विश्व अस्थमा दिवस (मई माह का पहला मंगलवार): (World Asthma Day in Hindi)
विश्व अस्थमा दिवस कब मनाया जाता है?
संपूर्ण विश्व में प्रत्येक वर्ष मई महीने के पहले मंगलवार को ‘विश्व अस्थमा (दमा) दिवस’ मनाया जाता है। वर्ष 2019 में इस दिवस की थीम (Theme) ‘स्टॉप फॉर अस्थमा (STOP for Asthma)’ रखी गई है। पिछले वर्ष 2018 में इस दिवस की थीम -‘एलर्जी और अस्थमा’- दमा की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए समर्पित थी।
विश्व अस्थमा दिवस का इतिहास:
वर्ष 1998 में इस दिवस को मनाने की शुरूआत की गई थी। इस दिन संपूर्ण विश्व में अस्थमा के रोगियों को अस्थमा नियंत्रित रखने के लिए प्रोत्साहित करने वाली गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
विश्व अस्थमा दिवस का उद्देश्य:
विश्व अस्थमा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है विश्वभर के लोगों को अस्थमा बीमारी के बारे में जागरूक करना। एक अनुमान के मुताबिक भारत में अस्थमा के रोगियों की संख्या लगभग 15 से 20 करोड़ है जिसमें लगभग 12 प्रतिशत भारतीय शिशु अस्थमा से पीड़ित हैं। वर्ष 2013 में 7 मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया। वर्ष 2013 हेतु विश्व दमा दिवस का विषय था- दमा को नियंत्रित रखना संभव है। विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन प्रत्येक वर्ष ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (जीआईएनए) द्वारा किया जाता है। वर्ष 1998 में पहली बार बार्सिलोना, स्पेन सहित 35 देशों में विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया।
विश्व अस्थमा (दमा) दिवस के विषय (Theme):
विश्व अस्थमा (दमा) दिवस 2019 का विषय: “स्टॉप फॉर अस्थमा” है। विश्व अस्थमा (दमा) दिवस 2018 का विषय: ‘एलर्जी और अस्थमा’ - दमा की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए समर्पित थी। विश्व अस्थमा (दमा) दिवस 2017 का विषय: ‘अस्थमाः बेहतर वायु, बेहतर सांस’ (Asthma: Better Air, Better Breathing) था। विश्व अस्थमा (दमा) दिवस 2016 का विषय: ‘आप अपने अस्थमा को नियंत्रित कर सकते हैं’ (You can control your Asthma) था।
अस्थमा (दमा) किसे कहते है?
अस्थमा या दमा श्वसन तंत्र की बीमारी है जिसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि श्वसन मार्ग में सूजन आ जाने के कारण वह संकुचित हो जाती है। इस कारण छोटी-छोटी सांस लेनी पड़ती है, छाती मे कसाव जैसा महसूस होता है, सांस फूलने लगती है और बार-बार खांसी आती है।
अस्थमा के कारण:
अस्थमा का एटैक आने के बहुत सारे कारणों में वायु का प्रदूषण भी एक कारण है। एलर्जी के अलावा भी दमा होने के बहुत से कारणों में से कुछ इस प्रकार है -
घर के धूल भरा वातावरण। घर के पालतू जानवर। बाहर का वायु प्रदूषण। सुगंधित सौन्दर्य (perfumed cosmetics) प्रसाधन। सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस (bronchitis) और साइनसाइटिस (sinusitis) का संक्रमणध्रूमपान। अधिक मात्रा में शराब पीना।सर्दी के मौसम में ज़्यादा ठंड। तनाव या भय के कारण। अतिरिक्त मात्रा में प्रोसेस्ड या जंक फूड खाने के कारण। ज़्यादा नमक खाने के कारण। आनुवांशिकता (heredity) के कारण आदि।
अस्थमा के लक्षण:
अस्थमा के लक्षण की बारे में बात करते ही पहली बात जो मन में आती है, वह है साँस लेने में कठिनाई। अस्थमा का रोग या तो अचानक शुरू होता है या खाँसी, छींक या सर्दी जैसे एलर्जी वाले लक्षणों से शुरू होता है।
साँस लेने में कठिनाई होती है। सीने में जकड़न जैसा महसूस होता है। दमा का रोगी जब साँस लेता है तब एक घरघराहट जैसा आवाज होती है। साँस तेज लेते हुए पसीना आने लगता है। बेचैनी-जैसी महसूस होती है। सिर भारी-भारी जैसा लगता है। जोर-जोर से साँस लेने के कारण थकावट महसूस होती है। स्थिति बिगड़ जाने पर उल्टी भी हो सकती है।
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विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) : मई महीने के पहले मंगलवार को
