पीएम मोदी ने बदले अंडमान निकोबार के तीन द्वीपों के नाम
(PM Modi In Andaman and Nicobar) (Ross Island, Neil Island and Havelock Island)
गृह मंत्रालय से पारित हो चुके इस प्रस्ताव की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 दिसंबर 2018 रविवार शाम को पोर्टब्लेयर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा यहां तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ के दौरान आधिकारिक तौर पर अंडमान निकोबार के तीन द्वीपों के नाम बदलने की घोषणा की। इसमें रॉस आइलैंड का नाम बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस, नील आइलैंड का नाम शहीद द्वीप और हैवलॉक आइलैंड का नाम स्वराज द्वीप कर दिया गया है। इस दौरान आजाद हिंद फौज और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार से जुड़े लोगों को आमंत्रित किया गया था।
अंडमान एवं निकोबार द्वीप पर सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में तिरंगा फहराया था। प्रधानमंत्री इस महान घटना के 75 साल पूरे होने के अवसर पर अंडमान एवं निकोबार पहुंचे और यहां तिरंगा फहराने के बाद कहा, "सुभाष बाबू ने यहां 75 साल पहले तिरंगा फरहाने का साहसिक कार्य किया था और अब मैं यहां तिरंगा फहरा कर गर्व महसूस कर रहा हूं।"
150 फीट ऊंचा तिरंगा फहराया
इस खास मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने अंडमान-निकोबार की सेल्यूलर जेल में शहीदों को श्रद्धांजलि दी। वीर सावरकर की कोठरी में उन्होंने ध्यान लगाया। ब्रिटिश शासन में कालापानी की सजा के दौरान वीर सावरकर यहीं रहे थे। मोदी ने पोर्ट ब्लेयर के साउथ पॉइंट पर 150 फीट ऊंचा तिरंगा फहराया। साथ ही मरीना पार्क में नेताजी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित कीे। पोर्ट ब्लेयर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 75 साल पहले तिरंगा फहराया था। तब उन्होंने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का नाम बदलकर शहीद और स्वराज द्वीप करने का सुझाव दिया था। इससे पहले मोदी ने कार निकोबार में 2004 की सुनामी में जान गंवाने वालों के स्मारक पर श्रद्धांजलि दी। साथ ही मोदी ने मस जेट्टी के पास तट सुरक्षा कार्य के लिए और कैम्पबेल बे जेट्टी के विस्तार के लिए आधारशिला भी रखी।
प्रधानमंत्री ने कार निकोबार में सात मेगावॉट के सौर विद्युत संयंत्र और सौर गांव का लोकार्पण किया। उन्होंने अरोंग में आईटीआई और कार निकोबार में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने एक स्मारक डाक टिकट, 'फर्स्ट डे कवर' और 75 रुपये का सिक्का भी जारी किया। साथ ही उन्होंने बोस के नाम पर एक मानद विश्वविद्यालय की स्थापना की भी घोषणा की।
बोस ने 1943 में फहराया था राष्ट्रीय ध्वज,
यूनाइटेड फ्री इंडिया’ के पहले पीएम थे नेताजी
दिलचस्प तथ्य है कि नेताजी ने ‘यूनाइटेड फ्री इंडिया’ के पहले प्रधानमंत्री के रूप में 30 दिसंबर, 1943 को पोर्ट ब्लेयर के तत्कालीन जिमखाना ग्राउंड, जिसे अब नेताजी स्टेडियम कहा जाता है, उसमें राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। इस दौरान नेताजी ने घोषणा की थी कि अंडमान और निकोबार द्वीप स्वतंत्र होने वाला भारत का पहला क्षेत्र है. इस अवसर नेताजी ने अंडमान और निकोबार द्वीपों का नाम शहीद और स्वराज रखा था और आईएनए के जनरल ए डी लोगनाथन को इसका गवर्नर नियुक्त किया था।
भाजपा का ट्वीट
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ट्वीट करके प्रधानमंत्री द्वारा तीन द्वीपों का नाम बदले जाने की पुष्टि की। भाजपा ने अपने ट्वीट में लिखा है, "प्रधानमंत्री ने रविवार शाम ऐलान किया कि अब से रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम से जाना जाएगा, नील द्वीप को शहीद द्वीप के नाम से जाना जाएगा और हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा।"
