वाट रोंग खुन मंदिर, थाईलैंड
(Wat Rong Khun, Chiang Rai, Thailand)
थाईलैंड के इस अनोखे मंदिर में आप देख सकते हैं ‘स्वर्ग’ और ‘नरक’
दुनिया का सबसे खूबसूरत मंदिर!
दुनिया में ‘व्हाइट टेम्पल’ के नाम से मशहूर थाईलैंड का वाट रोंग खुन (Wat Rong Khun) मंदिर बेहद अनोखा है। यह मंदिर बौद्ध मंदिर है। यहां का आर्किटेक्चर हिन्दू और बौद्ध धर्म की मान्यताओं से प्रेरित है। इसे देखने वाले कहते हैं कि यह किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता।
Wat Rong Khun एक नया मंदिर है जिसके बावजूद वो Thailand Landmarks में बहुत तेजी से अपनी जगह बना रहा है। इस बौद्ध मंदिर का सन् 1997 में निर्माण करने वाले थाई आर्टिस्ट चल्लेमाई कोट्जपिपत (Chalermchai Kositpipat) का मकसद दुनिया का सबसे खूबसूरत मंदिर बनाना था। यकीनन मंदिर के भीतर कदम रखते ही आपको इसकी अद्भुत खूबसूरती का अंदाजा हो जाएगा। फिर आप भी कहेंगे, ‘धरती पर Wat Rong Khun जैसी कोई दूसरी जगह नहीं है।’
‘नरक’ से होकर ही जा पाएंगे ‘स्वर्ग’ में
जब मंदिर के सामने पहुंचेंगे हैं, तो आप खुद को कई निराश हाथों के बीच पाएंगे। हैंड्स ऑफ हेल यानि कि ये नरक से आते हुए हाथ हैं, जो पर्यटकों को संदेश देती है। यह नरक है - बौद्ध धर्म के मुताबिक, यह अंतहीन गढ्डा इंसानों की भूख और इच्छाओं को दर्शाता है। ‘नरक’ के इस पुल को पार करने के बाद स्वर्ग के दो सिपाही आपके स्वागत में खड़े होंगे। कई रास्तों से गुजरने के बाद यहां एक 'स्वर्ग का द्वार' भी बनाया गया है।
इस पुल से नहीं लौट सकते वापस
जिस पुल से होकर आप ‘स्वर्ग’ तक पहुंचते हैं। उस रास्ते से मुड़कर आप वापस नहीं लौट सकतें, क्योंकि यह रास्ता सिर्फ आगे ले जाने के लिए है। अगर आप उसी रास्ते से लौटने की कोशिश करेंगे, तो मंदिर के सुरक्षाकर्मी आप पर चिल्लाने से कतराएंगे नहीं।
यह पुल देता है बौद्ध मार्ग का ज्ञान
यह पुल बौद्ध मार्ग की पहचान है, जो इंसान को ‘नरक’ से ‘स्वर्ग’ तक ले जाने का ज्ञान देता है। बुद्धिज़म/ बौद्ध धर्म में इसे ज्ञान पाने का एक रास्ता बताया है, जो नर्क से स्वर्ग की तरफ़ जाता है। यानि अगर कुछ बनना है, तो आपको पहले सीखना पड़ेगा और सीखते हुए कई कठनाईयां भी आएंगी। 1997 से अभी तक इस मंदिर को 5 मिलियन से भी ज्यादा पर्यटकों ने निहारा है।
खूबसूरत तस्वीरों से सजा है मंदिर
मंदिर का गर्भ पारंपरिक बौद्ध तस्वीरों के साथ जुड़े आधुनिक सांस्कृतिक संदर्भों से अटा है, जो कला का एक शानदार नमूना पेश करती हैं। इस बौद्ध मंदिर का हर कोना, हर प्रतिमा कुछ न कुछ संदेश देता है।
इस मंदिर का सफेद रंग भगवान बुद्ध की पवित्रता का प्रतीक है। जबकि इसमें जड़े गए छोटे छोटे शीशे, खुद के मन को पढ़ने और दूसरों के प्रति दयालु रहने का संदेश देते हैं। यह मंदिर चारों ओर से तालाब से घिरा है, जिसमें कई काली और सफेद मछलियां पाली गई हैं।
इस मंदिर के निर्माण में लगे लाखों डॉलर
मंदिर को बनाने वाले चल्लेमाई कोट्जपिपत ने इसके निर्माण पर लाखों डॉलर खर्च किए हैं। सिर्फ मंदिर के ऊपर का हिस्सा ही दस हजार अमेरिकी डॉलर से बना है। बता दें, 5 मई 2014 में एक भूकंप ने इस मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया था। हालांकि, चल्लेमाई ने हार नहीं मानी और अपने इस सपने को पूरा करने में जुटे रहे।
लेकिन आर्किटेक्ट चालरेमशाई कॉसिपिपैट ने इस मंदिर को 2 साल के अंदर ही एक बार फिर पहले जैसे बनाने का जिम्मा उठाया। फिलहाल, मंदिर का केवल कुछ भाग ही लोगों के लिए खुला है।
63 साल के हो चुके हैं इसे बनाने वाले आर्टिस्ट
चियांग राय (Chiang Rai) में जन्मे चल्लेमाई कोट्जपिपत 63 साल के हैं। वह अपनी स्कूलिंग और ग्रेजुएशन थाई 'स्कूल ऑफ़ आर्ट्स' से की थी। जब उन्होंने काम करना शुरू किया, तो उनकी आर्ट पर काफ़ी कॉन्ट्रोवर्सी हुई। इसलिए उन्होंने अपनी इस कला को श्रीलंका और लंदन में बेचा। जब वो कई सालों बाद अपने होमटाउन वापस आए, तो उन्होंने वहां एक मंदिर बनाने का सोचा। थाईलैंड में उन्होंने जिन मूर्तियों और मंदिर को बनाया, उनमें थाई बौद्ध शैली की छाप दिखाती है। उनकी कला को मॉर्डन आर्ट सिम्बल और ट्रेडिशनल थाई आर्ट का मिश्रण माना गया।
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