केरल में 104 साल की बुर्जुग महिला ने किया कमाल, राज्य साक्षरता मिशन की परीक्षा में 89 अंक हासिल किए
कहते हैं पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती और भारत के सबसे दक्षिणी राज्य केरल की एक बूढ़ी दादी अम्मा ने ये साबित कर दिखा दिया है। केरल (Kerala) के कोट्टयम (Kottayam) में रहने वाली एक 104 वर्षीय सबसे उम्रदराज महिला ने राज्य साक्षरता मिशन की परीक्षा (State Education Exam) में 89 अंक हासिल किए हैं। जिस उम्र में इंसान को दिखाई भी देना बंद हो जाता है , चलने फिरने में परेशानी होती है उस उम्र में केरल की इस दादी अम्मा ने साक्षरता परीक्षा पास कर गजब का रिकॉर्ड बनाया है। बुजुर्ग महिला का नाम कुट्टियाम्मा (Kuttiyamma) है। उनकी शिक्षिका रेहना ने बताया कि कुट्टियाम्मा को पढ़ाई का शौक है। वह सीखती और लिखती हैं, उन्होंने केरल राज्य साक्षरता मिशन की परीक्षा में 100 में से 89 अंक प्राप्त किए। इस परीक्षा में उन्होंने काफी बेहतरीन प्रदर्शन किया है। कुट्टियाम्मा ने कारनामा करके लोगों के सामनें एक मिशाल पेश की है। साक्षरता टेस्ट के बाद अब उनका लक्ष्य इक्विवेलेंस टेस्ट पास करना है। इसके लिए वो अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही हैं। इसके लिए वो रोजाना 2 घंटे पेपर पढ़ती हैं।
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि, उन्होंने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा है। उन्होंने अपनी साक्षरता परीक्षा की तैयारी करते समय पहली बार पेन और पेपर उठाया था। पहले वह सिर्फ पढ़ सकती थीं, लेकिन साक्षरता प्रेरक रेहना की मदद से, उसने लिखना सीखा और अपने घर पर प्रत्येक सुबह और शाम आयोजित होने वाली कक्षाओं में कर्तव्यनिष्ठा से भाग लिया। कुट्टियाम्मा को अक्षरों में से रूबरू कराने वाली रिहाना जान बताती है कि साक्षरता टेस्ट के बाद इक्विवेलेंसी टेस्ट पास करके वो चौथी कक्षा की पढ़ाई शुरू करेंगी।
104 साल की महिला को परीक्षा में 89 अंक मिले
कोट्टायम की रहने वाली बुजुर्ग महिला कुट्टियम्मा ने जब केरल राज्य साक्षरता मिशन के टेस्ट में 89 प्रतिशत अंक हासिल किए तो हर जगह से उनकी सराहना होने लगी। केरल के शिक्षा मंत्री वासुदेवन शिवनकुट्टी के साथ-साथ आम लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनकी तारीफ कर रहे हैं। केरल के शिक्षा मंत्री वायुदेवन शिवनकुट्टी (Vasudevan Sivankutty) ने एक खुशमिजाज कुट्टियम्मा की तस्वीर ट्वीट की और उन्हें 100 में से 89 अंक प्राप्त करने के लिए शुभकामनाएं दीं। ये साक्षरता टेस्ट कोट्टायम जिले के अयारकुन्नम पंचायत द्वारा आयोजित किया गया था। सुबह और शाम की शिफ्ट में कुट्टियम्मा के घर पर ही कक्षाएं लगाई गईं।
जैसे ही परीक्षा (केरल स्टेट लिटरेसी मिशन टेस्ट) शुरू हुई, कुट्टियम्मा, जो कम सुन पाती हैं, ने निरीक्षकों को याद दिलाया - "जो भी बोलो, जोर से बोलो।"
उनसे पहला सवाल यह था कि ये पंक्तियाँ किसने कही थीं - 'ओर्कुका, जीविकालय सर्व जीविकालुम् भूमियुदे अवकाशकाल'? और कुट्टियाम्मा ने अपना स्कोर कार्ड सही उत्तर वैकोम मुहम्मद बशीर के साथ खोला। जब उनसे उनकी पाठ्य पुस्तक में किसी कविता की पहली चार पंक्तियां गाने के लिए कहा गया, तो कुट्टियम्मा ने 'मावेली नाडु वान्निदुम कालम...' का पूरा गीत गाया।
परीक्षा के बाद उससे पूछा गया कि उसे कितने अंक मिलेंगे। कुट्टियाम्मा ने बिना दांत वाली मुस्कान बिखेरते हुए कहा - "मैंने वह सब लिख दिया है जो मुझे आता है। अब आप अंक दीजिए।" उनके त्वरित उत्तर से कुन्नुमपुरम आंगनवाड़ी में हंसी की लहर दौड़ गई।
युवाओं का हौसला बढ़ाते हुए कुट्टियम्मा कहती है कि वह अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी किए बगैर दुनिया से विदा नहीं लेंगी।
कुट्टियम्मा की 16 साल की उम्र में शादी हो गई थी। उनके पति का नाम टी के कोन्ति था। वह आयुर्वेदिक दवा बेचने वाली एक दुकान में काम करते थे। 2002 में कोन्ति का निधन हो गया था। कुट्टियम्मा के पांच बच्चे हुए। जानकी, गोपालन, राजप्पन, गोपी और रवींद्रन। गोपी आज दुनिया में नहीं हैं। कुट्टियम्मा अभी अपने बेटे गोपालन के साथ रहती हैं। खाना पकाने और घर के कामों में दशकों बीत गए, और कुट्टियामा कहती हैं कि वह संतुष्ट थीं लेकिन हमेशा महसूस करती थीं कि कुछ कमी रह गई है।
एक साल पहले ही कुट्टियाम्मा को उनकी पड़ोसी रेहाना जॉन, जो 34 वर्षीय साक्षरता प्रशिक्षक हैं, के प्रोत्साहन से पढ़ना सीखने के लिए राजी किया गया था। जॉन ने कुट्टियाम्मा की अपने पोते-पोतियों की पढ़ाई के प्रति जिज्ञासा को देखा था और उन्हें कुछ किताबें देने की पेशकश की थी। इससे पहले, जॉन की सबसे बुजुर्ग छात्रा 85 वर्ष की थी।
कुछ सौम्य प्रोत्साहन के बाद, वे हर शाम मिलने लगे और साथ मिलकर साक्षरता पुस्तकों पर गहन अध्ययन करने लगे। जॉन ने कहा, "बहुत कम दृष्टि और सुनने की समस्याओं को छोड़कर, वह एक आदर्श और कभी-कभी शरारती छात्रा थी, जिसने मेरे शिक्षण को सार्थक बना दिया।" "मेरे घर पहुँचने से पहले वह हमेशा अपनी पाठ्यपुस्तक, नोटबुक और पेन तैयार रखती है। इसके अलावा, वह मुझे देने के लिए घर पर पकाए गए व्यंजनों में से कुछ अतिरिक्त रखती है।"
कुट्टियाम्मा ने सोमवार को समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "शिक्षक ने मुझे मलयालम में पत्र पढ़ना और लिखना जैसी हर चीज सिखाई।" उसकी शिक्षिका फेहरा जॉन ने कहा, "वह अब पत्र लिख सकती है और बहुत खुश है।" कुट्टियम्मा को अनेक प्रार्थना गीत गाने में आनंद आता है तथा वह प्रतिदिन समाचार पत्र भी पढ़ती हैं।
104 साल की उम्र में भी बिल्कुल स्वस्थ हैं। कुट्टियम्मा बताती हैं कि अपना काम खुद से करने और आयुर्वेद के चलते वह बिल्कुल फिट हैं। वह बताती है कि उनके जमाने में लड़कियों के पढ़ाई पर जोर नहीं दिया जाता था बल्कि लड़के भी चौथी कक्षा से ज्यादा नहीं पढ़ते थे। उनके पिता एक भूमिहीन किसान थे उस समय पढ़ाई लिखाई पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाता था।
केरल के शिक्षा मंत्री ने दी बधाई
केरल के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने शुक्रवार, 12 नवंबर को सोशल मीडिया पर ट्वीट किया, "कोट्टायम की 104 वर्षीय कुट्टियाम्मा ने केरल राज्य साक्षरता मिशन की परीक्षा में 89/100 अंक हासिल किए हैं। ज्ञान की दुनिया में प्रवेश करने के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है। अत्यंत सम्मान और प्यार के साथ, मैं कुट्टियम्मा समेत सभी नए सीखने वालों को उनके सुखद भविष्य की कामना करता हूं।''