संजय डालमिया का राज्य सभा में एक निजी विधेयक
पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं उद्योगपति संजय डालमिया के मुताबिक वह सरकार के इस निर्णय से काफी प्रसन्न हैं क्योंकि 23 साल पहले राज्य सभा में एक निजी विधेयक के माध्यम से उन्होंने यह मांग की थी।
डालमिया ने कहा, "वर्ष 1995 में मैंने सांसद के रूप में राज्य सभा में एक निजी विधेयक लाकर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह का नाम बदलकर 'शहीद' और 'स्वराज' द्वीप करने की मांग की थी, जहां नेताजी ने 75 साल पहले तिरंगा फहराया था। अब केंद्र सरकार ने तीन द्वीपों का नाम बदल दिया है और यह मेरे लिए सपने के सच होने जैसा है। साथ ही मेरी नजर में यह नेताजी को सच्ची श्रृद्धांजलि है।"
डालमिया ने अपने निजी विधेयक प्रपत्र में लिखा था, "अंडमान निकोबार द्वीप अंग्रेजों से हमारी लड़ाई के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं। हमारे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को यहां काला पानी की सजा मिली। हजारों ने जान गंवाई। यहां हमारे आजादी के लड़ाकों के साथ अमानवीय बर्ताव किया गया। दुर्भाग्य से आज की पीढ़ी इन द्वीपों के बारे में बहुत कम जानती है और आज ये सिर्फ टूरिस्ट स्पॉट बनकर रह गए हैं। मैं सरकार से दरख्वास्त करता हूं कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की याद में अंडमान निकोबार द्वीपों का नाम बदलकर शहीद तथा स्वराज द्वीप कर दिया जाए।"
डालमिया ने कहा, "अब जबकि सरकार ने द्वीपों का नाम बदल दिया है तो आज की और कल की पीढ़ी निश्चित तौर पर यह जानने को उत्सुक होगी कि आखिरकार इन द्वीपों का नाम शहीद और स्वराज क्यों कर दिया गया। वे इस बारे में जानना चाहेंगे और तब उनका परिचय हमारी आजादी के वीरों से होगा, जो यहां शहीद हुए हैं। सरकार का यह निर्णय इन तमाम शहीदों को एक छोटी सी श्रृद्धांजलि है।"
दो साल पहले रखी थी मांग
मोदी सरकार ने तीन द्वीपों का नाम बदलने का फैसला अचानक नहीं लिया, बल्कि दो साल पहले मार्च 2017 में बीजेपी नेता एल गणेशन ने राज्यसभा में मांग रखी थी। उन्होंने तर्क दिया था कि मशहूर पर्यटन स्थल हैवलॉक द्वीप का नाम बदला जाए, क्योंकि 1857 में भारतीय देशभक्तों से लड़ने वाले एक व्यक्ति के नाम पर इस जगह का नामकरण नहीं किया जाना चाहिए। हैवलॉक द्वीप का नाम ब्रिटिश जनरल सर हेनरी हैवलॉक के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने ब्रिटिश प्रशासन के दौरान भारत में सेवाएं दी थीं। कई लोगों के अनुसार, यह नाम, देश के क्रूर उपनिवेशवाद की याद दिलाता है और इसलिए इस नाम को बदला जाना चाहिए।
चंद्र कुमार बोस का पत्र
मोदी सरकार का यह फैसला पश्चिम बंगाल के भाजपा उपाध्यक्ष और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभाष चंद्र बोस केे पौत्र चंद्र कुमार बोस द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे उस पत्र के बाद आया है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को अंडमान निकोबार को बदल कर शहीद और स्वराज करने को कहा था। पत्र से पता चलता है कि द्वीपों का नाम बोस के सम्मान में बदला जाना चाहिए।
चंद्र कुमार बोस ने कहा, "मैंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर आवेदन किया है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि देने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता कि जिस द्वीप समूह का नाम नेताजी ने बदला था उसका नाम बदलकर फिर से शहीद और स्वराज किया जाए।"
पत्र
प्रधानमंत्री मोदी को लिखी चिट्ठी में बोस ने लिखा है कि अखंड भारत के पहले प्रधानमंत्री नेताजी ने पहली बार आजादी का झंडा 30 दिसंबर 1943 को पोर्टब्लेयर में फहराया था। यहीं पर नेताजी ने आजाद हिंद की पहली सरकार का गठन भी किया था। सरकार गठन के बाद उन्होंने इस द्वीप समूह का नाम शहीद और स्वराज द्वीप समूह रखा था।
