शनिवार, 28 सितंबर 2024

हथिया नक्षत्र (हस्त नक्षत्र)

हथिया नक्षत्र क्या है और इसमें कितने दिन बारिश होती है? जानें इसके ज्योतिषीय और वैज्ञानिक पहलुओं को

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, देश के अधिकांश हिस्सों में हो रही यह बारिश, हथिया नक्षत्र का प्रभाव है। हथिया नक्षत्र में बारिश की अवधि लगभग एक हफ्ते से 10 दिन तक होती है। यह नक्षत्र सितंबर के दूसरे पखवाड़े से लेकर अक्तूबर के पहले पखवाड़े में आता है। आइए जानते हैं इसके ज्योतिषीय और वैज्ञानिक पहलुओं को -

हथिया नक्षत्र क्या है?

हथिया नक्षत्र (हस्त नक्षत्र) एक ऐसा समय होता है जब लगातार बारिश की हल्की फुहारें होती हैं। किसानों के लिए इस नक्षत्र को काफी अच्छा माना जाता है। माना जाता है कि फसलों के लिए किसान इस नक्षत्र का इंतजार करते हैं। हथिया नक्षत्र 5 तारों का समूह है, जिसकी हाथ के पंजे के जैसी आकृति है। इसका ग्रह स्वामी चंद्र है। पश्चिम में इसे α, β, γ, δ और ε Corvi से दर्शाया जाता है। तारामंडल में इसकी स्थिति 10VI00-23VI20 है। इस अवधि को आमतौर पर शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस नक्षत्र में लगातार बारिश होती है। हालांकि मूसलाधार बारिश कम देखी जाती है। हथिया नक्षत्र में बारिश की अवधि स्थान और वर्ष के आधार पर भिन्न हो सकती है। कुछ वर्षों में, बारिश अधिक तीव्र और लंबे समय तक हो सकती है, जबकि अन्य वर्षों में यह कम हो सकती है।

नक्षत्र क्या होते हैं?

भारत में नक्षत्र परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। आसमान में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। ये सभी नक्षत्र चंद्रमा के पथ में स्थित होते हैं, जिनके समीप से चंद्रमा गति करता है। सूर्य पंचांग से इनकी गणना करना मुश्किल है, लेकिन चंद्र पंचांग से इनकी गणना आसानी से की जा सकती है। चंद्रमा 27 नक्षत्रों में गति करता है। इन्हें ही प्रधान नक्षत्र माना जाता है। इसके साथ ही एक गुप्त नक्षत्र भी माना गया है जिसे अभिजीत कहा जाता है। इस तरह इनकी संख्या 28 हो जाती है।

वेद-पुराण में नक्षत्रों का वर्णन

ऋग्वेद में सूर्य की गणना भी नक्षत्र में की गई है। भागवत पुराण के अनुसार, ये सभी नक्षत्र प्रजापति दक्ष की पुत्रियां और चंद्रमा की पत्नी हैं। शिव महापुराण में एक कथा के अनुसार, राजा दक्ष ने अपनी 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रमा से किया था। लेकिन वो सभी 27 में से रोहिणी से ज्यादा प्रेम करते थे। चंद्रमा के इस व्यवहार से बाकी 26 दक्ष पुत्रियां दुखी रहती थीं। उन्होंने पिता को अपनी व्यथा बतायी। दक्ष ने चंद्रमा को समझाया लेकिन वो नहीं माने तो उन्होंने चंद्रमा को क्षय रोग का श्राप दे दिया।

चंद्रमा इससे घबरा कर ब्रह्मा के पास गये। ब्रह्मा ने उन्हें शिव की स्तुति करने को कहा। तब चंद्रमा ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना कर घोर तप किया। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने कहा कि आज से हर मास में दो पक्ष होंगे (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष) इनमें लगातार तुम्हारी रोशनी घटेगी और बढ़ेगी, और जब पूर्णिमा को तुम अपने पूर्ण रूप में रहोगे तब रोहिणी नक्षत्र में वास करोगे।

27 नक्षत्रों के नाम क्या-क्या हैं?

1 - अश्विन, 2 - भरणी, 3 - कृतिका, 4 - रोहिणी, 5 - मृगशिरा, 6 - आर्द्रा, 7 - पुनर्वसु, 8 - पुष्य, 9 - अश्लेषा, 10 - मघा, 11 - पूर्वा फाल्गुनी, 12 - उत्तरा फाल्गुनी, 13 - हस्त, 14 - चित्रा, 15 - स्वाति, 16 - विशाखा, 17 - अनुराधा, 18 - ज्येष्ठा, 19 - मूल, 20 - पूर्वाषाढ़ा, 21 - उत्तराषाढ़ा, 22 - श्रवण, 23 - धनिष्ठा, 24 - शतभिषा, 25 - पूर्वा भाद्रपद, 26 - उत्तरा भाद्रपद और 27 - रेवती, 28 - अभिजीत।

ऐसे बनता है वर्षा का योग

ज्योतिषीय शास्त्र के अनुसार 27 नक्षत्रों में कुछ नक्षत्र स्त्री और कुछ पुरुष नक्षत्र होते हैं। इसके अलावा कुछ नपुंसक नक्षत्र भी होते हैं। सूर्य और चंद्रमा के परस्पर विपरीत नक्षत्रों (स्त्री-पुरुष नक्षत्र में) में होने से वर्षा का योग बनता है। लेकिन सूर्य और चंद्र दोनों के स्त्री-स्त्री अथवा स्त्री-नपुंसक के नक्षत्र में होने पर वर्षा न होकर बादलों का आवागमन रहता है। अगर सूर्य व चंद्र पुरुष-पुरुष नक्षत्र में होते हैं तो वर्षा नहीं होती मौसम साफ रहता है।

ग्रहों का भी रहता है प्रभाव

शास्त्रों के अनुसार, पूर्व तथा उत्तर की वायु चलने पर वर्षा तुरंत होती है और वायव्य दिशा की ओर अगर बारिश होती है तो तूफानी वर्षा होती है। नवग्रहों का भी अच्छी बारिश के योग में महत्वपूर्ण प्रभाव बना रहता है। अगर बुध और शुक्र एक राशि में मौजूद हैं और उन पर गुरु ग्रह की दृष्टि पड़े तो अच्छी बारिश के योग बनते हैं। वहीं अगर गुरु और शुक्र ग्रह एक राशि में हैं और उस पर बुध ग्रह की दृष्टि हो तो क्रूर ग्रहों की दृष्टि पड़ने पर बाढ़ व भूस्खलन जैसी स्थिति बनती हैं।

कहावतों में हथिया का कैसा है वर्णन?

मानसून की विदाई की बेला में शुरू हुई बारिश ने कवि घाघ की कहावत को सच साबित किया है। कवि घाघ ने अपनी रचना में लिखा है, ‘हथिया पुरवाई पावै, लौट चौमास लगावै। मौजूदा समय में हथिया नक्षत्र चल रहा है और पुरवाई पिछले कई दिनों से लगातार बह रही है। पुरवाई का साथ पाते ही मानसून ने जोरदार दस्तक दी है। पितृपक्ष का समय मानसून की विदाई का होता है। कहावत है - बोली लुखरी फूला कास, अब छोड़ो वर्षा की आस। इस समय में शाम होते ही लुखरी, यानी लोमड़ी की आवाज गूंजने लगती थी और कास भी जमकर फूलने लगा करते थे। किसान वर्षा की उम्मीद छोड़ चुके होते थे। लेकिन पितृपक्ष के हथिया नक्षत्र ने किसानों की उम्मीदें जगा दी हैं। हथिया नक्षत्र ने पुरवाई का साथ पाकर पिछले 48 घंटे से बरसात का माहौल बना दिया है। रुक-रुककर बदरा झूमझूम के बरस रहे हैं। किसानों के चेहरों पर मुस्कान छा गई है। किसानों के लिए पितृपक्ष में यह बरसात आगामी रबी की फसलों के लिए बहुत लाभदायक साबित होगी।

