शनिवार, 7 जून 2025

भारत के नक्शे में क्यों दिखाई देता हैं श्रीलंका?

भारत के नक्शे में श्रीलंका को दिखाना क्यों है जरूरी?

जब हम भारत देश का जिक्र करते हैं तो इसे विविधताओं का देश कहा जाता है। भारत की अनूठी परंपराएं, संस्कृति और भाषाएं, खान-पान, वेशभूषा और यहां की कलाएं इसे अन्य देशों से अलग बनाती हैं। भारत की सीमा 7 देशों से लगती है। इन देशों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार शामिल है।

हम बचपन से ही भूगोल के विषय में भारत का नक्शा देखते आ रहे हैं। मानचित्र में दिखाया जाता है कि कौन सा राज्य देश के किस भाग में स्थित है। यह चित्र भारतीय सीमा को खूबसूरती से दर्शाता है, लेकिन इसमें पाकिस्तान या नेपाल की सीमाएं नहीं दिखाई गई हैं।

हालांकि जब हम भारत (India) के नक्शे को देखते हैं तो हमें श्रीलंका (Sri Lanka) जरूर नजर आता है। लेकिन हम अन्य देश नहीं देखते हैं। जबकि श्रीलंका एक अलग देश है। अब बड़ा सवाल यह है कि अगर भारत की सीमा श्रीलंका से नहीं लगती है तो भारत के नक्शे में श्रीलंका क्यों दिखाई देता है? अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या ऐसा पडोसी देश होने की वजह से है? लेकिन पाकिस्तान और चीन भी तो भारत के पडोसी देश हैं। बावजूद इसके भारत के मैप श्रीलंका को ही क्यों दिखाया जाता है पाकिस्तान और चीन को क्यों नहीं?

ऐसा नहीं है कि श्रीलंका से हमारे अच्छे संबंध है तो इसे भारत के नक्शे में दिखाए जाने से कुछ दिक्कत नहीं होती है जबकि इसके पीछे एक अहम वजह है।

जानें भारत के समुद्री सीमा की लंबाई

अगर हम भारत की समुद्री सीमा की बात करें तो इसकी कुल लंबाई 7516.6 किलोमीटर है। भारत की समुद्री सीमा गुजरात, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, दादर और नगर हवेली, दमन एवं दीव, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार दीप समूह से होकर गुजरती है। लेकिन इसमें भी श्रीलंका नहीं आता है। श्रीलंका एक अलग देश है लेकिन हम उसे भारत के मानचित्र पर हमेशा नीचे की तरफ देखते ही देखते हैं। हम सभी जानते हैं कि श्रीलंका पर भारत का कोई अधिकार नहीं है।

समुद्री क़ानून (ओसियन लॉ /Law of the Sea) क्या है?

भारत के नक्शे में श्रीलंका दिखाए जाने का मतलब ये नहीं है कि भारत का उस पर कोई अधिकार है या फिर दोनों देश के बीच ऐसा कोई करार है। दरअसल भारत के नक्शे में श्रीलंका को दिखाए जाने का मुख्य कारण समुद्री कानून है। इसे ओसियन लॉ भी कहा जाता है। अगर भारतीय नक्शे में श्रीलंका को नहीं दिखाया जाता तो यह कानूनन अपराध माना जाएगा। यही वजह है कि हर भारतीय नक्शे में श्रीलंका को जरूर दिखाया जाता है। और इसमें हिंद महासागर का कितना अहम रोल है।

