शहरों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर करने में सुरंगों का अहम रोल होता है। शहरों की सड़कें तंग होती जा रही हैं, इसलिए सुरंगे बनाना एक सही इन्फ्रास्ट्रक्टर अॉप्शन है। इसके अलावा हमारे देश की भौगोलिक स्थितियों जिसमें, हिमालय, विंध्याचल, पश्चिमी घाट और सतपुरा हैं, रोड और रेलवे नेटवर्क के लिए सुरंगें एक अहम हिस्सा बन गई हैं। टनल इंजीनियरिंग सिविल इंजीनियरिंग का अहम हिस्सा होता है। इसके लिए विशेष कौशल, जोखिम का मूल्यांकन और मजबूत सुरक्षा उपायों की जानकारी होनी चाहिए। सुरंगों के निर्माण में भारत ने शानदार प्रगति की है। 950 किलोमीटर की लंबाई तक फैली कई सुरंग परियोजनाएं निर्माणाधीन चरण में हैं और 2500 किलोमीटर की योजना विभिन्न चरणों में है। आज हम आपको देश की पांच सबसे लंबी रेल और रोड सुरंगों के बारे में बताएंगे।
देश में रेलवे टनल -
पीर पंजाल सुरंग, जम्मू-कश्मीर (लंबाई 11.215 किलोमीटर) :
इसे बनिहाल रेलवे सुरंग भी कहा जाता है, जिसकी लंबाई 11.215 किलोमीटर है। यह एशिया की दूसरी सबसे बड़ी रेलवे सुरंग है। हिमालय की पीर पंजाल रेंज से लेकर यह बनिवाल शहर के उत्तरी हिस्सा तक बनाई गई है। इस सुरंग को पार करने में रेलगाड़ी को साढ़े नौ मिनट लगते हैं।
कार्बूड सुरंग, महाराष्ट्र (लंबाई-6.5 किलोमीटर) :
यह कोंकण रेलवे मार्ग का हिस्सा है और भारत की दूसरी सबसे लंबी रेलवे सुरंग है। रत्नागिरी के कोंकण तट पर स्थित यह सुरंग 6.5 किलोमीटर लंबी है और उकशी व भोखे रेलवे स्टेशन के बीच पडडती है। इस सुरंग के कारण कनेक्टिविटी होने से आसपास के इलाके में शहरीकरण काफी बढ़ गया है।
नाटूवाड़ी सुरंग, महाराष्ट्र :
करनजाड़ी और दीवान स्टेशन के बीच स्थित 4.3 किलोमीटर लंबी कोंकण रेलवे मार्ग की दूसरी सबसे लंबी सुरंग है। इसे साल 1997 में एक पहाड़ी इलाके में बनाया गया था। सुरंग खुदाई के उपकरण बाहर से मंगवाए गए थे।
टाइक सुरंग, महाराष्ट्र :
यह 4.07 किलोमीटर लंबी सुरंग है, जो सहयाद्री रेंज में रत्नागिरी और निवासर के बीच स्थित है। इस सुरंग में घुसने से पहले का नजारा बेहद खूबसूरत है।
बेरडेवाड़ी सुरंग, महाराष्ट्र :
अडावली और विलावाड़े के बीच स्थित यह सुरंग 4 किलोमीटर लंबी है। यह कोंकण रेलवे मार्ग का हिस्सा है और गोवा व कोंकण इलाकों में यात्रा करते वक्त यह बीच में पड़ती है।
भारत में रोड सुरंग
चेनानी-नशरी (पटनीटॉप), जम्मू एवं कश्मीर :
यह उधमपुर जिले के चेनानी को रामबन जिले के नशरी से जोड़ती है। 9.2 किलोमीटर की यह सुरंग एशिया की सबसे लंबी सुरंगों में से एक है। हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों के बीच बनी यह सुरंग जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग का हिस्सा है। हाल ही में इसे खोला गया है और इसकी वजह से श्रीनगर और जम्मू के बीच का रास्ता सिर्फ दो घंटे में पूरा हो जाता है।
रोहतांग सुरंग, हिमाचल प्रदेश :
यह सुरंग रोहतांग दर्रा के नीचे 3878 मीटर की ऊंचाई पर बनाई गई है और इसकी लंबाई 8.8 किलोमीटर है। इसे दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बनी रोड सुरंग माना जाता है। दो लेन वाली यह सुरंग फिलहाल निर्माणाधीन है और 2019 तक तैयार हो जाएगी। यह पूरे साल मनाली से लाहौल और स्पिति वैली तक रोड कनेक्टिविटी मुहैया कराएगी। इस प्रोजेक्ट की लागत 1700 करोड़ रुपये है और लेह-मनाली हाईवे की लंबाई इससे 46 किलोमीटर कम होने की उम्मीद है।
घाट की गुनी सुरंग, राजस्थान :
जयपुर में पूर्वी हिस्से से घुसने और बाहर निकलने के लिए सिर्फ यही सुरंग है। इसकी लंबाई 2.8 किलोमीटर है। इसके आसपास कई एेतिहासिक इमारते हैं और इसे झलाना हिल्स पर बनाया गया है। साथ ही पूरे रास्ते पर आधुनिक लाइटें भी लगाई गई हैं।
अॉट सुरंग, चंडीगढ़ :
यह चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग 21 का हिस्सा है। लार्जी बांध जलाशय के पास बनी अॉट सुरंग की लंबाई 2.76 किलोमीटर है और इससे कुल्लू-मनाली जाने में आसानी होती है।
जवाहर सुरंग, जम्मू-कश्मीर :
जवाहर सुरंग या बनिहाल सुरंग जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है और यह जम्मू से कश्मीर घाटी को जोड़ता है। इसकी लंबाई 2.5 किलोमीटर है। इसका नाम भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर रखा गया है और साल 1956 से यह चालू है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए पर यह सुरंग बनिहाल और काजीगुंड के बीच स्थित है। साल 2009 तक यह सुरंग आधी रात से लेकर सुबर 8 बजे तक नागरिक यातायात के लिए बंद रहती थी। हाल ही में इसे 24 घंटे के लिए चालू किया गया है।
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