बुधवार, 27 मई 2020

माई सन मंदिर, वियतनाम


माई सन मंदिर, वियतनाम

डेढ़ हज़ार साल पहले वियतनाम के दक्षिणी हिस्से को चंपा कहा जाता था। उस वक़्त ये समुद्री व्यापार का केंद्र था। इसी वजह से वहां कई जगहों की संस्कृति पहुंच गई। चंपा के लोगों को चाम कहा जाता था।

वियतनाम स्थित ‘माई सन मंदिर’ पर हिन्दू  प्रभाव है और यहां कृष्ण, विष्णु तथा शिव की मूर्तियां हैं। शिवलिंग भी बहुत थे। इसमें बहुत सारे हिन्दू मंदिर थे। यह परित्यक्त और आंशिक रूप से ध्वस्त हिन्दू मंदिर हैं। अब कुल 20 मंदिर बचे हैं। माई सन, चम्पा राज्य की राजनीतिक और सांस्कृतिक राजधानी थी। मंदिर परिसर पर भारतीय प्रभाव है। मंदिर परिसर मध्य वियतनाम के क्वांग नाम प्रांत के दुय फू गांव के पास स्थित है। मंदिर परिसर करीब दो किलोमीटर लंबी-चौड़ी घाटी में स्थित है जो दो पहाड़ों से घिरा हुआ है।

माई सन अब यूनेस्को (UNESCO) की प्रसिद्ध विश्व विरासतों में आता है। जिसको पुनर्स्थापित करने का जिम्मा अब भारतीय पुरातत्व विभाग को दिया गया है।

चंपा के राजाओं ने कराया था निर्माण

मी सान, वियतनाम के उन मन्दिरों को कहते हैं जिन्हें महान राजवंश चम्पा के राजाओं ने चौथी शताब्दी से 14वीं शताब्दी के बीच बनवाया था। ये मंदिर शिवमंदिर हैं जिनमें शिव के विभिन्न स्थानीय नाम से पूजा होती है। इनमें "भद्रेश्वर" प्रमुख हैं। चंपा राजवंश वियनाम में सबसे महान स्वर्णकाल माना जाता है। इस दौरान माई सन हेरिटेज साइट में यहां पर अनेकों हिंदू मंदिरों को बनाया गया। जिनके संरक्षण का कार्य फिलहाल जारी है।

वियतनाम वॉर के दौरान एक सप्ताह में ही अमेरिका की बमबारी से इस परिसर को बड़े पैमाने पर नुकासन पहुंचा था। इस दौरान यह मंदिर परिसर लगभग तबाह हो गया था।

हिंदू राज्य था चंपा

वियतनाम का चंपा क्षेत्र प्राचीन काल में हिंदू राज्य और हिंदू धर्म का गढ़ था। यहां स्थानीय समुदाय चम का शासन दूसरी शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक रहा था।

192 ईस्वी में चंपा का राज्य बना था। जब चीन के हान वंश का साम्राज्य टूटा था। चंपा का राज्य 192 से लेकर 1697 ईस्वी तक रहा। चंपा के लोग बड़े हिम्मती थे। चीन के राजा, मंगोल, खमेर और वियतनाम के लोगों के हमले का बहादुरी से सामना किया था। और अपना राज्य बचाए रखा।

चाम बस लड़ाकू ही नहीं थे, धन-सम्पदा भी बहुत थी उनके पास। सोना, चांदी, जवाहरात, मसाले सब था। चीन, ताइवान, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, इंडिया, मिडिल ईस्ट, नार्थ अफ्रीका सबसे व्यापार होता था।

कहा जाता है कि कोलंबस ने अपने आखिरी यात्रा में चम्पा जाने का प्लान बनाया था। वहां की धन-सम्पदा के बारे में सुनकर।

हिंदुस्तान से हिन्दू और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग भी वहां पहुंचे थे। ईसा से 400 साल पहले से ही चंपा में हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। पर चाम लोगों के हिसाब से। शिव की मूर्ति में चौड़ी नाक, मोटे होंठ और एक हल्की सी मुस्कान है। ये वहां के लोगों की तरह है।

18वीं शताब्दी में चंपा का राज्य ख़त्म हो गया। 14वीं शताब्दी से इस पर हमले होने लगे थे। 1441 में चंपा के राजा की मौत हो गई। बाकी वियतनाम के राजा ने इस पर हमला कर दिया। फिर भी थोड़ा बहुत चाम राज्य बचा था जो 17वीं शताब्दी में पूरी तरह ख़त्म हो गया। लगभग 1500 साल तक चला था चाम राज्य।

चम समुदाय में ज्यादातर लोग हिंदू थे। चंपा साम्राज्य के लोग अभी भी कम्बोडिया और वियतनाम के बॉर्डर पर रहते हैं। लगभग दस लाख की जनसंख्या है इनकी। चाम और कम्बोडियन दोनों भाषाएं बोलते हैं। साम्राज्य टूटने के बाद बहुत सारे चाम कंबोडिया भाग गए। वहां कई लोगों ने बौद्ध और इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लिया। पर अभी भी ज्यादातर चाम हिन्दू ही हैं।

