शुक्रवार, 9 मार्च 2018

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस “आईडबल्यूडी” को अंतरराष्ट्रीय क्रियाशील महिला दिवस या महिलाओं के अधिकार और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिये संयुक्त बुतपरस्त दिवस भी कहा जाता है जो समाज में महिलाओं के योगदान और उपलब्धियों पर ध्यान केन्द्रित करने के लिये देश के विभिन्न क्षेत्रों में पूरे विश्व भर में 8 मार्च को हर वर्ष मनाया जाता है। इस उत्सव का कार्यक्रम क्षेत्र दर क्षेत्र बदलता रहता है। सामान्यत: इसे पूरी महिला बिरादरी को सम्मान देने, उनके कार्यों की सराहना करके और उनके लिये प्यार व सम्मान जताने के लिये मनाया जाता है। चूँकि महिलाएँ समाज का मुख्य हिस्सा होती हैं तथा आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक क्रियाओं में एक बड़ी भूमिका निभाती हैं, महिलाओं की सभी उपलब्धियों की सराहना करने और याद करने के लिये अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उत्सव मनाते हैं।

इस दिन सम्पूर्ण विश्व की महिलाएँ देश, जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं। साथ ही पुरुष वर्ग भी इस दिन को महिलाओं के सम्मान में समर्पित करता है।

महिला दिवस पर स्त्री की प्रेम, स्नेह व मातृत्व के साथ ही शक्तिसंपन्न स्त्री की मूर्ति सामने आती है। इक्कीसवीं सदी की स्त्री ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है और काफ़ी हद तक अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख लिया है। आज के समय में स्त्रियों ने सिद्ध किया है कि वे एक-दूसरे की दुश्मन नहीं, सहयोगी हैं। 

अपने अनमोल योगदान के लिये महिला संघर्ष की ओर राजनीतिक और सामाजिक जागरुकता को मजबूत करने के लिये वर्ष के खास विषय और पूर्व योजना के साथ हर वर्ष इसे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र हर बार महिला दिवस पर एक थीम रखता है। वर्ष 2015 की थीम है - सशक्त महिला-सशक्त मानवता। महिलाओं को सशक्त करने का अर्थ है 'इंसानियत को बुलंद करना'।

इतिहास

इतिहास के अनुसार आम महिलाओं द्वारा समानाधिकार की यह लड़ाई शुरू की गई थी। लीसिसट्राटा नामक महिला ने प्राचीन ग्रीस में फ्रेंच क्रांति के दौरान युद्ध समाप्ति की मांग रखते हुए आंदोलन की शुरुआत की, फ़ारसी महिलाओं के समूह ने वरसेल्स में इस दिन एक मोर्चा निकाला, इसका उद्देश्य युद्ध के कारण महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार को रोकना था।

कब से हुई शुरुआत?

पहली बार वर्ष 1909 में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। लेकिन इसे मनाने के पीछे एक खास मकसद रहा। दरअसल साल 1908 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर की कुल 15 हजार महिलाओं ने वोटिंग करने की अपनी मांग के चलते एक मोर्चा निकाला। वे चाहती थीं कि जिस तरह से पुरुषों को अपने देश की सर्कार चुनने के लिए हक मुहैया है ठीक इसी प्रकार उन्हें भी यह हक दिया जाए। यह मोर्चा सफल रहा और ठीक एक साल बाद जब अमेरिका में सोशलिस्ट सरकार बनी तो उन्होंने वर्ष 1909 में 28 फरवरी का एक दिन महिलाओं को समप्रित करते हुए 'महिला दिवस' के रूप में मनाया। इसके बाद यह फरवरी के आखिरी इतवार के दिन मनाया जाने लगा। 

1910 के अगस्त महीने में, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के सालाना उत्सव को मनाने के लिये कोपेहेगन में द्वितीय अंतरराष्ट्रीय समाजवादी (सोशलिस्ट इंटरनेशनल) की एक मीटिंग (अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन के द्वारा आयोजित) रखी गया थी। अंतत: अमेरिकन समाजवादी और जर्मन समाजवादी लुईस जिएत्ज़ की सहायता के द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का वार्षिक उत्सव की स्थापना हुई। हालाँकि, उस मीटिंग में कोई एक तारीख तय नही हुई थी। उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस समय अधिकतर देशों में महिला को वोट देने का अधिकार नहीं था। 

इसे पहली बार 19 मार्च 1911 में ऑस्ट्रीया, जर्मनी, डेनमार्क और स्वीट्ज़रलैंड के लाखों लोगों द्वारा मनाया गया था। विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम जैसे प्रदर्शनी, महिला परेड, बैनर आदि रखे गये थे। महिलाओं के द्वारा वोटिंग की माँग, सार्वजनिक कार्यालय पर स्वामित्व और रोजगार में लैंगिक भेद-भाव को समाप्त करना जैसे मुद्दे सामने रखे गये थे।

हर वर्ष फरवरी के अंतिम रविवार को राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में अमेरिका में इसे मनाया जाता था।

1913-14 :- महिला दिवस युद्ध का विरोध करने का प्रतीक बन कर उभरा। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, फरवरी महीने के अंतिम रविवार को 1913 में रशियन (रुस की) महिलाओं के द्वारा इसे पहली बार मनाया गया था और पहले विश्व युद्ध का विरोध दर्ज किया। यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स (युद्ध विरोधी) को सपोर्ट करने के लिए रैलियां कीं।

1914 का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस उत्सव 8 मार्च को रखा गया था। तब से 8 मार्च को सभी जगह इसे मनाने की शुरुआत हुई। वोट करने के महिला अधिकार के लिये जर्मनी में 1914 का कार्यक्रम खासतौर से रखा गया था। 

1917 तक रूस के दो लाख से ज़्यादा सैनिक मारे गए, वर्ष 1917 के उत्सव को मनाने के दौरान सेंट पीटर्सबर्ग की महिलाओं के द्वारा “रोटी और शांति”, रशियन खाद्य कमी के साथ ही प्रथम विश्व युद्ध के अंत की माँग रखी। हालांकि राजनेता इसके ख़िलाफ़ थे, फिर भी महिलाओं ने आंदोलन जारी रखा और तब रूस के ज़ार को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी और अन्तरिम सरकार को महिलाओं को वोट के अधिकार की घोषणा करनी पड़ी। धीरे-धीरे ये कई कम्युनिस्ट और समाजवादी देशों में मनाना शुरु हुआ जैसे 1922 में चीन में, 1936 से स्पैनिश कम्युनिस्ट आदि में।

8 मार्च की तारीख हुई नियुक्त
उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनों की तारीखों में कुछ अन्तर है। जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखिरी इतवार 23 फ़रवरी को था जब की ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। इस समय पूरी दुनिया में (यहां तक रूस में भी) ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है। इसी लिये 8 मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

'महिला दिवस' अब लगभग सभी विकसित, विकासशील देशों में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तरक़्क़ी दिलाने व उन महिलाओं को याद करने का दिन है जिन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए। 'संयुक्त राष्ट्र संघ' ने भी महिलाओं के समानाधिकार को बढ़ावा और सुरक्षा देने के लिए विश्वभर में कुछ नीतियाँ, कार्यक्रम और मापदंड निर्धारित किए हैं। 

सबसे पहला दिवस, न्यूयॉर्क शहर में 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया और यह आसपास के अन्य देशों में फैल गया। इसे अब कई पूर्वी देशों में भी मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय दिवस बनाने का सुझाव

राष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय बनाने का सुझाव एक स्त्री का ही था। जर्मनी में क्लारा ज़ेटकिन ने 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि हमें महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकारों को याद करने के लिए एक ऐसा दिन निर्धारित करना चाहिए जब हम उनके हक में आवाज उठा सकें। उस वक़्त कॉन्फ़्रेंस में 17 देशों की 100 महिलाएँ मौजूद थीं। उन सभी ने इस सुझाव का समर्थन किया और आखिरकार अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की स्थापना हुई।

1975 में महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता उस वक्त दी गई थी, जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाना शुरू किया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम थी - 'सेलीब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फ़ॉर द फ्यूचर।' 1975 में सिडनी में महिलाओं (ऑस्ट्रेलियन बिल्डर्स लेबरर्स फेडरेशन) के द्वारा एक रैली रखी गयी थी।

कुछ क्षेत्रों में, यह दिवस अपना राजनीतिक मूलस्वरूप खो चूका है और अब यह मात्र महिलाओं के प्रति अपने प्यार को अभिव्यक्त करने हेतु एक तरह से मातृ दिवस और वेलेंटाइन डे की ही तरह बस एक अवसर बन कर रह गया हैं। हालांकि, अन्य क्षेत्रों में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा चयनित राजनीतिक और मानव अधिकार विषयवस्तु के साथ महिलाओं के राजनीतिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए अभी भी इसे बड़े जोर-शोर से मनाया जाता हैं।

2011:- अमेरिका के पूर्व प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने मार्च को महिलाओं का ऐतिहासिक मास कहकर पुकारा। उन्होंने यह महीना पूरी तरह से महिलाओं की मेहनत, उनके सम्मान और देश के इतिहास को महत्वपूर्ण आकार प्रकार देने के लिए उनके प्रति समर्पित किया।

भारत में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस उत्सव

महिला अधिकारों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये 8 मार्च को पूरे उत्साह और जूनुन के साथ भारतीय लोगों के द्वारा पूरे भारतवर्ष में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस उत्सव मनाया जाता है। समाज में महिलाओं के अधिकार और उनकी स्थिति के बारे में वास्तविक संदेश को फैलाने में ये उत्सव एक बड़ी भूमिका निभाता है। उनके सामाजिक मुद्दे को सुलझाने के द्वारा महिलाओं के रहन-सहन की स्थिति को प्रचारित करता है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कैसे मनाया जाता है

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक खास कार्यक्रम है जिसे लोगों के साथ ही व्यापार, राजनीतिक, समुदायिक, शिक्षण संस्थानों, आविष्कारक, टीवी व्यक्तित्व आदि महिला नेतृत्व के द्वारा 8 मार्च को पूरे विश्व भर में मनाया जाता है। अन्य महिला अधिकारों को बढ़ावा देने वाली क्रिया-कलाप सहित नाश्ता, रात का भोजन, महिलाओं के मुद्दे, लंच, प्रतियोगी गतिविधि, भाषण, प्रस्तुतिकरण, चर्चा, बैनर, सम्मेलन, महिला परेड तथा सेमिनार जैसे विभिन्न प्रकार कार्यक्रम के आयोजन के द्वारा इसे मनाया जाता है। इसे पूरे विश्व भर में उनके अधिकार, योगदान, शिक्षा की महत्ता, आजीविका आदि के मौके के लिये महिलाओं के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये मनाया जाता है।

महिला शिक्षिका को उनके विद्यार्थियों द्वारा, अपने बच्चों के द्वारा माता-पिता को, बहनों को भाईयों के द्वारा, पुत्री को अपने पिता के द्वारा, उपहार दिया जाता है। ज्यादातर व्ययसायिक संस्थाएँ, सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालय, शिक्षण संस्थान, इस दिन बंद रहते हैं। आमतौर पर इस उत्सव को मनाने के दौरान लोग बैंगनी रंग का रिबन पहने रहते हैं।

संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक विषय-वस्तु
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक खास थीम का इस्तेमाल कर हर वर्ष मनाया जाता है। नीचे कुछ वार्षिक आधार दिये गये थीम हैं:-

वर्ष ------ यूएन विषय-वस्तु 
1975 -- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को संयुक्त राष्ट्र ने मान्यता दी”।
1996 -- अतीत का जश्न, भविष्य के लिए योजना
1997 -- महिलाओं और शांति तालिका
1998 -- महिला और मानवाधिकार
1999 -- महिलाओं के खिलाफ हिंसा से मुक्त विश्व
2000 -- शांति के लिए एकजुट महिलाएं
2001 -- महिला और शांति: महिला का संघर्ष प्रबंधन
2002 -- आज की अफगान महिला: वास्तविकता और अवसर
2003 -- लिंग समानता और सहस्राब्दी विकास लक्ष्य
2004 -- महिला और एचआईवी/एड्स
2005 -- 2005 के आगे लिंग समानता; अधिक सुरक्षित भविष्य का निर्माण
2006 -- निर्णय-लेने में महिलायें
2007 -- महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करना
2008 -- महिला और लड़कियों में निवेश
2009 -- महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए महिला और पुरुष एकजुट
2010 -- समान अधिकार, समान अवसर: सभी के लिए प्रगति
2011 -- शिक्षा, प्रशिक्षण एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समान पहुँच: महिलाओं के बेहतरी का मार्ग
2012 -- ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना, गरीबी और भूखमरी का अंत
2013 -- वचन देना, एक वचन है: महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए कार्रवाई का समय
2014 -- महिलाओं के लिए समानता, सभी के लिए प्रगति है
2015 -- महिला सशक्तीकरण, ही मानवता सशक्तीकरण: इसे कल्पना कीजिये! (यूएन के द्वारा),महिला सशक्तिकरण पर पुनर्विचार और 2015 में लैंगिक समानता और उससे आगे” (यूनेस्को के द्वारा) और “तोड़ने के द्वारा” (मैनचेस्टर शहर परिषद के द्वार)।
2016 -- इसे करना ही होगा।
2017 -- कार्य की बदलती दुनिया में महिलाएं: 2030 तक, ग्रह में सभी 50-50: लैंगिक समानता के लिए आगे आये।
2018 -- Press For Progress

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कथन
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर निम्न कथन:-

* “एक महिला होने के नाते भयानक रुप से एक कठिन कार्य है, चूँकि पुरुषों से व्यवहार में मुख्यत रुप से ये बना होता है”।

* “इन सभी शताब्दियों में महिलाओं ने सेवा की है क्योंकि इसके स्वाभाविक आकार से दोगुना एक पुरुष के रुप के परावर्तन की मनोहर शक्ति और जादू को देखने वाले शीशे रखतें हैं”।

* “अपने हिरोज़ और शी-रोज़ को मनाने और पहचान के लिये हमारे लिये ये कितना जरुरी है”।

* “सब मिलाकर, माँ और गृहिणि एकमात्र ऐसे कर्मचारी होते हैं जिनका काम खत्म करने का कोई समय नहीं होता। वो बिना-अवकाश वाले वर्ग होते हैं”।

* “एक पुरुष की निश्चितता से ज्यादा अचूक होता है एक महिला का अंदाज़”।

* “दिये गये समय की अवधि के लिये इतिहास में एक अनोखे विकास के लिये प्रगति से संबंधित जो भी गौरव रहा हो, नारीत्व के प्रगति से एक पूरा योगदान मतलब रखता है”।

* “महिला आंदोलन का दुखी होना होने का मतलब है कि उन्हें प्यार की जरुरत की आजादी नहीं है। मैं व्यक्तिगत रुप से किसी ऐसी क्रांति पर भरोसा नहीं करता जहाँ प्यार की इज़ाजत नहीं है।”

* “कुछ परिहास युक्त पर गलती के बिना अब और तब एक पुरुष पर हर वक्त कोई हँस नहीं सकता”।

* “नारीवादी पूरी दुनिया का विचार है या समष्टि, महिलाओं के मुद्दे का एकमात्र कपड़ो की धुलाई की सूची नहीं है”।

* “बहुत कुछ खूबसूरत जवान लड़कियों पर कहा और गाया है, क्यों कोई बूढ़ी औरत की सुंदरता को जागृत नहीं करता है?”

* “ईश्वर महिलाओं को अंतर्ज्ञान और स्त्रीत्व प्रदान करता है। अच्छे से प्रयोग किया जाता है, ये मिश्रण आसानी से किसी पुरुष का दिमाग गड़बड़ कर देती है मैं जब भी मिला हूँ।”

* “समाज को जल्दी से बदलने का तरीका है कि विश्वभर की महिलाओं को संगठित कर दिया जाये”।

* “स्त्रीत्व एजेंडा मूलभूत है; ये कहता है कि सार्वजनिक न्याय और निजी खुशी के बीच में चुनने के लिये महिलाओं को कभी भी दबाव नहीं देना चाहिये।”

* “चूँकि पुरुष और महिला एक-दूसरे के पूरक है, एक सुरक्षित और स्थायी सरकार बनाने के लियेराष्ट्रीय मामलों में हमें महिलाओं के विचार की जरुरत है”।

* “आप जहाँ भी देखे महिला नेत्री होती है- एक गृहिणि जो अपने बच्चों को बड़ा करती है और अपने परिवार का नेतृत्व करती है से लेकर सीईओ तक जो सफल 500 कंपनियों में से एक को चलाती है। हमारा देश महिलाओं को मजबूत बनाने के द्वारा बना था और हम दीवार को धव्स्त करना और रुढ़िवादिता का सामना करना जारी रखेंगे।”

* “राजनीति में अगर आप कुछ कहते हैं, एक पुरुष से पूछो। अगर आप कुछ करना चाहते हैं, एक महिला से पूछे”।

* “महिला समाज की असली शिल्पकार होती हैं”।

* “ऐसा सपना देखो जो कभी सपना न बने”।

* “महिला पुरष की एक साथी है, जो बराबरी की मानसिक क्षमता के साथ प्रतिभावान है”।

* “कोई भी लिखित कानून कभी भी ज्यादा बाध्यकारी होता है बजाय प्रसिद्ध विचार के द्वारा समर्थित अलिखित परंपरा”।

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