गुरुवार, 3 अक्तूबर 2024

कार्तियानी अम्मा, केरल


96 साल की महिला ने परीक्षा में किया टॉप, आए 100 में से 98 नंबर

किसी भी चीज को करने, सीखने और समझने के लिए जुनून की जरूरत होती है और ऐसा ही कमाल का जुनून देखने को मिला केरल के अलाप्पुझा जिले के चेप्पड़ गांव के मुत्तोम निवासी कार्तियानी अम्मा के अंदर। जिन्होंने 96 साल की उम्र में साक्षरता परीक्षा दी। इस बुजुर्ग महिला ने ना सिर्फ ये परीक्षा दी बल्कि 100 में से 98 नंबर लाकर पहला स्थान भी हासिल किया। कार्त्यायनी अम्मा ने न केवल दक्षिणी राज्य के साक्षरता मिशन के तहत 96 साल की उम्र में सबसे उम्रदराज छात्रा होने के लिए प्रसिद्धि हासिल की थी, बल्कि चौथी कक्षा के समकक्ष परीक्षा 'अक्षरलक्षम' परीक्षा में उच्चतम अंक हासिल करने के लिए भी प्रसिद्धि हासिल की थी।

42 हजार उम्मीदवारों में से बनी थीं टॉपर

साक्षरता परीक्षा (लिटरेसी परीक्षा) की आयोजन 5 अगस्त 2018 को हुआ था जिसमें करीब 42933 लोगों ने हिस्सा लिया था। जिसमें नागरिकों की साक्षरता की जांच की जाती है। अम्मा उन्हीं लोगों में से सबसे उम्रदराज महिला थीं।

रातों रात मशहूर हुईं थी अम्मा

कार्तियानी अम्मा 'चेप्पाड राजकीय एलपी स्कूल' में परीक्षा में बैठी थीं। पढ़ने-लिखने को प्रेरित इस बुजुर्ग महिला ने 6 महीने पहले राज्य साक्षरता मिशन के एक कार्यक्रम में नामांकन कराया था। इस परीक्षा को उन्होंने पास कर लिया और उन्हें योग्यता मुताबिक चौथी कक्षा में पढ़ने के लिए भेजा गया। शुरू से ही उनकी पढ़ने और लिखने में बहुत रुचि थी। परीक्षा में भाग लेने के बाद से ही वह रातों रात सोशल मीडिया पर मशहूर हो गईं।

इस परीक्षा में 100 अंकों के सवाल पूछे गए थे, जिसमें लिखने, पढ़ने और गणित की समझ की जांच की गई थी। उन्होंने अपनी रीडिंग टेस्ट में 30 में से 30 अंक, मलयालम लेखन में 40 में से 40 अंक और गणित में 30 में से 28 अंक प्राप्त किए। बता दें रिजल्ट बुधवार को जारी हुआ था। वहीं इस परीक्षा में कई जेलों के कैदियों ने भी हिस्सा लिया था।

अपनी उपलब्धि पर टिप्पणी करते हुए, कार्थ्ययनी अम्मा ने मीडिया को बताया कि प्रश्नपत्र में कुछ ऐसे भाग शामिल नहीं थे जो उन्होंने परीक्षा के लिए पढ़े थे। उन्होंने कहा, "मैंने बिना किसी कारण के बहुत कुछ सीखा। मेरे लिए परीक्षाएँ बहुत आसान थीं।" 'अक्षरालक्षम' परीक्षा के लिए कार्थ्ययनी अम्मा के पास बैठे रामचंद्रन पिल्लई ने 100 में से 88 अंक प्राप्त किए।

अम्मा ने 100 में से 98 अंक लाकर उन सभी लोगों को चौंका दिया जो ये सोचते हैं कि पढ़ने- लिखने की एक उम्र तय है। उन्होंने  96 साल की उम्र में सभी को पीछे छोड़ दिया।

कुल 42,933 ने ये परीक्षा दी। जिसमें SC वर्ग के 8,215, ST वर्ग के 2,882 उम्मीदवार शामिल थे। जिनमें  37,166 उम्मीदवार महिलाएं हैं।

केरल राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण (केएसएलएमए) की परियोजना 'अक्षरलक्षम', जिसका उद्देश्य केरल के वृद्ध और वंचित लोगों के बीच निरक्षरता को समाप्त करना है, ने इस वर्ष 99.08 प्रतिशत सफलता प्राप्त की है, क्योंकि 43,330 उम्मीदवारों में से 42,933 उम्मीदवार परीक्षा में सफल हुए हैं। 'अक्षरलक्षम' कार्यक्रम की शुरुआत केरल सरकार ने 26 जनवरी 2018 को की थी।

