शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

हिन्दू मंदिर, अबू धाबी

अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात का प्रथम हिंदू मंदिर! (First Hindu Temple in Abu Dhabi, United Arab Emirates)

अबू धाबी में पहला हिन्दू मंदिर का शिलान्यास (Lay foundation stone), मोदी ने दी बधाई

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 20 अप्रैल 2019 को पहले हिंदू मंदिर के शिलान्यास समारोह में बड़ी संख्या में भारतीयों ने भाग लिया। समारोह में भारत से आए 50 पुजारियों ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मौके पर खाड़ी देश को बधाई दी।

रिपोर्ट के अनुसार यूएई में भारतीय राजदूत नवदीप सूरी ने इस मौके पर खाड़ी देशों को मुबारकबाद देते हुए मोदी का बधाई संदेश पढ़ा। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा, ‘‘एक सौ तीस करोड़ भारतीयों के ओर से मेरे प्रिय मित्र और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान (sheikh mohammed bin zayed) को बधाई देता हूं।'' रघानमंत्री ने अपने संदेश में कहा, ‘‘तैयार होने के बाद यह मंदिर सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों और आध्यात्मिक नैतिकता का प्रतीक होगा जो भारत और यूएई दोनों की साझा विरासत होगा।''

बोचासनवासी अक्षर- पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्थान के प्रमुख आध्यात्मिक महंत स्वामी महाराज ने समारोह की अध्यक्षता की।

ये समारोह काफी धूमधाम से हुआ, जिसमें बीएपीएस (BAPS) स्वामिनारायण संस्था के शीर्ष लोग मौजूद थे। साथ ही संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) (UAE) के कई मंत्रियों ने भी इस समारोह में शिरकत की।

मंदिर की आधारशिला भारत से ले जाए गए गुलाबी पत्थरों से रखी गई है। ये राजस्थान से अबूधाबी भेजे गए थे। इसमें मंदिर के साथ भारतीय संस्कृति की भव्य गैलरीज़ भी होंगी।

अबू धाबी के वली अहद (क्राउन प्रिंस) शेख मोहम्मद बिन जाएद अल नहयन ने मंदिर के निर्माण के लिये 13.5 एकड़ जमीन तोह्फे में दी है। यूएई सरकार ने इतनी ही जमीन मंदिर परिसर में पार्किंग सुविधा के निर्माण के लिये दी है।

बताया जा रहा है कि इस मंदिर की फंडिंग प्राइवेट तौर पर की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक करीब 900 करोड़ रुपए तक इसकी लागत आ सकती है।

मालूम हो अबू धाबी (abu dhabi) सरकार ने 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra modi) की देश की पहली यात्रा के दौरान संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी में मंदिर निर्माण की योजना को मंजूरी दी थी। इसके बाद फरवरी 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी दौरे के वक्त वहां के ओपेरा हाउस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्‍तम स्वामीनारायण संस्‍था (बीएपीएस) मंदिर की आधारशिला रखी थी।

अक्सर मंदिर के निर्माण में स्टील और लोहे का प्रयोग किया जाता है लेकिन भारतीय परंपरा के अनुसार इस मंदिर के निर्माण में इसका प्रयोग नहीं किया जाएगा। इसके निर्माण में फ्लाई एश (Fly-ash concrete) का इस्तेमाल होगा। फ्लाई एश का प्रयोग कंक्रीट को मजबूत करने के लिए किया जाता है। कई जगहों में इसे कंक्रीट में रसानयिक प्रतिरोध और स्थायीत्व के लिए भी किया जाता है।

निर्माण स्थल पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे जहां समारोह की शुरुआत प्रार्थनाओं के साथ हुई और इसके बाद मंदिर की नींव में फ्लाई ऐश कंकरीट भरने का काम पूरा हुआ। मंदिर की नींव में एक ही बार में 3,000 घन मीटर कंकरीट का मिश्रण भरा गया जो 55 प्रतिशत फ्लाई ऐश से बना हुआ था।

इस दौरान यूएई में भारत के राजदूत पवन कपूर और दुबई में भारत के कॉन्सुलर जनरल विपुल, सामुदायिक विकास प्राधिकरण के सीईओ उमर अल मुथन्ना और शापूरजी पलोंजी के सीईओ मोहनदास सैनी की मौजूद थे। समारोह के दौरान पूज्य ब्रह्मविहारी स्वामी ने कहा, ‘आज हमने मंदिर की अनोखी नींव भरने का कार्य शुरू किया जिसका निर्माण पुरानी तकनीक के साथ आधुनिक उपकरणों से किया गया है।’
उन्होंने कहा, ‘यह ईश्वर की कृपा, समुदाय के पूर्ण समर्थन और यहां मौजूद हर व्यक्ति के प्रेम के बिना संभव नहीं था।’ राजदूत कपूर ने कहा, ‘मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि मुझे इसका श्रेय मेरे पूर्ववर्ती को देना होगा जिन्होंने इस पहल का समर्थन किया और यूएई की सरकार को इस बड़े व उदार फैसले को लेने के लिए मनाया जिसने न सिर्फ जमीन दान में दी बल्कि मंदिर के लिए पहला लाइसेंस भी दिया।’

उल्लेखनीय है कि इस मंदिर का निर्माण कार्य इसी साल पूरा होगा। इसके कुछ महत्वपूर्ण हिस्से को इसी साल श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा, लेकिन बाकी सभी हिस्सों पर लोगों की एंट्री 2022 तक ही हो पाएगी।

