हिंदू धर्म में पूजा आदि के साथ-साथ मंत्रोच्चारण का भी बहुत महत्व है। शास्त्रों में प्रत्येक देवी-देवता के अपने अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं। तो वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर प्रकार के धार्मिक कार्य आदि में मंत्रों का उच्चारण करना अनिवार्य होता है। मान्यता है अगर ऐसा न किया जाए तो पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है। तो आज हम आपको एक ऐसे ही मंत्र के बारे में बतान जा रह हैं जिसका प्रत्येक पूजा के बाद उच्चारण करना बहुत अनिवार्य होता है। ज्योतिष शास्त्र के अलावा हिंदू धर्म के अन्य ग्रंथों में भी ये मंत्र वर्णति है।
शांति पाठ मंत्र - Shanti Paath Mantra (Mantra For Peace)
शांती पाठ या शांति मंत्र (Shanti Mantra or Peace Mantra) देवता से की जाने वाली प्रार्थना है। यह वैदिक प्रार्थना है जो यजुर्वेद से ली गई है। हिन्दू धर्म अनुसार जब भी कोई कार्य आरंभ करते हैं, तो उस कार्य की शुभता के लिए हम ईश्वर से प्रार्थना करतें है कि वह कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो, इसके लिए गणेशजी जिन्हें विघ्न विनाशक कहा गया है, की पूजा करके मंगल कामना करते है। उसी तरह प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान के विधिवत और शांतिपूर्वक सम्पूर्ण होने हेतु और वातावरण की सात्विकता और शुद्धि के लिए शांति पाठ करना आवश्यक होता है।
शान्ति मन्त्र वेदों के वे मंत्र हैं, जो शान्ति की प्रार्थना करते हैं। प्राय: हिन्दुओं के धार्मिक कृत्यों के आरम्भ और अन्त में इनका पाठ किया जाता है।
शांति पाठ के मंत्र का उच्चारण या जप करके हम हमारे आस पास के वातावरण के साथ साथ समस्त पृथ्वी, वनस्पति, परब्रहम सत्ता, सम्पूर्ण ब्रहमांड यहा तक की कण कण में शांति बने रहने का ईश्वर से निवेदन करते है। यह यजुर्वेद में विस्तार से बताया गया है।
शांति मंत्र - शांति के लिए की जाने वाली हिंदू प्रार्थना है, आमतौर पर धार्मिक पूजाओं, अनुष्ठानों और प्रवचनों के अंत में यजुर्वेद के इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है।
शांति पाठ संस्कृत में
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
हिन्दी रूपांतरण : हिंदी में शांति पाठ का अर्थ सहित भावार्थ
शान्ति: कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में, जल में, थल में और गगन में,
अन्तरिक्ष में, अग्नि पवन में, औषधि, वनस्पति, वन, उपवन में,
सकल विश्व में अवचेतन में!
शान्ति राष्ट्र-निर्माण सृजन, नगर, ग्राम और भवन में
जीवमात्र के तन, मन और जगत के हो कण कण में,
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
यह प्रार्थना सांसारिक धन, सफलता, नाम या प्रसिद्धि पाने के लिए नहीं है, न ही यह मरणोपरांत स्वर्ग प्राप्ति के लिए प्रार्थना है। यह हिन्दू धर्म में विश्व शांति के लिए की जाने वाली एक सुंदर प्रार्थना है। यजुर्वेद के इस शांति पाठ मंत्र में साधक ईश्वर से सृष्टि के समस्त तत्वों व कारकों में शांति बनाये रखने की प्रार्थना करता है। वैसे तो इस मंत्र के जरिये कुल मिलाकर जगत के समस्त जीवों, वनस्पतियों और प्रकृति में शांति बनी रहे इसकी प्रार्थना की गई है, परंतु विशेषकर हिंदू संप्रदाय के लोगों के लिए किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्य, संस्कार, यज्ञ आदि के आरंभ और अंत में इस शांति पाठ के मंत्रों का मंत्रोच्चारण करना अनिवार्य होता हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें