बुधवार, 18 जुलाई 2018

हैंगिंग टेम्पल (हैंगिंग मॉनैस्ट्री)

चीन का हवा में झूलता मंदिर यानी हैंगिंग टेम्पल (Hanging Monastery of Hengshan Mountain in China)

चीन (China) का इतिहास वास्तव में 5000 वर्ष पुराना है और यह अपने शानदार प्राचीन वास्तुकला और परंपराओं के कारण एक बढ़िया पर्यटन स्थल है। हज़ारों साल की पुरानी विरासत की चमकदार झलक निश्चित रूप से दर्शकों को दूसरी दुनिया में ले जाती है!

कई युगों से चीन दिव्य भूमि के रूप में जाना जाता है। यह देश बौद्ध धर्म (Buddhism), ताओवाद (Taoism) और कन्फ्यूशियनवाद (Confucianism) के साथ अपनी परंपरागत संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है और यहाँ की प्राचीन वास्तुकला पर इसका भारी प्रभाव है।

हैंगिंग मंदिर या हैंगिंग मठ या क्सुँकोंग मंदिर या जुआनकॉन्ग मंदिर

चीन में एक मंदिर ऐसा भी है, जो हवा में झूलता है। उत्तरी चीन का यह प्राचीन मंदिर कुछ हटके है। यह मंदिर सीधी पहाड़ी पर बना हुआ है। दूर से देखने पर ये मंदिर हवा में झूलता हुआ लगता है। इसलिए इसे हवा में झूलता मंदिर यानी हैंगिंग टेम्पल (Hanging Temple) भी कहा जाता है। इस मंदिर का नाम शुआन खोंग है, जिसका अंग्रेजी में मतलब होता है हेंगिंग टेम्पल। 

चीन में स्थित है यह मंदिर

यह चीन के शांक्सी (शांझी) प्रांत के हुनयुयान जिले में, निकटतम शहर डटोंग (Datong) से लगभग 64.23 किलोमीटर  उत्तर-पश्चिम में, जुआन कोंग सी (Xuan Kong Si) में हेन्गशन (Hengshan) पर्वत के बेहद संकरे स्थान पर बनाया गया यह मंदिर बेहद ही लम्बा है। यह मंदिर जितना खूबसूरत है यहां का दृश्य उतना ही खौफनाक है। फिर भी लोगों का इसके प्रति बेहद आकर्षण है। चीन के मुख्य पर्यटन स्थलों में शामिल माउंट हेंगशान पर स्थित यह बौद्ध मठ पांच पवित्र पर्वतों में से एक माना गया है। चीन के सुरक्षित प्राचीन वास्तु निर्माणों में से यह मंदिर एक अत्यन्त अद्भुत निर्माण है।

लकड़ियों के सहारे टिका है मंदिर

चीन का यह अद्भुत मंदिर बहुमंजिला होने के साथ-साथ इसमें हुई नक्काशी भी दर्शनीय है। यह बहुमंजिला मंदिर 70 खंभों पर खड़ा है। जिसमें से एक खंभा जमीन को छुता ही नहीं है। मंदिर को यहां भिक्षुओं ने इसलिए बनाया था कि मंदिर बाढ़ से प्रभावित नहीं हो और बारिश और तूफान से भी बचा रहे। इसके निर्माण में पत्थर के अलावा मजबूत लेकिन लचीली लकड़ियों और बांस का इस्तेमाल हुआ है। जिन लकड़ियों का इसमें उपयोग हुआ है उस पर एक विशेष प्रकार के तेल का लेप लगाया गया था। इसके कारण ये दीमक और कीड़ों से सुरक्षित हैं।

बौद्ध, ताओ और कन्फ्युशियस धर्म का आखिरी मंदिर

हैंगिंग टेम्पल में एक साथ बौद्ध धर्म, ताओ धर्म और कन्फ्यूशियसवाद, चीन के इन तीनों पारंपरिक धर्म का संयोजन मौजूद है। चीन में बौद्ध, ताओ और कन्फ्युशियस धर्मों की मिश्रित शैली से बना यह एकलौता अद्भुत मंदिर सुरक्षित बचा है। यह केवल धर्म का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि चीनी सामंती समाज की संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह बौद्ध और दूसरे धर्मों की मिश्रित शैली से बना एकमात्र संरक्षित मंदिर है।

यह मठ पवित्र पर्वत हेग के निकट 491 में एक चट्टान में बनाया गया था। खड़ी चट्टान के साथ कई हॉल का निर्माण किया गया था, जो पीछे की दीवार के रूप में कार्य करता है। 1982 से, मठ चीन के एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में संरक्षित किया गया है।

दूर से देखने पर लगता है कि तेज हवा से यह गिर जाएगा लेकिन इसकी खास बनावट के कारण यह सैकड़ों वर्ष बाद भी अपने स्थान पर सुरक्षित खड़ा है। इतने वर्षों में कई प्राकृतिक आपदाएं आईं। भूकंप के झटकों और तूफान के बावजूद यह मंदिर शान से खड़ा है। लकडिय़ों पर टिका ये मंदिर चट्टानों से घिरा है। इससे लगता है कि ये अभी इस पर गिर जाएंगी, लेकिन मंदिर इनसे सुरक्षित है। यहां का नजारा बहुत खूबसूरत है। वहीं, यह रोमांचक और कुछ डरावना भी है।

इस लुभावने ख़ूबसूरत मठ को इतनी बुद्धिमानी से बनाया गया था, और इसे ठीक पहाड़ के छज्जे के नीचे बनाया गया ताकि सूरज, बारिश और बर्फ से बचा जा सके। इस बौद्ध मठ की ऊंचाई का आंकलन करें तो यह यहां की सबसे ऊंची चोटी 6617 फीट ऊंचाई पर स्थित है।

मंदिर की संरचना को ओक क्रॉसबीम्स में फिट किया गया है। मंदिर की मुख्य सहायक संरचना आधार स्तम्भ के भीतर छुपी हुई है। यह मठ छोटे कैनियन बेसिन में बना हुआ है और इमारत के शरीर प्रमुख शिखर सम्मेलन के तहत चट्टान के बीच से लटका हुआ है।

आपको बता दें कि आज यह चाइनीज आर्किटेक्चर का अध्ययन करने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख जगह के रूप में प्रसिद्ध है। चीन के करोड़ों लोगों का सपना है कि वे एक बार यहां का भ्रमण करने जरूर आएं।

मंदिर में कई प्राचीन मूर्तियां भी रखी गयी हैं। हालांकि अपने ही ढंग का यह मंदिर बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन यहां 80 से अधिक मूर्तियां स्थापित किया गया हैं। तांबे, लोहे, पत्थर व मिट्टी की नक्काशी के साथ बनी ये मूर्तियां बड़ी सुंदर व सजीव हैं। जिनमें से प्रत्येक ने उन राजवंशों को उजागर किया है जिन्होंने कई वर्षों से इसका रख-रखाव किया है।

उल्लेखनीय है कि इस मंदिर की सब से ऊपरी मंजिल पर शाक्यमुनि, लाउच और खूंगच की मूर्तियां एक ही भवन में रखी गयी हैं। चीन में यह बहुत कम देखने को मिलता है कि बौद्ध, ताउ और कनफ्यूशियस इन तीनों धर्मों के संस्थापकों की मूर्तियां एक ही कमरे में हों।

इस मंदिर के चबूतरे को इस तरीके से तैयार किया गया है कि कन्फ्यूशीवाद, ताओवाद और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक शाक्यमुनि की मूर्ति बीच में स्थित है, जबकि अलग-अलग भावों के साथ लाओजी (प्राचीन चीन के एक विद्वान) की मूर्ति उनके दायीं ओर और कन्फ्यूशियस की मूर्ति उनके बायीं ओर स्थित है।

चीन के डैटोंग क्षेत्र में यह मंदिर टूरिस्टों का प्रमुख आकर्षण केंद्र है। यह मंदिर केवल इसलिए प्रसिद्ध नहीं हैं कि यह पहाड़ की उंचाई पर बना हुआ हैं बल्कि यह अपने धार्मिक महत्वों की वजह से भी प्रसिद्ध है। बिना किसी सहारे के बना यह मंदिर अपनी सुंदरता के कारण लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है जिसे देखने के लिए चीन के लोग ही नहीं बल्कि दूर देशों के लोग भी खींचे चले आते है। मंदिर में इतनी भीड़ होने के बाद भी ये मंदिर बिलकुल भी नहीं हिलता और ऐसा लगता है जैसे किसी ने बना-बनाया मंदिर चट्टान से लटका दिया हो।

