रविवार, 2 फ़रवरी 2020

उम्मैद भवन पैलेस, जोधपुर

उम्मैद भवन पैलेस (Umaid Bhawan Palace, Jodhpur)

उम्मैद भवन पैलेस, राजस्थान के जोधपुर ज़िले में स्थित एक महल है। यह दुनिया के सबसे बड़े निजी महलों में से एक है। यह ताज होटल का ही एक अंग है।

उम्मेद भवन पैलेस का नाम इसके संस्थापक महाराजा उम्मेद सिंह के नाम पर रखा गया है। इसका नाम महाराजा उम्मैद सिंह के पौत्र महाराजा गज सिंह ने दिया था जो वर्तमान में मालिक है। चित्तर (Chittar) पहाड़ी पर होने के कारण यह सुंदर महल 'चित्तर पैलेस' के रूप में भी जाना जाता था जब इसका निर्माण कार्य चालू था।

18 नवम्बर सन 1929 में महाराजा उम्मेद सिंह ने इसका निर्माण शुरू कराया था। इस भवन के निर्माण का आर. बी. शिवरतन मोहता को ठेका दिया गया था। पैलेस के वास्तुकार लंदन के मैसर्स लैकेंस्टर एण्ड लॉज इसके वास्तुकार थे, उनके प्रतिनिधि वास्तुविद व शिल्पविद जी.ए गोल्ड स्ट्रा ने वास्तु में भूमिका निभाई। इसका वास्तुकार (डिजाइन) प्रसिद्ध ब्रिटेन के हैनरी लैंचेस्टर (Henry vaughan lanchester) ने करीब पांच साल में तैयार किया था। लैनचस्टर सर एडविन लुटियन के समकालीन थे जिन्होंने नई दिल्ली सरकार के परिसर की इमारतों की योजना बनाई थी। महल के इंटीरियर डेकोरेशन के लिए पोलैंड के J.S Norbin को नियुक्त किया गया था जिन्होंने महल के शाही कमरे में बड़े खुबसूरत भित्तिचित्रों का निर्माण किया था। इसके लिए पत्थर लगाने, लाने, चुनाई और टांचने (तराशने) आदि तक के सारे काम मारवाड़ के मजदूरों व कारीगरों से ही करवाए गए, ताकि उन्हें रोजगार मिले।

उम्मेद भवन साल 1943 में बनकर तैयार हो गया था। इसमें कुल 347 कमरे और हॉल हैं। आजादी के बाद वर्ष 1978 में इसे होटल में बदल दिया गया। हालांकि आज भी इसके एक भाग में पूर्व नरेश का परिवार रहता है।

महल दो पंखों के साथ “सुनहरा पीला” बलुआ पत्थर के साथ बनाया गया था मकराना में संगमरमर का भी इस्तेमाल किया गया है, और बर्मा की सागौन की लकड़ी का इस्तेमाल आंतरिक लकड़ी के काम के लिए किया गया है।

बड़ी दिलचस्प है उम्मेद भवन पैलेस के निर्माण के पीछे की कहानी 
उमैद भवन पैलेस इतिहास – Umaid Bhawan Palace History

उमैद भवन पैलेस के निर्माण का इतिहास एक संत के अभिशाप से जुड़ा है, जिन्होंने कहा था कि अच्छे शासन का पालन करनेवाले राठौड़ वंश को अकाल के एक दौर से गुजरना पड़ेंगा।

इस प्रकार 30 के दशक (1930) में जोधपुर को लगातार 3 वर्षों तक सूखे और अकाल की स्थिति का सामना करना पड़ा था और इसकी वजह से मारवाड़ के लोगों को रोज़गार की तलाश में जोधपुर से पलायन करना पड़ता था। अपनी इस गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए अकालग्रस्त किसानो ने महाराजा उम्मेद सिंह से सहायता मांगी जो जोधपुर में मारवाड़ के 37वें राठौड़ शासक थे। महाराजा उम्मेद सिंह ने किसानो पर आयी इस गंभीर विपदा को समझा और एक भव्य महल के निर्माण का फैसला लिया जिससे की किसानो को रोज़गार मिल सके और वो अकाल की स्थिति से बच सके।

इस महल को धीमी गति से बनाया गया था क्योंकि इसका प्रारंभिक उद्देश्य स्थानीय स्तर पर अकाल-खतरनाक किसानों को रोजगार प्रदान करना था। चौदह बरस तक चले इस निर्माण पर तीन हजार लोगों को प्रत्यक्ष व हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला।

उम्मेद भवन पैलेस के निर्माण पर कितनी लागत आयी ?