बता दें कि केरल सरकार ने 'अक्षरालक्षम साक्षरता मिशन' नाम का अभियान चलाया था, जिसका उद्देश्य केरल में 100 फीसदी साक्षरता करना है।

60 साल की बेटी से ली प्रेरणा

शहर से करीब एक घंटे की ड्राइव पर स्थित कार्थायिनी अम्मा ने जनवरी 2018 में अपनी स्कूली शिक्षा तब शुरू की, जब ग्राम पंचायत की साक्षरता मिशन ब्रिगेड सरकारी आवास योजना के तहत लक्षम वीडू कॉलोनी में उनके घर पहुंची। लेकिन साक्षरता मिशन के लोगों के उनके पास आने से पहले ही कार्थायिनी अम्मा को पढ़ाई में रुचि थी। कार्तियानी अम्मा कहती हैं कि उन्हें उनकी बेटी ने प्रेरित किया था। दो साल से भी ज़्यादा समय पहले, उनकी 60 वर्षीय बेटी अम्मिनी अम्मा ने साक्षरता मिशन का कोर्स साल 2016 में पास किया, जो औपचारिक शिक्षा प्रणाली में कक्षा 10 के बराबर है। अपनी बेटी को बैग पैक करते और स्कूल के लिए निकलते देखकर कार्थायिनी अम्मा को भी कलम और कागज़ उठाने की प्रेरणा मिली।

अम्मा तो जब साक्षरता मिशन जैसे प्रोग्राम के बारे में पता चला तो उन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया और मेहनत के साथ पढ़ना और लिखना सीखा। खास बाात ये है कि अम्मा के बारे में जानकर 90 साल की उम्र के करीब के 30 और बुजुर्गों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया और पढ़ना शुरू किया।

अम्मा बताती हैं, "पैसों की तंगी के कारण मैं स्कूल नहीं जा पाई थी। मैंने अपने बच्चों की देखभाल की। जब मेरी बेटी ने दसवीं की परीक्षा पास की, मैंने भी वैसा ही करने का सोचा। मैं 100 साल की उम्र में दसवीं की परीक्षा पास कर लूंगी।" कुछ महीने पहले ही अक्षरलक्षम मिशन के तहत एक और परीक्षा में अम्मा ने पूरे नंबर हासिल किए थे। कार्तियानी अम्मा ने साक्षरता परीक्षा में 100 में 98 अंक आने पर वह काफी खुश हैं। उन्होेंने कहा वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं।

कभी नहीं स्कूल, करती थीं घरों में काम

कार्तियानी अम्मा का मन शुरू से ही पढ़ाई- लिखाई में लगता था। आपको जानकर हैरानी होगी वह कभी भी अपने जीवन में स्कूल नहीं गईं। वहीं अपने संभालने के लिए स्वीपर और दूसरों के घरों में काम किया। वह अपने बच्चों और पोते-पोते के साथ रहती हैं। उनके पति की 1961 में मृत्यु हो गई। उनकी बेटी अम्मिनिअम्मा, जो खुद भी स्कूल छोड़ चुकी थीं, ने अपनी मां को कक्षाओं में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

उन्हें मार्च 2020 में, उन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से नारी शक्ति पुरस्कार मिला। केरल ने इस वर्ष की शुरुआत में गणतंत्र दिवस परेड में "नारी शक्ति और महिला सशक्तिकरण की लोक परंपराओं" की एक झांकी प्रस्तुत की, जिसमें कार्त्यायनी शामिल थीं।

2019 में, कनाडा की एक संस्था 'कॉमनवेल्थ लर्निंग' ने कार्तियानी अम्मा को अपना गुडविल एंबेसडर नियुक्त किया। जिसमें लगभग 53 देश शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बातचीत में उन्होंने 10वीं कक्षा पूरी करने की इच्छा व्यक्त की थी, साथ ही उन्होंने आगे पढ़ाई करने में भी रुचि दिखाई थी - विशेष रूप से कंप्यूटर की मूल बातें सीखने में।

शेफ-लेखक विकास खन्ना ने कार्त्यायनी अम्मा की प्रेरणादायक कहानी पर एक समीक्षकों द्वारा प्रशंसित वृत्तचित्र और उनकी उल्लेखनीय जीवन यात्रा पर एक सचित्र बच्चों की किताब का निर्देशन किया।

डॉक्यूमेंट्री से लिया गया शीर्षक ' बेयरफुट एम्प्रेस' ब्लूम्सबरी द्वारा प्रकाशित किया गया है।