विश्व अस्थमा दिवस प्रत्येक वर्ष के मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में अस्थमा की बीमारी और देखभाल के बारे में जागरूकता फैलाने एवं शिक्षा के लिए मनाया जाता है। जबकि primary focus अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति, परिवार, दोस्तों और देखभाल करने वालों का सपोर्ट करना होता है।
विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन दमा और इसके इलाज के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। अस्थमा के मरीज़ों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है। वर्तमान समय में वायु प्रदूषण को देखते हुए अस्थमा के रोगियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
विश्व अस्थमा दिवस का उद्देश्य :
विश्व अस्थमा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्वभर के लोगों को अस्थमा बीमारी के बारे में जागरूक करना है। भारत में एक अनुमान के मुताबिक अस्थमा के रोगियों की संख्या लगभग 15 से 20 करोड़ है जिसमें लगभग 12 प्रतिशत भारतीय शिशु अस्थमा से पीड़ित हैं।
विश्व अस्थमा दिवस का विषय :
* वर्ष 2019 के लिए विश्व अस्थमा दिवस का विषय ‘स्टॉप फॉर अस्थमा (STOP for Asthma)’ है। इसे एक शब्द के रूप में नहीं, बल्कि एक विस्तृत अभियान के तहत देखना चाहिए।
यहाँ ‘स्टॉप’ का अर्थ है :-
एस (S) यानी सिम्पटम्स इवैल्यूएशन (लक्षणों का मूल्यांकन). टी (T) यानी टेस्ट रेस्पांस (परीक्षण पर प्रतिक्रिया). ओ (O) यानी ऑब्जर्व एंड असेस (निगरानी और मूल्यांकन). पी (P) यानी प्रोसीड टू एडजस्ट ट्रीटमेंट (इलाज के तौर-तरीके समायोजित करना) है।
* 2020 का थीम है : ‘Enough Asthma Deaths’.
विश्व अस्थमा दिवस का इतिहास (History of World Asthma Day) :
विश्व अस्थमा दिवस मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में घोषित किया गया है। विश्व अस्थमा दिवस साल 1998 में पहली बार बार्सिलोना, स्पेन सहित 35 देशों में मनाया गया। विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन प्रत्येक वर्ष ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (जीआईएनए) (GINA) द्वारा किया जाता है।
ग्लोबल इनीशिएटिव फॉर अस्थमा (जीआईएनए) क्या है?
ग्लोबल इनीशिएटिव फॉर अस्थमा (जीआईएनए) राष्ट्रीय हृदय, फेफड़े और रक्त संस्थान, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से साल 1993 में शुरू किया गया था। यह अस्थमा के प्रसार, रुग्णता एवं मृत्यु दर को कम करने के लिए विश्व भर के स्वास्थ्य पेशेवरों और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ काम करता है।
अस्थमा के बारे में :
What is Asthma? (अस्थमा क्या है)
अस्थमा फेफड़ों की एक पुरानी बीमारी है, जिसके कारण सांस लेने में समस्या होती है। अस्थमा के लक्षणों में सांस फूलना, खांसी, घरघराहट और छाती में जकड़न होना शामिल है। ये लक्षण आवृत्ति और गंभीरता (frequency and severity) में भिन्न होते हैं। जब लक्षण नियंत्रण में नहीं होते हैं, तो वायुमार्ग (airways) साँस लेना मुश्किल हो सकता है। जबकि अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता है, लक्षणों को नियंत्रित करने से दमा से पीड़ित लोगों को पूरा जीवन जीने में सक्षम किया जा सकता है.
अस्थमा के मरीजों को आजीवन कुछ सावधानियां अपनानी पड़ती हैं जिसकी वजह से मरीज़ों को प्रत्येक मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है। अस्थमा के मरीज़ों के लिए आहार की कोई बाध्यता नहीं होती, लेकिन अगर उन्हें किसी खास प्रकार के आहार से एलर्जी हो तो उससे परहेज़ करना चाहिए।
वैसे यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन हाल के वर्षों की बात की जाए तो बच्चों में यह बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है।
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