सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar Shivling)

शिव लिंग को भगवान शिव का निराकार स्वरुप मना जाता है। शिव पूजा में इसकी सर्वाधिक मान्यता है। शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों ही समाहित होते हैं। शिवलिंग की उपासना करने से दोनों की ही उपासना सम्पूर्ण हो जाती है।

विभिन्न प्रकार के शिव लिंगों की पूजा करने का प्रावधान है। जैसे - स्वयंभू शिवलिंग, नर्मदेश्वर शिवलिंग, जनेउधारी शिवलिंग, सोने और चांदी के शिवलिंग और पारद शिवलिंग। इनमें से नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और फलदायी मानी जाती है। नर्मदेश्वर शिवलिंग को सबसे ज्यादा सर्वाधिक शक्तिशाली और पवित्र माना जाता है।

Narmadeshwar Shivling - नर्मदेश्वर शिवलिंग

Narmadeshwar Shivling – भगवान् शिव (Lord Shiva) और प्रकृति का एक अद्भुत संयोग जिसका अंदाजा सिर्फ इसी बात से ही लगाया जा सकता है कि नर्मदेश्वर शिवलिंग पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही जगह पाया जाता है और वो है नर्मदा नदी के किनारे बसे बकवान नामक गाँव में।

नर्मदेश्वर शिवलिंग अपने आप में प्रकृति की संरचना है। यहाँ नर्मदा नदी में पाए जाने वाले पत्थर सबसे अलग होते है जो बहाव के कारण अपने आप में ही अंडाकार हो जाते है। इसके बाद ये पत्थर गाँव के लोगो द्वारा इकट्ठे किये जाते है और फिर तरासने के बाद इन्हे पूरी दुनिया में भेजा जाता है।

घर में स्थापित किए जाने वाला अत्यन्त शुभ नर्मदेश्वर शिवलिंग Narmadeshwar Shivling benefits

ऐसा माना जाता है कि एक मिटटी के लिंग की पूजा करने से जो फल मिलता है उससे सौ गुना ज्यादा फल नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा करने से मिलता है। इसलिए घर में नर्मदेश्वर शिवलिंग का रखना शुभ माना गया है। नर्मदेश्वर शिवलिंग अलग अलग साइज के होते है और आपको ये ध्यान रखना है की जो शिवलिंग आप घर में रखने जा रहे है वो अंगूठे के आकार (6 इंच) जितना होना चाहिए और बहुत अधिक बड़ा नहीं होना चाहिए। मंदिर में कितना भी बड़ा शिवलिंग स्थापित किया जा सकता है। विशेष उद्देश्यों तथा कामनाओं की प्राप्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की जाती है।

* बाणलिंग अर्थात नर्मदेश्वर की पूजा करने से घर की गरीबी दूर चली जाती है और धन, ऐश्वर्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
* यदि आप लम्बे समय से बीमार है तो रोजाना महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए शिवलिंग का जलाभिषेक करे इससे सभी रोगो से मुक्ति मिलती है।
* श्रावण के महीने में इसकी पूजा विशेष फलदायी मानी गयी है और भगवान् शिव की कृपा से हर मुंहमांगी इच्छा पूरी होती है
* भगवान शंकर ज्ञान के देवता हैं और लिंगाष्टक में कहा गया है – ’बुद्धिविवर्धनकारण लिंगम्’, अत: शिवलिंग पूजा बुद्धि का वर्धन करती है तथा साधक को अक्षय विद्या प्राप्त हो जाती है।

नर्मदा नदी को शिव के वरदान के कारण इससे प्राप्त होने वाले शिवलिंग को इतना ज्यादा पवित्र माना जाता है। वरदान के कारण नर्मदा नदी का कण-कण शिव माना जाता है। इसके प्राण-प्रतिष्ठा कि आवश्यकता नहीं होती, इसका पूजन सीधे स्थापित करके ही किया जा सकता है। कहा जाता है कि, जहां नर्मदेश्वर का वास होता है, वहां काल और यम का भय नहीं होता है। व्यक्ति समस्त सुखों का भोग करता हुआ शिवलोक तक जाता है।

किस प्रकार करें नर्मदेश्वर की आराधना ?
Narmadeshwar Shivling Pooja

शिवलिंग को आप घर के मंदिर में स्थापित कर सकते है जिसमे उनका मुख उत्तर की ओर होना चाहिए। शिवपूजा में पवित्रता का अत्यन्त महत्त्व है, अत: स्नान करके रुद्राक्ष व भस्म लगाकर शिवपूजा करने से उमामहेश्वर की प्रसन्नता प्राप्त होती है। शास्त्रों में लिखा है कि जिस इष्टदेवता की उपासना करनी हो उस देवता के स्वरूप में स्थित होना चाहिए।

नर्मदेश्वर शिवलिंग का वैसे तो आप हर रोज पूजन कर सकते है लेकिन कुछ ऐसे विशेष दिन होते है जिनमे शिवलिंग पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है जैसे श्रावणमास, सोमवार, प्रदोष, मासिक शिवरात्रि, पुष्य नक्षत्र। इन दिनों में शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। फिर चंदन, अक्षत, इत्र, सुगन्धित फूल या श्वेत फूल (सफेद आक) चढ़ाएं।

शिवलिंग की पूजा करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठकर शिवलिंग की पूजा करें। शिवलिंग को एक बड़े कटोरे या थाली में रखकर प्रतिदिन ‘ॐ नम: शिवाय’ या प्रणव का जप करते हुए जल, कच्चा दूध या गंगाजल से स्नान कराएं।

भगवन शिव को बेलपत्र भी जरूर चढ़ाएं और शिव के निर्माल्य यानि जल को पेड़ पौधों पर चढ़ा दें, उससे पैर नहीं लगने चाहिए। बाणलिंग या नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा में आवाहन और विसर्जन नहीं होता है। नर्मदेश्वर शिवलिंग का प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।

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