जलवायु परिवर्तन से बदल सकता है मौसम पूर्वानुमान

मौसम विभाग के अनुमान से लेकर ज्योतिष गणना तक पर कई बार सवाल उठते रहे हैं। खुद विज्ञान भी वैज्ञानिक आधार पर अपने पूर्वानुमानों को सटीक होने का दावा नहीं करता, तो हाल में हुए कई शोध यह भी बताने लगे हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का पूर्वानुमान और ज्यादा मुश्किल होता जाएगा। दूसरी ओर ज्योतिषीय गणना भी कई बार सटीक नहीं हो पाती है।



गुरुवार, 12 सितंबर 2024

84 लाख योनियां

84 लाख योनियों के प्रकार और गतियां

हिंदू-धर्म ग्रंथों, वेदों और पुराणों में सभी योनियों के बारे में बताया गया है। 84 लाख योनियां अलग-अलग पुराणों में अलग-अलग बताई गई हैं, लेकिन हैं सभी एक ही। अनेक आचार्यों ने इन 84 लाख योनियां, अर्थात सृष्टि में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु। इन्हें दो भागों में बांटा है। पहला योनिज तथा दूसरा आयोनिज अर्थात 2 जीवों के संयोग से उत्पन्न प्राणी योनिज कहे गए और जो अपने आप ही अमीबा की तरह विकसित होते हैं उन्हें आयोनिज कहा गया।

इसके अतिरिक्त स्थूल रूप से प्राणियों को 3 भागों में बांटा गया है -

1. जलचर : जल में रहने वाले सभी प्राणी।
2. थलचर : पृथ्वी पर विचरण करने वाले सभी प्राणी।
3. नभचर : आकाश में विहार करने वाले सभी प्राणी।

उक्त 3 प्रमुख प्रकारों के अंतर्गत मुख्य प्रकार होते हैं अर्थात 84 लाख योनियों में प्रारंभ में निम्न 4 वर्गों में बांटा जा सकता है।

1. जरायुज : माता के गर्भ से जन्म लेने वाले मनुष्य, पशु जरायुज कहलाते हैं।
2. अंडज : अंडों से उत्पन्न होने वाले प्राणी अंडज कहलाते हैं।
3. स्वदेज : मल-मूत्र, पसीने आदि से उत्पन्न क्षुद्र जंतु स्वेदज कहलाते हैं।
4. उदि्भज : पृथ्वी से उत्पन्न प्राणी उदि्भज कहलाते हैं।

पद्म पुराण के अनुसार

महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित पद्म पुराण के अनुसार, यह माना गया है कि हर प्राणी को उसके कर्म के अनुसार ही अगला जन्म मिलता है। व्यक्ति के उच्च कर्म ही उसे इन जन्म चक्र से मुक्त कर सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार 84 लाख योनियों में मनुष्य योनि को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

पद्म पुराण (Padma Purana) के एक श्लोकानुसार...
जलज नव लक्षाणी, स्थावर लक्ष विम्शति, कृमयो रूद्र संख्यक:।
पक्षिणाम दश लक्षणं, त्रिन्शल लक्षानी पशव:, चतुर लक्षाणी मानव:।। - (78:5 पद्मपुराण)

अर्थात जलचर 9 लाख, स्थावर अर्थात पेड़-पौधे 20 लाख, सरीसृप, कृमि अर्थात कीड़े-मकौड़े 11 लाख, पक्षी/नभचर 10 लाख, स्थलीय/थलचर 30 लाख और शेष 4 लाख मानवीय नस्ल के। कुल 84 लाख।

आप इसे इस तरह समझें

1. पानी के जीव-जंतु - 9 लाख
2. पेड़-पौधे - 20 लाख
3. कीड़े-मकौड़े - 11 लाख
4. पक्षी - 10 लाख
5. पशु - 30 लाख
6. देवता-दैत्य-दानव-मनुष्य आदि - 4 लाख

कुल योनियां - 84 लाख।

'प्राचीन भारत में विज्ञान और शिल्प' ग्रंथ में शरीर रचना के आधार पर प्राणियों का वर्गीकरण किया गया है जिसके अनुसार -

1. एक शफ (एक खुर वाले पशु) - खर (गधा), अश्व (घोड़ा), अश्वतर (खच्चर), गौर (एक प्रकार की भैंस), हिरण इत्यादि।
2. द्विशफ (दो खुर वाले पशु) - गाय, बकरी, भैंस, कृष्ण मृग आदि।
3. पंच अंगुल (पांच अंगुली) नखों (पंजों) वाले पशु - सिंह, व्याघ्र, गज, भालू, श्वान (कुत्ता), श्रृंगाल आदि। (प्राचीन भारत में विज्ञान और शिल्प- पेज 107-110)

अंत में मिलती है मानव की योनि

यानी कि जन्म के बाद किसी भी जीव को बारी-बारी से एक खास योनी में जन्म लेकर चक्र पूरा करना पड़ता है। उस जन्म के निर्धारित चक्र पूरे होने के बाद उसे दूसरी योनि में भेज दिया जाता है। वहां पर उसे निर्धारित अवधि के मुताबिक बार-बार जन्म लेकर चक्र पूरा करना पड़ता है। अंत में वह कर्मों के आधार पर देवता, दैत्य या मनुष्य के रूप में जन्म लेती है। इस योनि में आने के बाद आत्मा 4 लाख बार इसी योनि में जन्म लेती रहती है।

क्यों श्रेष्ठ है मनुष्य योनि?

आत्मा को 52 अरब वर्ष एवं 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मानव शरीर मिलता है। इसलिए मानव तन को दुर्लभ माना जाता है। क्योंकि इतनी योनियों में एक मनुष्य योनि ही है जिसमें विवेक जैसा दुर्लभ गुण पाया जाता है।

पद्म पुराण में किया गया है वर्णन - मनुष्य जन्म कब मिलता है : 
एक प्रचलित मान्यता के अनुसार एक आत्मा को कर्मगति अनुसार 30 लाख बार वृक्ष योनि में जन्म होता है। उसके बाद जलचर प्राणियों के रूप में 9 लाख बार जन्म होता है। उसके बाद कृमि योनि में 10 लाख बार जन्म होता है। और फिर 11 लाख बार पक्षी योनि में जन्म होता है। उसके बाद 20 लाख बार पशु योनि में जन्म लेना होता है अंत में कर्मानुसार गौ का शरीर प्राप्त करके आत्मा मनुष्य योनि प्राप्त करता है और तब 4 लाख बार मानव योनि में जन्म लेने के बाद पितृ या देव योनि प्राप्त होती है। इसके साथ ही वह जन्म-जन्मांतर से मुक्त होकर बैकुंठ धाम चली जाती है। यह सभी कर्मानुसार चलता है। जबकि नीच कर्म करने वाली आत्मा को फिर से 84 लाख योनियों में जन्म लेने के लिए नीचे भेज दिया जाता है। अर्थात उल्टेक्रम में गति करता है। वेद-पुराणों में इसे दुर्गति कहा गया है, यानी कि किसी आत्मा के फिर से जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसने का फेर, जिसे एक आदर्श स्थिति नहीं मानी जाती।

मनुष्य का पतन कैसे होता है : 
कठोपनिषद अध्याय 2 वल्ली 2 के 7वें मंत्र में यमराजजी कहते हैं कि अपने-अपने शुभ-अशुभ कर्मों के अनुसार शास्त्र, गुरु, संग, शिक्षा, व्यवसाय आदि के द्वारा सुने हुए भावों के अनुसार मरने के पश्चात कितने ही जीवात्मा दूसरा शरीर धारण करने के लिए वीर्य के साथ माता की योनि में प्रवेश कर जाते हैं। जिनके पुण्य-पाप समान होते हैं, वे मनुष्य का और जिनके पुण्य कम तथा पाप अधिक होते हैं, वे पशु-पक्षी का शरीर धारण कर उत्पन्न होते हैं और कितने ही जिनके पाप अत्यधिक होते हैं, स्थावर भाव को प्राप्त होते हैं अर्थात वृक्ष, लता, तृण आदि जड़ शरीर में उत्पन्न होते हैं। 

अंतिम इच्छाओं के अनुसार परिवर्तित जीन्स जिस जीव के जीन्स से मिल जाते हैं, उसी ओर ये आकर्षित होकर वही योनि धारण कर लेते हैं। 84 लाख योनियों में भटकने के बाद वह फिर मनुष्य शरीर में आता है।


रविवार, 7 जुलाई 2024

विश्व के भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियां

विश्व में कई भविष्यवक्ता हुए हैं। किसी को प्रचार मिला और किसी को नहीं। जो प्रसिद्ध हो गया उसी की भविष्यवाणियों को ज्यादा महत्व दिया जाता रहा। हालांकि भारत में एक से एक भविष्यवक्ता हैं जिन्होंने सैकड़ों-हजारों वर्षों की भविष्यवाणी की है, लेकिन वर्तमान में प्रचार माध्यमों के चलते नास्त्रेदमस और बाबा वेंगा की भविष्यवाणियां ज्यादा प्रचलन में हैं। हम आपको बताएंगे कि इनके अलावा भी ऐसे कई भविष्यवक्ता हैं, जो भविष्यवाणी कर गए हैं।

1. नास्त्रेदमस : 14 दिसंबर 1503 को फ्रांस में जन्मे नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणियां 100 छंदों के अनेक शतकों में की हैं। ऐसे शतकों की संख्या 12 है जिनमें से अंतिम 2 शतकों के अनेक छंद उपलब्ध नहीं हैं। इन शतकों को 'सेंचुरी' कहा गया है। नास्त्रेदमस की इस कालगणना के अनुसार हम चन्द्रमा की द्वितीय महान चक्र अवधि से गुजर रहे हैं, जो सन् 1889 से शुरू हुई है और सन् 2243 में समाप्त होगी। नास्त्रेदमस के अनुसार, यह अवधि मनुष्य जाति के लिए रजत युग है। नास्त्रेदमस ने ये भविष्यवाणियां लगभग 499 वर्ष पहले की थीं।

नास्त्रेदमस के अनुसार तीसरे महायुद्ध की स्थिति सन् 2012 से 2025 के मध्य उत्पन्न हो सकती है। तृतीय विश्वयुद्ध में भारत शांति स्थापक की भूमिका निबाहेगा। सभी देश उसकी सहायता की आतुरता से प्रतीक्षा करेंगे। नास्त्रेदमस ने तीसरे विश्वयुद्ध की जो भविष्यवाणी की है उसी के साथ उसने ऐसे समय एक ऐसे महान राजनेता के जन्म की भविष्यवाणी भी की है, जो दुनिया का मुखिया होगा और विश्व में शांति लाएगा। लेकिन यह महान व्यक्ति कहां जन्म लेगा इस बात को लेकर मतभेद हैं। हालांकि ज्यादातर जानकार मानते हैं कि दुनिया का 'मुक्तिदाता' भारत में ही जन्म लेगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि उस 'महापुरुष' ने जन्म ले लिया हो और वह राजनीति में सक्रिय भी हो। वह राजनेता होगा या धर्मयोद्धा, यह कहना मुश्किल है।

2. बाबा वेंगा (Baba Vanga) : बुल्गारिया की भविष्यवक्ता बाबा वेंगा इन दिनों चर्चाओं में हैं। वेंगा को‘नास्त्रेदमस फ्रॉम द बाल्कन’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने जितनी भी भविष्यवाणियां की हैं, वे सभी सच हुई हैं।

बाल्कन ने पिछले दिनों फ्रांस और अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले से लेकर सुनामी, फुकुशिमा हादसे और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों के सामने आने की भविष्यवाणियां की थीं, जो सच निकलीं।

कौन हैं बाबा वेंगा ? : बुल्गारिया में पैदा हुई मूल नाम वेंगेलिया पांडेवा दिमित्रोवा ने 12 साल तक सामान्य जिंदगी जी। इसके बाद एक रहस्यमयी तूफान में उनकी दृष्टि चली गई। कई दिनों बाद वो परिवार को मिलीं लेकिन उनकी आंखों में मिट्टी भर गई थी, लेकिन इसके बावजूद वो काफी कुछ देखती थीं और भविष्यवाणियां कर लोगों की मदद करती थीं।

बाबा वेंगा को रूस और यूरोप में काफी लंबे समय तक एक संत के तौर पर सम्मानित किया गया। 1996 में उनकी 85 साल की उम्र में मौत हो गई। वेंगा ने 50 साल में करीब 100 भविष्यवाणियां कीं। इनमें से ज्यादातर सच साबित हुईं। इनकी कई भविष्यवाणियां क्लाइमेट और नेचुरल डिजास्टर से संबंधित थीं।

3. प्रोफेसर कीरो (Cheiro) : कीरो का जन्म नवंबर 1866 में इंग्लैंड के ब्रे नामक स्थान पर हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में कीरो मुंबई आ पहुंचे और यहां ख्यात ज्योतिषी वेदनारायण जोशी से मिले और उनसे परामर्श करके वे हिमालय, कश्मीर, लद्दाख और वाराणसी गए तथा ज्योतिष शास्त्र का गहन अध्ययन किया। 3 वर्ष में वे ज्योतिष, तंत्र आदि का ज्ञान प्राप्त करके वापस लौटे।

* कीरो ने यह भविष्योक्ति मृत्यु के मुख में जा रहे युवराज एडवर्ड सप्तम के लिए की थी। कीरो ने उनको कहा था - '1 माह बाद अगस्त 1902 में आपका राज्याभिषेक होगा और मृत्यु तो 69 वर्ष की आयु तक नहीं होगी। आपको अब स्वस्थ होना ही पड़ेगा।' इतना आत्मविश्वास एवं यथार्थयुक्त उनका कथन था कि सुनने वाला तो दंग ही रह गया। कीरो की भविष्यवाणी के अनुसार ही एडवर्ड सप्तम मृत्यु मुख से वापस आकर स्वस्थ हुए और 69 वर्ष की आयु तक जीवित भी रहे।
 
* सन् 1931 में ही कीरो ने भविष्यवाणी की थी, 'इस दशक के अंत में एक विश्वयुद्ध होगा। इंग्लैंड भारत को स्वतंत्र कर देगा (युद्ध के बाद) किंतु हिन्दू एवं मुसलमानों के बीच इस शताब्दी का भीषणतम नरसंहार होगा। अमेरिका, जापान के साथ युद्ध करेगा जिसके भयंकर परिणाम होंगे।'
 
* 16 वर्ष पूर्व भारत की आजादी की बात बता दे, जब किसी को तनिक भी आशा या विश्वास नहीं था, कितना सही एवं नैपुण्यपूर्ण कार्य था। कीरो ने जेल अधिकारियों की अनुमति प्राप्त कर डॉ. मेयर की हस्तरेखाओं का अध्ययन करके बताया था कि हाई कोर्ट के तुरंत मृत्युदंड दिए जाने के आदेश के बावजूद तुम जिंदा बच जाओगे। तुम अभी 44 वर्ष के हो और तुम्हारी मौत तुमसे 15 वर्ष की दूरी पर है। 15 वर्ष बाद तुम अपनी शैया पर बीमारी से मरोगे। ऐसा ही हुआ। न्यायालय ने मृत्युदंड के आदेश में कानूनी त्रुटि पाकर मेयर का मृत्युदंड का आदेश रोक दिया।
 