आपको ये जानकर हैरानी होगी की विश्व के बेहतरीन होटल का खिताब हासिल कर चुके उम्मेद भवन के निर्माण पर उस समय महज डेढ़ करोड़ (11 मिलियन) की लागत आई थी। उम्मेद भवन की कम लागत के पीछे सबसे अहम् वजह थी कि इसमें कुछेक चीजों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर सामग्रियां जिनकी इस भव्य महल के निर्माण में जरुरत होती थी वो बाहर से नहीं मंगाई जाती थी और अधिकांश स्थानीय सामग्री का ही उपयोग किया जाता था। स्थानीय सामग्री पर शाही परिवार का हक होता था और यही वजह है की इसके लिए अलग से कुछ भुगतान नहीं करना पड़ा।

पत्थरों को उठाकर निर्माण स्थल तक लाने के लिए मीटर गेज लाइन बिछाई गयी

इस भव्य महल को बनाने के लिए 2000 से 3000 लोग जुटे थे। इस महल की वास्तु शिल्प शैली को बुजार्ड शैली के रूप में माना जाता है जिसे इंडो- डेको (lndo- Deco) शैली भी कहा जाता है। यह भारत- औपनिवेशिक स्थापत्य शैली और डेको- कला का एक आदर्श उदाहरण है। महल के निर्माण की शैली को Indo Saracenic, Beaux Arts Style और Indo Deco Style का मिश्रण कह कर परिभाषित किया जाता है। डेको (Deco) कला स्थापत्य शैली यहाँ हावी है और यह 1920 और 1930 के दशक के आसपास की शैली है।

इस पैलेस के निर्माण में जोधपुर के छीतर पत्थर (बलुआ पत्थर) का उपयोग किया गया था। उम्मेद भवन पैलेस बनाने के लिए जोधपुर के सूरसागर फिदूसर की खानों से पत्थर निकाले गए थे। बड़े बड़े पत्थरों को उठाकर निर्माण स्थल तक लाने के लिए उन दिनों ज्यादा साधन नहीं हुआ करते थे तब इस समस्या को ध्यान में रखकर फिदुसर से प्रस्तावित महल के निर्माण स्थल तक बारह मील लम्बी मीटर गेज लाइन बिछाई गई और साथ ही साथ इन पत्थरों के परिवहन के लिए भी विशेष प्रकार के डिब्बों का निर्माण किया गया।

महल के निर्माण के दौरान आम तौर पर इन खंडों को जोडऩे के लिए चूने और सीमेंट के मसाले का इस्तेमाल किया जाता है, मगर यहां तो प्रत्येक खण्ड के लिए जटिल आंतरिक इण्टर लॉकिंग पद्धति काम में ली गई, ताकि यह मजबूत रहे। यह विशिष्टता बड़ी संख्या में पर्यटकों को इस महल की ओर आकर्षित करती है।

ताजमहल वाले पत्थरों से हुआ निर्माण

उम्मेद पैलेस और आगरा के ताजमहल में एक खास बात है कि दोनों के निर्माण में मकराना के सफेद पत्थर यानी संगे मरमर का इस्तेमाल किया गया है। इसे मारवाड़ का ताजमहल कहा जाता है।

उम्मेद भवन के निर्माण में आने वाली लकड़ियां बर्मा से मंगाई गयी

उम्मेद भवन के निर्माण में लकड़ी के काम के लिए बर्मा टीक काम में ली गई। इसके लिए विशेष रूप से बर्मा (म्यांमार) से लकड़ी मंगाई गई। इसके लिए बड़ी संख्या में कारीगरों ने वर्षों तक इसके खिड़की व दरवाजों का निर्माण किया। वहीँ यहाँ आंतरिक फर्नीचर के काम में बर्मा की सागौन की लकड़ी का उपयोग किया गया।

उम्मेद भवन पैलेस की बनावट

जब महल को बनाने का काम पूरा किया गया तो इसमें 347 कमरें कई आंगन और एक बड़े डाइनिंग हाल शामिल थे जिसमे 300 लोग एक साथ बैठ सकते थे। Umaid Bhawan Palace को तीन कलात्मक भागों में बनाया गया है शाही परिवार का निवास, एक लक्जरी Taj Palace Hotel (हेरिटेज होटल) और एक संग्रहालय जो 20वी सदी के जोधपुर के इतिहास पर केंद्रित है।