गुरुवार 01 नवंबर केरल के मुख्यमंत्री सेमिनार हॉल में होने वाले सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री पिनरई विजयन 96 वर्षीय, देश के लिए मिसाल बन चुकी वृद्ध करथियानी अम्मा को सम्मानित किया। अम्मा ने कहा- ‘मुझे पता था जितना ज्यादा में पढ़ाई करूंगी उससे ज्यादा मेरे नंबर आएंगे।’ उन्होंने कहा- मैं छोटे बच्चों को पढ़ाई करती देखती थी। मैं भी चाहती थी कि पढ़ाई करूं। जब बच्चों ने पूछा तो मैंने कहा क्यों नहीं, मैं भी पढ़ूंगी। उन्होंने कहा- 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद मैं कंप्यूटर सीखना चाहती हूं। खाली समय में मैं कंप्यूटर चलाउंगी और टाइपिंग करूंगी। जब मुझे पढ़ाई करना चाहिए था तब मैं नहीं कर पाई। लेकिन खुशी है कि अब पढ़ाई पूरी कर रही हूं।’ कार्तियानी अम्मा 96 की उम्र में भी स्वस्थ हैं, कुछ भी हो लेकिन दिन में दो बार चाय पीना नहीं भूलती हैं।

96 साल की उम्र में साक्षरता परीक्षा में टॉप करने वाली कार्तियानी अम्मा को केरल के एजुकेशन मिनिस्टर सी. रवींद्रनाथ ने लैपटॉप गिफ्ट किया है। उन्होंने अलपुझा जिले के चेप्पाड गांव में अम्मा के घर जाकर एक नया लैपटॉप दिया। जिसे पाने की खुशी अम्मा के चेहरे पर साफ देखी जा सकती है। बता दें, उन्हें 'Dell' कंपनी का लैपटॉप गिफ्ट किया गया है जिसकी कीमत 25, 000 हजार रुपये है। सरप्राइज गिफ्ट से खुश अम्मा ने शिक्षा मंत्री के सामने ही अंग्रेजी में अपना नाम टाइप कर मंत्री को आश्चर्यचकित कर दिया। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक शिक्षामंत्री उस क्षेत्र के आधिकारिक दौरे पर थे। किसी ने उन्हें बताया कि अम्मा कंप्यूटर सीखना चाहती हैं। इतना सुनते ही मंत्री लैपटॉप की शॉप पर गए और 25 हजार का लैपटॉप खरीद कर अम्मा को गिफ्ट कर दिया।

केरल राज्य साक्षरता मिशन के तहत सबसे बुजुर्ग शिक्षार्थी बनकर 2018 में सुर्खियाँ बटोरने वाली कार्तियानी अम्मा का मंगलवार, 10 अक्टूबर को तटीय जिले अलप्पुझा में उनके निवास पर निधन हो गया। वह 101 वर्ष की थीं। बताया जाता है कि स्ट्रोक के कारण वह कुछ समय तक बिस्तर पर रहीं।

गणतंत्र दिवस 2018 पर केरल राज्य साक्षरता मिशन अथॉरिटी ने 'अक्षरालाक्षम' परियोजना शुरू की थी जिसका उद्देश्य केरल में 100 फीसदी साक्षरता करना है। इसके जरिए आदिवासियों, मछुआरों और गरीब लोगों के बीच साक्षरता का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। 

2018 में गणतंत्र दिवस पर केरल सरकार द्वारा शुरू की गई 'अक्षरलक्षम' साक्षरता परियोजना राज्य भर में 20,86 मान्यता प्राप्त शिक्षण केंद्रों के माध्यम से संचालित होती है। केरल के 21,908 वार्डों में किए गए परीक्षण सर्वेक्षण के बाद शिक्षण केंद्रों की स्थापना की गई।

केएसएलएमए की अध्यक्ष पीएस श्रीकला ने कहा, "हम उन लोगों को बेहतर शिक्षा और आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए तत्पर हैं, जिन्हें विभिन्न कारणों से अपनी स्कूली शिक्षा छोड़नी पड़ी।" "वित्तीय और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे, आस-पास के क्षेत्रों में स्कूलों की कमी, माता-पिता से समर्थन की कमी और स्कूल में बुरे अनुभवों ने उन्हें अपनी शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर किया होगा। यह 'अक्षरलक्षम' परियोजना का केवल पहला चरण है। हमारा लक्ष्य केरल में 4 वर्षों के भीतर सभी 18.5 लाख पहचाने गए निरक्षरों को साक्षर बनाना है," उन्होंने कहा।



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