* 'लड़की की शादी पूर्व ओर के किसी देश के शासक से होगी, मगर इसकी आयु बहुत कम है' यह भविष्यवाणी कीरो ने श्रीमती लीटर के समक्ष उनकी पुत्री के हाथ की छाप का अध्ययन कर की थी। सचमुच में उस युवती का विवाह वायसराय लॉर्ड कर्जन के साथ हुआ किंतु उसकी शीघ्र मृत्यु भी हो गई।

* कीरो से ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने पूछा था कि भारत की आजादी का ऐसा कोई दिन बताइए जिस समय हम भारत को आजाद करें और वह समय भारत के लिए बुरा सिद्ध हो। प्रोफेसर कीरो ने रानी के अनुरोध के चलते अर्द्धरात्रि का वक्त बताया, लेकिन साथ ही कहा कि भारत को संसार की कोई ताकत रोक नहीं सकती। विशुद्ध धर्मावलंबी नीति का एक शक्तिशाली व्यक्ति सारे देश को जगा देगा। उसकी आध्यात्मिक शक्ति दुनियाभर की तमाम भौतिक शक्तियों से अधिक समर्थ होगी जिसका असर सारे संसार में पड़े बिना नहीं रह सकता। भारत का भविष्य उज्ज्वल होगा।
 
इसके कुछ दिन बाद कीरो अध्ययन कर रहे थे तो उन्हें पता चला कि भारत का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। वे फिर महारानी एलिजाबेथ के पास गए और कहा कि आजादी के 50 वर्षों के अंदर अगर कोई महापुरुष भारत में खड़ा हो गया तो भारत को कभी कोई गुलाम बना ही नहीं सकेगा और अगर 50 सालों में कोई महापुरुष खड़ा न हुआ और भारत को किसी ने गुलाम बना लिया तो फिर इसे कोई आजाद करा ही नहीं सकेगा।
 
कीरो ने सन् 1925 में लिखी अपनी पुस्तक में भविष्यवाणी की है कि 20वीं सदी अर्थात सन् 2000 ई. के उत्तरार्द्ध में सन् 1950 के पश्चात उत्पन्न संत ही विश्व में 'एक नई सभ्यता' लाएगा, जो संपूर्ण विश्व में फैल जाएगी। भारत का वह एक व्यक्ति सारे संसार में ज्ञानक्रांति ला देगा।
 
कीरो अपनी भविष्यवाणी में लिखते हैं, 'भारत का सूर्य बलवान है एवं कुंभ राशि में है इसलिए भारत की प्रगति को दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है। यहीं पर एक चेतना पुरुष का जन्म होगा जिसकी आध्यात्मिक क्षमता, समस्त विश्व की भौतिक क्षमता से कई गुना ज्यादा होगी। वह गुरु-शिष्य परंपरा का पालन करेगा। उसके अनुयायी हर धर्म, जाति व संप्रदाय के होंगे।'

4. पीटर हरकौस (Peter Hurkos) : हॉलैंड एक छोटा-सा देश है, लेकिन यहां बहुत विख्यात लोग रहते हैं। उन्हीं में से एक महान भविष्यवक्ता पीटर हरकौस की प्रसिद्धि दूर-दूर तक थी। उन्हें ज्योतिष का तो ज्यादा ज्ञान नहीं था लेकिन वे अंतरदृष्टि संपन्न व्यक्ति थे। उन्हें अतीन्द्रिय दर्शन की यह अद्भुत क्षमता एक दुर्घटना में अनायास ही प्राप्त हुई थी।

दुर्घटना में वे ठीक हो गए थे। वे जिस दिनों अस्पताल में थे उन्हीं दिनों ठीक होकर जा रहे एक व्यक्ति को उन्होंने रोका। वह पास आकर खड़ा हुआ तो पीटर ने कहना शुरू किया - 'मित्र मेरी बात मानो तो तुम अभी बाहर मत निकलो, जर्मन जासूस तुम्हें ढूंढ रहे हैं और तुम्हें देखते ही वे गोली मार देंगे।' पीटर की बात अनसुनी कर वो शख्स आगे बढ़ गया। वह एक ब्रिटिश जासूस था। कुछ ही देर बाद बाहर गोलियां चलने की आवाज सुनाई दीं। सचमुच वह व्यक्ति भून दिया गया था।

इस शताब्दी के महानतम भविष्यवक्ता पीटर हरकौस ने अपनी भविष्यवाणी में लिखा है कि 'भारत में आध्यात्मिकता तथा धार्मिकता की जो लहर उठेगी, वह सारे विश्व में छा जाएगी।'

5. जीन डिक्सन (Jean Dixon) : अमेरिका की भविष्यवक्ता जीन डिक्सन अपनी अचूक भविष्यवाणियों के लिए विख्‍यात है। जीन जब सिर्फ 6 साल की बच्ची थी, तब एक दिन उसकी मां ने यों ही बात-बात में बच्चों से पूछा कि तुम्हारे पिता तुम लोगों के लिए क्या लाएंगे? तो जीन ने दो पल रुककर जवाब दिया कि वो एक सुन्दर सा सफेद कुत्ता मेरे लिए लाएंगे। कहते हैं कि जब यह वार्ता हो रही थी तब उनके पिता एक हजार मील दूर थे।

हालांकि बच्ची की इस बात पर सभी हंसने लगे लेकिन जब पिता घर लौटकर आए तो सचमुच एक सफेद कुत्ता उनके साथ था। यह देखकर पूरा घर आश्चर्य से भर उठा था। जीन डिक्सन की यह अंतरदृष्टि क्षमता बड़े होने पर और भी बढ़ती गई।
 
उन्हें प्रसिद्धि तब मिली, जब उन्होंने खुद सन् 1644 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रुजवेल्ट के देहावसान की तिथि उनके दफ्तर में जाकर दे दी थी। जीन डिक्सन ने कुछ हिचकिचाहट के साथ कहा कि 'मैंने आपसे ही संबंधित एक घटना देखी है।' जीन को रुकते देख राष्ट्रपति रुजवेल्ट भांप गए और बोले - 'आप संकोच क्यों कर रही हैं संभव है? आपने मेरी मृत्यु से संबं‍धित घटना देखी हो, तो आप अवश्य बताने की कृपा करें ताकि मैं अपने शेष कर्तव्य को भली-भांति निभा सकूं।' डिक्सन ने बहुत हिचकते हुए बताया - 'आगामी वर्ष के मध्य में आपकी मृत्यु अवश्यंभावी है।'
 
यह दूसरे विश्वयुद्ध का दौर था। 1645 के मध्य में रुजवेल्ट का अंत हो गया। कुछ समय बाद उपराष्ट्रपति टू्र मैन ने एक क्लब में एक समारोह में श्रीमती डिक्सन से यों ही पूछा - 'क्या आप मेरे भविष्य के बारे में कुछ बता सकती हैं?' जीन डिक्सन बोली - 'जरूर, आप शीघ्र ही राष्ट्रपति बनने वाले हैं।' थोड़े ही समय बार टू्र मैन सचमुच राष्ट्रपति बन गए। इस घटना के बाद जब स्वयं टू्र मैन ने जीन डिक्सन की शक्ति की चर्चा की तो सारा अमेरिका उन्हें जानने लगा। जॉन कैनेडी की राष्ट्रपति के रूप में जीत तथा 4 साल के भीतर ही उनका हत्या की भविष्यवाणी डिक्सन ने सन् 1656 में ही कर दी थी।
 
