मंगलवार, 12 मई 2020

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (12 मई)

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (12 मई) – International Nurse Day (वर्ल्‍ड नर्सिंग डे/ इंटरनेशनल नर्स डे) या आइ॰एन॰डी॰ (IND)

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस कब मनाया जाता है?

दुनिया भर में हर साल 12 मई को विश्व नर्सिंग के संस्थापक (अंतर्राष्ट्रीय नोबेल सर्विस देने वाली) फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल (Florence Nightingale) के जन्मदिवस को ‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ (आईएनडी) के रूप में मनाया जाता है। 12 मई को नर्स दिवस इसके संस्थापक के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें नाइटिंगेल ऑफ फ्लोरेंस (Nightingale of Florence) कहा जाता है।

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का इतिहास (History of International Nurses Day) :-

‘नर्स दिवस’ को मनाने का प्रस्ताव 1953 में पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी डोरोथी सदरलैंड (Dorothy Sutherland) ने प्रस्तावित किया था। अंतत अमेरिकी राष्ट्रपति डेविट डी. आइजनहावर (Dwight D. Eisenhower) ने इसे मनाने की मान्यता प्रदान (घोषणा) की।

अंतरराष्ट्रीय नर्स परिषद (इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स- (ICN) आईसीएन) ने इस दिवस को पहली बार वर्ष 1965 में मनाया। नर्सिंग पेशेवर की शुरूआत करने वाली प्रख्यात ‘फ्लोरेंस नाइटइंगेल’ के जन्म दिवस 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाने का निर्णय इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स (ICN) ने जनवरी 1974 में लिया। फ्लोरेंस नाइटिंगेल जो की आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक दार्शनिक थी उनका जन्म इस दिन यानि 12 मई 1820 को हुआ था। क्रीमियन युद्ध के दौरान नर्सों के प्रबंधक और प्रशिक्षक के रूप में काम करते हुए नाइटिंगेल को बहुत प्रसिद्धि मिली थी। उन्होंने नर्सिंग को एक पेशा बनाया और वह विक्टोरियन संस्कृति की एक आइकन बनीं।

हर साल इस दिन ICN अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस किट तैयार करता है और वितरित करता है जिसमें शैक्षिक और सार्वजनिक सूचना सामग्री होती है जो जनता के बीच नर्सों द्वारा उपयोग की जा सकती है।

आपको बता दें कि 1998 से 8 मई को राष्ट्रीय छात्र नर्स दिवस (National Student Nurse's Day) मनाया जाता है और 6 मई से 12 मई तक राष्ट्रीय नर्स सप्ताह (National Nurses week) चलता है।

अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस का महत्व (International Nurses Day Importance) :-

नर्सिंग को विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य पेशे के रूप में माना जाता है। नर्सिस को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्तर जैसे सभी पहलुओं के माध्यम से रोगी की देखभाल करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित, शिक्षित और अनुभवी होना चाहिए। जब पेशेवर चिकित्सक दूसरे रोगियों को देखने में व्यस्त होते है, तब रोगियों की चौबीस घंटे देखभाल करने के लिए नर्सिस की सुलभता और उपलब्धता होती हैं। नर्सिस से रोगियों के मनोबल को बढ़ाने वाली और उनकी बीमारी को नियंत्रित करने में मित्रवत, सहायक और स्नेहशील होने की उम्मीद की जाती है।

पूरी दुनिया में, हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि नर्सिंग दुनिया में सबसे बड़ा स्वास्थ्य देखभाल पेशा है और वे मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (MDG) को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण कारक हैं। रोगियों के स्वास्थ्य और कल्याण को बनाए रखने के लिए नर्सों को कई प्रशिक्षण मॉड्यूल प्रदान किए जाते हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि नर्सों को सबसे अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का ज्ञान होता है। क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रीय नर्स संघ (NNA) नर्सों को प्रोत्साहित करने, शिक्षा प्रदान करने, अच्छी तरह से सूचित, सलाह देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ताकि वे अपना काम ठीक से कर सकें? इसके अलावा, NNA स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ भी काम करता है।

अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस क्यों मनाया जाता है?

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस निम्न वज़ह से मनाया जाता है :-
# स्वास्थ्य सेवाओं में नर्सिस के योगदान को सम्मानित करने के लिए।
# रोगियों के कल्याण के लिए नर्सिस को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए।
# नर्सिस से संबंधित विभिन्न मुद्दों के बारे में चर्चा करने के लिए।
# उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना करने के लिए।

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के विषय (थीम) (Theme) :-

इस अवसर पर प्रति वर्ष अंतरराष्‍ट्रीय नर्सिंग परिषद्‌ एक विषय को अपना मुद्‌दा बनाता है।
* साल 1988 – सुरक्षित मातृत्व
* साल 1989 – स्कूल स्वास्थ्य
* साल 1990 – नर्स और पर्यावरण
* साल 1991 – मानसिक स्वास्थ्य- लड़ाई में नर्स
* साल 1992 – हेल्दी एजिंग
* साल 1993 – गुणवत्ता, लागत और नर्सिंग
* साल 1994 – स्वस्थ राष्ट्र के लिए स्वस्थ परिवार
* साल 1995 – महिला स्वास्थ्य: नर्सों ने मार्ग प्रशस्त किया
* साल 1996 – नर्सिंग रिसर्च के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य
* साल 1997 – स्वस्थ युवा लोग- एक उज्जवल भविष्य
* साल 1998 – सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए भागीदारी
* साल 1999 – नर्सिंग के अतीत का जश्न, भविष्य का दावा (Celebrating Nursing's Past, claiming the future)
* साल 2000 – नर्स: हमेशा आपके लिए (Nurses: Always there for you)
* साल 2001 – नर्स, ऑलवेज देयर फॉर यू: यूनाइटेड अगेंस्ट वायलेंस (Nurses, Always There for You: United Against Violence)
* साल 2002 – नर्सेज ऑलवेज यू फॉर यू: केयरिंग फॉर फैमिलीज़ (Nurses Always There for You: Caring for Families)
* साल 2003 – नर्स: लड़ाई एड्स का कलंक, सभी के लिए काम करना (Nurses: Fighting AIDS social stigma, working for all)
* साल 2004 – नर्स: गरीब के साथ काम करना; गरीबी के खिलाफ (Nurses: Working with the Poor; Against Poverty)
* साल 2005 – मरीजों की सुरक्षा के लिए नर्स: नकली दवाओं और घटिया दवा को लक्षित करना (Nurses for Patients' Safety: Targeting counterfeit medicines and substandard medication)
* साल 2006 – सुरक्षित कर्मचारी जीवन बचाता है (Safe staffing saves lives)
* साल 2007 – सकारात्मक अभ्यास वातावरण: गुणवत्ता कार्यस्थल- गुणवत्ता रोगी देखभाल (Positive practice environments: Quality workplaces- quality patient care)
* साल 2008 – गुणवत्ता प्रदान करना, समुदायों की सेवा करना: प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक देखभाल का नेतृत्व करने वाली नर्सें (Delivering Quality, Serving Communities: Nurses Leading Primary Health Care and social care)
* साल 2009 – गुणवत्ता प्रदान करना, समुदायों की सेवा करना: नर्स प्रमुख देखभाल नवाचार (Delivering Quality, Serving Communities: Nurses Leading Care Innovations)
* साल 2010 – डेलीवरींग क्वालिटी, सर्विंग कम्युनिटीज़: नर्सेस लीडिंग क्रॉनिक केयर (Delivering Quality, Serving Communities: Nurses Leading Chronic Care)
* साल 2011 – गैप को बंद करना: पहुंच और इक्विटी को बढ़ाना (Closing The Gap: Increasing Access and Equity)
* साल 2012 – गैप को बंद करना: साक्ष्य से कार्रवाई तक (Closing The Gap: From Evidence to Action)
* साल 2013 – गैप को बंद करना: मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (Closing The Gap: Millennium Development Goals)
* साल 2014 – नर्स: परिवर्तन के लिए एक बल- स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन (Nurses: A Force for Change – A vital resource for health)
* साल 2015 – नर्स: बदलाव के लिए एक बल: देखभाल प्रभावी, लागत प्रभावी (Nurses: A Force for Change: Care Effective, Cost Effective)
* साल 2016 – नर्स: बदलाव के लिए एक बल: स्वास्थ्य प्रणालियों में सुधार के लिए लचीलापन (Nurses: A Force for Change: Improving Health Systems' Resilience)
* साल 2017 – नर्स: नेतृत्व करने के लिए एक आवाज- सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना (Nursing : A Voice to lead- Achieving The Sutainable Development Goals)
* साल 2018 – लीड करने के लिए एक आवाज नर्स- स्वास्थ्य एक मानव अधिकार है (Nurses A Voice to Lead- Health is a Human Right)
* साल 2019 – नर्स: नेतृत्व करने के लिए एक आवाज – सभी के लिए स्वास्थ्य (Health For All)
* साल 2020 – नर्स: नेतृत्व करने के लिए एक आवाज- स्वास्थ्य के लिए विश्व नर्सिंग (Nursing the World to Health)

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस कैसे मनाया जाता है?

इस दिन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न प्रकार के पोस्टर, लोगो, रिपोर्ट, विडियो इत्यादि बनाए जा रहे हैं। इस दिन शैक्षिक और चिकित्सा संस्थानों में सेमिनार, विभिन्न प्रकार की सामुदायिक कार्यक्रम, डिबेट्स, प्रतियोगिताएं, चर्चाएँ आयोजित की जाती हैं, जहाँ नर्सों को सम्मानित किया जाता है और उनकी सराहना की जाती है। डॉक्टर, प्रशासक, और रोगी उपहार, फूल वितरित करते हैं, रात्रिभोज का आयोजन करते हैं, इत्यादि।

यह दिन प्रतिवर्ष लंदन के वेस्टमिंस्टर एब्बे में एक कैंडल लैंप सेवा का आयोजन करके मनाया जाता है। आपको बता दें कि कैंडल लैंप एक नर्स से दूसरे को सौंप दिया जाता है, जो कि हाई अल्टार पर रखने के लिए ज्ञान को एक नर्स से दूसरी नर्स के पास भेजने के प्रतीक के रूप में दिया जाता है। सेंट मार्गरेट चर्च में फ्लोरेंस नाइटिंगेल के दफन स्थान पर, उसके जन्मदिन के एक दिन बाद, एक बड़ा समारोह भी आयोजित किया जाता है।

अमेरिका और कनाडा में पूरे सप्ताह इस दिन कोराष्ट्रीय नर्सिंग सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। यहां तक ​​कि ऑस्ट्रेलिया में भी नर्सिंग समारोहों की किस्मों का आयोजन किया जाता है। इस पूरे सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को लक्षित किया जाता है। यहां तक ​​कि अमेरिकी नर्स एसोसिएशन नर्सों के उत्सव और कार्यों का समर्थन और प्रोत्साहित करती है।

भारत में नर्सिंग दिवस पर विभिन्न गतिविधियों जैसे कि शैक्षिक संगोष्ठी और नर्सिंग के मुद्दों से संबंधित विचार-विमर्श वाले कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन नर्सिस को स्वास्थ्य सेवाओं में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिए प्रमाण पत्र और पुरस्कार वितरित किये जाते हैं। कई अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य देखभाल के प्रचार के लिए विभिन्न संगोष्ठियों का आयोजन करते हैं। नर्सों की महत्वता को दर्शाने के लिए कई सम्मान समारोह भी आयोजित किए जाते हैं। उनका सम्मान किया जाता है। अच्छा काम करने वाली नर्सों को पुरस्कार देकर उनका हौसला बढ़ाया जाता है।

इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स (ICN) क्या है?

यह एक संगठन है जो नर्सों का संचालन करता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नर्सिंग का नेतृत्व करता है। वे दुनिया भर में सभी और ध्वनि स्वास्थ्य नीतियों के लिए गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग देखभाल सुनिश्चित करते हैं। हर साल ICN अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने के लिए एक विषय चुनता है। 2017-2019 अभियान, नर्स: ए वॉयस टू लीड, नीतिगत विकास और कार्यान्वयन में नर्सों को और अधिक सक्रिय और मुखर होने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करता है। संसाधन और साक्ष्य समय के महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटते हैं और कई तरीकों को उजागर करते हैं जिनमें नर्सें प्रभाव डाल रही हैं।

राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्‍कार :-

विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अच्छे वेतनमान और सुविधाओं के लालच में आज भी विकासशील देशों से बड़ी संख्या में नर्से विकसित देशों में नौकरी के लिए जाती है जिससे विकासशील देशों को प्रशिक्षित नर्सो की भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जिसकी वजह से इस समस्या से निपटने के लिए एवं नर्सों की सराहनीय सेवा को मान्याता प्रदान करने के लिए भारत सरकार के परिवार एवं कल्या ण मंत्रालय ने राष्ट्री य फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्काकर की शुरुआत की।

हर साल 12 मई को राष्‍ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्‍कार दिया जाता है। इस दिन नर्सों के सराहनीय कार्य और साहस के लिए 1973 में भारत सरकार के परिवार एवं कल्‍याण मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्‍कार की शुरुआत की। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष फ्लोरेंस नाइटिंगल के जन्म दिन के अवसर पर फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्‍कार प्रदान किये जाते हैं। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति के द्वारा प्रदान किये जाते हैं। इस पुरस्कार में 50 हज़ार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है। अब तक कुल 250 के करीब नर्सों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

आइये अब फ्लोरेंस नाइटिंगेल के बारे में जानते हैं?

ब्रिटि‍श परिवार में 12 मई 1820 को इटली के फ्लोरेंस में विलियम नाइटिंगेल और फेनी के घर जन्मीं फ्लोरेंस नाइटिंगेल इंग्लैंड में पली-बढ़ीं। उनको आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक दार्शनिक के रूप में जाना जाता है। वह ‘लेडी विद द लैंप’ (The Lady with the Lamp) के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। वह एक ब्रिटिश नर्स, सांख्यिकीविद और समाज सुधारक थीं, जो आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक दार्शनिक थीं। क्रीमियन युद्ध के दौरान, उन्हें ब्रिटिश सैनिकों का नर्सिंग का प्रभार दिया गया था। वह वार्डों में कई घंटे बिताती थी और पूरी रात वह मरीजों की देखभाल करती थी, उनके पास जाती थी, रात में हाथ में लैंप लेकर घूमती थी और इसलिए एक छवि “लेडी विद द लैंप” के रूप में स्थापित हो गई।

नर्सिंग शिक्षा को औपचारिक रूप देने के उनके प्रयासों के कारण, पहला वैज्ञानिक रूप से आधारित नर्सिंग स्कूल, नाइटिंगेल स्कूल ऑफ़ नर्सिंग, लंदन के सेंट थोमस अस्पताल में 1860 में खोला गया था। यह दुनिया का पहला नर्सिंग स्कूल था, जो अब लंदन के किंग्‍स कॉलेज का हिस्सा है। सन् 1860 में फ्लोरेंस के अथक प्रयासों का सुखद परिणाम आर्मी मेडिकल स्‍कूल की स्‍थापना के रूप में मिला। इसी साल फ्लोरेंस ने नोट्स ऑन नर्सिंग नाम की पुस्‍तक का प्रकाशन किया। यह नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए लिखी गई विश्‍व की पहली पुस्‍तक है।

उन्होंने वर्कहाउस इनफ़र्मियों में मिडवाइफ और नर्सों के लिए प्रशिक्षण स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ब्रिटेन की सरकार ने 1907 में "ऑर्डर ऑफ मेरिट" से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान पाने वाली पहली महिला थी। नर्सिंग में अपने अग्रणी कार्य के कारण पहचान बनाने वाली फ्लोरेंस के नाम पर ही नई नर्सों द्वारा नाइटिंगेल प्लेज ली जाती है। नर्स के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्लोरेंस नाइटिंगेल मेडल ही सबसे उच्च प्रतिष्ठत है।

धनी परिवार की फ्लोरेंस को 16 साल की उम्र में एहसास हो गया था कि उनका जन्म सेवा के लिए हुआ है। गणित, विज्ञान और इतिहास की पढ़ाई करने वाली फ्लोरेंस नर्स बनना चाहती थीं। वह मरीजों, गरीबों और पीड़ितों की मदद करना चाहती थी।