मंदिर के स्वयंसेवको ने बताया कि एक विशेष अनुस्थापन का आयोजन किया जायेगा जहां भक्तो को समारोह की अधिक जानकारी दी जाएगी। प्रवेश पास को ‘यजमान सेवा” में वितरित किया जा चुका है जिन्होंने इन रस्मो में भाग लेने के लिए 680 से 1300 डॉलर तक का अनुदान दिया है और बीएपीएस मंदिर का समर्थन किया है।

कैसा होगा ये मंदिर

ये कुल 55,000 स्क्वायर मीटर या 14 एकड़ में बनेगा। ये अपने आप में काफी अनूठा होगा। इसमें प्रार्थना हॉल के अलावा आगंतुक हाल, भारतीय संस्कृति को दिखाने वाली गैलरीज, बच्चों के लिए खेलने की जगह, फूड कोर्ट, गार्डन के साथ किताबों व गिफ्ट की दुकानें होंगी। मंदिर में वृंदावन की तर्ज पर एक बगीचा और झरना भी होगा।

ये मंदिर दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर (Akshardham) और दूसरा न्यूजर्सी यूएस (new jersey us) में निर्माणाधीन एक इमारत के प्रारुप पर आधारित है।

बीएपीएस भारत, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अफ्रिका में 1200 मंदिरों का प्रबंधन करता है। बोचासनवासी श्री अक्षर पुरषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) 1907 में स्थापित सामाजिक-आध्यात्मिक हिन्दू संगठन है। यह पूरी दुनिया में 1,100 से ज्यादा मंदिरों और सांस्कृतिक परिसरों की देखरेख करता है।

वैसे तो मंदिर साल 2017 के आख़िर तक बन कर तैयार हो जाना था लेकिन कुछ वजहों से देरी हो गई।

मंदिर को बनाने की मुहिम छेड़ने वाले बीआर शेट्टी हैं जो अबू धाबी के जाने-माने भारतीय कारोबारी हैं। वो 'यूएई एक्सचेंज' नाम की कंपनी के एमडी और सीईओ हैं।

कितने स्तंभ होंगे

इस मंदिर में सात मुख्य स्तंभ (टॉवर) होंगे जो यूएई में सात अमीरातो का प्रतिनिधित्व करेंगे। यूएई में सैकड़ों मस्जिदों के अलावा 40 चर्च, दो गुरुद्वारे और दो मंदिर है। दुबई में दो हिंदू मंदिर (शिव और कृष्ण के) हैं और दो गुरुद्वारा हैं तो वहीं यहां पर एक चर्च भी है। इसके अलावा अबु धाबी में भी एक चर्च स्थित है। अब तक अबू धाबी में रहने वाले लोगों को दर्शन करने के लिए दुबई जाना पड़ता था। इस मंदिर के निर्माण के बाद ऐसी समस्या खत्म हो जायेगी।

पत्थरों को कहां तराशा जाएगा

मंदिर का निर्माण स्वामिनारायण संस्थान की देख- रेख में भारतीय शिल्पकार कर रहे हैं। मंदिर का निर्माण 2020 में पूरा हो जाने की उम्मीद है। इस मंदिर मे लगने वाले पत्थरों को भारत में ही अलग- अलग डिज़ाइनों में काटा जायेगा और बाद में इसे यूएई में ही एक- दूसरे से जोड़कर मंदिर का निर्माण किया जायेगा।

2000 कारीगर

इसके लिए भारत में 2000 - 3000 कारीगर लगातार इसके पत्थरों को तराशेंगे। जिस पिंक सैंडस्टोन का इस्तेमाल इसे बनाने में किया जा रहा है, जयपुर का हवामहल भी उन्हीं पत्थरों से तैयार हुआ है।

क्या है पत्थर की खासियत

करीब 5,000 टन इटैलियन कैरारा मार्बल पर नक्काशी की जा रही है। मंदिर का बाहरी हिस्सा करीब 12,250 टन गुलाबी बलुआ पत्थर से बनेगा। ऐसा माना जाता है कि ये पत्थर 50 डिग्री सेंटीग्रेड में भी गरम नहीं होते हैं और इनमें भीषण गर्मी को झेलने की क्षमता होती है। ये पत्थर राजस्थान में ही मिलते हैं।

कौन-कौन से देवी-देवता होंगे?

मंदिर में कृष्ण, शिव और अयप्पा (विष्णु) की मूर्तियां होंगी। अयप्पा को विष्णु का एक अवतार बताया जाता है और दक्षिण भारत ख़ासकर केरल में इनकी पूजा होती है।

अबूधाबी से कितनी दूर

दुबई- अबू धाबी हाइवे पर बनने वाला यह अबू धाबी का पहला पत्थर से निर्मित मंदिर होगा। मंदिर अबू धाबी में 'अल वाकबा' नाम की जगह पर बनेगा। ये अबू धाबी से 30 मिनट की दूरी पर है। न सिर्फ अबू धाबी में बल्कि पश्चिमी एशिया में पत्थरों से बनने वाला यह पहला मंदिर होगा।

यूएई में कितने भारतीय

यूएई में लगभग 26- 30 लाख भारतीय रहते हैं, यानी वहां की आबादी का 30 फीसदी हिस्सा। इस मंदिर के निर्माण की वजह से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान- प्रदान होगा व द्विक्षीय रिश्ते मजबूत होंगे।

यूएई में कितने धार्मिक स्थान

यूएई में सैकड़ों मस्जिदों के अलावा 40 चर्च, दो गुरुद्वारे और दो मंदिर (शिव और कृष्ण के) है। ये दोनों मंदिर यूएई में हैं।

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