जहाँ शाही परिवार निवास करता है वहां एक सिंघासन कच्छ, एक खास मीटिंग हाल, जनता से मिलने के लिए एक दरबार हाल, एक दावत हाल, प्राइवेट डाइनिंग हाल, एक पुस्तकालय एक इंडोर स्विमिंग पूल, एक स्पा, एक बिलियर्ड रूम, चार टेनिस कोर्ट, दो अनूठे संगमरमर के इस्क्वेश बोर्ड और लंबे मार्ग बने हुए है।

महल के एक हिस्से को आलिशान होटल में बदल दिया गया है

1969 में महल के एक हिस्से को होटल में बदल दिया गया। महल का ये होटल ताज समूह द्वारा चलाया जाता है जिसे Taj Umaid Bhawan Palace कहा जाता है। एक सर्वेछड़ में इस होटल को दुनिया का सबसे अच्छा होटल माना गया है जिसमे शानदार Guest Room, Historical Suite, Royal Suite, Grand Royal Suite, Maharaja suite, Maharani Suit के साथ 64 मेहमान कच्छ है जिसमे डेको कला शैली की सजावट है।

ट्रिपएडवाइसर द्वारा आयोजित “ट्रैवलर चॉइस अवार्ड” में उमैद भवन पैलेस को विश्व के सबसे अच्छे होटल के रूप में सम्मानित किया गया था।

उम्मेद भवन में पर्यटकों को क्या है सबसे ज्यादा पसंद

शाम के समय इस महल को अनगिनत रौशनी की लड़ियों से सजाया जाता है इस महल में महाराजा के विंटेज कार कलेक्शन को भी देखा जा सकता है इस महल में नील आसमानी रंग की गुम्बद है जो पर्यटक को खूब लुभाती है।

उम्मेद भवन पैलेस संग्रहालय में शाही परिवार द्वारा इस्तेमाल की गयी प्राचीन वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित किया गया है। इस संग्रहालय में हवाई जहाज के मॉडल, पुराने समय के हथियार, पुरानी घड़ियों, बर्तन, कटलरी, शिकार की ट्राफियां और ऐसी ही कई प्राचीन वस्तुओं का अनूठा संग्रह एक शाही वैभव का अहसास करता है। पर्यटकों के लिए ये संग्रहालय 9 बजे से 5 बजे तक खुला रहता है।

संग्रहालय पैलेस के आकार की तुलना में काफी छोटा प्रतीत होता है जो की उसके होटल तथा आवास होने के कारण अतिथियों की तथा पूर्व राजपरिवार की निजता और सुरक्षा की दृष्टि के मध्येनजर राजस्थान के अन्य महलो की तरह स्वाभाविक है।

उम्मेद भवन पैलेस घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Umaid bhawan palace

उम्मेद भवन घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच में है इस दौरान यहाँ का मौसम बेहद सुहावना रहता है।

उम्मेद भवन पैलेस तक पहुंचेंगे कैसे – How To Reach Umaid bhawan palace

* उम्मेद भवन पैलेस पहुँचने के लिए आप हवाई जहाज के द्वारा भी यात्रा कर सकते हैं उनमेद भवन का नजदीकी हवाई अड्डा है जोधपुर जो की महल से करीब 3 किलोमीटर दूर है।
* ट्रैन के द्वारा जाना चाहते है तो जोधपुर स्टेशन 5 किलोमीटर की दुरी पर है और देश के सभी प्रमुख मार्गो से जुड़ा हुआ है।
* सड़क मार्ग से भी उम्मेद भवन पैलेस पहुंचा जा सकता है राजस्थान राज्य की बसें जयपुर बीकानेर सहित सभी प्रमुख शहरों को जोड़ने का काम करती है।

स्थिति

पैलेस रोड जोधपुर में स्थित उम्मैद भवन पैलेस से मेहरानगढ़ दुर्ग से 6.5 किमी और जसवंत थड़ा की समाधि से 6 किमी दूर है। यहाँ से अन्य पर्यटन स्थल भी काफी नजदीक हैं।

महल परिसर 26 एकड़ (11 हेक्टेयर) भूमि के क्षेत्र में 15 एकड़ (6.1 हेक्टेयर) बाग़ बगीचा सहित स्थापित है।

* कायलाना झील और उद्यान (13 किलोमीटर)
* बालसमंद झील (14.5 किमी लगभग)
* मसूरिया हिल्स (6 किमी)
* हवाई अड्डा : 4.5 किमी (लगभग)
* रेलवे स्टेशन : 4.5 किमी (लगभग)