नाइटिंगेल का बचपन से ही ये शौक था कि वो लोगों की सेवा करें, लेकिन वर्ष 1844 में उन्होंने पूरी तरह से ये तय कर लिया कि उन्हें नर्सिंग के पेशे में ही जाना है और लोगों की सेवा करनी है। कहते हैं कि फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने जब अपने माता-पिता से ये कहा कि वो नर्सिंग की ट्रेनिंग के लिए इंग्लैंड के सैलिसबरी शहर जाना चाहती हैं तो उन्होंने इसके लिए साफ इनकार कर दिया, क्योंकि वो चाहते थे कि उनकी बेटी शादी कर ले और अपना घर बसाए।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नाइटिंगेल का एक युवक के साथ प्रेम प्रसंग भी चला था, लेकिन 1849 में उन्होंने उससे शादी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा है। इसके एक साल बाद ही जब घरवालों को ये अहसास हो गया कि नाइटिंगेल शादी नहीं करेंगी तो हारकर उन्होंने नर्सिंग की ट्रेनिंग लेने के लिए उन्हें जर्मनी जाने की इजाजत दे दी।

धनवान पिता विलियम फ्लोरेंस की इस इच्छा के खिलाफ थे, क्योंकि नर्सिंग को उस वक्त सम्मानित पेशा नहीं माना जाता था। अस्पताल भी गंदे होते थे और बीमारों के मर जाने से डरावना जैसा लगता था। फ्लोरेंस ने सेवा की अपनी जिद मनवा ली और साल 1851 में उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई शुरू कर दी। 1853 में उन्होंने लंदन में महिलाओं का अस्पताल खोला।

फ्लोरेंस का सबसे महत्वपूर्ण योगदान क्रीमिया के युद्ध में रहा, जब 1854 में उन्हें 38 नर्सों के साथ घायलों की सेवा के लिए तुर्की भेजा गया। जब क्रीमिया का युद्ध हुआ तब ब्रिटिश सैनिकों को रूस के दक्षिण स्थित क्रीमिया में लड़ने को भेजा गया। ब्रिटेन, फ्रांस और तुर्की की लड़ाई रूस से थी। युद्ध से जब सैनिकों के जख्मी होने और मरने की खबर आई तो फ्लोरेंस नर्सों को लेकर वहां पहुंची। बहुत ही बुरे हालात थे, गंदगी, दुर्गंध, उपकरणों की कमी, बेड, पेयजल आदि तमाम असुविधाओं के बीच काफी तेजी से बीमारी फैली और सैनिकों की संक्रमण से मौत हो गई। फ्लोरेंस ने अस्पताल की हालत सुधारने के साथ मरीजों के नहाने, खाने, जख्मों की ड्रेसिंग आदि पर ध्यान दिया। सैनिकों की हालत में काफी सुधार हुआ।

युद्ध काल में फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने घायल और बीमार सैनिकों की देखभाल में दिन-रात एक कर दी। रात में जब सब सो रहे होते थे, वह सैनिकों के पास जाकर देखती थीं कि कहीं उन्हें कोई तकलीफ तो नहीं। सैनिक आराम से सो सकें, इसके लिए वह सेवा में लगी रहती थीं। सैनिकों की ओर से उनके घरवालों को फ्लोरेंस चिट्ठियां भी लिखकर भेजती थीं। उन दिनों बिजली के उपकरण नहीं थे, कि वह रात में हाथ में लालटेन लेकर मरीजों को देखने जाती थीं और इसी कारण सैनिक आदर और प्यार से उन्हें ‘लेडी विद लैंप’ कहने लगे। साल 1856 में वह युद्ध के बाद लौटीं, तो उनका यह नाम प्रसिद्ध हो गया था।

उन्‍होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, बीमारों और दुखियों की सेवा में समर्पित किया। इसके साथ ही उन्‍होंने नर्सिंग के काम को समाज में सम्‍मानजनक स्‍थान दिलवाया। इससे पूर्व नर्सिंग के काम को हिकारत की नजरों से देखा जाता था।

लंबी उम्र और सेवा के लंबे करियर के बाद 13 अगस्त 1910 में 90 साल की उम्र में फ्लोरेंस नाइटिंगेल का देहांत हो गया। फ्लोरेंस नाइटिंगेल के सम्मान में उनके जन्मदिन को नर्स दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की गई। इस खास मौके पर नर्सिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली नर्सों को फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाता है।

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