सोमवार, 14 जनवरी 2019

अटलजी पर सौ रुपए का सिक्का

अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित 100 रुपये का भारतीय सिक्का (100 Rupees Coin)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की स्मृति में सोमवार को संसद भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में सौ रुपये का स्मारक सिक्का (Commemorative coin) जारी किया। इस मौके पर वाजपेयी के साथ काफी लंबे समय तक रहने वाले उनके सहयोगी और वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, वित्त मंत्री अरुण जेटली, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और अटल बिहारी वाजपेयी के परिजन भी मौजूद थे। वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर को मंगलवार को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आपको बता दें कि पिछले वर्ष वित्त मंत्रालय ने 100 रुपए के नए सिक्के के बारे में एक अधिसूचना जारी की थी।

नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में उनके 94वें जन्मदिवस से एक दिन पहले सोमवार को 100 रुपये का सिक्का जारी किया है। यह एक स्मारक सिक्का है, जिस पर अटलजी की तस्वीर और नाम छपा है। यह सिक्का प्रचलन में मौजूद 1, 2, 5 और 10 रुपये के सिक्के से अलग है। यह सिक्का आम सिक्कों की तरह प्रचलन में नहीं आएगा।

100 रुपए का सिक्‍का और प्रीमियम प्राइस करीब साढे़ तीन हजार

इस प्रकार के स्‍मारक सिक्‍के मार्केट में क्रय-विक्रय के लिए जारी नहीं किए जाते हैं। ये किसी हस्‍ती का सम्‍मान करने के लिए उनकी याद में जारी किए जाते हैं, इसलिए ऐसे सिक्‍कों को स्‍मारक सिक्‍का कहा जाता है। ऐसे सिक्‍कों की कीमत भी इनके मूल्‍य से ज्‍यादा होती है। अटल बिहारी वाजपेयी के नाम जारी 100 रुपए के इस सिक्‍के का प्रीमियम प्राइस करीब 3,300 से 3,500 रुपए रखा गया है।

यह 35 ग्राम का सिक्का, 4 धातुंओं से मिलकर बना है

यह सिक्का चार अलग-अलग धातुओं को मिलाकर बनाया गया है। इस सिक्के का वजन 35 ग्राम और त्रिज्या (रेडियस) 2.2 सेंटीमीटर है और यह 50 प्रतिशत चांदी, 40 प्रतिशत तांबा, 5 प्रतिशत निकेल और 5 प्रतिशत जस्ते से बनाया गया है।

एक तरफ अटलजी, दूसरी तरफ अशोक स्तंभ के नीचे देवनागरी में सत्यमेव जयते लिखा

सिक्के की एक तरफ अटल बिहारी वाजपेयी के नाम के साथ उनका तस्वीर (मुखाकृति) छापी गई है, जबकि दूसरी तरफ अशोक स्तंभ है। स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते और रुपये के चिन्हे के साथ 100 लिखा है। इस सिरे पर नीचे एक तरफ देवनागरी लिपी में भारत लिखा है, जबकि दूसरी ओर अंग्रेजी (रोमन अक्षरों) में इंडिया (INDIA)।

मुंबई टकसाल ने किया है इसे डिजाइन!

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिक्के की डिजाइनिंग और ढलाई का काम मुंबई टकसाल ने किया है। बता दें, लोग इस सिक्के को सीधे टकसाल से भी खरीद सकेंगे।

दो भाषाओं में लिखा है अटलजी का नाम

सिक्के पर अटलजी का नाम हिंदी (देवनागरी) और अंग्रेजी भाषा में लिखा गया है। साथ ही, उनकी तस्वीर के निचले हिस्से में उनका जन्म वर्ष 1924 और देहांत (मृत्यु) का वर्ष 2018 अंकित किया गया है।

प्रचलन में मौजूद सिक्‍कों से भारी है 100 रुपए का सिक्‍का

कीमत और वजन के मामले में 100 का सिक्का 1, 2, 5 और 10 के सिक्के से भारी है। 10 रुपये का सिक्‍का 8 ग्राम वजन का है, जबकि 5 रुपये का सिक्‍का 9 ग्राम का।