भारत के संबंध में श्रीमती डिक्सन ने नेहरू के निधन तथा शास्त्रीजी के नेहरू का उत्तराधिकारी चुने जाने की भविष्यवाणी भी बहुत पहले कर दी थी। निक्सन ने यह भी कहा था कि भारत में 1685 के बाद तीव्र घटना चक्र गतिशील होगा और वह भौतिक, आध्यात्मिक तथा राजनीतिक दृष्टि में तीव्रता से प्रगति करेगा।

6. जूल्स वर्ने (Jules Verne) : विश्वविख्यात भविष्यवक्ता जूल्स वर्ने एक लेखक भी थे। उन्होंने भी विश्व राजनीति के बारे में कई भविष्यवाणियां की थीं, जो सच साबित हुईं। उन्होंने अधिकतर भविष्यवाणियां विज्ञान संबंधी की हैं। भारत संबंधी कुछ भविष्यवाणियां इस प्रकार हैं -

* जूल्स के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ेगी। बांग्लादेश बनेगा। अंत में पाकिस्तान एक छोटे से टापू जैसा रह जाएगा। इसका कुछ भाग अफगानिस्तान ले लेगा और कुछ में स्वतंत्र बलूचिस्तान बन जाएगा।
 
* भारत, चीन की ली गई भूमि वापस ले सकेगा। इसी समय तक तिब्बत भी स्वतंत्र हो जाएगा। बाद में चीन एटम बम बनाएगा।
 
* संपन्न देशों को हर्षल, प्लूटो आदि ग्रहों की भी विस्तृत जानकारी मिल जाएगी और मनुष्य शुक्र तथा मंगल ग्रह तक पहुंच जाएगा।

* भारत अत्यधिक शक्तिशाली बनकर उभरेगा। विश्व में उसका सम्मान बढ़ता चला जाएगा।
 
* सारी पृथ्वी, विशेषकर शहरी क्षेत्र भयंकर पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हो जाएंगे। नई-नई बीमारियां फैलेंगी, जो डॉक्टरों की समझ से परे होंगी।
 
* जूल्स वर्ने को 19वीं सदी के सबसे प्रगतिशील लेखक के तौर पर शुमार किया जाता है। वे चन्द्रमा के मॉड्यूल से लेकर सौर परिक्रमा तक की बातें करते हैं। उनकी किताब में वे इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की बातें करते हैं और वे पनडुब्बियां उनकी किताब लिखने के लगभग 90 वर्ष बाद आधिकारिक तौर पर अस्तित्व में आईं।

7. प्रो. हरार : इसराइल के प्रसिद्ध ज्योतिष और भविष्यवक्ता प्रोफेसर हरार ने कहा था कि अरब के प्रधान शाह मुहम्मद की यात्राओं की तैयरियां पूरी हो जाने पर भी 3-3 बार वे यात्रा न कर सकेंगे। सचमुच यही हुआ। पहली बार घोड़े से गिर पड़ने के कारण शाह का पैर फ्रैक्चर हो गया था, दूसरी बार मौसम की खराबी के कारण विमान न उड़ पाने के कारण और तीसरी बार पड़ोसी देश द्वारा हमला कर देने के कारण शाह मुहम्मद को यात्राएं स्थगित करना पड़ी थीं।

हरार ने भारत के संबंध में भारत-पाक युद्ध की तारीख लगभग 2 साल पहले ठीक-ठीक बता दी थी। इसी तरह उन्होंने एक नए देश बांग्लादेश के उदय की भविष्यवाणी भी कर दी थी। 1980 से 2000 तक का वक्त भारत के लिए सबसे बेहतरीन होगा। 1985 तक भारत में अनेक वैज्ञानिक शस्त्रों का निर्माण होगा और वो एक प्रचंड शक्ति बनकर उभरेगा। इसराइल और भारत एक अच्छे दोस्त बन जाएंगे।
 
प्रोफेसर हरार का जन्म इसराइल के एक यहूदी परिवार में हुआ था। अपनी अचूक व शत-प्रतिशत भविष्यवाणियों के लिए वे विश्वविख्यात हैं। उनका कहना है कि किसी दिव्य पुरुष का जन्म भारतवर्ष में हुआ है और वह 1970 तक आध्यात्मिक क्रांति की जड़ें बिना किसी लोक-यश के भीतर ही भीतर जमाता रहेगा और उसके बाद उसका प्रभुत्व सारे एशिया और विश्व में हो जाएगा तथा उसके कथन को सुनने और मानने को बाध्य होगा। संभवत: यह भविष्यवाणी ओशो के संबंध में है। ओशो के कारण ही विश्व में आध्यात्मिक क्रांति का एक नया सूत्रपात हुआ है, जो धर्मों की सीमा से परे है।

8. एंडरसन : अमेरिका के एक प्रसिद्ध भविष्यवक्ता एंडरसन ने भविष्यवाणी की है कि भारत के छोटे से देहात में जन्मा एक परम धार्मिक व्यक्ति मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बनेगा। जनता उसे बहुत मानेगी। वह व्यक्ति समस्त विश्व के लिए आदर्श संविधान का निर्माण करेगा।

संविधान के अनुसार सारे संसार की एक भाषा, एक संघीय राज्य, एक सर्वोच्च न्याय पालिका, एक झंडा आदि का विधान होगा। इस व्यक्ति के प्रभाव से सारे विश्व में एक अपूर्व सुख-शांति छा जाएगी व मनुष्यों में संयम, सदाचार, त्याग, नीति, मानवता, सहिष्णुता आदि गुणों को जीवन में उतारने की होड़ जग जाएगी। भारतवर्ष का महापुरुष अपने अपूर्व प्रेम व महानता से सारे विश्व को परम सुखदायी स्वरूप में परिवर्तित कर देगा।

9. डॉ. जूलबर्न : फ्रांस के भविष्यवक्ता डॉ. जूलबर्न के अनुसार भारतवर्ष में किसी एक ऐसे रहस्यमयी व्यक्ति का जन्म हो चुका होगा, जो आज तक के इतिहास का सबसे अधिक समर्थ व्यक्ति सिद्ध होगा। उसके बनाए विधान सारे संसार में लागू होंगे। यह व्यक्ति सन् 1962 से पूर्व ही जन्म ले चुका होगा। उस व्यक्ति को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी रहा होना चाहिए।

उसके अनुयायियों की बड़ी संख्या भी है। उसके अनुयायी एक समर्थ संस्था के रूप में प्रकट होंगे और देखते ही देखते सारे विश्व में अपना प्रभाव जमा लेंगे और असंभव दिखने वाले परिवर्तनों को आत्मशक्ति के माध्यम से सरलता व सफलतापूर्वक संपन्न करेंगे। इस परिवर्तन को कोई रोक नहीं सकेगा। उल्लेखनीय है कि ओशो रजनीश ने भी एक विधान बनाया है। कैसा होना चाहिए समाज, राष्ट्र और अन्य सभी व्यवस्था को लेकर उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए हैं। साम्यवाद, धर्म और पूंजीवाद के बीच एक नया रास्ता बनाया है।

10. गेलार्ड क्राइसे : गेलार्ड क्राइसे ने कहा है कि मैं देख रहा हूं कि पूर्व के अतिप्राचीन देश भारत, जहां साधु और संतों की पूजा होती है, वहां के लोग सीधे, सच्चे और ईमानदार होते हैं, उस देश से एक प्रकाश उठता आ रहा है। वहां किसी ऐसे महापुरुष का जन्म हुआ है, जो सारे विश्व की कल्याण की योजनाएं बनाएगा। तमाम संसार के लोग उधर देखेंगे और उनकी बात मानेंगे। सब राजनीतिक नेता एक मंच पर इकट्ठे होने के लिए विवश होंगे। इन सब बातों का प्रमाण इसी शताब्दी (20वीं) के अंत तक मिलने लगेगा और फिर सारा संसार एक सूत्र में बंधता चला जाएगा।

भविष्यवक्ता ऑर्थर चाल्‍​र्स क्लार्क लिखते हैं, ‘जिस प्रकार इस समय संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय अमेरिका में है, उसी प्रकार संयुक्त गृह राज्य संघ का मुख्यालय मंगल ग्रह या गुरु पर हो सकता है। सन् 1981 तक भारत अपने आप में शक्तिशाली हो जाएगा तथा वहां से एक ऐसी जबरदस्त विचार क्रांति उठेगी, जो पूरे विश्व को प्रभावित करेगी। भारत का धर्म और अध्यात्म पूरा विश्व स्वीकार करेगा।'
 
अमेरिका के भविष्यवक्ता चाल्‍​र्स क्लार्क के अनुसार - 20वीं सदी के अंत से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा, परंतु भारत की प्रतिष्ठा विषेशकर इसके धर्म और दर्शन से होगी जिसे पूरा विश्व अपना लेगा। यह धार्मिक क्रांति 21वीं सदी के प्रथम दशक में संपूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।
 
साभार -
1. विश्व की आश्चर्यजनक भविष्यवाणियां : लेखक - नरेन्द्र शर्मा, प्रकाशक - पवन पॉकेट बुक्स, दिल्ली।
2. अमर भविष्यवाणियां : लेखक - डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली, प्रकाशक - मयूर पेपरबैक्स, नई दिल्ली।
3. नास्त्रेदमस की संपूर्ण भविष्यवाणियां, लेखक - अशोक कुमार शर्मा, प्रकाशक - डायमंड पॉकेट बुक्स, नई दिल्ली।
4. इक्कीसवीं सदी एवं भविष्यवेत्ताओं के अभिमत : लेखक - पं. श्रीराम शर्मा 'आचार्य'। अखिल विश्व गायत्री परिवार, हरिद्वार।


मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर, पिथौरागढ़

भारत की पवित्र धरती पर ऐसे कई स्थान हैं जो अपने पौराणिक इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता को संजोए हुए हैं और इस वजह से इनकी पहचान दुनिया भर में है। इन्हीं में से एक है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर। यह मंदिर रहस्य और सुंदरता का बेजोड़ मेल के रुप में जाना जाता है। समुद्र तल से 90 फीट नीचे इस मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए बहुत ही संकीर्ण रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। स्कंद पुराण में भी इस मंदिर की महिमा का वर्णन है।

राजा ऋतुपर्णा ने की थी इस मंदिर की खोज

कहा जाता है कि त्रेता युग में राजा ऋतुपर्णा ने इस गुफा की खोज की थी जिसके बाद उन्हें यहां नागों के राजा अधिशेष मिले थे। कहा जाता है कि इंसान द्वारा इस मंदिर की खोज करने वाले राजा ऋतुपर्णा पहले व्यक्ति थे।

अधिशेष राजा ऋतुपर्णा को इस गुफा के अंदर ले गए जहां उन्हें सभी देवी-देवता और भगवान शिव के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कहा जाता है कि उसके बाद इस गुफा की चर्चा नहीं हुई लेकिन पांडवों ने द्वापर युग में इस गुफा को वापस ढूंढ लिया था और यहां रहकर भगवान शिव की पूजा करते थे। पौराणिक कथाओं के मुताबिक कलियुग में इस मंदिर की खोज आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में किया था।

क्या है इस गुफा मंदिर के अंदर?

इस मंदिर में प्रवेश करने से पहले मेजर समीर कटवाल के मेमोरियल से होकर गुजरना पड़ता है। कुछ दूर चलने के बाद एक ग्रिल गेट मिलता है जहां से पाताल भुवनेश्वर मंदिर की शुरुआत होती है। यह गुफा 90 फीट नीचे है जो बहुत ही पतले रास्ते से होकर इस मंदिर के अंदर घुसा जाता है। थोड़ा आगे चलने पर इस गुफा के चट्टान एक ऐसी कलाकृति बनाते हैं जो दिखने में 100 पैरों वाला ऐरावत हाथी लगता है। फिर से चट्टानों की कलाकृति देखने को मिलती है जो नागों के राजा अधिशेष को दर्शाते हैं। कहा जाता है कि अधिशेष ने अपने सिर के ऊपर पूरी दुनिया को संभाल कर रखा है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर में चार द्वार हैं जो रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार के नाम से जाने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पापद्वार बंद हो गया था। इसके साथ कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद रणद्वार को भी बंद कर दिया गया था। यहां से आगे चलने पर चमकीले पत्थर भगवान शिव जी के जटाओं को दर्शाते हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश के कटे हुए सिर को स्थापित किया गया था। इतना ही नहीं इस मंदिर में प्रकृति द्वारा निर्मित और भी कलाकृति मौजूद हैं।

कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर?

अगर आप रेलवे के रास्ते हैं यहां आना चाहते हैं तो आपके लिए सबसे करीब टनकपुर रेलवे स्टेशन पड़ेगा। आप चाहें तो काठगोदाम रेलवे स्टेशन से भी यहां सकते हैं। अगर आप एयरवेज के रास्ते से यहां आना चाहते हैं तो पंतनगर एयरपोर्ट यहां से 226 किलोमीटर दूर है।


गुरुवार, 5 अक्तूबर 2023

प्रमुख भारतीय शहरों के उपनाम

भारतीय राज्यों और शहरों के भौगोलिक उपनाम/उपनामों (Nicknames Of Indian Cities)

भारत के प्रमुख शहरों के उपनाम :- 

भारत दुनिया के सबसे प्राचीन सभ्यताओं वाले देशों में शामिल है। साथ ही हमारे देश की संस्कृतिक विविधता पूरी दुनिया में मशहूर है जिसके कारण इस देश को संस्कृतियों का महासागर भी कहा जाता है। भारत में विभिन धर्मो, संप्रदाय, बोली, भाषा, संस्कृति, खानपान, पहनावा और मत के लोग रहते है ऐसे में यह देश वास्तव में संस्कृतियों का खजाना है। देश के विभिन स्थानों एवं शहरो की विविधता को देखते हुए देश में कई शहरो के उपनाम भी प्रचलित है जो की स्थान विशेष के इतिहास, संस्कृति और सामाजिक वातावरण को प्रकट करते है।

शहरों या क्षेत्रों के उपनाम अद्वितीय विशेषताओं जैसे अद्वितीय भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक सुंदरता, झीलों की तरह प्राकृतिक संरचनाएं, उद्योग का प्रकार, विशेष रूप से कृषि उत्पादों के बड़े और गुणवत्ता के उत्पादन के अद्वितीय योगदान की वजह से दिए जाते हैं। कभी-कभी, यह इसके लिए वर्णनात्मक नाम का भी प्रतीक होता है जैसे कि उपाधि और नारे जो स्थानीय, आधिकारिक तौर पर और अनौपचारिक रूप से स्थानीय, बाहरी लोगों या उनके पर्यटन मंडल या वाणिज्य मंडलों के लिए जाना जाता है।

प्रत्येक भारतीय शहर के गठन के पीछे एक कहानी है - चाहे उसका उपनिवेशीकरण हो, स्वतंत्रता संग्राम हो, किसी देवता, नेता या सिर्फ भूगोल से जुड़ाव हो! उनकी विशेषताओं और उपज के आधार पर, यहां भारतीय शहरों के कुछ उपनाम दिए गए हैं।

* भारत का प्राचीन नाम = भारत को प्राचीन समय में आर्यावर्त, हिंदुस्तान, भारत और जम्बूदीप के नाम से जाना जाता रहा है।

* जयपुर (राजस्थान) = गुलाबी शहर (नगरी) (पिंक सिटी), भारत का पेरिस (पूर्व का पेरिस), रजवारों का शहर, हेरिटेज सिटी
* जोधपुर (राजस्थान) = ब्लू सिटी (नीला शहर), सूर्यनगरी (सन सिटी)
* जैसलमेर (राजस्थान) = स्वर्ण नगरी (सुनहरा शहर)
* उदयपुर (राजस्थान) = पूर्व का वेनिस, झीलों का शहर (लेक सिटी), सफ़ेद शहर (व्हाइट सिटी)
* चितोड़गढ़ (राजस्थान) = भारत का गौरव (राजस्थान का गौरव), महाराणा प्रताप की नगरी
* अजमेर (राजस्थान) = राजस्थान का हृदय, ख्वाजा की नगरी
* माउंट आबू (राजस्थान) = राजस्थान का शिमला
* सरिस्का (राजस्थान) = टाइगर रिजर्व
* डूंगरपुर (राजस्थान) = पहाड़ों की नगरी

* लखनऊ (उत्तर प्रदेश) = नवाबों का शहर
* कानपुर (उत्तर प्रदेश) = उत्तर भारत का मैनचेस्टर, विश्व का चमड़ा शहर, राष्ट्रीय राजमार्गों का चौराहा
* प्रयाग या इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) = ईश्वर (भगवान) का निवास, संगम नगरी, प्रधानमंत्रियों का शहर
* वाराणसी या बनारस या काशी (उत्तर प्रदेश) = मंदिरों एवं घाटों का नगर (शहर), पवित्र शहर, भारत की धार्मिक राजधानी
* आगरा (उत्तर प्रदेश) = ताजनगरी, पेठा नगरी
* गाजीपुर = काशी की बहन
* अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) = ताला की नगरी
* बागपत (उत्तर प्रदेश) = बाघों की भूमि
* बलिया (उत्तर प्रदेश) = बाघी बलिया

* कन्नौज (उत्तर प्रदेश) = खुशबुओं का शहर

* गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) = उत्तर प्रदेश का जावा

* बरेली (उत्तर प्रदेश) = सूरमा नगरी

* ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) = उगते सूरज की भूमि
* शिलांग (मेघालय) = भारत का स्कॉटलैंड (पूर्व का स्कॉटलैंड)
* गुवाहाटी (असम) = उत्तर पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार, पूर्वी ज्योतिष का शहर, मंदिरों का शहर
* तेज़पुर (असम) = मोतियो का शहर, रक्त का शहर
* डिब्रूगढ़ (असम) = भारत का चाय का शहर
* दिसपुर (असम) = मंदिरों का शहर

* दिल्ली = भारत का दिल
* नई दिल्ली = रैलियों का नगर
* नोएडा (नई दिल्ली) = एनसीआर की आईटी राजधानी
* अमृतसर (पंजाब) = सुनहरा शहर (गोल्डन सिटी), स्वर्ण मंदिर का शहर
* पटियाला (पंजाब) = शाही शहर
* कपूरथला (पंजाब) = बगीचों का शहर

* राजमुंदरी (आंध्र प्रदेश) = सांस्कृतिक नगरी
* काकीनाडा (आंध्र प्रदेश) = उर्वरक नगर, पेंशनभोगी का स्वर्ग, दूसरा मद्रास
* भीमावरम (आंध्र प्रदेश) = भारत का सेकंड बारडोली
* गुंटूर (आंध्र प्रदेश) = मिर्चों का शहर, मसालों का शहर
* तेनाली (आंध्र प्रदेश) = आंध्र पेरिस
* विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) = विजय का स्थान, विजय भूमि
* कुरनूल (कुर्नूल) (आंध्र प्रदेश) = रायलसीमा का प्रवेश द्वार (रायलसीम का गेटवे)

* राजमहेंद्रवरम (आंध्र प्रदेश) = आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी

* कटक (ओडिशा) = सिल्वर सिटी
* भुवनेश्‍वर (ओडिशा) = मंदिर शहर

* अहमदाबाद (गुजरात) = भारत का मैनचेस्टर, भारत का बोस्टन, भारत का पहला विश्व धरोहर स्थल (हेरिटेज सिटी), गुजरात की वाणिज्यिक राजधानी, पश्चिमी भारत की वित्तीय राजधानी, रात्रि शहर, ट्विन सिटी (गांधीनगर के साथ)
* सूरत (गुजरात) = हीरो का शहर (डायमंड सिटी), भारत का रेशम शहर (सिल्क सिटी)
* वडोदरा (गुजरात) = बरगद का शहर, गुजरात की सांस्कृतिक राजधानी / सांस्कृतिक नगरी, भारत के विद्युत उपकरण विनिर्माण केंद्र, पेंशनर्स सिटी
* पालनपुर (गुजरात) = हीरों का शहर, फूलों का शहर
* बारडोली (गुजरात) = बटर सिटी
* आनंद (गुजरात) = मिल्क सिटी
* गांधीनगर (गुजरात) = हरित शहर, ट्विन सिटी (अहमदाबाद के साथ)

* मुंबई (महाराष्ट्र) = भारत की वित्तीय राजधानी, सात द्वीपों का शहर (नगर), गेटवे ऑफ इंडिया (भारत का प्रवेश द्वार), भारत का हॉलीवुड, अधिकतम शहर, सूती वस्त्रों की राजधानी
* पुणे (महाराष्ट्र) = डेक्कन क्वीन (Deccan Queen) (दक्कन की रानी) (क्वीन ऑफ डेक्कन) (दक्षिण की रानी), पूर्व का ऑक्सफोर्ड
* नागपुर (महाराष्ट्र) = संतरे का शहर (ऑरेंज सिटी), बाघो का शहर (टाइगर कैपिटल)
* अकोला (महाराष्ट्र) = भारत का कपास शहर (कॉटन सिटी)
* नासिक (महाराष्ट्र) = भारत की शराब राजधानी, अंगूर शहर
* कोल्हापुर (महाराष्ट्र) = भारत का पहलवानों का शहर
* यवतमाल (महाराष्ट्र) = कॉटन सिटी
* थाइन (महाराष्ट्र) = झीलों का शहर
* इचलकरंजी (महाराष्ट्र) = महाराष्ट्र का मैनचेस्टर

* कोल्लम (केरल) = विश्व की काजू राजधानी, अरब सागर के राजकुमार
* त्रिवेंद्रम (केरल) = भारत का सदाबहार शहर
* कोच्चि या कोचीन (केरल) = अरब सागर की रानी, पूर्व का वेनिस, मसालों का बगीचा, केरल की वाणिज्यिक राजधानी, केरल की न्यायिक राजधानी, केरल का प्रवेश द्वार, मलयालम फिल्म उद्योग का केंद्र
* तिरुवनंतपुरम (केरल) = पूर्व का वेनिस
* त्रिशूर (केरल) = केरल की सांस्कृतिक राजधानी, पूरमों की भूमि, वडक्कुमनाथन की भूमि, भारत की स्वर्ण राजधानी
* अलाप्पुझा (केरल) = पूर्व का वेनिस
* कन्नूर (केरल) = लूम्स और लोरेस का शहर
* कासरगोड (केरल) = सात भाषाओं की भूमि, हर्कविलिया
* कोझिकोड (केरल) = मसालों का शहर
* मलप्पुरम (केरल) = फ़ुटबॉल राजधानी
* पलक्कड़ (केरल) =ताड़ के वृक्षों की भूमि, केरल का धान का कटोरा

