

* कान पर जूँ तक न रेंगे।

* जूँ के डर से गुदडी नहीं छोडी जाती।

* बोझ का पशु। = कोई व्यक्ति दूसरों की समस्याएँ लेकर आता है।

* आपकी पैंट में चींटियाँ। = चिंतित या घबराया हुआ।

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