दुनिया के कई देश ऐसे हैं जो समुद्री सीमा से लगते हैं। वर्ष 1956 में संयुक्त राष्ट्र (United Nations /यूनाइटेड नेशंस) ने ‘कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ द सी’ (Convention of the law of the Sea) (UNCLOS-1) का सम्मेलन आयोजित किया गया और इसके बाद 1958 में इस सम्मेलन का रिजल्ट घोषित किया गया। इस सम्मेलन में अलग-अलग देशों की समुद्री सीमा और उनसे जुड़ी संधियों व समझौतों पर गहन चर्चा की गई। ऐसे में अलग-अलग कानून बनाए गए। वहीं, इसके बाद भी बैठकों का दौर जारी रहा और साल 1973 से 1982 तक तीन बैठकों (तीसरा सम्मेलन (UNCLOS-III)) का आयोजन किया गया। बैठकों में अलग-अलग समुद्री सीमाओं को लेकर कानून बनाए गए और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने के लिए प्रक्रिया हुई। इसी में ‘लॉ ऑफ द सी’ शामिल था। इस कानून के तहत किसी भी देश के नक्शे में उस देश की आधार रेखा यानी बेसलाइन से 200 नॉटिकल माइल यानि कि 370.4 किलोमीटर की सीमा को दिखाना अनिवार्य कर दिया गया। सीधे शब्दों में समझें तो अगर कोई देश समुद्र के किनारे बसा हुआ है या फिर उसका एक हिस्सा समुद्र से जुड़ा है तो इस स्थिति में उस देश के नक्शे में देश की सीमा से आस-पास का क्षेत्र भी नक्शे में दिखाया जाएगा।

लॉ ऑफ द सी के मुताबिक, अगर किसी देश की सीमा समुद्र से लगती है तो लगभग 200 नॉटिकल माइल यानी करीब 370 किलोमीटर तक का समुद्री इलाका उस देश का समुद्री इलाका माना जाएगा। संबंधित देश की नौसेनाएं भी इस 370 किलोमीटर की दूरी पर तैनात की जा सकती हैं। (एक नॉटिकल माइल्स (nmi) में 1.824 किलोमीटर (km) होते हैं।)

भारत के नक्शे में श्रीलंका क्यों?

अब हम आते हैं श्रीलंका पर। दरअसल श्रीलंका से भारत की दूरी 18 नॉटिकल मील यानि कि 33.33 किलोमीटर है। भारत का धनुषकोडी इलाका और श्रीलंका के थलाईमन्नार की दूरी 30 किलोमीटर है। अब अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार 370 किलोमीटर तक के एरिया को भारत को अपने नशे में दिखाना होगा। ऐसे में इसी कारण श्रीलंका को भी भारत के नक्शे में दिखाना जरूरी होता है। इसी तरह श्रीलंका भी भारत के कुछ हिस्सों को अपने मानचित्र में दिखाएगा।

इससे साफ हो जाता है कि भारत के नक्शे में इस वजह से श्रीलंका अहम स्थान रखता है और ये ही कारण है इसपर कोई विवाद भी नहीं होता है। इसी नियम का पालन अन्य समुद्री भी करते हैं।

हालांकि, पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भुटान, बांग्लादेश और म्यांमार को इसलिए मैप पर दिखाया जाता है क्योंकि इन्हें शामिल किए बगैर पूरे भारत के नक्शे को दिखा पाना संभव नहीं है।

भूमि सीमा को लेकर भी जान लें सबकुछ

वहीं अगर हम भारत की भूमि सीमा की बात करें तो यह करीब 15,200 किलोमीटर है। भारत की भूमि सीमा 17 प्रदेशों के 82 जिलों से होकर गुजरती है। यानी भारत के 82 जिले चीन, पाकिस्तान, भूटान, अफगानिस्तान, म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल से सीमा साझा करते हैं। भारत, बांग्लादेश के साथ सबसे अधिक सीमा साझा करता है। भारत, बांग्लादेश के साथ 4096.7 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। वहीं आप अक्सर चीन के साथ सीमा विवाद की खबरें सुनते होंगे। भारत, चीन के साथ 3488 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। वहीं पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा की लंबाई 3323 किलोमीटर है। भारत, नेपाल का भी पड़ोसी देश है और नेपाल के साथ 1751 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। वहीं भारत, म्यांमार के साथ 1643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। भारत, भूटान के साथ 699 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। वहीं भारत के साथ अफगानिस्तान की भी सीमा लगती है। भारत के साथ अफगानिस्तान की सीमा की लंबाई 106 किलोमीटर है।


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