चट्टान पर अद्भुत और उत्कृष्ट इंजीनियरिंग कार्य देखने के लिए हर साल काफी तादाद में पर्यटक यहां आते हैं। इस ऐतिहासिक मंदिर को देखने के लिए एशिया के कई देशों के अलावा यूरोप से भी पर्यटक पहुंचते हैं। इस वजह से साल भर यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहां पहुंचने का रास्ता लकड़ी और लोहे की सीढ़ियों से बना है। यह प्राचीन विरासत वास्तव में गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देती है। लकड़ियों से बनी पगडंडियों से होकर जाते समय पर्यटकों को हिदायत दी जाती है कि वे नीचे नही देखें क्योंकि ज़रा सी लापरवाही से सीधे खाई में गिरने का खतरा रहता है।

काफी खतरनाक रास्ते में बने इस बौद्ध मठ की सुदरतां को देखकर इसे दिसम्बर 2010 में टाइम पत्रिका ने दुनिया की 10 अजीब और खतरनाक इमारतों में सामिल किया गया था। आज यह चीन के मुख्य पर्यटन स्थलों में शुमार है।

मंदिर को बनाने के करण

चीन की सरकारी वेबसाइट के अनुसार इस मंदिर को बनाने के दो करण थे। पहला यह की उस समय ये पहाड़ी और घाटी आवाजाही का एक प्रमुख मार्ग थी और वहां से धार्मिक अनुयायी और भिक्षुक गुजरते थे जिससे वे वहां पर आराधना कर सकते थे। दूसरा करण ड्रेगन का बताते हैं जिसके अनुसार यहाँ पर ड्रेगन के प्रकोप को कम करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया था।

इस मंदिर को इस ऊंची चट्टान पर स्थापित किये जाने का जो विशेष कारण है वह है कि चीन का वू थाइ पर्वत हंगशान के दक्षिण में स्थित है और ताथूंग हंगशान के उत्तर में स्थित है। इन दो बौद्ध स्थलों तक पहुंचने के लिए लोगों को यहां से गुजरना पड़ता था। इसलिये बौद्ध अनुयायियों की सुविधा के लिए यह मंदिर यहां बनाया गया, ताकि वे रास्ते में बुद्ध की पूजा कर सकें। हंगशान की तलहटी से होकर जो हुन हो नदी बहती है, तब उस में अक्सर बाढ़ आ जाती थी सो बाढ़ से बचने के लिए उसे इस सीधी चट्टान पर स्थापित करना पड़ा।

हैंगिंग मंदिर का इतिहास – Hanging Temple Buddhist Monastery History

हंग पहाड़ी के इतिहास के अनुसार मूल मन्दिर का निर्माण कार्य की शुरुवात उत्तरी वेई (Wei) साम्राज्य के अंत में लियाओ रान (了然) नामक एक इंसान और साधू (भिक्षु) द्वारा अकेले शुरू किया गया था। इतिहास के जानकारों की माने तो यह करीब 1400 वर्षो तक समय-समय पर मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। बता दें कि 1500 वर्ष पहले बना ये मंदिर न केवल अपने स्थान के लिए जाना जाता है, बल्कि अपने धार्मिक महत्त्व के लिए भी प्रसिद्ध है। पत्थरों में छेद करके पेड़ के तनों का आधार देकर स्थापित करने के कारण भी यह विचित्र दिखाई पड़ता है।

संरचना

चीन के सुरक्षित प्राचीन स्थापत्य कला निर्माणों में से यह मंदिर एक अत्यन्त अद्भुत निर्माण माना जाता है। यह मन्दिर घनी पहाड़ियों की घाटी में फैले एक छोटे से बेसिन में स्थित है। इस घाटी की दोनों तरफ़ 100 मीटर की ऊँचाई वाली सीधी चट्टानें हैं और मठवासी मंदिर चट्टान पर जमीन से 246ft. (75 मीटर) की ऊंची सतह पर बना हुआ है, जो हवा में खड़ा हुआ दिखाई देता है। मंदिर के ऊपर पहाड़ी चट्टान का एक विशाल टुकड़ा बाहर की ओर आगे बढ़ा हुआ है, जिसे देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे वह अभी मंदिर पर गिर जाएगा। इस मंदिर में कुल-मिलाकर 40 से अधिक भवन व मंडप हैं। जो कि उद्यान पथों, पुलों और गलियारों की एक श्रृंखला से जुड़े हुए हैं। इसमें जाने के लिए लकड़ी के बने रास्ते से पैदल जाना पड़ता है जिससे पांव के दबाव से लकड़ी का रास्ता आवाज तो जरूर करता है, परन्तु चट्टान से सटा मंदिर जरा भी हिचकोले नहीं खाता हैं।