* मलयाला = कोट्टायम की दादी

* मदुराई (तमिलनाडु) = महोत्सव (त्योहारों) का शहर, पूर्व का एथेंस, मंदिरो का शहर, नींद हराम शहर, चमेली का शहर, पांड्य की राजधानी नाडु
* चेन्नई (तमिलनाडु) = डेट्राइट ऑफ एशिया (एशिया या भारत के डेट्रोइट), दक्षिण भारत का प्रवेश द्वार, सुपर प्रसारित नगर, भारत की ऑटोमोबाइल कैपिटल (मोटर शहर), भारत का स्वास्थ्य पूंजी (भारत की स्वास्थ्य सेवा राजधानी), भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) हब, भारत की बैंकिंग राजधानी, फ्लाईओवरों का शहर
* कोयम्बटूर (तमिलनाडु) = दक्षिण भारत के मैनचेस्टर,  दक्षिण भारत का गेट, भारत का स्वास्थ्य पूंजी, भारत की ऑटोमोबाइल कैपिटल, भारत की बैंकिंग राजधानी, भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण हब, कोंगु नाडु की राजधानी, भारत का कपड़ा शहर, भारत का पम्प शहर, तमिलनाडु की वित्तीय राजधानी, भारत का इंजीनियरिंग शहर
* तिरुनेलवेली (तमिलनाडु) = दक्षिण भारत का ऑक्सफोर्ड, धान के खेतों का शहर, भारत का हलवा का शहर
* यरकौड (तमिलनाडु) = गरीब आदमी की ऊटी
* वानियमबाडी (तमिलनाडु) = दक्षिण भारत का चमड़ा शहर
* सलेम (तमिलनाडु) = आम शहर
* नमक्कल (तमिलनाडु) = अंडे का शहर
* तिरुचिराप्पलि या त्रिची (तमिलनाडु) = रॉक फोर्ट सिटी, भारत की ऊर्जा उपकरण एवं निर्माण राजधानी
* तूतीकोरिन (तमिलनाडु) = पर्ल सिटी, भारत का पर्ल हार्बर
* थूथुकुडी (तमिलनाडु) = पर्ल सिटी, तमिलनाडु का प्रवेश द्वार, रक्त का शहर
* तिरुपुर (तमिलनाडु) = भारत का डॉलर शहर, तमिलनाडु की कपड़ा राजधानी, बनियान शहर, निट वियर कैपिटल ऑफ इंडिया
* इरोड (तमिलनाडु) = भारत का हल्दी शहर
* कोडाइकनाल (तमिलनाडु) = हिल स्टेशनों की राजकुमारी
* कुंभकोणम (तमिलनाडु) = दक्षिण भारत का कैम्ब्रिज
* ऊटी (तमिलनाडु) = हिल स्टेशनों की रानी
* ऑरोविले (पुडुचेरी /पांडिचेरी) (तमिलनाडु) = भोर का शहर, पूर्व का पेरिस

* हैदराबाद (तेलंगाना) = मोतियों का शहर, निज़ामों का शहर
* हैदराबाद - सिकंदराबाद (तेलंगाना) = जुड़वा नगर

* श्रीनगर (जम्मू एवं कश्मीर) = पुलो का नगर, भारत झीलों का नगर, पृथ्वी का स्वर्ग

* मसूरी (उत्तराखंड) = पर्वतों की रानी (पहाड़ो की सिटी) (हिल क्वीन सिटी)
* ऋषिकेश (उत्तराखंड) = विश्व की योग राजधानी (योग सिटी), ऋषियों का शहर, भारत की राफ्टिंग राजधानी, भारत की साहसिक राजधानी
* नैनीताल (उत्तराखंड) = झीलों का शहर
* देहरादून (उत्तराखंड) = प्यार का भारतीय शहर, लीची नगर

* खज्जियार जिला (हिमाचल प्रदेश) = भारत का मिनी स्विट्जरलैंड

* धनबाद (झारखंड) = भारत की कोयला राजधानी (कोयला नगरी)
* जमशेदपुर (झारखंड) = भारत का पीटर्सबर्ग, स्टील सिटी ऑफ इंडिया, भारत का इस्पात शहर (इस्पात नगरी)
* नेतरहाट (झारखंड) = पहाड़ी की मलिका

* भागलपुर (बिहार) = सिल्क सिटी
* मुजफ्फरपुर (बिहार) = लीची की भूमि, प्यारा शहर
* गया (बिहार) = ज्ञानोदय का शहर

* मैंगलोर (कर्नाटक) = पूर्व का रोम, भारतीय बैंकिंग का पालना
* मंगलुरु (कर्नाटक) = भारत की आइसक्रीम राजधानी, कर्नाटक का प्रवेश द्वार, पूर्व का रोम
* बेंगलूरू (कर्नाटक) = भारत की सिलिकॉन वैली, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, अंतरिक्ष का शहर (सिटी), भारत के विज्ञान शहर (नगरी), भारत का बगीचा (उद्यान) (गार्डन सिटी), पेंशनभोगियों का स्वर्ग
* सकलेशपुर (कर्नाटक) = गरीब आदमी की ऊटी
* मैसूर (कर्नाटक) = कर्नाटक का रत्न, चंदन की लकड़ी का शहर, कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी
* कूर्ग (कर्नाटक) = भारत का स्कॉटलैंड
* कोडागु (कर्नाटक) = भारत का स्कॉटलैंड

* पानीपत (हरयाणा) = बुनकरों का शहर, पर्यावरण अनुकूल शहर
* गुडगाँव (हरयाणा) = मिलेनियम सिटी

* सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) = दोआर का गेटवे (डुअर्स का प्रवेश द्वार), उत्तर पूर्व भारत का प्रवेश द्वार, आतिथ्य का शहर
* आसनसोल (पश्चिम बंगाल) = काले हीरे की भूमि, भाईचारे का शहर
* कोलकाता (पश्चिम बंगाल) = महलों (इमारतों) का शहर, डायमंड हर्बल, हर्ष व उल्लास (खुशी) का शहर, जुनून का शहर, भारत का टोलीवुड, भारत की सांस्कृतिक राजधानी, आश्चर्य का शहर, वृद्धों का स्वर्ग, पश्चिम बंगाल की राजधानी
* दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) = पहाड़ों की रानी
* दामोदर घाटी, दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) = भारत का रूहर
* मालदा (पश्चिम बंगाल) = आम शहर
* बिष्णुपुर (पश्चिम बंगाल) = बंगाल का मंदिर शहर
* हावड़ा (पश्चिम बंगाल) = मूर्तियों की भूमि, रेउई गांव
* कृष्णानगर (पश्चिम बंगाल) = मूर्तियों की भूमि
* मिदनापुर (पश्चिम बंगाल) = आदिवासी परंपरा का शहर
* नबद्वीप (पश्चिम बंगाल) = बंगाल का ऑक्सफोर्ड

* भोपाल (मध्य प्रदेश) = झीलों का शहर
* मुंडी (मध्य प्रदेश) = पावर हब सिटी
* पीतमपुरा (मध्य प्रदेश) = भारत का डेट्राइट

* कर्नाटक = मलय का देश
* आंध्र प्रदेश = एशिया की अंडों की टोकरी
* मध्य प्रदेश = सोया प्रदेश
* केरल = भारत का मसाला उद्यान (मसालों का बगीचा), दक्षिण का कश्मीर
* सिक्किम = फलोधानो (फलोद्यानों) का स्वर्ग
* पंजाब = पाँच नदियों की भूमि
* लक्षद्वीप = समुद्र-पुत्र
* छत्तीसगढ़ (छत्‍तीसगढ) = धान का कटोरा (डलिया)
* हिमाचल प्रदेश = फलों की डलिया
* कश्मीर = भारत का स्विटजरलैंड
* मेघालय = पूर्व का स्कॉटलैंड, मेघों का नगर
* गुजरात = सल्ट प्रदेश (सिटी)

* कावेरी = दक्षिण भारत की गंगा
* शारदा = काली नदी
* गंगा = पवित्र नदी
* दामोदर नदी = पश्चिम का बंगाल का शोक
* कोसी नदी = बिहार का शोक
* गोदावरी नदी = दक्षिण गंगा
* साबरमती = सर्वाधिक प्रदूषित नदी

* नीलगिरी पहाड़ियां (तमिलनाडु) = नीले पहाड़ (ब्लू माउंटेन)