उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम के दौरान छोटी दिवाली पर (मंगलवार) घोषणा की कि फैजाबाद जिला अब से अयोध्या के नाम से जाना जाएगा।
अयोध्या किसी जमाने में कौसल राज्य की राजधानी थी। महाकाव्य रामायण के अनुसार राम का जन्म यहीं हुआ था। संतों का कहना है कि धर्म की पुरानी किताबों में भी इस शहर का नाम अयोध्या ही मिलता है और इस तथ्य को कोई नकार नहीं सकता। लेकिन फैजाबाद एक ऐसा शहर रहा है, जो बनता बिगड़ता रहा है, कभी इसने अपना चरमोत्कर्ष देखा है तो कभी उपेक्षाएं भी झेली हैं।
सरयू का किनारा और लखनऊ से इसकी नजदीकी इसे हमेशा खास बनाती रही है। राम मंदिर आंदोलन ने फैजाबाद को पूरे विश्व में प्रसिद्ध कर दिया। इस शहर की नींव उस समय रखी गई थी जब नवाबों का शासन उभार पर था। इस शहर की स्थापना बंगाल के नवाब अलीवर्दी खान ने की, लेकिन लखनऊ से करीब 130 किलोमीटर की दूरी पर सरयू किनारे स्थित फैजाबाद की नींव अवध के दूसरे नवाब सआदत अली खान (सादत अली ख़ां) ने 1730 में रखी थी। वह पहले नवाब थे, जिन्होंने फैजाबाद को छावनी बनाया। लेकिन वह यहाँ बहुत कम समय व्यतीत कर पाए। उनके उत्तराधिकारी सुजाउद्दौला ने फैजाबाद को अवध की राजधानी बनाया। छोटी सी बस्ती से बढ़ते- बढ़ते यह आज यह यूपी के बड़े शहरों में शामिल है।
सैन्य मुख्यालय बना
फैजाबाद को शहर के तौर पर लगभग 220 साल पहले विकसित किया गया। अवध के एक और नवाब सफदरजंग ने 1739-54 में इसे अपना सैन्य मुख्यालय बनाया। इसके बाद आए तीसरे नवाब शुजाउद्दौला यहाँ रहते थे और उन्होंने फैजाबाद में नदी के तट 1764 पर एक दुर्ग (किले) का निर्माण कराया। उनका और उनकी बेगम का मक़बरा इसी शहर में स्थित है। यह वह दौर था जब यह शहर अपनी बुलंदियों पर था। लखनऊ से इसकी दूरी सिर्फ 130 किमी थी, लेकिन इसे छोटा कोलकाता या बंगाल भी कहा जाता था क्योंकि नवाब उधर से होते हुए आए थे और अपनी तहजीब और रंग ढंग भी लेते आए थे।
नवाब शुजाउद्दौला के समय चरमोत्कर्ष पर
शुजाउद्दौला का समय एक तरह से फैजाबाद के लिए स्वर्णकाल कहा जा सकता है। उस दौरान फैजाबाद ने जो समृद्धि हासिल की वैसी दोबारा नहीं कर सका। उस दौर में यहां कई इमारतों का निर्माण हुआ जिनकी निशानियां आज भी मौजूद हैं। शुजाउद्दौला की पत्नी बहू बेगम मोती महल में रहती थीं जहां से पूरे फैजाबाद का नजारा दिखाई देता था। नवाबों ने खूबसूरत इमारतों मोती महल, बहू बेगम आदि बनाया। 1775 में नवाब असफउद्दौला ने अपनी राजधानी फैजाबाद से बदलकर लखनऊ कर ली, इसके बाद यह अपनी रंगत खोने लगा। 19वीं शताब्दी में फ़ैज़ाबाद का पतन हो गया।
रामायण काल में फैजाबाद का नाम था- साकेत
रामायणकाल में फैजाबाद का नाम साकेत था। अयोध्या नगरी फैजाबाद जिले में ही आती है, अब जिले का नाम भी बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। भगवान जब वनवास के लिए जा रहे थे तब भरत उनसे मिलने जिस जगह पर आए थे, वह फैजाबाद मुख्यालय से सिर्फ 15 किमी की दूरी पर है। यहां भरतकुंड भी है।
राम मंदिर आंदोलन ने दिलाई विश्व में पहचान
राम मंदिर आंदोलन ने अयोध्या को विश्व के पटल पर ला दिया। एक समय ऐसा भी आय़ा अयोध्या के आगे फैजाबाद का नाम सीमित हो गया। दूसरे प्रदेश के लोगों को बताना पड़ता था कि अयोध्या फैजाबाद जिले में है।
ऐसे बदलता है शहर का नाम
- किसी शहर के स्थानीय लोग या जनप्रतिनिधि नाम बदलने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे।
- राज्य मंत्रिमंडल प्रस्ताव पर विचार करती है और मंजूरी देने के बाद राज्यपाल की सहमति को भेजती है।
- राज्यपाल प्रस्ताव पर अनुंशसा देने के साथ अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय को भेजता है।
- गृहमंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद राज्य सरकार नाम बदलने की अधिसूचना जारी करती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें