बुधवार, 13 मई 2020

जम्मू-कश्मीर में स्थित हिंदू मंदिर

जम्मू-कश्मीर में स्थित हैं ये प्रसिद्ध हिंदू मंदिर

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर राज्य में सिर्फ वैष्णो माता का मंदिर ही नहीं बल्कि कई और प्रसिद्ध हिंदू मंदिर भी हैं। इनमें से कई तो 9वीं शताब्दी में निर्मित मंदिर हैं, जो अब खंडहर रूप में ही शेष रह गए हैं लेकिन हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था आज भी इन मंदिरों में उतनी ही है जितनी पहले हुआ करती थी। यहां हम आपको उन्हीं मंदिरों के बारे में बता रहे हैं।

मार्तण्ड सूर्य मंदिर : अनंतनाग और पहलगाम के रास्ते में स्थित भगवान शिव के मंदिर मट्टन से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मार्तण्ड में सूर्यदेव को समर्पित मंदिर है। इस मंदिर का ज्यादातर हिस्सा खंडहर की तरह हो गया है। यह मंदिर अपने वैभवाकाल में कितना विशाल और समृद्ध रहा होगा, इसका अंदाजा इसके खंडहरों को देखकर लगाया जा सकता है। आज भी इस मंदिर के 84 प्रकोष्ठ देखें जा सकते हैं।

सुद्धमहादेव : जम्मू-कश्मीर राज्य में जम्मू से करीब 125 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सुद्धमहादेव का मंदिर। यह मंदिर शिव भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कई पौराणिक और धार्मिक कथाओं में मां पार्वती और शिव शंभू से जुड़ी कई कहानियाों में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है।

शंकराचार्य मंदिर : दैत्य गुरु शंकराचार्य को समर्पित इस मंदिर का निर्माण महाराजा अशोक के बेटे जलुका ने कराया था। जबकि मंदिर के भीतर जो वर्तमान ढांचा है, उसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण किसी हिंदू श्रद्धालु ने कराया था, जिसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।

अवंतिपुर : जम्मू-कश्मीर स्थित अवंतिपुर एक ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल है। यहां 9वीं शताब्दी में बने मंदिरों के खंडहर और अवशेष बाकी हैं। यहां भगवान शिव को समर्पित मंदिर अवंतिश्वर और अवंतिस्वामि मंदिर हैं। इन मंदिरों के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इनका निर्माण कार्य प्रथम उत्पल राजा सुखवर्मन के बेटे अवंतिवर्मन ने कराया था।

परी महल : जम्मू शहर से करीब 11 किमी की दूरी पर स्थित है परी महल। यह महल कभी बौद्ध मठ था। लेकिन मुगल बादशाह शाहजहां के बेटे दाराशिकोह ने इसे ज्योतिष स्कूल के रूप में परिवर्तित कर दिया।

मट्टन : श्रीनगर से इस मंदिर की दूरी करीब 61 किलोमीटर है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर पहलागम मार्ग पर स्थित है।

मां ज्वाला देवी मंदिर : हिमाचल से अलग कश्मीर में भी भगवती ज्वाला देवी मंदिर स्थित है। पौराणिक काल का यह मंदिर दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के ख्रियु में स्थित है। यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आराध्य देवी को समर्पित है। किंतु करीब तीन साल पहले रहस्यमयी परिस्थियों में इस मंदिर में आग लग गई और जिससे इस मंदिर को बहुत क्षति हुई है।

त्रिपुरसुंदरी मंदिर : यह मंदिर दक्षिण कश्मीर में बसा हुआ था. लेकिन देवसर इलाके के इस मंदिर को कट्टरपंथियों ने तोड़ दिया था. अब यह मदिर भी सिर्फ खंडहर की शक्ल में ही बचा हुआ है.

भवानी मंदिर : यह मंदिर कश्मीर के अनंतनाग के लकड़ीपोरा गांव में है. देवी के इस मंदिर की देखरेख अब मुसलमान करते हैं. 1990 में जब हिन्दु इस गांव से चले गए तो काफी समय तक यह मंदिर सूना पड़ा रहा. लेकिन वहां के मुसलामानों ने इस मंदिर की व्यवस्था का ध्यान रखा. हालांकि हिंदू जनसँख्या कम होने की वजह से यहां बहुत लोग नहीं आते.

खीर भवानी मंदिर : यह मंदिर कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर है. कश्मीर के तुल्ला मुल्ला गांव के यह मंदिर रंगन्या देवी का है जो कश्मीरी पंडितों के लिए बहुत आराध्य हैं. पहले यहां हर साल खीर भवानी महोत्सव भी होता था. लेकिन जब से घाटी में आतंकवाद बढ़ा, मंदिर बंद पड़ा है.

शीतलेश्वर मंदिर : श्रीनगर के हब्बा कदल इलाके में 2000 साल पुराना शीतलेश्वर मंदिर है। जर्जर अवस्था में पहुंच चुके इस मंदिर को कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने स्थानीय मुस्लिम आबादी के सहयोग से फिर से आबाद किया था लेकिन लगातार हिंसा के चलते अब यह विरान पड़ा है। हालांकि समय समय पर यहां कश्मीरी पंडित जाते रहते हैं।

रघुनाथ मंदिर:- जम्मू और कश्मीर के जम्मू में रघुनाथ मंदिर को महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में बनवाया था और बाद में उनके पुत्र महाराजा रणवीरसिंह ने 1860 में इसे पूरा करवाया था। इस मंदिर की आंतरिक सज्जा में सोने की पत्तियों तथा चद्दरों का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर में देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां दर्शनीय हैं।

रणवीरेश्वर मंदिर : जम्मू और कश्मीर के जम्मू में प्रसिद्ध मंदिर ‘रणवीरेश्वर मंदिर’ है जिसकी ऊंचाई के आगे सारी इमारतें छोटी दिखाई पड़ती हैं। महाराजा रणवीर सिंह द्वारा 1883 में बनाया गया यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है तथा पत्थर की पट्टी पर बने प्रहत शिवलिंगों के कारण प्रसिद्ध है।

पीर खो : शहर से 3.5 किमी की दूरी पर सर्कुलर रोड पर स्थित यह स्थान एक प्राकृतिक शिवलिंग के कारण प्रसिद्ध है जिसके इतिहास की जानकारी आज भी नहीं मिल पाई है लेकिन लोककथा यह है कि इस लिंगम के सामने स्थित गुफा देश के बाहर किसी अन्य स्थान पर निकलती है।

लद्दाख के मठ : यदि हम लद्दाख की बात करें तो यहां बौद्ध मंदिर और मठ ही हैं। लद्दाख में लेह महल, लेह महल के पास ही स्थित यह गोम्पा भगवान बुद्ध की डबल स्टोरी मूर्ति के लिए जाना जाता है जिसमें भगवान बुद्ध को बैठी हुई मुद्रा में दिखाया गया है। यह भी शाही मठ है। इसके अतिरिक्त लेह के आसपास आलचरी गोम्पा, चोगमलसार, हेमिस गोम्पा, लामायारू, लीकिर गोम्पा, फियांग गोम्पा, शंकर गोम्पा, शे मठ तथा महल, स्पीतुक मठ, स्तकना बौद्ध मंदिर, थिकसे मठ तथा हेमिस मठ आदि हैं।

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