खबर वायरल होने के बाद कुट्टियम्मा एक तरह से स्थानीय स्टार बन गई हैं और सोशल मीडिया पर भी उन पर प्यार बरस रहा है। कुट्टियम्मा की इस उपलब्धि से लोग प्रेरित और भावुक हो गए। एक यूजर ने ट्वीट किया, "मैं पूरे सम्मान के साथ कुट्टियम्मा को उनके समर्पण के लिए सलाम करता हूं। यह निश्चित रूप से दूसरों को प्रेरित करेगा।" एक अन्य ने तो यहां तक कहा, "मुझे आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करने के लिए धन्यवाद"। एक अन्य यूजर ने लिखा, " भगवान उसका भला करे, अगर आपके पास कुछ करने की इच्छाशक्ति है तो उम्र मायने नहीं रखती।" एक उपयोगकर्ता ने टिप्पणी की, "यह देखकर बहुत खुशी हुई, इसे आयोजित करने वाले समर्थकों को बधाई।"
इससे पहले भी कई वर्षों में बुजुर्ग महिलाएं इन परीक्षाओं में असाधारण रूप से सफल रही हैं। केरल की सौ वर्षीय भागीरथी अम्मा और 96 वर्षीय कार्तियिनी अम्मा को महिला सशक्तिकरण में उनके असाधारण योगदान के लिए केंद्र सरकार द्वारा 2019 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार के लिए संयुक्त रूप से चुना गया था। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, कुट्टियाम्मा की तरह, उन्होंने भी केरल साक्षरता मिशन परीक्षा में असाधारण रूप से अच्छा स्कोर किया था। उनसे पहले, अलप्पुझा की कार्तियानी अम्मा ने अक्टूबर 2018 में केरल राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के एक प्रमुख कार्यक्रम “अक्षरालक्षम” में 100 में से 98 अंक हासिल किए थे।
केरल राज्य साक्षरता मिशन का उद्देश्य क्या है?
1998 में स्थापित केरल राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण (Kerala State Literacy Mission Authority) (केएसएलएमए) राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित है और इसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए साक्षरता, सतत शिक्षा और आजीवन सीखने को बढ़ावा देना है। यह एक स्वायत्त संस्था है जिसे राज्य सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाता है। इस संस्था को केंद्र सरकार के राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के तहत शुरू किया गया था। वर्तमान में यह चौथी, सातवीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए समकक्ष शिक्षा कार्यक्रम चलाता है।
साक्षरता कार्यक्रम के मुख्य लाभार्थी निरक्षर, नव-साक्षर, स्कूल छोड़ चुके लोग तथा आजीवन शिक्षा में रुचि रखने वाले व्यक्ति हैं।
भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण द्वारा 'घरेलू सामाजिक उपभोग: भारत में शिक्षा' पर प्रकाशित की गयी रिपोर्ट के अनुसार केरल में 96.2% साक्षरता दर के इस साथ सूची में सबसे ऊपर है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में लगभग 96.11% पुरुष और 92.07% महिलाएं साक्षर थीं।
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