93 वर्ष की उम्र में हुआ अटलजी का देहांत

16 अगस्‍त 2018 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। वो 93 साल के थे। और उनके सम्मान में देश के कई जगहों के नाम बदलकर अटल जी के नाम पर रखे गए हैं। हिमालय की चार चोटियों के नाम भी उनके नाम पर रखे गए। छत्तीसगढ़ के नए रायपुर का नाम अटल नगर रखा गया। इसके अलावा उत्तराखंड सरकार ने देहरादून एयरपोर्ट का नाम बदलकर अटलजी के नाम पर रखा। उधर, उत्तरप्रदेश सरकार ने भी लखनऊ में हजरतगंज चौराहे का नाम बदलकर अटल चौक रखने का फैसला किया। और लखनऊ के इकाना स्टेडियम का नाम भी अटल इकाना स्टेडियम कर दिया गया है।

2018 लखनऊ में लगे लखनऊ महोत्सव का थीम भी अटलजी पर ही रखी गई थी। जिसमें अटल जी के पूरे जीवन के बारे में बताया गया। वहां सबसे ख़ास अटल गांव की भी प्रदर्शनी लगाई गई थी।

कब कब रहे प्रधानमंत्री

वाजपेयी ने तीन बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया और 1998 से 2004 तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया। अटल बिहारी वाजपेयी सबसे पहले 1996 में 13 दिन भारत के प्रधानमंत्री रहे, 1998-99 में 13 महीने की सरकार के प्रधानमंत्री रहे लेकिन उसके बाद 1999 से 2004 तक पूरे पांच साल उनकी सरकार चली।

इस मौके पर मोदी ने कहा

मोदी ने कहा कि यह सिक्का पूर्व प्रधानमंत्री के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए एक छोटा सा प्रयास है, ‘जिनका जीवन हम सभी के लिए संदेश है।’

इस मौके पर मोदी ने कहा, "मन यह मानने को तैयार नहीं है कि अटल जी अब हमारे साथ नहीं हैं। वह समाज के सभी वर्गों के प्रति प्रेम रखने वाले और सम्मानित व्यक्ति थे। अटल जी चाहते थे कि लोकतंत्र सर्वोच्च हो।"

मोदी ने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा, "कुछ लोगों के लिए सत्ता ऑक्सीजन की तरह होती है। वे उसके बिना नहीं जी सकते। वहीं, अटल जी के जीवन का लंबा समय विपक्ष में गुजरा, लेकिन उन्होंने राष्ट्रहीत में हमेशा अपनी बात उठाई। उन्होंने पार्टी के विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया।"

मोदी ने कहा, "अटल जी का जीवन आने वाली पीढ़ियों को सार्वजनिक और राष्ट्र जीवन के लिए प्रेरित करेगा। अटल जी ने जो पार्टी बनाई वह सबसे बड़े राजनीतिक दलों में से एक बन गई। कार्यकर्ताओं की एक लंबी पीढ़ी उनके द्वारा तैयार की गई है। एक वक्ता के रूप में वे अद्वितीय थे।"

मोदी ने कहा कि, 'सिद्धांतों और कार्यकर्ताओं के बल पर वाजपेयी ने इतना बड़ा राजनीतिक संगठन खड़ा किया और काफी कम समय में देशभर में उसका विस्तार भी किया, अटल बिहारी वाजपेयी के बोलने का मतलब देश का बोलना और सुनने का मतलब देश को सुनना था, स्व. अटल ने लोभ और स्वार्थ की बजाय देश और लोकतंत्र को सर्वोपरि रखा और उसे ही चुना।'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, 'वाजपेयी का सिक्का तो हमारे दिलों पर 50 साल चला और आगे भी चलेगा, वाजपेयी हमेशा लोकतंत्र को मजबूत करना चाहते थे। यही कारण है कि जब जरूरत पड़ी तो उन्होंने बीजेपी का गठन किया।'

पीएम मोदी ने कहा, 'अटल जी ने जनसंघ बनाया। लेकिन जब हमारे लोकतंत्र को बचाने का समय आया तब वह और अन्य जनता पार्टी में चले गए। इसी तरह जब सत्ता में रहने या विचारधारा पर कायम रहने के विकल्प की बात आई तो उन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भाजपा की स्थापना की।'

60 से लेकर 1000 रुपए के सिक्‍के भी हुए हैं जारी

देश में 1, 2, 5 और 10 रुपए के सिक्‍के खासे प्रचलन में हैं। हालांकि इनके अलावा ऐसे भी सिक्के हैं, जो बनाए तो गए हैं लेकिन ये मार्केट में नजर नहीं आते। ये सिक्के 60 से लेकर 1000 रुपए तक के हैं। दरअसल भारत सरकार इन सिक्‍कों को देश के महान सपूतों की याद में या कुछ विशेष अवसरों पर समय-समय पर जारी करती है। उम्‍मीद है कि आरबीआई आने वाले समय में इन सिक्‍कों को मार्केट में जारी कर सकता है। सिक्कों को एकत्र करने वाले या आम लोगों को ये सिक्के रिजर्व बैंक से निर्धारित की गई कीमत पर मिलेते हैं। काले धन से निपटने के लिए बड़ी राशि के नोटों की जगह सिक्के जारी करने की सिफारिश होती रही है। दुनिया में पहला सिक्का 1964 में जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर लॉन्च किया गया था।

इससे पहले भी लॉन्च हुआ था 100 रुपए का सिक्का
इससे पहले 2010, 2011, 2012, 2014 और 2015 में भी 100 रुपये के सिक्के जारी किए जा चुके हैं।
100 रुपए के विशेष स्‍मारक सिक्‍के को कई अवसरों पर जारी किया गया है। सबसे पहले साल 2010 में सी सुब्रमण्‍यम एवं मदर टेरेसा की 100वीं वर्षगांठ और 21वें कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स के अवसर पर पर इसको जारी किया गया था। पिछले वर्ष एआईएडीएमके के संस्थापक, तमिलनाडु के सुपरस्टार और पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) के जन्मशताब्दी के अवसर पर केंद्र सरकार ने 100 रुपये का सिक्का जारी किया था। यह 100 रुपये का सिक्का 44 एमएम व्यास का है। इसमें 50 फीसदी सिल्वर का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा साल 2015 में अंतराष्‍ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 100 रुपए के सिक्‍के को जारी किया गया था। साल 2016 में महाराणा प्रताप की 476वीं जयंती पर भी 100 रुपये का सिक्का जारी किया गया था।
क्या है इसकी खासियत
100 रुपए का यह सिक्का 80 फीसदी चांदी, 20 फीसदी कॉपर के मिश्रण से तैयार किया गया है और इसका कुल वजन 35 ग्राम है। फिलहाल यह सिक्‍का स्‍मारक के तौर पर ही जारी हुआ है, लेकिन जल्द ही कुछ सिक्‍के मार्केट में भी नजर आ सकते हैं।

125 रुपए का सिक्‍का
125 रुपए का सिक्‍का सबसे पहले जवाहर लाल नेहरू की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर साल 2014 में जारी किया गया था। इसके बाद इसे पूर्व राष्‍ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 127वीं वर्षगांठ पर जारी किया गया था। इसके अलावा 6 दिसंबर, 2015 में बाबासाहेब आंबेडकर की 125वीं वर्षगांठ पर भी इस विशेष सिक्‍के को जारी किया गया।
क्‍या है इसकी खासियत
इस विशेष सिक्‍के का इस्‍तेमाल फाइनेंशियल ट्रांजेक्‍शन के लिए नहीं होगा और इसे खरीदा भी नहीं जा सकता है। इस सिक्‍के को आप सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की गैलरीज में देख सकते हैं।

150 रुपए का सिक्‍का
2010 से लेकर 2013 तक सरकार अलग-अलग अवसरों पर 150 रुपये के विशेष स्‍मारक सिक्के जारी कर चुकी है। यह सिक्‍का सबसे पहले भारतीय आयकर विभाग के 150 साल पूरा होने पर 2010 में जारी हुआ था, जो अर्थशास्‍त्री चाणक्‍य को समर्पित था। इसके अलावा इस सिक्‍के को गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर और सीएजी (कैग) के 150 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में 2011 में जारी किया गया। वहीं, साल 2012 में मोती लाल नेहरू और मदन मोहन मालवीय की 150वीं वर्षगांठ पर जारी किया गया था। साथ ही साल 2013 में स्‍वामी विवेकानंद की 150वीं वर्षगांठ पर इस सिक्‍के को जारी किया गया था।
क्‍या है इसकी खासियत
23 मिलीमीटर व्यास वाले 150 रुपए के इस सिक्के में 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी तांबा, 5 फीसदी निकिल और 5 फीसदी जिंक मिक्स है। इस सिक्‍के का वजन भी 35 ग्राम है। यह सिक्‍का भी मार्केट में नहीं दिखता, लेकिन यह संग्रह करने के शौकीनों के पास जरूर नजर आता है। भारत सरकार की कोलकाता टकसाल ने 150 रुपए के इस सिक्‍के को ढाला है।

75 रुपए का सिक्का
पहली बार साल 2010 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई /RBI) की प्‍लेटिनम जुबिली (75) के अवसर पर मुंबई मिंट में इस सिक्‍के की ढलाई की गई थी। इस सिक्‍के को रिजर्व बैंक के मिंट संग्रहालय में रखा गया है। हालांकि ऐसे दो सिक्‍के दिल्ली के एक कारोबारी के पास हैं, जो उन्होंने आरबीआई को चिट्ठी लिखकर मंगवाए थे।
क्या है इसकी खासियत
25 मिलीमीटर व्यास वाले 75 रुपए के इस सिक्के को 50 फीसदी चांदी एवं तांबे के इस्तेमाल से तैयार किया गया है। इस सिक्के का वजन 35 ग्राम है। इस सिक्‍के की ढलाई मुंबई मिंट में की गई है। यह सिक्‍का अभी चलन में नहीं है।

1000 रुपए का सिक्का, ये है अब तक का सबसे महंगा सिक्का
मार्केट में अभी तक आपने 10 रुपए तक का ही सिक्‍का देखा होगा, लेकिन आरबीआई ने एक हजार रुपए का भी सिक्‍का बनाया है। सरकार का अब तक का सबसे महंगा सिक्का 1000 रुपए का था। भारत सरकार के टकसाल में ये सिक्के अच्‍छी खासी संख्‍या में ढाले जा रहे हैं। हालांकि, अभी ये सिक्‍के चंद हाथों में ही हैं खासकर संग्रह के शौकीन लोगों के पास। दरअसल एक हजार रुपए के इस स्‍मारक सिक्‍के को वर्ष 2010 में जारी किया गया था, जिसे तमिलनाडु के तंजावुर में मशहूर और अति प्राचीन बृहदीश्वर के नाम से विख्यात मंदिर के एक हजार साल पूरा होने पर बनाया गया था।
क्‍या है इसकी खासियत
1000 रुपए के इस सिक्‍के को 80 फीसदी चांदी, 20 फीसदी कॉपर के मिश्रण से तैयार किया गया है। सिक्‍के का वजन 35 ग्राम है। इस सिक्‍के के अगले भाग में अशोक स्‍तंभ और पिछले भाग में वृहदीश्‍वर शिव मंदिर का चित्र अंकित है। इस सिक्‍के को मुंबई टकसाल में ढाला गया है।

भारत सरकार के 60 साल पूरे होने पर 60 रुपये का सिक्‍का
60 रुपए के इस सिक्‍के को साल 2012 में जारी किया गया था। यह सिक्‍का भारत सरकार के 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर जारी किया गया था। 60 रुपए के इस सिक्के की ढलाई कोलकाता मिंट में की गई थी। सरकार ने बतौर निशानी इस सिक्‍के को संग्रहालय में रखा हुआ है।
देश में सिक्के ढालने वाली कोलकाता स्थित टकसाल की स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 2012 में 60 रुपये के सिक्के जारी किए गए थे। 2014 में भी कोयर बोर्ड की स्थापना का डायमंड जुबिली वर्ष मनाने के लिए 60 रुपये का सिक्का जारी किया गया था।
क्या है इसकी खासियत
इस विशेष सिक्‍के का वजन 30 से 35 ग्राम के बीच है। इस सिक्‍के को बनाने में चांदी, तांबे, जिंक और निकेल के मिश्रण का इस्तेमाल किया गया है।

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