चंपा

कहानियों के मुताबिक चंपा को पो नगर नाम की देवी ने बसाया था। बचपन में पो को एक जंगल में छोड़ दिया गया था। एक लकड़हारे ने पो को बेटी की तरह पाला-पोसा था। पो जब बड़ी हो गई तो एक दिन जंगल से चन्दन की एक लकड़ी ले आई। फिर अपने मां-बाप से बोली कि मुझे चीन के राजकुमार से शादी करनी है। मां-बाप बड़े परेशान हुए। पर पो चली गई। समुद्र के किनारे जाकर उसने चन्दन की लकड़ी पानी में डाल दी। वो लकड़ी बहते-बहते चीन पहुंच गई। एक मछुआरे ने उसे पाया और कीमती चीज समझकर राजमहल तक पहुंचा दिया। वहां राजकुमार ने उसे सिल्क के कपड़े में लपेट कर रख दिया। रात को वो कपड़ा चलने लगा। जब राजकुमार ने उसे रोक कर देखा तो उसमें से पो निकल आई। दोनों ने शादी कर ली। फिर चैन से रहने लगे। पर एक दिन अपने पति से पो की बहस हो गई। क्योंकि पो को अपने मां-बाप के पास जाना था। और राजकुमार उसे एक दिन के लिए भी नहीं छोड़ना चाहता था। तो पो समुद्र के किनारे गई और चन्दन की लकड़ी को पानी में फेंक दिया। फिर गायब हो गई। राजकुमार भड़क गया। उसने एक जहाज तैयार किया पो को खोजने के लिए। पर वहां के देवता ज्यादा भड़क गए और राजकुमार के जहाज को पत्थर बना दिया। पो फिर वियतनाम में ही रह गई। वहां उसने अच्छे काम किये। मरने के बाद पो को चाम लोग उस जगह की देवी मानने लगे।

मंदिर की खुदाई के दौरान मिला 1100 साल पुराना शिवलिंग

साउथ ईस्ट एशिया का छोटा-सा खूबसूरत और शांत देश है- वियतनाम। वियतनाम और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध काफी पुराने हैं। यहां चौथी से लेकर 13वीं शताब्दी तक की बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के जुड़ी कलाकृतियां पहले भी मिलती रही हैं। हाल में वियतनाम में बलुआ पत्थर का विशाल शिवलिंग खुदाई में मिला है।

मंदिर परिसर में मिला शिवलिंग

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को गत बुधवार को वियतनाम के माई सोन मंदिर परिसर (एक संरक्षण परियोजना) की खुदाई के दौरान 9वीं शताब्दी का शिवलिंग मिला है। यह शिवलिंग बलुआ पत्थर का है और एक मॉनोलिथिक यानि एकल पत्थर से बना शिवलिंग है। और इसे किसी तरह की हानि नहीं पहुंची है।

दरअसल ये विशाल शिवलिंग वियतनाम कुआंग नाम प्रांत में स्थित की यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट माई सन (My Son) में मिला है। जहां पर चाम मंदिर परिसर में एएसआई की टीम संरक्षण एवं मरम्मत के एक प्रोग्राम में जुटी है। 4 सदस्यीय एएसआई की ये टीम पिछले 3 साल से यहां मंदिर परिसर के संरक्षण एवं मरम्मत का काम कर रही है। इससे पहले भी यहां अन्य 6 शिवलिंग मिल चुके हैं। लेकिन ये ताज़ा खोज़ बेहद महत्तवपूर्व मानी जा रही है।

1903-04 के दौरान फ्रांसीसी विशेषज्ञों की एक टीम ने इस मंदिर परिसर को खोजा था। उस दौरान फ्रांसीसी पुरातत्विदों की टीम ने भी यहां विशाल शिवलिंग के होने की संभावना व्यक्त की थी। लेकिन तब साधनों के अभाव के कारण ये खोजा न जा सका। इसके बाद वियतनाम की राजनीतिक उठापटक और युद्ध के चलते ये खोज कभी संभव नहीं हो पायी। बल्कि इस दौरान ये मंदिर परिसर और क्षतिग्रस्त होता गया। लेकिन मौजूदा भारत सरकार ने वियतनाम सरकार के साथ मिलकर एक डेवलपमेंट पार्टनरशिप डिविजन बनायी। जोकि दोनों देशों के बीच साझी संस्कृति की खोजबीन औऱ उसके संरक्षण का काम कर रही है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्विट कर दी जानकारी

इस खोज पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) की प्रशंसा करते हुए, देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा कि 9वीं शताब्दी का अखंड बलुआ पत्थर शिवलिंग वियतनाम के मई सन मंदिर परिसर में जारी संरक्षण परियोजना की नवीनतम खोज है। एएसआई की टीम को बधाई।’

बेहद खास है यह मंदिर परिसर

विदेश मंत्री ने खुदाई की तस्वीरें ट्वीट कर 2011 में इस अभयारण्य की अपनी यात्रा को भी याद किया। अपने एक अन्य ट्विट में उन्होंने इस खोज को भारत की विकास साझेदारी का एक महान सांस्कृतिक उदाहरण बताया। बता दें कि इस मंदिर परिसर से पहले भी कई मूर्तियां और कलाकृतियां मिली हैं, जिनमें भगवान राम और सीता की शादी की कलाकृति और नक्काशीदार शिवलिंग प्रमुख हैं।

माई सन मंदिर गए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

वियतनाम की तीन दिवसीय यात्रा पर आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सोमवार को वियतनाम स्थित ‘माई सन मंदिर’ देखने गए। राष्ट्रपति कोविंद ने अपनी यात्रा के यादगार के रूप में मंदिर परिसर में एक पौधा भी लगाया।

राष्ट्रपति कोविंद ने वियतनाम के दा नांग शहर में स्थित चाम संग्रहालय की कलाकृतियों की प्रशंसा की। चम्पा राज्य के शिल्प वहां प्रदर्शित किए गए हैं जिनपर हिन्दू धर्म का गहरा प्रभाव है। कोविंद ने ‘माई सन मंदिर’ परिसर में आयोजित स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का लुत्फ लिया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें