सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

टेंपल ऑफ फायर, अजरबैजान


इस मंदिर में सालों से जल रही है अग्नि, इसलिए नाम पड़ गया टेंपल ऑफ फायर

हिंदू मान्यता के अनुसार अग्नि देवता है। इसलिए हमारी हर पूजा में अग्नि का स्थान महत्त हुआ करता है। जब घर में हम हवन करवाते हैं तो सबसे पहले अग्निदेव को स्मरण करते हैं अग्नि देव की पूजा करना हमारे धर्म में आस्था का प्रतीक माना जाता है। हिंदू सभ्यता के मंदिरों में कई दिव्य ज्योति को प्रज्वलित होते हुए देखा है। जो हमारे विश्वास का प्रमाण है।

मां दुर्गा के मंदिरों में हम अक्सर ज्योत को प्रज्वलित करके रखते हैं और मंदिरों में भी देखा जाता है कि मां के सामने एक ज्योति हमेशा जलती रहती है। इसका उदाहरण हम ज्वाला देवी के मंदिर है। सदियों से मां की उस ज्योत का राज कोई नहीं खोल पाया वह हमारे आस्था का ही एक प्रतीक है। ठीक उसी तरह एक ऐसा मंदिर है जहां पर पिछले कई सालों से अग्नि लगातार जलती आ रही है। यह मंदिर स्थित है अजरबैजान में।

मध्य एशिया के देश अजरबैजान में सुराखानी नामक स्थान पर मां भगवती का एक मंदिर बना है। इस मंदिर में बीते कई वर्षों से यह पवित्र अग्नि जलती आ रही है। एक समय वहां दिव्य ज्योति को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी लेकिन अब यह मंदिर गुमनाम है।

टेंपल ऑफ फायर या आतिफ

मां भगवती के इस मंदिर को टेंपल ऑफ फायर या आतिफ नाम से भी जाना जाता है। सर्दियों के मौसम में यहां पर तेज हवाएं चलती है और बहुत ठंड पड़ती है लेकिन तेज हवाएं भी इस ज्योति को आज तक बुझा नहीं पाई है।

इस मंदिर की इमारत प्राचीन काल के घर जैसी ही बनी हुई है और इस मंदिर की छत हिंदुओं के मंदिर की तरह ही है जहां पर मां भगवती का त्रिशूल भी स्थापित है मां भगवती के इस मंदिर के अंदर एक अग्निकुंड बना है जहां अग्नि प्रज्वलित रहती है। गुरुमुखी में लेख इस मंदिर की दीवारों पर गुरुमुखी लिपि में कुछ लेख भी लिखे हैं।

ऐसी मान्यता है कि वर्षों पहले भारतीय कारोबारी यहां से होते हुए ही जाते थे जिस कारण उन्होंने इस मंदिर को बनवाया था ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बुद्धदेव नाम के एक व्यक्ति ने किया था।

अजरबैजान एक समय में सोवियत संघ का हिस्सा था। सरकार ने इस मंदिर को स्मारक बना दिया है।

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