आमतौर पर शून्य से लेकर 11 तक के अंकों को धार्मिक संस्कारों की दृष्टि से शुभ माना जाता है। 7, 9 और 11 का विशेष महत्व माना गया है। इसके अलावा 21, 51 और 101 को भी बहुत शुभ माना गया है।
लेकिन 12 ऐसा अंक है जिसे आशंका की दृष्टि से देखा जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो लोग इसे अशुभ मानते हैं। क्या सच में 12 का अंक अशुभ होता है?
- अंक 12 को सामाजिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है लेकिन वास्तविकता क्या है, इसे जानना जरूरी है। जीवन में से 12 के अंक को निकाल दिया जाए तो जीव ही निर्जीव हो जाएगा।
- ज्योतिष के अनुसार 12 का अंक अधिक प्रभावशाली है। इसलिए राशियों की संख्या, भावों के नाम, सूर्य की अवस्थाएं, चंद्रमा की अवस्थाएं, महीने, सूर्य नमस्कार तथा संवत्सर भी 12 ही माने जाते हैं।
- ज्योतिष इस अंक को बहुत महत्व देता है, जैसे- कुंडली को 12 भागों में बांटा गया है, जिन्हें 12 भावों के नाम से जाना जाता है। तनु, धन, भाई, मित्र, पुत्र, शत्रु, पत्नी, आयु, धर्म, आजीविका, आय तथा खर्च।
- जीवन की सारी उपलब्धियां इन्हीं 12 भावों पर आधारित है। पहले भाव से व्यक्ति का शरीर व स्वास्थ्य, दूसरे से संपत्ति, तीसरे से भाई व बहिन एवं शक्ति का विचार किया जाता है।
- चौथे भाव से मित्र व माता, पांचवें से पुत्र-पुत्री, छठे से शत्रु व ननिहाल, सातवें से पत्नी, आठवें से आयु, नवें से भाग्य व धर्म, दसवें से आजीविका एवं पिता, ग्यारहवें से आय-स्रोत तथा बारहवें से खर्च का विचार किया जाता है।
- आयुर्वेद में श्वसन प्रक्रिया को 12 अंगुल प्रमाण की माना है, यानी नाक से निकलने वाली प्रश्वास वायु 12 अंगुल की होती है। इससे कम-ज्यादा श्वास की दूरी ही मृत्यु का कारण मानी जाती है।
- हमारे शास्त्रों ने सारे संसार को 12 भागों में विभक्त किया है। ये भाग ही 12 राशियां कहलाती हैं। मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ व मीन नाम की ये 12 राशियां हैं।
- ज्योतिष के प्रमुख ग्रह सूर्य के भी 12 भेद, नाम व प्रणाम हैं। ये 12 सूर्य ही 12 महीनों के स्वामी होते हैं। चैत्र-इंद्र, वैशाख-धाता, ज्येष्ठ-भग, आषाढ़-त्वष्टा, श्रावण-मित्र, भाद्रपद-वरुण, आश्विन-यम, कार्तिक-विवस्वान, मार्गशीर्ष-सविता, पौष-पूषा, माघ-अंशुमान तथा फाल्गुन के स्वामी भगवान विष्णु हैं। इन्हीं बारह महीनों के सूर्य को प्रसन्न रखने के लिए बारह सूर्य नमस्कार बताए हैं।
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