इस महल का दुखद पहलु ये है की महल के निर्माण के 4 वर्ष बाद ही इसके निर्माता तत्कालीन महाराजा उम्मेदसिंह जी का स्वर्गवास हो गया। 1947 में भारत को आजादी मिलने के साथ राजाओं और रजवाडो के राज चला गया। सन 1952 में महाराजा उम्मेद सिंह के पुत्र हनुवंत सिंह जी का भी हवाई दुर्घटना में स्वर्गवास हो गया। हनुवंत सिंह जी पुत्र श्री गजसिंह जी ने उम्मेदभवन पैलेस को सन 1971 में होटल में तब्दील कर दिया तथा एक भाग में पूर्व राजपरिवार निवास करता है।

वर्तमान

वर्तमान में उम्मैद भवन पैलेस का मालिक गज सिंह है। इस पैलेस के तीन भाग है, एक लग्ज़री ताज होटल जो से है, एक शाही परिवार के लिए तथा एक संग्रहालय है। संग्रहालय के खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम 5 तक। यहाँ एक दीर्घा भी है जहाँ पर कई चीजें देखने को मिलती है। 1971-72 में गज सिंह द्वितीय महल के एक हिस्से को एक होटल में बदलने का फैसला किया।

विंटेज कारें और शाही शादियां

यह रियासतकाल की कई परंपराओं का साक्षी और एक ऐसी धरोहर है, जिस पर सभी को नाज है। आज उम्मेद भवन का अली अकबर हॉल कई यादगार आयोजनों के लिए जाना जाता है। पहले भवन के अंदर घुसते ही अंदरूनी हिस्से में झाडिय़ां थीं, जहां पार्किंग होती थी, बाद में विंटेज कारें रखी गईं। ये कारें रैली के समय निकलती हैं। आज इसका लॉन व बारादरी बरसों शानदार म्यूजिकल कार्यक्रमों के लिए जाने जाते हैं। आज यह भवन बहुचर्चित नीलामी, शाहीशादियों, राजसी पार्टियों के लिए भी जाना जाता है। म्यूजिकल नाइट में यह रंगबिरंगी रोशनी से जगमगाता है। रंगबिरंगी रोशनी में तो इसकी आभा बहुत खूबसूरत नजर आती है। इसे देखने का टिकट लगता है। देसी व विदेशी पर्यटकोंके लिए टिकट की दर अलग अलग है। पर्यटक अब इसका एक हिस्सा देखते हैं, इसके दूसरे हिस्से में होटल है।

परफेक्ट वेडिंग डेस्टिनेशन है उम्मेद भवन

आज यह महल बड़े बिजनेस घरानों की शाही शादियों और बॉलीवुड फिल्मों के लिए रॉयल डेस्टिनेशन है। इस पैलेस में एक रूम के लिए आपको 34 हजार से 8 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। इस शाही पैलेस के रूम में एक रात ठहरने का किराया करीब 42,600 रुपये है। वहीं हिस्टॉरिकल स्वीट्स का किराया 58,600 रुपये, रॉयल स्वीट्स का 1,27,600 रुपये, ग्रैंड रॉयल स्वीट्स का 218,100 रुपये और प्रेजडेन्शल स्वीट्स की रूम फीस 5,02,600 रुपये है। जबकि महाराजा और महारानी सुईट में एक रात का खर्च 8 से ज्यादा है।

उम्मेद भवन पैलेस : फैक्टफाइल

लॉन सहित उम्मेद भवन का निर्माण : 26 एकड़ क्षेत्रफल में
भवन का शिलान्यास : 18 नवम्बर सन 1929 को महाराजा उम्मेद सिंह ने किया

शिलान्यास के मुहूर्त पर खर्च : कुल 34,836 रुपये और 7 आने
महल की तामीर का स्थान : 195 मीटर लंबाई और 103 मीटर चौड़ाई में

महल निर्माण की शुरुआती राशि : 52,12,000 रुपये
भवन के निर्माण पर खर्च : 94,51,565 रुपये

कन्स्ट्रक्शन-प्रोजेक्ट वर्क : 1,09,11,228 रुपयों की लागत से पूरा
बगीचे की जगह : 15 एकड़ भूमि

केंद्रीय गुम्बज : ऊंचाई 150 फीट, गोलाई के लिए 15 बड़े- बड़े स्तम्भ
पैलेस में कमरे : 365

महल में लकड़ी : 20,000 घन फुट बर्मा महल में विद्युत तार : 10,00,000 मीटर

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