बस्ती (Basti) जिले का नाम बदलकर वशिष्ठ नगर या वशिष्ठी
प्रयागराज और फैजाबाद का नाम बदल चुकी है योगी सरकार
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के एक और जिले का नाम बदलने की तैयारी हो रही है। बहुत दिनों से बस्ती जिले में उसके पौराणिक नाम के लिए हस्ताक्षर अभियान, नाटक-नुक्कड़ व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से चलाया जा रहा था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहबाद (allahbad) का नाम प्रयागराज (prayagraj) किया गया, फिर मुगलसराय (Mughalsarai) जंक्शन का नाम पंडित दीनदयाल जंक्शन किया। अब बस्ती जिले का नाम बदलने की तैयारी शुरू हो गई है, जिसके लिए शासन स्तर पर भेजे गए प्रस्ताव पर मंथन चल रहा है। नाम बदले जाने पर एक करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
राजस्व परिषद को भेजा गया प्रस्ताव
फैजाबाद का नाम अयोध्या करने के बाद बस्ती जिले का नाम बदलने को लेकर मांग तेज हो गई। बीते 28 नवंबर 2019 को पहली बार बस्ती जनपद का नाम बदलने का प्रस्ताव तैयार कर राजस्व परिषद को भेजा गया। इसके बाद राजस्व परिषद की ओर से नाम बदले जाने की स्थिति में होने वाले व्यय की जानकारी मांगी गई थी। खर्च आकलन कराने के बाद जिलाधिकारी ने मंडलायुक्त को रिपोर्ट दी और संशोधित प्रस्ताव के साथ मंडलायुक्त अनिल कुमार सागर ने राजस्व परिषद को भेज दिया है।
बस्ती के जिलाधिकारी (DM) आशुतोष निरंजन ने कहाकि बस्ती जनपद का नाम बदले जाने का प्रस्ताव राजस्व परिषद को भेजा गया है। जिले का नाम बदले जाने की स्थिति में एक करोड़ रुपए व्यय भार आएगा।
योगी ने बस्ती के मेडिकल कॉलेज का नाम बदलने का ऐलान किया था
एक साल पूर्व बस्ती महोत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बस्ती मेडिकल कॉलेज (Basti Medical College) का नाम महर्षि वशिष्ठ (Maharishi Vashisht) के नाम पर रखे जाने का ऐलान किया तो बस्ती जिले का नाम बदलने की मांग तेज हो गई। बस्ती जिले का नाम बदलकर वशिष्ठ नगर (Vashisht Nagar) या वशिष्ठी करने के प्रस्ताव पर शासन स्तर पर मंथन अंतिम दौर में है।
सांसद और विधायक भी उठा चुके हैं आवाज
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद हरीश द्विवेदी और विधायक अजय कुमार सिंह भी बस्ती का नाम वशिष्ठ नगर करने की मांग कर चुके हैं। हरैंया विधायक अजय सिंह ने फरवरी 2018 में मुख्यमंत्री को प़त्र लिखकर बस्ती का नाम वशिष्ठ नगर करने की माग की थी। और लगातार इसकी मांग करते रहे हैं।
वैदिक रामायण काल के ऋषि वशिष्ठ का जिक्र कई हिन्दू धर्मग्रंथो में किया गया है। माना जाता है कि बस्ती का पुरातन नाम वशिष्ठी था जिसे कालांतर में बस्ती के नाम से जाना गया। भगवान राम के गुरु महर्षि वशिष्ठ से ही बस्ती की पहचान है। बस्ती के मखौड़ा धाम में ही राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ की थी।
बता दें कि वर्तमान में योगी सरकार नाम इसलिए बदल रही है क्योंकि ये नाम मुगल शासकों के द्वारा रखे गए थे और नए नाम भारत की पुरानी संस्कृति का हिस्सा हैं। सीएम योगी आने वाले दिनों में कई और ऐसे शहरों का नाम बदलेंगे, ऐसा उन्होंने कई सभाओं में संकेत दिया था।
राममंदिर निर्माण के लिये भारत सरकार ने अयोध्या में “श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट” के नाम से ट्रस्ट बनाया है। ट्रस्ट से जुड़े सूत्रों की मानें तो पर्यटन को बढ़ाने के लिए पौराणिक अयोध्या से जुड़े स्थानों को भी अयोध्या से जोड़ कर विकसित किया जाएगा। इसी कड़ीं में बस्ती को वशिष्ठनगर करने में जल्दबाजी की जा रही है।
संत चाहते हैं यूपी के कई अन्य जिलों के नाम बदले जाएं
अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के स्वामी महेशाश्रम महाराज ने कहा, “प्रयागराज को इलाहाबाद बना दिया गया और योगी आदित्यनाथ ने इसे वापस प्रयागराज में बदल दिया है। इसी तरह, अन्य शहरों को उनके मूल हिंदू नामों को वापस दिया जाना चाहिए, हमारे पास एक ऐसी सरकार है, जो हिंदुओं द्वारा संचालित है और हिंदुओं की है।” इसी संप्रदाय के स्वामी ब्रह्माश्रम महाराज ने कहा कि विभिन्न कालावधि में आक्रमणकारियों ने अपनी धार्मिक प्राथमिकताओं के अनुसार शहरों और स्थानों के नाम बदल दिए थे। उन्होंने कहा, “चाहे वे मुगल हो या ब्रिटिश शासक, दोनों ने नाम बदले, लेकिन अब योगी आदित्यनाथ को चाहिए कि वे नाम बदलकर स्थानों को उनके मूल नाम दें।” इस बीच, सूत्रों ने एंजेसी को बताया कि संत चाहते हैं कि आजमगढ़, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, शाहजहांपुर, फतेहपुर, बुलंदशहर और आगरा जैसे शहरों के नाम बदल दिए जाएं।
सत्ता में आने पर भदोही का नाम फिर होगा संत रविदासनगर : मायावती
संत शिरोमणि रविदास की जयंती के बहाने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) पर परोक्ष रूप से जातिवादी राजनीति करने का आरोप लगाते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी की सरकार आने पर उत्तर प्रदेश के भदोही जिले का नाम फिर से बदलकर संत रविदासनगर रखा जाएगा। मायावती ने कहा कि महान संतगुरु रविदास का 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' का मानवतावादी संदेश धर्म को तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक सेवा और जनचेतना के लिए प्रयोग करने का था जिसे वर्तमान में ख़ासकर शासक वर्ग ने भुला दिया गया है और यही कारण है कि देश विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त है। संत रविदास ने अपना सारा जीवन इन्सानियत का संदेश देने में गुज़ारा और जाति भेद के ख़िलाफ आजीवन कड़ा संघर्ष करते रहे।
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