इस झूलते मंदिर के अनुसंधानकर्ता श्री सुन ई ने इस का परिचय देते हुए कहा कि वास्तव में ये सभी पतले खंभे इस झूलते हुए मंदिर का आधार नहीं हैं, इस पूरे झूलते मंदिर का भार मंदिर के नीचे खड़ी सीधी चट्टानों के भीतर लगाये गये 27 मोटे लकड़ी के खंभों पर है, यह इस झूलते मंदिर की सब से बड़ी विशेषता है। श्री सुन ई ने हमें बताया कि इस झूलते मंदिर के मुख्य भवन के नीचे बाहर खिंचने वाले लकड़ी के खंभे खड़ी चट्टानों के अंदर से बाहर निकलते हैं। इस मंदिर के सभी कमरों का भार इन सभी लकड़ी के खंभों पर टिका है। चीनी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के प्राचीन भवन निर्माण विशेषज्ञ श्री लो चह वन को इस झूलते हुए मंदिर पर अनुसंधान किये हुए बीसेक साल हो गये हैं। उन्हों ने कहा कि इस झूलते हुए मंदिर की विशेष वास्तु शैली घौंसला बनाने की तरकीब जैसी है। उनका कहना है कि सीधी खड़ी चट्टानों को खंभों या सेतुओं के माध्यम से बड़े अजीब ढंग से जोड़ा गया है, फिर उस पर जो बहुत सुंदर झूलती इमारत का निर्माण किया गया, वह कला निधि के रुप में विख्यात है।

==

हंगशान से दक्षिण की ओर तीन घंटे का रास्ता तय करने के बाद आप वू थाइ शान पर्वत पहुंचते हैं। शायद आप जानते हों कि चीन में स्छवान प्रांत के अमे पर्वत, चच्यांग के फू थो पर्वत, आंहुई के च्यू ह्वा शान पर्वत और शानशी के वू थाइ शान को चार प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थलों की मान्यता प्राप्त है। वू थाई शान समुद्र की सतह से तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित है और पांच ऊंची चोटियों से घिरा है। इस पर्वत की छोटी-बड़ी सभी चोटियां व चट्टानें अजीबोगरीब ही नहीं हैं, इन पर बड़ी तादाद में देवदार पेड़ भी पाये जाते हैं। इस पर्वत पर अवतार मंदिर, स्तूप मंदिर, हजार बौद्ध सूत्र मंदिर समेत करीब 50 प्रसिद्ध मंदिर खड़े हैं। इन मंदिरों की सुंदर वास्तुशैली, सूक्ष्म नक्काशी की कला और ऐतिहासिकता व सांस्कृतिकता लोगों को एक रहस्यमय वातारण का आभास देती हैं।

वू थाइ शान उत्तरी चीन में स्थित है और समुद्र की सतह से बहुत ऊंचा भी है। अक्तूबर के बाद यहां का मौसम ठंडा रहता है और यहां अकसर बर्फ पड़ती है, इसलिये यहां गर्मियों में आना बेहतर है। वू थाइ शान पर्वत का शानदार मंदिर समूह और सघन धार्मिक वातावरण वाकई देखने लायक है।

दोस्तो, आप जानते ही हैं कि चीन के उत्तरी भाग में स्थित यह प्रांत चीन का बौद्ध व ताओ संस्कृति का महत्वपूर्ण विकास केंद्र भी है। यहां जगह-जगह बौद्ध भवन और विविध रूपों वाली नक्काशी, तराशी व चित्रकला देखने को मिलती है। शानशी चीनी बौद्ध धर्म के प्राचीन सांस्कृतिक अवशेषों व कलाओं की निधि भी है। यहां चीनी बौद्ध धर्म की बेशकीमती विरासत आज तक बहुत अच्छी तरह सुरक्षित है, जिस में हवा में झूलता हुआ मंदिर सब से उल्लेखनीय है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें