दिल्ली का 17 मीटर ऊंचा दूसरा कुतुबमीनार
कुतुबमीनार के बारे में तो आप जानते ही होंगे। दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब मीनार यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत की दर्जा पाई हुई इमारत है। लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि दिल्ली के उत्तम नगर में एक और मीनार है जिसे छोटा कुतुबमीनार भी कहा जाता है। 'हस्तसाल मीनार' जिसे हस्तसाल की लाट भी कहते हैं। हस्तसाल के एक तरफ विकासपुरी और दूसरी ओर नजफगढ़ रोड से लगा उत्तम नगर का इलाका है। यहीं एक संकरी गली में 17 मीटर यानी करीब 56 फिट ऊंची यह तीन मंजिला मीनार आज भी मुग़ल काल के वैभव की याद दिलाती खड़ी है। हालांकि यह मीनार क़ुतुब जैसी भव्य नहीं है फिर भी अपने आप में इतिहास तो संजोए हुए है ही।
17 मीटर ऊंचा हस्तसाल मीनार
जहां 47 मीटर ऊंची कुतुब मीनार को दुनिया की सबसे ऊंची मीनार होने की ख्याति प्राप्त है वहीं 17 मीटर ऊंचा हस्तसाल महल उपेक्षा और बेकद्री का शिकार है। हस्तसाल मीनार भी कुतुब मीनार की तरह लाल बलुआ पत्थर और ईंट से बना है। जैसा की बताया जाता है कि इसे पांच मंजिला बनाया गया था जिस पर ऊपर एक छतरी भी लगी थी जो 1803 (18वीं सदी) में आए भूकंप से जमींदोज हो गयी। अब इस मीनार की तीन मंजिलें ही बची हैं। जबकि नीचे के प्लैटफॉर्म पर गांवालों ने अतिक्रमण कर लिया। लोगों के मुताबिक, यह इमारत एक प्लेन क्रैश के चलते आधी टूट गई थी। पश्चिम दिल्ली में नांगलोई के नजदीक हस्तसाल गांव में स्थित इस मीनार को देखने बहुत कम संख्या में पर्यटक आते हैं। आसपास भारी निर्माण होने से इसकी खूबसूरती नजदीक से ही दिखाई देती है।
1650 में हुआ था निर्माण
यह मीनार मुगल शहंशाह शाहजहां द्वारा 1650 (17वीं सदी) में शिकारगाह के रूप में बनवाया था। क़ुतुब की तरह ही इस मीनार में एक पतली वर्तुलाकार सीढ़ियां है, जो ऊपर तक जाती है वैसे ही हर मंजिल पर दरवाजा भी बना है। साथ ही इसमें एक सुरंग है जो बरादरी से जुड़ती है। बरादरी मनोरंजन के लिए बनाया गया एक कक्ष है। हस्तसाल मीनार एक तीन मंजिला इमारत है, जो एक अष्टकोणीय चबूतरे पर खड़ी है। इससे करीब 100 मीटर की दूरी पर एक 2 मंजिला इमारत है, जिसे हस्तसाल यानी हाथियों के घर के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि यह शाहजहां का शिकारगाह हुआ करता था।
इस मीनार से जुड़ा एक किस्सा है यह जगह पहले पानी में डूबा रहता था और कई सारे हाथी यहां विश्राम करने के लिए आया करते थे। इस वजह से इस स्थान का नाम हस्तसाल पड़ गया जिसका अर्थ है हाथियों का स्थान।
फिलहाल अभी सुरक्षा की दृष्टि से इसको बंद रखा गया है। पर जैसे हमारे हर शहर में अवैध कब्जे की बिमारी घुन की तरह फैली हुई है, यहां भी इसी तरह से चारों ओर से हथियाई जाती सिकुड़ती जमीन के कब्जों ने इस ऐतिहासिक इमारत की अच्छी-खासी, लम्बी-चौड़ी जगह को ख़त्म कर रख दिया है। इसके चारों ओर फैला मलबा और कूड़े ने इसको ऐसा घेर रखा है कि इस तक पहुँचना भी दूभर हो गया है। दिल्ली सरकार की करीब 250 ऐसी इमारतों, जिन्हें सुरक्षा की जरुरत है में इसका नाम होने के बावजूद इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। कभी-कभी कोई चौकीदार या गार्ड आ कर यहां सफाई वगैरह कर खानापूर्ति कर जाता है नहीं तो गांव वालों की मेहरबानी पर ही इसका भाग्य निर्भर हो कर रह गया है।
धरोहर को बचाने के लिए मुहिम
गांव वालों ने इस मीनार के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया, जिस वजह से भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस मीनार की देखभाल के लिए एक चौकीदार नियुक्त किया लेकिन इसके बैठने के लिए किसी कक्ष या स्थान की व्यवस्था अबतक नहीं की गई है।
संरक्षण के लिए सरकार ने उठाया कदम
अब राजधानी के कम चर्चित स्मारकों को बचाने की पहल के तौर पर दिल्ली सरकार के प्रोजेक्ट के चौथे चरण में इस मिनी कुतुब मीनार का संरक्षण किया जाएगा। इसे हेरिटेज वैल्यू में ग्रेड A दिया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने साइट का आकलन कर लिया है और संरक्षण का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। एक अधिकारी ने कहा, 'हमारा पहला फोकस मीनार के ढांचे को मजबूत करने पर होगा क्योंकि हमें आशंका इस बात की है कि मीनार की नींव रखरखाव न होने के कारण कमजोर हो सकती है।' संरक्षण के तहत मीनार की ईंटों को साफ किया जाएगा और पत्थरों के बीच हुए गैप को भरा जाएगा।
बताया गया है कि ऐतिहासिक इमारतों के नष्ट हुए हिस्से को दोबारा बनाया नहीं जाता है क्योंकि इससे पुरानी चीजों की अपनी पहचान खोने का खतरा रहता है। हालांकि इस मीनार के आसपास को बेहतर बनाया जाएगा।
कैसे पहुंचे : अगर आप दिल्ली में रहते हैं, तो आपको यहां पहुंचने के लिए उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन सबसे पास पड़ेगा। दिल्ली से बाहर रहने वाले लोग दिल्ली पहुंचकर किसी बस, मेट्रो, टैक्सी के माध्यम से उत्तम नगर पहुंचकर हस्तसाल गांव पहुंच सकते हैं।
कब घूमें : आप सुबह 8 बजे से 7 बजे तक यहां घूम सकते हैं।
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