गुरुवार, 18 जनवरी 2018

चुम्बकीय पहाड़

चुम्बकीय पहाड़ (मैगनेटिक हिल)

लद्दाख में एक ऐसा पहाड़ है, जो धातु को अपनी ओर खींचता है और उनसे बने वाहनों को भी। यह भारतीय परम्परा में बहुश्रुत पहाड़ों का आध्यात्मिक आकर्षण नहीं, बल्कि उस पहाड़ विशेष की चुम्बकीय शक्ति का चमत्कार है। 

हाल में यहां संपन्न तीन दिवसीय सातवें सिंधु दर्शन उत्सव के दौरान स्थानीय निवासियों और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के कई जवानों ने तो यहां तक बताया कि इस पहाड़ के ऊपर से गुजरने वाले विमानों को इसके चुम्बकीय क्षेत्र से बचने के लिए अपेक्षाकृत अधिक ऊंचाई पर उड़ना पड़ता है और कहीं विमान इस चुम्बकीय क्षेत्र में आ गया तो इसे वैसे ही झटके लगते हैं, जैसे हवा के दबाव क्षेत्र में पहुंचने के बाद लगते हैं।

वैसे तो पूरे लद्दाख के बारे में मशहूर है कि यहां प्रकृति का साम्राज्य है और लद्दाखवासी प्रकृति की प्रजा हैं, लेकिन प्रकृति के इस साम्राज्य में अलग-अलग संरचनाओं, रंगों वाले पहाड़, पल-पल मिजाज बदलते मौसम और ध्वनि से लेकर रंग तक बदलती महान सिंधु नदी के अलावा जो अनेक चमत्कार बिखरे पडे़ हैं, उनमें यह चुम्बकीय पर्वत अप्रतिम है। लद्दाख के मुख्य शहर लेह को पार कर लगभग 13-14 किलोमीटर दूर सिंधु नदी जहां अपनी पहली सहायक नदी जंस्कार से मिलती है, उसी रास्ते पर इस संगम से काफी पहले ही आप इस चुम्बकीय पर्वत का साक्षात कर सकते हैं। लेह समुद्र तल से लगभग 11 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है और लेह-बटालिक मार्ग पर जहां यह चुम्बकीय पर्वत है, वह स्थान समुद्रतल से लगभग 14,000 फुट की ऊंचाई पर है। भारत-तिब्बत सीमा पर देमछोक से भारतीय सीमा में प्रवेश करने वाली सिंधु नदी लेह तथा खल्त्सी से होती हुई लगभग 500 किलोमीटर की यात्रा कर बटालिक क्षेत्र से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में प्रवेश कर जाती है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें