रुद्र महालय, पाटन, गुजरात
रुद्रमहालय (अर्थ - रुद्र का विशाल घर) गुजरात के पाटण (पाटन) जिले के सिद्धपुर में स्थित एक ध्वस्त मन्दिर परिसर है। सरस्वती नदी के तट पर बसा सिद्धपुर एक प्राचीन नगर है।
रुद्रमहालय का निर्माण 943 ई (10वीं शताब्दी) में मूलराज सोलंकी ने आरम्भ कराया था तथा 1140 ई (12वीं शताब्दी) में चोथी पीढ़ी में महाराज जयसिंह सिद्धराज ने इसे पूरा कराया। वर्ष 1094 में सिद्धराज ने रुद्र महालय का विस्तार करके 'श्रीस्थल' का 'सिद्धपुर' नामकरण किया था।
इस समय महाराज जयसिंह द्वारा प्रजा का ऋण माफ किया गया और इसी अवसर पर नव संबत चलवाया जो आज भी सम्पूर्ण गुजरात मे चलता है। महाराज मूलराज महान शिव भक्त थे। अपने परवर्ती जीवन में अपने पुत्र चावंड को राज्य सोप कर श्री स्थल (सिद्धपुर) में तपश्चर्या में व्यतीत किया। वहीं उनका स्वर्गवास हुआ।
इस रुद्र महालय में एक हजार पाँच सो स्तभ थे, माणिक मुक्ता युक्त एक हजार मूर्तियाँ थीं, इस पर तीस हजार स्वर्ण कलश थे। जिन पर पताकाएँ फहराती थी। रुद्र महालय में पाषाण पर कलात्मक "गज" एवं "अश्व" उत्कीर्ण थे, अगणित जालियाँ पत्थरो पर खुदी थीं। कहा जाता हे यहाँ सात हजार धर्मशालाएँ थीं इनके रत्न जटित द्वारों की छटा निराली थी, मध्य में एकादश रुद्र के एकादश मंदिर थे।
मंदिर को पहला और सबसे बड़ा चालुक्य मंदिर कहा जाता है। यह एक बहु-मंजिला मंदिर है। इसमें एकादश रुद्रों को समर्पित 11 सहायक मंदिर हैं। उत्खननों से इनमें से कुछ सहायक मंदिरों, एक तोरण, दो ड्यौढ़ियों और मुख्य मंदिर कपिली के चार स्तंभों का पता चला है। इसके बगल में सुंदर तराशे हुए विशाल स्तंभ, विशाल दरवाजा और तोरण मेहराब पाए गए हैं। स्तंभ और तोरण आज मंदिर के एकमात्र अवशेष के रूप में खड़े हैं। उन पर व्यापक और विस्तृत नक्काशी सिद्धपुर के शासकों के समृद्ध इतिहास के प्रमाण हैं।
1410-1444 के दौरान अलाउद्दीन खिलजी ने इसका कई बार विध्वंस करवाया और उसके बाद अहमद शाह प्रथम ने इसे तुड़वाया था।
विभिन्न आततायी आक्रमणकारी लुटेरे बादशाहों ने 3 बार इसे तोड़ा और लूटा। इसके बाद एक भाग में मस्जिद बना दी। इसके एक भाग को आदिलगंज (बाजार) का रूप दिया। इस बारे में वहां फारसी और देवनागरी में शिलालेख हैं।
आज इस भव्य और विशाल रुद्रमहल को खण्डहर के रूप मे देखा जा सकता है। वर्तमान में रुद्रमहल के पूर्व विभाग के तोरण द्वार, चार शिव मंदिर और ध्वस्त सूर्य कुंड हैं। यह पुरातत्व विभाग के अधीन है।
साफ दिख रहा है दोनों तरफ़ मंदिर बीच में ज़बरन मस्जिद बना दी गई। हमारे स्वर्णिम इतिहास का काला सच है ये।
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