रविवार, 8 जून 2025

"जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू" का अर्थ

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का दोहा "जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू"

Distance Between Sun and Earth
सैंकड़ों साल पहले गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की थी। हनुमान चालीसा का एक दोहा है, इस दोहे में सूरज और पृथ्वी के बीच की दूरी बताई गई है। आश्चर्य की बात यह है कि इस वक्त विज्ञान ने इतनी तरक्की नहीं की थी और तब भी शास्त्रों में इसकी जानकारी पहले से ही लिखी थी। हनुमान चालीसा में एक दोहा है -
"जुग सहस्त्र जोजन पर भानु,
लील्यो ताहि मधुर फल जानू"
इसी दोहे में सूरज और धरती के बीच की दूरी बताई गई है। आइए जानते हैं इसका क्या अर्थ है और कैसे इससे सूरज और पृथ्वी के बीच की दूरी पता चलती है।

कितनी है सूरज और धरती के बीच की दूरी
हनुमान चालीसा के इस 18वीं चौपाई में ही सूरज और धरती के बीच की दूरी का गणित छिपा है। यह दोहा अवधी भाषा में है इस दोहे का हिंदी भाषा में अर्थ यह है कि हनुमान जी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु (सूर्य) को मीठा फल (आम) समझकर खा लिया था। बता दें कि योजन पहले दूरी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ईकाई थी। इसमें एक युग का मतलब 12000 वर्ष, एक सहस्त्र का मतलब 1000 और एक योजन यानी 8 मील होता है। अब देखा जाए तो युग x सहस्त्र x योजन = 12000x1000x8 मील। इस प्रकार यह दूरी 96000000 मील है। किलोमीटर में अगर इस दूरी को देखें तो एक मील में 1.6 किमी होते हैं तो इस हिसाब से 96000000x1.6= 153600000 किमी। इस गणित के आधार गोस्वामी तुलसीदास ने प्राचीन समय में ही बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है।

यह ठीक वही दूरी है जो नासा ने पृथ्वी से सूर्य तक पहुंचने के लिए गणना की है। यह जानना वाकई अविश्वसनीय है कि प्राचीन भारतीय इतने प्रतिभाशाली थे कि वे किसी भी आधुनिक उपकरण या कैलकुलेटर के बिना पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी की गणना कर सकते थे।

सूरज को मुंह में रख लिया था
शास्त्रों के मुताबिक हनुमानजी भगवान शिव के ही अवतार हैं और उन्हें जन्म से ही कई दिव्य शक्तियां प्राप्त थीं। हनुमान चालीसा के अनुसार बचपन में बाल हनुमान को खेलते हुए सूर्य ऐसे दिखाई दिया जैसे वह कोई मीठा फल हो। वे उसे खाने की चाह में तुरंत ही सूर्य तक उड़कर पहुंच गए।

हनुमान जी ने स्वयं का आकार इतना विशाल बनाया कि उन्होंने सूर्य को ही अपने मुख में रख लिया। उनके ऐसा करने से पूरी सृष्टि में अंधकार फैल गया और सभी देवी-देवता डर गए। जब इंद्र देव को यह पता चला कि किसी वानर बालक ने सूर्य को खा लिया है तो वे क्रोधित हो गए। इंद्र हनुमान जी के पास पहुंचे और उन्होंने बाल हनुमान की ठोड़ी पर अपने शस्त्र वज्र से प्रहार कर दिया। इस प्रहार से केसरी नंदन की ठुड्डी कट गई। इसी वजह से वो हनुमान कहलाए। ठुड्डी को संस्कृत में हनु कहा जाता है।

सीखने को है बहुत कुछ
हनुमान का एक अर्थ है निरहंकारी या अभिमानरहित भी होता है। हनु का अर्थ हनन करना और मान का अर्थ होता है अहंकार, यानी जिसने अपने अहंकार का हनन कर दिया हो। हनुमानजी को कोई अभिमान नहीं था। हमें हनुमान जी से सीखना चाहिए और समृद्ध जीवन जीने के लिए अपने अहंकार को त्यागना चाहिए।

भगवान हनुमान भारतीय महाकाव्य रामायण के महान केंद्रीय पात्र हैं। हनुमान अपनी शक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं और वे सभी प्रकार के हथियारों से अछूते हैं। उनके पास अत्यधिक गति (मनोजवम, मरुथा तुल्य वेगम) तेज, बुद्धि, मृत्यु का भय न होना (चिरंजीवी) है, उन्होंने मोहक इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली है। उन्हें आठ सिद्धियों और नौ भक्तियों का ज्ञान है। दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार ब्रह्मास्त्र भी उन्हें कभी नुकसान नहीं पहुंचा सकता। वे श्री राम के सबसे शक्तिशाली लेकिन बहुत आज्ञाकारी भक्त हैं।

तुलसीदास या गोस्वामी तुलसीदास, जिन्होंने रामचरितमानस लिखा था, वे ही हनुमान चालीसा के रचयिता हैं। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने वाराणसी में हनुमान जी के दर्शन भी किए थे, जहाँ वे रहते थे और उन्होंने वाराणसी में संकटमोचन हनुमान मंदिर नामक एक मंदिर बनवाया था, जहाँ उन्हें भगवान हनुमान के दर्शन हुए थे।



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