11 नवंबर को लिखी चिट्ठी में बोस ने लिखा है कि दिसंबर 1943 को नेताजी के साथ आनंदमोहन सहाय, कैप्टन रावत, एडीसी और कर्नल डीएस राजू, जो नेताजी के निजी डॉक्टर थे, पोर्टब्लेयर आए थे| यहां पर मौजूद भारतीयों ने उनका जोरदार स्वागत किया था। नेताजी ने आईएनए के जनरल एडी लौंगनाथन को यहां का पहला गवर्नर नियुक्त किया था।
इस चिट्ठी में सुभाष कुमार बोस ने आगे लिखा कि अंडमान और निकोबार निरवासन में बनी पहली सरकार के पास पहली बार जमीन यहीं आकर मिली थी। इसी दौरान आजाद हिंद सरकार ने अपनी मुद्रा, स्टैंप और सिविल कोड जारी किए थे| यहीं आकर नेताजी भारतीय भूमि पर 1943 के अंत के पहले आईएनए को खड़ा करने का अपना वादा भी पूरा किया था| ये मांग सिर्फ उनकी नहीं है बल्कि पूरे देश की है और ये मांग समय-समय पर उठती रही है।
अंडमान निकोबार के तीन द्वीप
आपको बता दें ये तीनों ही द्वीप बेहद ही खूबसूरत हैं और अंडमान-निकोबार जाने वाले सैलानी यहां जरूर जाते हैं। आइए आपको बताते हैं कि इन द्वीपों में क्या है खास।
हैवलॉक द्वीप:
हैवलॉक द्वीप भारत के अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूह के अण्डमान द्वीपसमूह भाग के रिची द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप है। इस द्वीप में रहने वाले ज्यादातर लोग 1971 में हुई बांग्लादेश स्वाधीनता युद्ध के दौरान आये शरणार्थी और उनके वंशज हैं। इन्हें भारत सरकार ने ही यहां बसाया था। इस द्वीप पर पाँच गाँव हैं: गोविन्दा नगर, विजय नगर, श्याम नगर, कृष्ण नगर और राधा नगर। हेवलॉक द्वीप, पोर्ट ब्लेयर से 41 किमी, उत्तर-पूर्व की ओर बसा हुआ है। हेवलॉक द्वीप पूरे एशिया में स्कूबा डाइविंग की कुछ चुनिंदा जगह और कोमल रेतीले समुद्र तट के लिए मशहूर है।
नील द्वीप:
सुन्दर हरे जंगल और रेतीले समुद्र तटों वाले इस खूबसूरत द्वीप को अंडमान के सब्जी का कटोरा कहा जाता है। ये द्वीप पर्यावरण से प्यार करने वाले सैलानियों के लिए आदर्श जगह है। यहां अंडमान के ग्रामीण जीवन की ईमानदारी और शांति महसूस हो सकती है। लक्ष्मणपुर, भरतपुर, सीतापुर में सुंदर समुद्र तट और समुद्र किनारे पर प्राकृतिक पुल (हावडा ब्रिज) यहां की मशहूर जगह हैं।
रॉस द्वीप:
ये सुंदर द्वीप अंडमान की राजधानी पोर्ट प्लेयर से 2 किमी. दूर है। यहां के फेरार बीच और सेलुलर जेल देखने के लिए हजारों सैलानी आते हैं। ये ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों के लिए प्रसिद्ध है। रॉस द्वीप 200 एकड़ में फैला हुआ है।
बदले जा रहें है कई जगहों के नाम
इससे पहले यूपी सरकार ने मुगल सराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बीजेपी के प्रसिद्ध नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज, फैजाबाद का नाम अयोध्या कर दिया है। वहीं हाल ही में चुनाव प्रचार करते हुए योगी आदित्यनाथ ने लोगों से ये वादा भी किया था कि उनकी सरकार बनने से वो हैदराबाद का भी नाम बदल देंगे। और इस जगह का नाम भाग्यनगर रखा जाएगा, ये वादा इन्होंने इस राज्य में हुई एक रैली के दौरान किया था। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो करीमनगर का नाम बदलकर करीमपुरम कर दिया जाएगा। वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने पिछले महीने कहा था कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती कर दिया जाएगा। आगरा के एक भाजपा नेता ने मांग की थी कि आगरा का नाम बदलकर आगरवान या अग्रवाल किया जाना चाहिए। विधायक संगीत सोम ने मांग की थी कि मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर लक्ष्मी नगर किया जाना चाहिए।
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